लहसुनिया पत्थर क्या होता है – Lahsuniya
Pathar Kya Hota Hai
लहसुनिया पत्थर क्या होता है– लहसुनिया केतु से संबंधित एक रत्न होता है, जिस प्रकार सूर्य से संबंधित ग्रह के लिए रत्न माणिक को बताया गया है, जिस प्रकार पुखराज को गुरु बृहस्पति देव का राशि रत्न बताया गया हैl उसी प्रकार लहसुनिया (lahsuniya ratna kaisa hota hai in hindi) भी केतु को निरूपित करने वाला एक रत्न है, जिसका रंग भिन्न-भिन्न हो सकता है lउसके संयोजक पर यह निर्भर करता है, कि उसका रंग कैसा होगा पीला होगा, हरा होगा, या गहरा हरा होगा या हल्का हरा होगा या और कोई रंग होगाl इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे -कैट्स आई, वैदूर्य ,विद्रालक्ष, आदिl लहसुनिया रत्न देखने में बहुत सुंदर एवं आकर्षक होता है, तथा इसकी संगठित संरचना बिल्कुल बिल्ली के नेत्र के समान होती है, इसमें एक या दो रेखाएं बीचो-बीच स्थित होती है, जिसकी वजह से इसे कैबोकौन के रूप में काटा जा सकता है, तथा इस पर जब प्रकाश पड़ता है, तब स्पष्ट रूप से रेखा हमें दिखाई पड़ती है।
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इसकी सुंदरता को देखते हुए लहसुनिया रत्न का उपयोग विभिन्न प्रकार के आभूषण साज-सज्जा के चीजों को बनाने में उपयोग में लाया जाता है lइसके साथ-साथ रत्न शास्त्र में इस रत्न की बहुत महत्ता बताई गई हैl उत्तम गुणवत्ता वाले लहसुनिया रत्न की सबसे बड़ी पहचान होती है, इसके अंदर मौजूद आंख की आकृति वह जितना अधिक गहरा होता है lउस रत्न की कीमत उतनी अधिक प्राप्त होती है lभारत के विभिन्न प्रांतों से इस रत्न की प्राप्ति होती है, जैसे -ओड़िशा, झारखंड, हिमालय ,कश्मीर, महानदी के कुछ हिस्सों में तथा दक्षिण प्रांत के कुछ हिस्सों में भी लहसुनिया रत्न पाया जाता है lविश्व के विभिन्न देश जैसे म्यानमार, श्रीलंका ,ब्राजील आदि जैसे देशों में भी इसके उच्च गुणवत्ता वाले लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke fayde) प्राप्त होते हैंl सबसे उत्तम गुणवत्ता वाले लहसुनिया रत्न म्यांमार के खदानों से प्राप्त होता हैl इससे सफेद, नीली, हरी या पीली रोशनी निकलती है, जो इसके विलक्षण गुणों को दर्शाती है।
केतु से संबंधित विभिन्न गुप्त ऊर्जा का स्रोत लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratan pehnne ke fayde) को माना जाता है, तथा इसे ज्योतिष विज्ञान एवं रत्न शास्त्र एवं हस्त रेखा शास्त्र में बहुत अधिक महत्ता दी गई हैl लहसुनिया रत्न के गुण बहुत ही उत्तम होते हैं, जिसकी वजह से यह एक लोकप्रिय रत्न है। लहसुनिया रत्न को धारण करने से जातक को कभी भी तंत्र मंत्र, टोना टोटका ,नजर दोष ,प्रेत बाधा आदि चीजों का प्रभाव उस पर कभी भी नहीं होता हैl इसके साथ ही यदि कभी वह इसके चपेट में आ भी जाए तो लहसुनिया रत्न की ऊर्जा उन सभी नकारात्मक शक्तियों को नष्ट करने की क्षमता रखता है, यह उन जातकों के लिए बहुत लाभदायक होता है, जो जीवन में बहुत अधिक जोखिम उठाते हैं।
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यह उनके सफल होने की संभावना को बहुत अधिक बढ़ा देता हैl यह एक ऐसा रत्न है, जो विभिन्न रोगों जैसे -नेत्र विकार, हड्डी से संबंधित विकार ,अवसाद, कैंसर ,लकवा जैसी बीमारियों में बहुत कारगर सिद्ध होता है, तथा रोगी को अप्रतिम स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता हैl लहसुनिया रत्न (lahsuniya pathar pahnane ke fayde) को धारण करने वाले जातक के जीवन में कभी भी रूपए पैसे संबंधित चीजों में परेशानियां नहीं होती हैl लहसुनिया रत्न का उपयोग केतु के अनुकूल प्रभाव को प्राप्त करने के लिए भी किया जाता है।
कभी-कभी केतु ग्रह को गतिमान बनाने के लिए भी लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna kaisa hota hai) को धारण किया जाता है, क्योंकि बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिनकी लग्न कुंडली में राहु शुक्र अवस्था या पूरी तरह से निष्क्रिय रहता है, जिसकी वजह से जातक को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उसका जीवन निराधार हो जाता है, एवं केतु से संबंधित कार्य उसके अटके रहते हैं।
लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ke upyog) को धारण करने से केतु ग्रह गतिमान होता है, तथा उससे संबंधित जितने भी कार्य होते हैंl जातक के जीवन में सभी संपन्न होते हैं lइसके साथ ही केतु ग्रह की भी उसे कृपा प्राप्त होती है, तथा उसे एक सही मार्ग की प्राप्ति होती है l इस रत्न को धारण करने से जातक विभिन्न प्रकार के साधनाओ में सफलता प्राप्त करता है lविभिन्न प्रकार के अध्यात्मिक आयामों में भी सफलता का कारक लहसुनिया रत्न को माना जाता है lयह जातक को संपूर्ण सकारात्मक प्रभाव केतु ग्रह का प्राप्त करने में बहुत मदद करता हैl जिसकी वजह से जातक अपने आप को समझने बुझने की अदम्य क्षमता रखता है, कई बार ऐसा भी होता है, कि हमारे बने बनाए काम बिगड़ जाते हैं, जिसकी वजह से हम बहुत बड़ी परेशानियों में फंस जाते हैं।
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ऐसी परिस्थितियों को दूर करने के लिए सबसे सहायक रत्न एवं सबसे उपयुक्त रत्न लहसुनिया (lahsuniya ratna ki pehchan) को माना जाता है, क्योंकि हमारे जीवन में जितनी भी आकस्मिक दुर्घटना या आकस्मिक घटनाएं घटती हैं, उन सभी के पीछे का कारक केतु ग्रह को माना जाता है, ऐसे में यदि लहसुनिया रत्न धारण किया जाए तो केतु के विपरीत प्रभाव को भी अनुकूल प्रभाव में बदलने की क्षमता होती है, जिससे जातक के सारे कार्य अपने समय से संपन्न होते हैं।
अपने समय से पूर्ण होते हैं। लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna dharan karne ke fayde) को धारण करने से विभिन्न प्रकार की मानसिक चिंताओं से निदान मिलता है, जो लोग बिना किसी वजह ही अपने भविष्य को लेकर किसी भी प्रकार से चिंतित रहते हैंl उनके मन में हमेशा यह डर होता है, कि पता नहीं कुछ बुरा हो जाए या कुछ बुरा होने वाला है, जिसकी वजह से वह घोर अवसाद में तक चले जाते हैं, ऐसे में लहसुनिया रत्न उनके मानसिक विकारों को दूर करता है, तथा उन्हें वास्तविक जीवन में आनंद खोजने के लिए प्रेरित करता है।
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लहसुनिया रत्न (lahsuniya ratna ki jankari) को धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन एवं सबसे शुभ दिन शनिवार एवं गुरुवार को माना जाता है, क्योंकि केतु ग्रह शनि ग्रह का अनुयाई है, जबकि गुरु ग्रह का यह सेवक है इसलिए इनसे संबंधित दिनों के साथ-साथ इनसे संबंधित उंगलियों जैसे तर्जनी उंगली एवं मध्यमा उंगली में इसे धारण किया जाता हैl लहसुनिया रत्न को केतु के बीज मंत्रों के द्वारा इस अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर सूर्य उदय से पूर्व की बेला में इसे धारण किया जाता है, इसे कम से कम पांच रत्ती का धारण किया जाना चाहिए तथा इसे पंच धातु या अष्ट धातु में धारण करना सबसे उत्तम माना जाता है।
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