नीलम रत्न कब पहना जाता है – Neelam Ratna Kab Pahna Jata Hai

नीलम रत्न कब पहना जाता है – Neelam Ratna Kab Pahna Jata Hai

 

नीलम रत्न कब पहना जाता है – Neelam

 Ratna Ka Pahna Jata Hai

नीलम रत्न कब पहना जाता है –आज का हमारा विषय हैl नमस्कार मित्रों जय बाबा भैरव आज हम इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे कि नीलम रत्न को कब पहना जाता है??

प्रकृति के गर्भ से हमें विभिन्न प्रकार के संसाधन प्राप्त होते हैंl इन संसाधनों का उपयोग हम घर बनाने आभूषण बनाने, बर्तन बनाने आदि में करते हैं lउन्हीं सभी संसाधनों में से एक है नीलम रत्न, जो हमें विश्व के बहुत से देशों से प्राप्त होता है, ऐसा माना जाता है, कि नीलम रत्न में शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की शक्ति मौजूद होती है, तथा नीलम रत्न (neelam ratna kab dharan kare) को धारण करने से शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न पीराओ का नाश होता है, तथा जीवन में बहुत से बदलाव देखने को मिलते हैंl ज्ञात ग्रहो तथा उपग्रह में से सबसे उग्र एवं कष्ट ,पीड़ा, दुख भी देने वाले ग्राह है, शनि ग्रहl शौर्य मंडल का दूसरा सबसे ग्रह शनि ग्रह हैl यह ग्रह बहुत ही धीमी गति से चलता है, तथा जातक को जितना हो सके उतना अधिक पीरा देता है, जब इसका गोचर में होता हैंl

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शनि ग्रह तकनीकी ,लोहा, सेवक, जेल कर्मचारी ,गरीब वर्क वर्ग के लोग, खनिज तेल, तकनीकी विज्ञान, पीरा, दिवस, बीमारी आदि का कारक हैl शनि के विभिन्न प्रकार की दशाए होती है, जैसे -शनि की ढइया जो 2.5 वर्ष तक रहता हैl शनि की साढे साति जो 7.5 वर्ष तक रहता है, वैसे तो पश्चात ज्योतिष विज्ञान हो या भारतीय ज्योतिष विज्ञान हो सभी में इस ग्रह से संबंधित बहुत सी बातें लिखी गई हैl कुछ पहलूओ पर इनकी राय सकारात्मक है, तो कुछ पहलुओं पर इनकी राय नकारात्मक हैl समाज में शनि ग्रह से संबंधित लोगों में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई है, जो अधिकतर लोगों के मन में डर की भावना बनी रहती है, किंतु सच्चाई तो यह है, कि सृष्टि का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह केवल संसार में संतुलन स्थापित करने की शक्ति रखते हैं, तथा यह कमजोर लोगों के प्रतिनिधि हैl कभी भी किसी भी गरीब वर्ग के लोग ,मजदूर वर्ग के लोग या किसी असहाय पीड़ित व्यक्ति को कभी भी सताना नहीं चाहिए क्योंकि शनि ग्रह की वर्क दृष्टि इससे हम पर और अधिक बढ़ जाती है, तथा हम उनके कोप के शिकार हो जाते हैं।

 शनि ग्रह केवल हमारे कर्मो का लेखा जोखा रखते हैं, और उसी के हिसाब से हमें दंड या पुरस्कार देते हैं। शनि देव पूरे सृष्टि के न्यायधीश है, और इनका ध्यान हमेशा इसी बात पर रहता है, कि कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देना है lयदि यह किसी को अत्यधिक पीरा देते हैं, तो इसका अर्थ है, उसके खराब कर्मो का हिसाब कर लेने के बाद उसके दिन अवश्य पलटते हैं और उसे सुख की भी प्राप्ति होती है, किंतु पहले उसे अपने गलत कर्मों का दंड भुगतना पड़ता हैl तत्पश्चात उसे उसके अच्छे कर्मों का फल मिलता है lवस्तुतः शनि ग्रह की तीन खास नक्षत्र है- पुष्य नक्षत्र ,अनुराधा नक्षत्र, तथा उतराभाद्रपद नक्षत्र इन सभी नक्षत्रों में शनि ग्रह के शुभ प्रभाव देखने को मिलता है,जैसे-

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1. पुष्य नक्षत्र- इन तीनों नक्षत्रों में से सबसे अधिक शुभ और पवित्र इसे ही माना जाता है, इसके अंदर अध्यात्मिक तथा धार्मिक शक्तियां विदवक्त रहती हैंl इस नक्षत्र के लोगों में गजब की दृढ़ शक्ति रहती है, जिससे यह किसी भी नकारात्मक परिस्थिति में भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं, और उन सभी चीजों से जल्दी बाहर आ जाते हैं, किंतु इनके कुछ कमियां भी होती है lकभी-कभी यह लोग बहुत क्रूर और स्वार्थी भी हो जाते हैं, यह हर परिस्थिति में उन्नति करने तथा आगे बढ़ने की क्षमता रखते हैं।

2. अनुराधा नक्षत्र- इसे सफलता से जोड़कर देखा जाता है, ऐसा माना जाता है, कि इस नक्षत्र के लोग बड़े ही मानसिक तथा शारीरिक तौर पर बहुत ही पराक्रमी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति होते हैंl इनका व्यक्तित्व इतना आकर्षण पूर्ण रहता है, कि यह सभी संबंधो को बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ निभाते हैं, किंतु कुछ पहलू नकारात्मक भी हैl यह लोग जल्दी ही बुरी नजर, नशा, मानसिक अवसाद आदि के शिकार हो जाते हैं, इनकी आभा मंडल थोड़ा कमजोर होता है, इसलिए यह लोग जल्दी बीमार पड़ जाते हैं।

3. उत्तराभाद्रपद -इस नक्षत्र के लोग अध्यात्म स्तर पर काफी उन्नत होते हैं, इनमें आशीम ज्ञान का भंडार होता है, इस नक्षत्र का तत्व अग्नि होता है, इसी वजह से यह लोग बहुत ही उर्जावान होते हैं, या बिना रूके बहुत से कार्य को पूर्ण करके ही छोड़ते हैंl इस नक्षत्र की महिलाओं में साक्षात महालक्ष्मी का स्वरुप निवास करता है, किंतु कभी-कभी इस नक्षत्र के लोगों को अत्यधिक क्रोध ,लापरवाही ,आलसी पन देखने को भी मिलता है।

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शनि ग्रह के विभिन्न नकारात्मक परिणामों से बचने के लिए नीलम रत्न धारण किया जाता है, किंतु नीलम रत्न (neelam ratna kab dharan karna chahiye) को पहनने की भी बहुत सी विधि है, तथा यदि उस सटीक समय पर सही पद्धति से यदि नीलम रत्न को धारण किया जाता है, तो इसकी शक्तियां दोगुनी हो जाती है, तथा जातक को विभिन्न प्रकार से लाभ पहुंचाती है।

नीलम रत्न कब पहना जाता है- •यदि जन्म कुंडली में शनि चौथे, पांचवें, दसवें या ग्यारहवें भाव में हो तो नीलम रत्न को धारण किया जाता है।

4. यदि शनि ग्रह से संबंधित किसी भी प्रकार की महादशा दशा ,शनि की ढैया ,शनि की साढ़ेसाती चल रही हो, तो ऐसी परिस्थिति में भी नीलम रत्न धारण करना हितकर होता है।

5. नीलम रत्न (neelam ratna kab pahanna chahiye) के परिणाम बहुत ही तीव्रता के साथ देखने को मिलते हैं, इसलिए नीलम पत्थर को धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले ले तथा अपनी कुंडली की सटीक गन्नाओ के आधार पर ही नीलम रत्न को धारण करें।

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6. ज्योतिष गन्नाओ के अनुसार जब किसी शनिवार के दिन स्वाति, विशाखा, चित्र,घनिष्ठ, श्रवण नक्षत्र जैसी शुभ घड़ी हो तो नीलम रत्न को धारण किया जा सकता है।

7. इस महारत्न को सोने ,चांदी , प्लेटिनम अथवा पंच धातुओं में धारण किया जा सकता है।

8.नीलम रत्न (neelam pathar kab pahna jata hai) धारण करने का सर्वोत्तम समय रात्रि को है, या सूर्य उदय के पूर्व किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को इसे शनि मंत्र से अभीमंत्रीत कर धारण किया जाता है।

9. सर्वप्रथम नीलम रत्न (neelam pathar kab pahne) को गंगाजल में कुछ देर रखने पश्चात के पश्चात सनी मंत्र से अभीमनतृत कर इसे मंदिर में रखकर भगवान से विनती करे की यह आपकी तरक्की के मार्ग को प्रशस्त करें तथा आपको जीवन में सफलता प्रदान करें, इस दिन मांस मदिरा आदि का सेवन ना करें और हो सके तो किसी जरुरतमंद को भोजन अवश्य कराएं।

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