मूंगा रत्न किस दिन पहनना चाहिए – Munga Ratna Kis Din Pahanna Chahiye
मूंगा रत्न किस दिन पहनना चाहिए – – Munga
Ratna Kis Din Pahanna Chahiye
मूंगा रत्न किस दिन पहनना चाहिए- (munga ratna kis din dharan karna chahie) मंगल ग्रह जिसे भूमि मकान भवन निर्माण पुलिस प्रशासन सेना यांत्रिकी बल पराक्रम शक्ति ऊर्जा शौर्य कीर्ति का कारक माना जाता है, नौ ग्रहों की तरह मंगल भी एक ग्रह है, जिसको नौ ग्रहों में सेनापति के उपाधि से अलंकृत किया जाता है। इसे धरतीपुत्र भी कहा जाता है। मंगल की प्रधानता ही किसी भी जातक के वैवाहिक जीवन को निर्धारित करती है। इसकी शुभ एवं अशुभ परिणाम को लग्न कुंडली में स्थित भाव से जाना जा सकता है।
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मूंगा एक जैविक रत्न है, जो समुद्र की गहराई में पाया जाता है।मूंगा एक समुद्री वनस्पति है, जो विशेष प्रकार के जीव के द्वारा समुद्र में निर्मित होता है, तथा इसका रंग लाल रंग का रक्त के समान होता हैl यह कभी-कभी देखने में केसरिया रंग का भी होता हैl मूंगा रत्न को बनाने वाले जंतुओं के घरों को आईसिस नोबाइल्स से संबोधित किया जाता है। समुद्र से किस पादप को निकालकर इसे विभिन्न आकार में कांटा जाता हैl भारत में भी मूंगा रत्न (munga ratna kis din dharan kare) पाया जाता है, किंतु इसकी गुणवत्ता इसका रंग उतना प्रभावशाली नहीं होता जितना होना चाहिए इसलिए बाजारों में सबसे अधिक इटालियन मूंगा रत्न की मांग रहती हैl इसके साथ- साथ श्रीलंकाई मूंगा रत्न भी ज्योतिष के हिसाब से बहुत मायने रखता है, तथा उसकी गुणवत्ता की वजह से और अधिक लोकप्रिय है।
विश्व के अन्य देश जैसे इटली, जापान, अल्जीरिया, ईरान अमेरिका ब्राजील भारत आदि देशों से भी मूंगा रत्न (munga ratna kis din pahne) प्राप्त होता है, तथा अलग-अलग वातावरण में पनपने के वजह से इनका रंग भी बदल जाता है, कहीं इसका रंग गेरुआ, कहीं सफेद ,तो कहीं सिंदूरी काले रंग का भी होता है, किंतु पानी के अंदर रहने पर इसकी संरचना उतनी संगठित नहीं रहती है, जितनी की होनी चाहिए इसलिए जब यह पानी की सतह से बाहर हवा के संपर्क में आता है, तो इसकी संरचना संगठित होने से शुरू हो जाती है, एवं यह कठोर हो जाता है।
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मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne ke fayd) विभिन्न रत्नों में उच्च कोटि का माना जाता है, तथा इसका स्वामी ग्रह मंगल होता हैl मंगल ग्रह का प्रतिरूप इसे माना जाता हैl मंगल ग्रह की शक्तियों को अवशोषित करने की क्षमता रखता है। ज्योतिष विद्वानों के द्वारा मंगल ग्रह जीसे उग्र ग्रह एवं क्रूर ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है।
मंगल ग्रह के दुष्परिणामों को दूर करने के लिए मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne se kya hota hai) को धारण किया जाता है, किंतु कभी-कभी गलत तरीके या फिर किसी और के द्वारा उपयोग में लाया हुआ मूंगा रत्न को यदि कोई भूलवश धारण कर लेता है, तो ऐसी स्थिति में उसे बहुत से नुकसान झेलने पड़ सकते हैं, या इसे बिना किसी को अपनी जन्म पत्रिका दिखाएं इसे यदि धारण किया जाता है, तो इसके बहुत से विध्वंसक परिणाम जातक को झेलने पड़ सकते हैं।
उसकी स्थिति बिगड़ने लगती है, तथा भाग्य का साथ भी छूट जाता है, किसी चीज को प्राप्त करने के लिए वह लगातार मेहनत करता है, किंतु वह जितना मेहनत करता हैl वह चीज उससे और अधिक दूर चली जाती हैl उसके जीवन से भाग्य जैसी चीज पूरी तरह से समाप्त हो जाती है, रह-रहकर स्वास्थ्य भी खराब होने लगता हैl स्वास्थ्य गिरने से रूपए पैसे संबंधित चिंताएं भी बढ़ने लगती है, क्योंकि आए दिन रूपए पैसे की खर्च बीमारी में बहुत अधिक बढ़ जाती है, खर्च की अधिकता होने की वजह से जातक की आर्थिक स्थिति पूरी तरह से बिगड़ने लगती हैl कभी-कभी स्थिति इतनी अधिक बिगड़ जाती है, कि वह पूरी तरह से कर्ज में डूब जाता हैl अचानक की उसके जीवन में बहुत सी और शुभ घटनाएं घटने शुरू हो जाती है, अप्रिय घटनाएं उसकी स्थिति को और अधिक बिगाड़ कर रख देती हैं।
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दुर्घटना में उसे चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है, तथा जान तक को खतरा हो सकता है lआग से जलने की भी प्रबल संभावना होने लगती है, क्योंकि मंगल एक अग्नि तत्व का कारक होता है तथा इस से पीड़ित होने पर जलने कटने का डर बहुत अधिक रहता हैl शारीरिक एवं मानसिक विकार जातक को इस कदर तोड़ कर रख देते हैं, कि वह पूरी तरह से विक्षिप्त हो जाता है, एवं किसी कार्य को करने योग्य नहीं रह जाता है lस्वस्थ शरीर ना उसके पास रहता और ना स्वस्थ दिमाग जिससे उसकी व्याकुलता बहुत अधिक बढ़ने लगती हैl वह स्वभाव से उग्र एवं क्रूर हो जाता हैl क्रोध उसका अभिन्न अंग बन जाता है, जिसके कारण उसके संबंध भी बहुत बिगड़ने लगते हैंl उसे अंगों के विभिन्न विकार जैसे रक्त संबंधित विकार ,लीवर, नेत्र, जौंडिस, पीलिया, बवासीर आदि जैसी बीमारियां उसे ग्रस्त करने लगती है।
वैवाहिक जीवन में भी बहुत अधिक कलह परेशानियां होने लगती है, एक दूसरे से मनमुटाव एवं वैचारिक मतभेद आदि एक आम बात सी हो जाती हैl दांपत्य जीवन में सही सामंजस्य भी जातक बैठाने में सक्षम नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से उनकी परेशानियां और अधिक पैठ बनाने लगती है। मंगल के द्वारा उत्पन्न मांगलिक दोष जातक की वैवाहिक जीवन को पूरी तरह से त्रस्त कर देता है, तथा कभी-कभी परिस्थिति ऐसी भी बन जाती है, कि उनके रिश्ते तक टूट जाते हैं, रिश्ते में इतनी अधिक तनाव होने की वजह से फिर से मेल हो पाना बहुत ही मुश्किल होता है, जिसकी वजह से तलाक भी हो जाता है। जातक की वाणी की मिठास हो जाती है उसका आवाज बहुत अधिक करकस होने लगता है। (more…)