नवरत्न अंगूठी कब पहने – navratna anguthi kab pahne

नवरत्न अंगूठी कब पहने – navratna anguthi kab pahne

नवरत्न अंगूठी कब पहने, navratna anguthi

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नवरत्न अंगूठी( navratna anguthi kab pahne) कि बढ़ते प्रचलन को देखते हुए लोगों के मन में यह प्रश्न उठना स्वभाविक है,

 

की नवरत्न अंगूठी कब (navratna anguthi kab pehanna chahiye) धारण करें या नवरत्न अंगूठी कब पहने? नवरत्न से सुशोभित रहने वाले आभूषणों में केवल अंगूठी ही नहीं बल्कि इसके साथ- साथ गले का पेंडेंट ,ब्रेसलेट भी काफी प्रचलित बनता जा रहा है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए लोगों में इसकी प्रसिद्धि काफी बढ़ गई है। फैशन के तौर पर भी लोग इसका उपयोग करने लगे हैं। नवरत्न होने के कारण यह अंगूठी बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है, तथा सौभाग्य के प्रबल रूप की परिचालक के लिए भी यह बहुत प्रसिद्ध माना जाता है ।ज्योतिष विज्ञान में विभिन्न प्रकार के ग्रहों एवं नक्षत्र की चर्चा की गई है।जिनमें मुख्यतः नौ ग्रहों के बारे में व्याख्या की जाती है, तथा 27 सबसे प्रचंड नक्षत्रों के बारे में बताया जाता है, जो व्यक्ति के जन्म के समय से लेकर व्यक्ति के जीवन के अंतिम क्षणों तक अपना प्रभाव उस जनमानस पर डालते रहते हैं, वैसे तो धरातल पर जितने भी जीव जंतु है।

 

 

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सभी पर इन ब्रह्मांडिय वस्तुओं का प्रभाव बहुत ही व्यापक रूप से पड़ता है, किसी के जीवन को सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही रूपों में यह प्रभावित कर सकते हैं ।जन्म के समय जो विशिष्ट तिथि एवं विशिष्ट अवधि का उल्लेख किया जाता है। उसी को आधार मानते हुए जन्मपत्रिका की सिद्धि तैयार की जाती है, और उसमें ही इन ग्रहों को उस वक्त की स्थिति के अनुसार इनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले प्रभाव को देखते हुए इन्हें विशिष्ट भाव में स्थापित किया जाता है, तथा जीवन भर यह उसी के अनुसार फल प्रदान करते रहते हैं।

कभी यह दृष्ट अवस्था में चले जाते हैं, तो कभी यह उच्च अवस्था में चले जाते हैं।कभी किसी ग्रह की महादशा चलता है, तो किसी ग्रह का दशा चलता है, किसी की अंतर्दशा चलती है, तो किसी की साढ़ेसाती जैसी चीजें चलती है,जब यह ग्रह अपने प्रभुत्व पर रहते हैं, तब व्यक्ति को कई प्रकार के सुख- संपदा से संपन्न बना देते हैं, किंतु जब यह व्यक्ति किसी पापी ग्रह की दृष्टि से दृष्ट अवस्था में रहते हैं, तब व्यक्ति के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां लाकर खड़ा कर देते हैं ।बहुत सी विडंबना से एवं आकस्मिक दुर्घटनाओं से व्यक्ति का जीवन बेकार होने लगता है।

उसकी कल्पना शक्ति, उसकी रचनात्मक शक्ति पूर्ण रूप से क्षत ग्रस्त हो जाती है l व्यक्ति का जीवन निराशयुक्त चरणों से गुजरने लगता है, जिसके कारण वह दुख के अथाह सागर में गोते लगाने लगता है ।जहां प्रकाश की एक भी किरण उसे नजर नहीं आती है ।ऐसे में ग्रहों के चाल एवं ग्रहों की प्रखर शक्तियों का समावेशन विभिन्न प्रकार के पत्थर जो पृथ्वी पर पाए जाते हैं। उनका प्रयोग ग्रहों की दिशाओं को बदलने के लिए किया जाता हैl (navratna anguthi ki jankari) कई ऐसे उपरत्न भी है, जो ग्रहों के प्रतिकूल परिस्थिति को बदलने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैंl ग्रहों को बल प्रदान करने के लिए विभिन्न प्रकार के उनसे संबंधित रत्न हो या उपरत्न हो उनका प्रयोग किया जाता है, जिससे कोई भी उपयोग करता विशिष्ट ग्रह की कृपा पा सके तथा उसके जीवन में चल रहे सभी समस्याओं का समाधान हो सके।

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यह एक ऐसा अंगूठी है, जिसका प्रयोग तब किया जाता है, जब विभिन्न प्रकार के ग्रहों की दशा एक साथ ही दृष्ट अवस्था में चले जाते हैं।विभिन्न ग्रहों की शुभ प्रभाव का प्रतीक जब किसी व्यक्ति विशेष को प्राप्त नहीं होता है, तब नवरत्न अंगूठी पहनने की सलाह दी जाती है।नवरत्न अंगूठी (navratna anguthi kab dharan karen) कई कीमती रत्नों से जरित होती है।रत्न(नवरत्न अंगूठी के फायदे) शास्त्र में यह बहुत ही उच्च स्थान रखने वाली अंगूठी मानी जाती है, जिसमें श्रृंखलाबद्ध तरीके से अनेक रत्नों का प्रयोग किया जाता है ।ऐसी मान्यता है, कि नवरत्न अंगूठी को यदि धारण करना है, तो उसे स्वर्ण धातु में धारण करना सबसे अच्छा माना जाता है, किंतु यदि किसी को इस धातु को खरीदने के लिए पर्याप्त धन नहीं है, तो ऐसी स्थिति में वह रजत धातु में भी इसे धारण कर सकता है। यदि इस धातु को भी प्राप्त करने में व्यक्ति असमर्थ है।तो वह अष्टधातु में भी नौ रत्नों को जरवा कर धारण कर सकता है।

नवरत्न अंगूठी को धारण करने का सबसे उपयुक्त दिन शुक्ल पक्ष के गुरूवार के दिन माना जाता है। ऐसे तो आप शुक्ल पक्ष के किसी भी दिन को इस रत्न को सिद्ध कर धारण कर सकते हैं किंतु शनिवार के दिन इसे धारण करना वर्जित माना जाता है।इसे धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त उंगली तर्जनी तथा मध्यमा को माना जाता है ।यदि आप धन के उपार्जन में किसी भी विधि से जुड़े हुए हैं, तब आपको इस अंगूठी( navratna anguthi ke labh) को दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए और यदि आप किसी और इच्छा की पूर्ति के लिए धारण करना चाहते हैंl तो ऐसे में आपको बाया हाथ में इसे धारण करना चाहिए। इसे धारण करने का सबसे उपयुक्त समय ब्रह्म मुहूर्त में माना जाता है।

नवरत्न अंगूठी धारण करने से मिलने वाले लाभ-

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1) नवरत्न अंगूठी( navratna anguthi kab pahne) धारण करने से व्यक्ति के जीवन में धन से चल रही समस्याएं नष्ट होने लगती हैं। व्यक्ति को दुख -दरिद्रता की काली चादर से बाहर निकलने में यह रत्न बहुत ही सार्थक रूप से सहायक होता है lयह धन के आगमन के कई मार्ग बना देता है, जिससे रुपए पैसे संबंधित चीजों में व्यक्ति बहुत सौभाग्यशाली बनता चला जाता है ।कई ऐसे सुअवसर उसे प्राप्त होते हैं। जहां उसके निवेश से जुड़े हुए चीजों में उसे बहुत ही फायदा प्राप्त होता है ।यदि वह किसी व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, तो उसके व्यवसाय में भी अच्छी व्यवस्थाएं देखने को मिलती है ।अच्छी वृद्धि देखने को मिलती है ।उसके व्यापार का प्रसार बढ़ता है ।अच्छे लोगों से संबंध बनते हैं, जिससे उसकी यश कीर्ति समाज में बढ़ती है। कार्य क्षेत्र में अपने प्रभुत्व को प्राप्त करने के लिए भी लोगों के द्वारा इस अंगूठी का प्रयोग किया जाता है ।यह एक दिव्य अंगूठी है, जो किसी भी कार्य को सिद्ध होने की संभावना को और अधिक बढ़ा देता है।

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2) नवरत्न अंगूठी (navratna anguthi) (navratna anguthi kab dharan karne ke fayde) धारण करने से मान, प्रतिष्ठा ,यश, कीर्ति आदि में वृद्धि होती है ।इसे धारण करने से कई प्रकार के अनिष्ट भी दूर होते हैं ।विविध रोगों का नाश होता है, तथा स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है ।अच्छे ग्रहों के प्रभाव को यह और अधिक बढ़ा देता है, जबकि अनिष्ट कारी ग्रहों के द्वारा विस्मय नकारात्मक प्रभाव को यह पूर्ण रूप से नष्ट कर देता है ।मुश्किल से मुश्किल घड़ी से भी यह उपयोगकर्ता को बाहर निकलने में मदद करता है, तथा उसके जीवन के विभिन्न आयामों में उसे सफलता दिलाने में मददगार होता है।

 

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