तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि – Tin
Mukhi Rudraksha Pahanne Ki Vidhi
तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि- (tin mukhi rudraksha dharan karne ki vidhi) तीन मुखी रुद्राक्ष तभी अपने पूर्ण फल प्रदान करता है, जब हम उसे सही तरीके से एवं उत्तम मुहूर्त में धारण करते हैंl भले ही ब्रह्मा जी के द्वारा लिखे गए प्रारब्ध को हम बदल नहीं सकते हैं lभले ही नियति के द्वारा जो भी हमारे भाग्य में लिख दिया गया हैl हम उसे बदल नहीं सकते हैं, किंतु ऐसी भी कोई चीज नहीं है, जो हम अपने इष्ट से मांगे और वह हमें ना दे सकेl ऐसा माना जाता है, कि प्रारब्ध से भी बड़ा हमारा कर्म है, इसलिए रेखाओं के आगे उंगलियों की रचना की गई है, जिससे कोई भी व्यक्ति विशेष कर्म को प्रधानता दे ना कि भाग्य कोl यह तो सर्वविदित है, कि विधाता का लेख कोई नहीं मिटा सकता है, किंतु हम कोई प्रयास भी ना करें ऐसे में तो सारी बातें ही निरर्थक हो जाएगी यही कारण है, कि प्रकृति यदि हमें किसी भी प्रकार का दुख कष्ट देती है, तो उस के उपलक्ष में हमें उसे दूर करने के लिए या कष्टों का निराकरण या दुखों का निराकरण करने के लिए हमें उपाय भी प्रकृति ही प्रदान करती है।
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प्रकृति में अनेक ऐसे संसाधन मौजूद हैं, जो हमारे जीवन में उत्तम बदलाव के कारण बन सकते हैंl प्रकृति हमारे लिए बहुत ही ऐसी संसाधनों को अपने गर्भगृह में छुपा कर रखी हैं, जो हमारे दिन दशा को बदलने में सक्षम होते हैंl समय भले ही हमें कठिन या दुर्दिन दिखा दे किंतु हमारी माता प्रकृति हमें हर दुख एवं कष्ट से बचाने के लिए अनेक प्रकार के संसाधन हमें प्रदान करती है, जिससे हम कष्ट मुक्त जीवन जी सकें या कष्टों का निराकरण कर सकेंl ऐसे ही विभिन्न संसाधनों में से एक संसाधन है -रुद्राक्ष, जिसमें प्राकृतिक रूप से कई धारियां मौजूद रहती हैl उस धारियों के मौजूद रहने के कारण उनका नामकरण एक मुखि या दो मुखि या अनंत मुखी रुद्राक्ष के रूप में किया जाता है।
रुद्राक्ष का सृजन स्वयं भोलेनाथ के द्वारा किया गया है, ताकि सृष्टि के लोगों का कल्याण हो सकेl जनमानस के सभी कष्टों के निराकरण के लिए भगवान भोलेनाथ के द्वारा उनके आंसुओं से निर्मित इस वृक्ष की उत्पत्ति हुई हैl रुद्राक्ष का वृक्ष अपने आप में अलौकिक शक्तियों का पूंज होता है, तथा रुद्राक्ष एक बीज होता है, जो अनेक अलौकिक ऊर्जाओ का स्रोत होता है।
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तीन मुखी रुद्राक्ष स्वयं त्रिदेव की शक्ति का स्वरूप माना जाता हैl ब्रह्मा जी जो सृष्टि के रचयिता हैl भगवान विष्णु जो सृष्टि के पालनहार है, तथा भगवान भोलेनाथ जिनके बिना सृष्टि में जीवन संभव नहीं हैl इन सभी का एकांकी स्वरूप तीन मुखी रुद्राक्ष को माना जाता है, जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा तीन मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha dharan vidhi) धारण किया जाता है lउसे त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती हैl यह बहुत ही सरल एवं उत्तम विधि होती है, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी आयु वर्ग का होl वह अपने आराध्य से जुड़ सकता है, अपने आराध्य की कृपा प्राप्त कर सकता है, सांसारिक दुखों से मुक्ति पा सकता है।
तीन मुखी रुद्राक्ष को भी यदि हम सही विधि से धारण करते हैं, तो हमें इसके कई सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है, तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने की विधि-
1. तीन मुखी रुद्राक्ष को आप सोने चांदी या लाल या पीला रेशमी धागा में धारण कर सकते हैं।
2. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर शुक्ल पक्ष के सोमवार या मंगलवार के दिन या शिवरात्रि या महाशिवरात्रि या पूर्णिमा के दिन इसे आप धारण कर सकते हैंl यदि आप भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तथा त्रिशक्ति की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो ऐसे में आपके द्वारा तीन मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha kis din dharan kare) को सोमवार के दिन धारण किया जाना चाहिएl यदि आप मंगल ग्रह की ऊर्जाओं को प्राप्त करना चाहते हैं, या अपने जीवन में किसी भी प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव को जो मंगल से संबंधित होता है, उसे नियंत्रण में लाना चाहते हैं, या अपने मंगल ग्रह की स्थिति को मजबूत बनाना चाहते हैं, तो आपको इसे मंगलवार के दिन धारण करना चाहिए।
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3. सबसे पहले गंगाजल तथा पंचामृत से रुद्राक्ष को अच्छे तरीके से शुद्धि करें lउसके पश्चात उस पर चंदन का लेप 21 बेलपत्र चढ़ाएं तथा पुष्प अर्पण करें एवं कपूर लोंग तथा गूगल से तीन मुखी रुद्राक्ष की आरती करें।
4. अपने गुरु से भगवान भोलेनाथ का कोई भी मंत्र लेकर उसे जितना हो सकेl उतना अधिक उपांशु जप करें जप के दौरान आपकी क्रिया टूटनी नहीं चाहिएl जितना अधिक आप का जाप होगा इतनी जल्दी तीन मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha dharan karne se kya hota hai) की शक्तियां जागृत होंगी एवं उतना ही प्रभावी ढंग से आपके लिए अपना प्रभाव दिखाएंगे lमंत्र जाप करने के बाद उस माला को ले जाकर भगवान भोले नाथ भोले भंडारी के शिवलिंग से स्पर्श कराकर कुछ देर के लिए वही रहने दे lउसके पश्चात भगवान भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर अपनी मन निश्चित इच्छा को मन में बोलते हुए उसे धारण करें।
5. मंगल ग्रह की ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मंगल ग्रह के विशिष्ट मंत्रों का जप अधिक संख्या में करना चाहिए तथा माला को लेकर भगवान बजरंगबली के चरणों में कुछ देर के लिए रख दें या यदि आसपास में बजरंगबली का मंदिर यदि नहीं है, तो आप माता भगवती के मंदिर में इस अभिमंत्रित की हुई माला को ले जाकर उनके चरणों में रख दें तथा माता से प्रार्थना करें कि आपका सारा दुख कष्ट का जल्द से जल्द निराकरण करें तथा मांगलिक कार्यों का होना आपके जीवन में भी जल्द से जल्द प्रारंभ हो।
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6. आप इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि जिस भी दिन आपके द्वारा तीन मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha dharan karne ke fayde) धारण किया गया है lउस दिन भूलकर भी अपने भाई बंधु या किसी भी व्यक्ति विशेष से कटु शब्दों का प्रयोग नहीं करना है, तथा मांस मदिरा जैसी वर्जित चीजों के सेवन से खुद को दूर रखें अन्यथा इसकी शुद्धता खंडित हो जाती है।
7. माला धारण करने के पश्चात प्रतिदिन कम से कम 21 बार या 108 बार उस व्यक्ति विशेष के द्वारा शिव मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए, जिससे इसकी ऊर्जा शक्ति हमेशा बनी रहेl तीन मुखी रुद्राक्ष अपने उत्तम प्रभाव से आपके जीवन में सदा अच्छा परिवर्तन लाता रहे।
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