मूंगा रत्न क्या है – Munga Ratna Kya Hai

मूंगा रत्न क्या है – Munga Ratna Kya Hai

 

 मूंगा रत्न क्या है – Munga Ratna Kya Hai

मूंगा एक वनस्पति होता है, जो समुद्र की गहराइयों में पत्थरों पर विशेष प्रकार के जीवो के द्वारा निर्माण किया जाता है lसामान्यतः इस कारण इसके निर्माण स्थल पर निर्भर करता है, जैसे यदि यह गहरे पानी में निर्मित होता है, तो इसका रंग गाढ़ा होता है, किंतु यदि यह छीछाले पानी में निर्मित होता है, तो इसका रंग हल्का होता हैl इसका रंग रक्त के समान लाल एवं गेरुआ रंग सबसे अधिक लोकप्रिय है, किंतु इसके और भी रंग जैसे सफेद, काला आदि भी पाए जाते हैंl ब्राजील ,अमेरिका, जापान, इटली, श्रीलंका ,भारत, ईरान आदि के देशों से मूंगा रत्न (munga ratna kya hota hai) प्राप्त होता है। मूंगा रत्न का संयोजक कैल्शियम कार्बोनेट होता है।

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मूंगा रत्न को मंगल रत्न के नाम से संबोधित किया जाता है, तथा मंगल के द्वारा दिए जा रहे विभिन्न प्रकार के अशुभ एवं हानिकारक दुष्प्रभाव में मूंगा रत्न का प्रयोग किया जाता है।

मंगल का दुष्प्रभाव जातक के जीवन का चैन, सुकून, सुख, धन, संपदा ,इज्जत, मान- सम्मान सब कुछ छीन लेता हैl मूंगा रत्न (munga ratna kaisa hota hai) के अंदर इतनी अधिक सकारात्मक भौतिक शक्तियों का समागम होता है, कि इसका प्रयोग मंगल के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए धारण किया जाता हैl इसे सोने चांदी या तांबे में धारण करने से छोटे बच्चों को नजर नहीं लगती हैl मन में जो भी नकारात्मक ऊर्जा रहती है, जैसे ईर्ष्या, द्वेष इन सभी चीजों को नष्ट करता है, तथा जातक में आत्मविश्वास को बढ़ाता है, एवं उसके साहस में भी वृद्धि करता हैl मूंगा रत्न को धारण करने से जातक में इच्छा शक्ति बहुत अधिक मजबूत होती है, तथा दृढ़ इच्छाशक्ति से नामुमकिन को भी वह मुमकिन बनाने की क्षमता रखता है, जो लोग किसी भी प्रकार से चिकित्सा संबंधित क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, उनको मूंगा रत्न अप्रतिम लाभ प्रदान करता है।

मन में व्याप्त उदासी अवसाद जैसी स्थिति को भी यह पूरी तरह से नष्ट करने में सक्षम होता है, तथा अधिक चिंता जैसी बीमारी को भी मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne se kya hota hai) दूर करने में सक्षम है, जो बच्चे आलस्य जैसी समस्या से ग्रसित है, एवं पढ़ाई लिखाई में या खेलकूद या किसी भी चीज में उन्हें मन नहीं लगता है, तो उन्हें मूंगा रत्न धारण करना चाहिएl उनके सभी रोगों का इलाज रत्न में है, तथा अलग से जैसी समस्या को मूंगा रत्न दूर कर देता हैl मंगल से संबंधित विकारों में मूंगा रत्न बहुत कारगर सिद्ध होता है, तथा उससे संबंधित बीमारियां जैसे रक्त संबंधित विकार हो या पीलिया हो या मिर्गी हो या नेत्रों से संबंधित कोई और विकास सभी में यह अत्यंत हितकारी सिद्ध होता है।

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मेष ,वृश्चिक, सिंह, धनु, मीन राशि वाले लोगों के द्वारा यह रत्न धारण किया जा सकता है, तथा सूर्य एवं मंगल की युक्ति हमेशा अच्छे परिणाम देती है lयही कारण है, कि यदि किसी जातक के द्वारा माणिक्य रत्न धारण किया गया है, तो भी मूंगा रत्न धारण किया जा सकता हैl गुरु ग्रह की भी युक्ति को देखते हुए पुखराज के साथ भी मूंगा रत्न (munga ratna ki jankari) को धारण किया जा सकता है lइस रत्न को मोती के साथ भी धारण किया जा सकता है, इससे कोई भी दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलता है।

कई बार ऐसे लोग होते हैं, जो रत्नों के विषय में बिना जाने समझे उसके विविध प्रकार के आभूषण धारण कर लेते हैं, किंतु वह एक बात भूल जाते हैं, कि वह है, तो रत्न हीं तथा रत्न हर किसी को शुभ लाभ नहीं प्रदान करता है, बल्कि किसी भी व्यक्ति जन्म पत्रिका के द्वारा यह निर्धारित किया जाता है, कि उसे कौन सा रत्न पहनना चाहिए, जिसके उसके शुभ ग्रह मजबूत हो तथा उसकी स्थिति मजबूत हो, या जिस ग्रह की कृपा से वह वंचित है, उसे कैसे धारण करना चाहिए या उसके उत्परत्नों को किस विधि के द्वारा धारण करना चाहिए।

मूंगा रत्न की पहचान

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प्राकृतिक रूप से निर्मित मूंगा रत्न की खासियत होती है, कि उसमें ध्यान से देखने पर लाइने एवं लकीरें दिखाई देती हैं, या अन्य कोई चिन्ह अवश्य रहता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह गुण अवस्थित नहीं रहता हैl असली मूंगा रत्न (munga ratna ke fayde) की या खासियत होती है, कि यदि यह रंग के संपर्क में आता है, तो यह उसे अवशोषित करने लगता हैl आप इसे हर ओर से देखेंगे तब इसकी संरचना पूरी तरह से चिकनी नहीं दिखाई पड़ती हैl असली मूंगा रत्न के ऊपर जब किसी भी प्रकार का तरल पदार्थ का बूंद डाला जाता है, तो उसके आकार में कोई परिवर्तन नहीं आता है, जबकि नकली मूंगा रत्न में यह गुण देखने को नहीं मिलता है, एवं उस पर तरल डालते ही पूरी तरह से वह बह जाता है, किसी भी प्रकार का वह आकार नहीं लेता है।

मूंगा रत्न को धारण करने की विधि-
1. सर्वप्रथम मूंगा की सत्यता की जांच अवश्य करें, उसके पश्चात उससे सात या आठ रत्ती का वजन का अंगूठी बनवाया अंगूठी बनवाने के लिए आप सोना या तांबा की धातु का उपयोग कर सकते हैं, सूर्य से संबंधित यह दोनों धातु का उपयोग मूंगा रत्न (munga ratna pahnane ke fayde)  को जड़वाने में किया जाता है।
2. इसे धारण करने का सबसे शुभ घरी शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को माना जाता है।
3. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर इस अंगूठी को गंगाजल एवं पंचामृत से शुद्ध करें उसके बाद उसे धूप बत्ती दिखाकर लाल रंग के वस्त्र पर रख दे मंगल के बीज मंत्र का प्रयोग कर lइसे अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित किया जाता है, आप इसे प्रतिष्ठित एवं अभिमंत्रित करवाने में किसी विद्वान पंडित का भी सहायता ले सकते हैं।

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4. अभिमंत्रित की हुई अंगूठी को हनुमान जी के चरणों से स्पर्श कराकर इसे अनामिका उंगली में अपनी मनवांछित इच्छा बोलते हुए धारण करना चाहिए।

 

 

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5. मूंगा रत्न धारण करने से पूर्व अच्छे से मूंगा की जांच फड़क कर ले और यदि इटालियन मूंगा मिलता है, तो उसे ही अवश्य धारण करें।

6. मूंगा (munga ratna ke labh) धारण करने के 1 महीने के अंदर यह अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देता है, तथा सबसे अधिक पूर्ण प्रभाव 4 साल तक देता है, उसके बाद मूंगा रत्न की शक्तियों का क्षरण होने लगता है, जब कभी आप पर किसी भी प्रकार का संकट आने वाला रहता है, तो मूंगा रत्न अपने आप हो किसी भी प्रकार से टूट जाता है, या फिर इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि आपको दिखने लगती है, जब कभी भी ऐसा हो तो त्रुटि युक्त रत्न बिल्कुल भी धारण ना करें दूसरा नया मूंगा रत्न उसी प्रकार से अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर धारण करें, अन्यथा आपको इसके अशुभ प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं।

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