लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहने – Lahsuniya Ratna Kis Ungali Me Pahne

लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहने – Lahsuniya Ratna Kis Ungali Me Pahne

लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहने –

Lahsuniya Ratna Kis Ungali Me Pahne

लहसुनिया रत्न किस उंगली में पहने- लहसुनिया रत्न जो केतु ग्रह को निरूपित करता है, तथा उससे संबंधित गुप्त शक्तियों का मालिक लहसुनिया रत्न (lahsuniya kis ungli me pahne) होता है।
यह देखने में पीला मटमैला हरे रंग का तथा भूरा हो सकता हैl लहसुनिया रत्न बाकी रत्नों से इसलिए विभिन्न माना जाता है, क्योंकि इसे कैबोकोन के रूप में काटा जा सकता है, जिसकी वजह से जब कभी इस पर प्रकाश पड़ता है, प्रकाश की किरण लंबी रेखा के रूप में नजर आती हैl यह रत्न हीरा तथा माणिक के बाद सबसे अधिक कठोर रत्न माना जाता है, जिसकी वजह से इसका गलनांक एवं किसका घनत्व बहुत अधिक होता हैl यह देखने में बहुत ही सुंदर होता है, तथा इस से उत्सर्जित होने वाली किरण बहुत ही मनमोहक होती है, बिल्कुल बिल्ली के नेत्रों के समान इस रत्न की बनावट होती है।

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लहसुनिया रत्न धारण करने से जातक को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं-

1. केतु ग्रह के द्वारा दिए जा रहे दुष्प्रभाव को निष्फल करने की क्षमता इस रत्न में विद्यमान रहती है।

2. केतु की महादशा या केतु की अंतर्दशा में भी लहसुनिया रत्न को धारण करना बहुत उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि यह उसके द्वारा दिए जा रहे प्रतिकूल प्रभाव को नष्ट कर जातक को सकारात्मक एवं अनुकूल प्रभाव उसके जीवन पर दिखाता है।

3. लहसुनिया रत्न (lahsuniya kis ungli mein pehna jata hai) धारण करने से मन पूरी तरह से पवित्र होता है, मन में विभिन्न प्रकार के नकारात्मक विचार जो आते हैंl उन सभी को यह नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा के संचार को बढ़ा देता है, जिससे जातक के इर्द-गिर्द एक सकारात्मक घेरा बना रहता है, तथा वह असीम आनंद एवं शांति को अनुभव करता है।

4. केतु केतु को दृष्टि होने से जातक विभिन्न प्रकार के परेशानियां जैसे -कुष्ठ रोग, शारीरिक चोट या फिर किसी प्रकार की दुर्घटना या नेत्र संबंधित विकार या हड्डियों संबंधित अधिकारियों के अनुसार जैसी बीमारियां होने लगती हैं, ऐसी स्थिति में यदि केतु रत्न लहसुनिया को धारण किया गया तो इन सभी चीजों पर जल्द से जल्द नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है, एवं इन सभी बीमारियों को बहुत हद तक ठीक भी किया जा सकता है।

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5.लहसुनिया रत्न (lahsuniya kis ungli mein dharan karen) धारण करने से केतु ग्रह मजबूत होता है, ऐसी परिस्थिति में जातक धर्म के मार्ग पर अग्रसर होता है, तथा परमात्मा से मिलन के सारे रास्ते उसके लिए खुल जाते हैं, तथा वह मोक्ष को प्राप्त करने के विभिन्न आयामों में सफलता प्राप्त करता है।

6. जिन जातकों की जिंदगी चुनौतीपूर्ण होती है, तथा उन्हें सफलता का स्वाद कभी भी प्राप्त नहीं होता एवं एन मौके पर उनके सारे कार्य खराब हो जाते हैं, चाहे वह कितनी भी मेहनत क्यों न कर लें, फिर भी आकस्मिक चीजें घट जाती हैं, और उनका पूरा मेहनत या किया कराया कार्य असफल हो जाता है, ऐसी परिस्थिति में लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna dharan karne se kya hota hai) धारण अवश्य करना चाहिए, जिससे आकस्मिक दुर्घटनाओं का आकस्मिक हानि को रोका जा सके एवं कार्यों को सही समय पर संपन्न किया जा सके।

7. बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिन्हें बहुत घबराहट होती रहती है, बिना किसी बात के भी वह बहुत अधिक चिंता में डूबे रहते हैं, हर वक्त किसी अनहोनी के होने का डर उनके मन में समाया रहता है, ऐसे में लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna dharan karne ke fayde) धारण करने से उन्हें इन सभी चीजों से मुक्ति मिलती है, तथा उसे अपनी ऊर्जा का उपयोग वर्तमान के परिस्थितियों को देखते हुए अपने सफल होने के लिए लगाते हैं, चाहे वह जिस भी कार्य क्षेत्र में संलग्न है।

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8. लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna kaisa hota hai) को धारण करने से जातक के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का औरा बन जाता है, जिससे तंत्र मंत्र टोना टोटका या नजर दोष संबंधित चीजें जातक के ऊपर निष्क्रिय हो जाती हैं, वह अपना असर उस पर नहीं दिखा पाती हैl छोटे बच्चों को भी लहसुनिया रत्न को नजर दोस्त से बचाने के लिए धारण करवाया जाता है।

कभी-कभी लोगों के द्वारा बिना अपनी लग्न कुंडली की जांच करवाएं या किसी विद्वान ज्योतिष बिना सलाह लिए लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke labh) धारण कर लिया जाता है lऐसे में उन्हें निम्नलिखित नुकसान हो सकते हैं-

9. लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ki jankari) गर्म प्रवृत्ति का होता है, अतः जो दिल के मरीज हो उन्हें लहसुनिया रत्न धारण करने से बचना चाहिए, लहसुनिया रत्न आपकी मानसिक स्थिति को भी बिगाड़ सकता है, जिससे आप में अवसाद के जैसे लक्षण भी नजर आ सकते हैं।

10. जातक विभिन्न प्रकार की ऐसी चीजों में फंस सकता है, जिसमें लगातार उसे केवल हानि ही हो यह हानि उसे शारीरिक स्वास्थ्य का या मानसिक स्वास्थ्य का या सामाजिक प्रतिष्ठा का या भावनात्मक स्तर किसी भी चीज में हो सकती है।

11. अनेक प्रकार के रोगों से वह ग्रसित होने लगता है, जिससे उसका स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरता चला जाता है।

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प्राचीन काल में बहुत सी ऐसी उन्नत विद्याए थे, जो किसी का चेहरा किसी का हाथ या किसी के चलने उठने बैठने के ढंग या बोलने के ढंग या उसके मस्तिष्क के रेखा को देखकर उसका भाग्य बताया जाता था एवं उसका भविष्य निर्धारित किया जाता थाl आज भी हस्तरेखा विद्या को व्यापक स्तर पर बहुत से जगहों पर उपयोग में लाया जाता है।
हमारी हाथों को भी देख कर विभिन्न ग्रह ,उपग्रह की स्थितियों को जाना जा सकता है, इसलिए ग्रहों से संबंधित विभिन्न रत्न को हम अपने दाएं हाथ या बाएं हाथ की उंगलियों में एक विशिष्ट दिन एवं विशेष समय पर धारण करते हैं, जैसे-

गुरु बृहस्पति से संबंधित रत्न तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है lउसी प्रकार यदि हम माणिक रत्न को धारण करते हैं, तो सूर्य से संबंधित उंगली अनामिका को माना जाता है, इसलिए हम इसमें इसे धारण करते हैंl मध्यमा उंगली शनि ग्रह से संबंधित होता है, इसलिए शनि का रत्न नीलम हम मध्यमा उंगली में धारण करते हैं, किंतु केतु ग्रह का कोई अपना राशि नहीं होता है, यह केवल शनि ग्रह का अनुयाई तथा गुरु बृहस्पति ग्रह का दास है, इसलिए इन दोनों से संबंधित उंगलियों में लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna kis din dharan karna chahie) को धारण करना सबसे उपयुक्त माना जाता है lअतः गुरुवार या शनिवार के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व मंत्र उच्चार युक्त अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित अंगूठी को मध्यमा उंगली या तर्जनी उंगली में धारण किया जा सकता है, इसे अष्ट धातु पंच धातु में धारण करना सर्वोत्तम माना जाता है।

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