लहसुनिया रत्न पहनने के फायदे – lahsuniya
ratna ke labh
1. केतु की महादशा या केतु की अंतर्दशा में जातकों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, केतु उनके जीवन में आकस्मिक भूचाल लाने में कोई कसर नहीं छोड़ता है, ऐसे में जातकों की स्थिति क्षत-विक्षत हो जाती है, उनकी आर्थिक स्थिति को या सामाजिक स्थिति हो या स्वास्थ्य संबंधित चीजें सभी में क्षय होने लगता है।
ऐसे में यदि किसी जातक के द्वारा केतु से संबंधित रत्न लहसुनिया (cats eye stone ke labh) धारण किया जाता है, तो उसे बहुत लाभ होता है। इसके साथ-साथ उसकी परेशानियां भी कम होने लगती है, केतु की नकारात्मकता को स्फटिक रत्न धीरे-धीरे नष्ट कर देता है, तथा जातक को अनेक चीजों में अनुकूल एवं सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं।
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2. बहुत से जातकों को केतु संबंधित परेशानियों की वजह से उनका आर्थिक हानि बहुत अधिक होता है उनके फिजूल खर्च में वृद्धि की वजह से उनकी आर्थिक स्थिति दिनोंदिन चरमर आने लगती है ऐसे में जातक को रूपए पैसे संबंधित परेशानियां पैर पसारने लगती है।
जिसकी वजह से जातक को मानसिक चिंताएं भी होने लगती हैं, ऐसे में लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke fayde in hindi) धारण करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ साथ जिसके द्वारा यह हाथ में धारण किया गया है। उसके जीवन में आर्थिक संपदा पूर्ण रूप से प्राप्त होती है, एवं आर्थिक स्थिति उसकी बहुत मजबूत होती है।
3. जिस भी भी जातक के द्वारा लहसुनिया रत्न (lahsuniya pathar pahnane ke fayde) धारण किया जाता है, उसे कभी भी ऊपरी बाधाएं जैसे- टोना टोटका, नजर दोष ,तंत्र मंत्र संबंधित चीजों का सामना नहीं करना पड़ता है। यदि उसके गुप्त शत्रुओं के द्वारा उस पर यह सारी क्रियाएं की जाती भी है, तो यह सारी क्रियाएं निष्फल चली जाती है, केतु का लहसुनियां रत्न उसे चारों ओर से पूरी तरह सुरक्षित रखता है, तथा जातक को कभी भी इन सब चीजों की वजह से नुकसान नहीं होने देता है। बहुत से लोगों को खराब केतु ग्रह के कारण ही टोना टोटका, तंत्र मंत्र, नजर दोष संबंधित चीजों की वजह से बहुत ही दयनीय स्थिति हो जाती है।
कभी-कभी यह सारी चीजें जातक के ऊपर इतनी हावी हो जाती है, कि उसमें लाख अविश्वसनीय कौशलों का भंडार रहता है। लाख अद्वितीय गुणों का वह स्वामी रहता है, किंतु इन सभी नकारात्मक ऊर्जाओ के वजह से उसका दिमाग पूरी तरह से विचलित रहता है। हर वक्त उसमें पागलपन जैसी स्थिति देखने को मिलती है। बात-बात पर झगड़ा करना या गुस्सा करना ,चीखना चिल्लाना जैसी स्थिति आम होती है। कभी-कभी अवसाद की स्थिति इतनी अधिक बढ़ जाती है, कि जातक स्वयं को मृत्यु के हवाले भी कर देता है, वह आत्महत्या जैसे कठोर निर्णय ले लेता है
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किंतु इन सभी के पीछे का कारक केवल केतु ग्रह के द्वारा दी जा रही पीड़ा एवं केतु ग्रह की कुदृष्टि होती है। अतः जब लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratan ke fayde) धारण किया जाता है, तो केतु के नकारात्मक प्रभाव निष्फल होने लगते हैं, तथा जातक को उसके लक्ष्य साफ नजर आने लगते हैं, तथा उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जो मार्ग अपनाना चाहिए उसमें वह कर्मठ होकर अपना पूरा योगदान देता है, तथा सफलता प्राप्त करता है।
4. केतु ग्रह तथा राहु ग्रह दोनों पापी ग्रह होते हैं, ऐसे में इनके द्वारा कालसर्प जैसे दोष का निर्माण किया जाता है, जिसमें जातक बुरी तरीके से भ्रम जाल में फस जाता है, तथा केवल भ्रामक जीवन जीने लगता है। वह वास्तविकता से कोसों दूर हो जाता है, एवं उसे तरह तरह की परेशानियां आए दिन देखने को मिलती है, एवं इन दोनों पापी ग्रहों की वजह से उसे बहुत ही विचित्र प्रकार की अनुभूतियां भी होती है।
जिसका वर्णन यदि वह करता भी है, तो लोगों को केवल यह एक मिथ्या के समान लगता है, किंतु कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति ही यह समझ सकता है, कि उसे किन – किन परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है, बिना मतलब के मानसिक परेशानियां उसे हर वक्त घेरे रहती है। इसके साथ – साथ उसे कभी भी किसी भी कार्य में सफलता नहीं प्राप्त होती है, वह चाह कर भी किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाता है, चाहे उसकी शुरुआत वह कितनी भी अच्छी क्यों ना करें किंतु अंत में मजबूरी में उसे वह कार्य अधूरा ही छोड़ना पड़ता है। उसमें लाख दिव्य गुण मौजूद रहते हैं, किंतु फिर भी करियर संबंधित चीजों में हमेशा उसके जीवन में अस्थिरता का भाव हमेशा नजर आते रहता है।
उससे कम कुशलता वाले लोग ऊंचे – ऊंचे पदों पर प्रतिष्ठित हो जाते हैं, किंतु कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति को छोटे से रोजगार में भी सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत कड़ी एवं कर्मठ मेहनत करनी पड़ती है, किंतु फिर भी सफलता प्राप्ति की संभावनाएं नग्न होती है, ऐसे में यह इंसान हर वक्त मानसिक चिंता में डूबे रहते हैं, ऐसे लोगों के द्वारा विभिन्न प्रकार के उपाय तो अपनाएं ही जाते हैं।
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जिससे कालसर्प के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके इसके साथ साथ लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ki jankari) भी धारण किया जाता है, जिससे जातक की स्थिति में धीरे धीरे परिवर्तन आए एवं धीरे-धीरे अपनी परिस्थिति में वह बदलाव लाकर अपने जीवन को संवार सकें।
5. लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratan ke fayde) का औषधीय गुण भी कुछ कम नहीं है। इसका उपयोग प्राचीन काल से हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न प्रकार की बीमारियों में भी किया जाता रहा है, जिसमें लहसुनियां रत्न अप्रतिम रूप से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जैसे- नेत्र संबंधित विकार ,हड्डी संबंधित विकार, लकवा जैसी गंभीर बीमारी, श्वसन संबंधित बीमारी में भी यह रत्न बहुत कारगर सिद्ध होता है तथा इसके प्रभाव से जातक को स्वास्थ्य लाभ भी जल्द ही प्राप्त होता है।
6. लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke labh) में आध्यात्मिक गुणों की भंडार होती है। यह एक ऐसा रत्न होता है, जिसमें प्राकृतिक रूप से अध्यात्मिक शक्तियां व्याप्त होती है, तथा जिस भी जातक के द्वारा लहसुनियां रत्न धारण किया जाता है। उनके बौद्धिक स्तर एवं आध्यात्मिक स्तर में बहुत ही लाभ पहुंचाता है, इसके साथ – साथ लहसुनियां रत्न उन्हें मोक्ष की प्राप्ति में बहुत मदद करता है।
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लहसनिया रत्न (lehsunia stone benefits in hindi) एक ऐसा रत्न है, जो हमें परमात्मा से हमें ईश्वर के निरंकार स्वरूप से मिलाने में बहुत मदद करता है। लहसुनियां रत्न को धारण करने से केतु ग्रह बहुत मजबूत होता है, जिसकी वजह से हम खुद को पहचानने में खुद से मिलने में खुद के विचारों को अच्छे तरीके से समझने में सक्षम होते हैं, केतु ग्रह का काम होता है।
खुद से मिलवाना जिससे हम भ्रम की दुनिया जिसे हम मिथ्या की दुनिया से बाहर निकले एवं हमारे जीवन के वास्तविक लक्ष्य को पहचाने हमारे जीवन का क्या उपयोगिता है। उसको पहचाने एवं उसी की ओर अग्रसर होकर अपने कर्म को निवृत्त करें।
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