नीलम रत्न का उपरत्न कौन सा है – Neelam
Ratna Ka Upratna Kaun Sa Hai
नीलम रत्न का उपरत्न कौन सा होता है??? नीलम रत्न एक बहुमूल्य रत्न हैl यह रत्न प्रायः शनि ग्रह के विपरीत परिणामों को अनुकूल बनाने के लिए पहना जाता हैl शनि ग्रह की विभिन्न दशाएं lजैसे- शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया ,दशा, महादशा या अंतर्दशा या किसी भी प्रकार की पीरा जो शनि ग्रह के द्वारा दी जाती है, उन सभी को शांत करने के लिए नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna kya hai) या इसके उपरत्न को धारण किया जाता हैl भारतीय ज्योतिष विज्ञान तथा पाश्चात्य ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि ग्रह को सबसे क्रूर ग्रह एवं पापी मारक ग्रह के नाम से भी जाना जाता है, किंतु हमारा ज्योतिष विज्ञान काफी उन्नत है, और इसके पास जटिल से जटिल समस्याओं के समाधान मौजूद है, तथा यह शनि ग्रह के द्वारा दी जा रही विकट परिस्थितियों को भी दूर करने में सक्षम होता है।
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ज्योतिष विज्ञान के द्वारा बताए गए समस्या का समाधान से अप्रतिम रूप से शनि ग्रह से पीड़ित लोगों को लाभ मिलता है। प्रकृति द्वारा रचित विभिन्न प्रकार के नौ ग्रहों में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है, शनि ग्रह, जिसे प्रकृति ने सृष्टि में संतुलन स्थापित करने के लिए सृजित किया है, जिसका कार्य है, हर परिस्थिति में उचित न्याय करना शनि ग्रह को दुख पीड़ा आदि ग्रह से भी संबोधित किया जाता है, ऐसा माना जाता है, कि शनि ग्रह जिस पर क्रोधित हो जाते हैं। उसे संसार में किसी की भी मदद नहीं मिलती है, तथा वह बिल्कुल अलग-थलग होकर रह जाता है। शनि की कुदृष्टि से बहुत से लोग मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं, जो दिमागी उलझनों में उलझ कर जीवन जीना ही भूल जाते हैं lबहुत से लोगों के द्वारा तो आत्महत्या करने तक की नौबत आ जाती हैl उन्हें कुछ सूझबूझ ही नहीं रहता कि वह क्या कर रहे हैं?? किस दिशा में जा रहे हैं ?? (neelam ratna ke upratna ki jankari)
शनि ग्रह उनके सोचने समझने की शक्ति को छिन्न कर देता है, जिसकी वजह से वह खुद को भावनात्मक स्तर पर कमजोर पाते हैं। निर्णय लेने की क्षमता आदि भी समाप्त हो जाती है। परिवार वालों के भी सहयोग न मिलने से उनमें पागलपन के जैसे लक्षण दिखने लगने शुरू हो जाते हैंl विभिन्न प्रकार की शारीरिक बीमारियों के शिकार हो जाते हैं, जैसे किडनी संबंधित बीमारियां आंखों संबंधित दिमागी बीमारियों आदि, किंतु यदि शनि ग्रह किसी से प्रसन्न हो गए तो उसे रंक से राजा बनाने में उन्हें तनिक भी देरी नहीं लगेगी, जिस व्यक्ति का शनि ग्रह मजबूत होता हैl उसका व्यक्तित्व बड़ा ही आकर्षण पूर्ण होता है, उसके आभामंडल में जैसे कोई जादू है, लोग उसकी तरफ खींचे चले आते हैं।
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वह बहुत ही धैर्यवान होता है, ऐसे लोगों में कठिन से कठिन विषम परिस्थितियों में भी निर्णय लेने की गजब की क्षमता होती है, और मानसिक तौर पर यह लोग बहुत ही मजबूत होते हैं, इसलिए जिस भी काम को हाथ लगाते हैं, उस काम को वह पूरा करके ही मानते हैं। जीवन में इनके किसी भी चीज की कमी नहीं रहती हैl यह भौतिक सुखों से लेकर हर चीज से परिपूर्ण होते हैं। आर्थिक दृष्टिकोण से भी इनकी स्थिति बहुत मजबूत बनी रहती है। रुपयों पैसों की कभी कमी नहीं होतीl धन संचित करने में भी यह लोग बहुत आगे रहते हैं। यह जिस भी नौकरी पेशा व्यापार में रहते हैं, वहां इनके कौशल क्षमता को देखकर लोग इनके कायल हो जाते हैं, एवं बिना प्रशंसा किए खुद को नहीं रोक पाते हैं। यह लोग जहां भी जाते हैं, उन्हें प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले व्यक्तियों के द्वारा काफी समर्थन प्राप्त होता है।
प्रायः यह लोग बहुत ही मेहनती एवं कर्मठ होते हैं, अपने दायित्व के प्रति बहुत ही संजीदा होते हैं, तथा इनके जीवन में अनुशासन का बहुत बड़ा महत्व रहता हैl यह अनुशासन प्रिय होते हैंl कुल मिलाकर इनका जीवन बहुत ही आनंद मय होता है। शनि ग्रह केवल हमारे कर्मों का हिसाब करते हैं। आपके कर्म निर्धारित करते हैं, कि आप इन के कृपा पात्र हैं, अथवा कुदृष्टि के पात्र हैं। गरीब तबके के लोग, मजदूर वर्ग ,असहाय वर्ग के लोग आदि का प्रतिनिधित्व शनि ग्रह करते हैं lअतः किसी भी व्यक्ति का हमें किसी भी परिस्थिति में कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए, अन्यथा हम अनजाने में ही अपने शनि ग्रह को दुर्बल बनाते हैं, तथा उनके कुदृष्टि के पात्र बनते हैं, किंतु जिस प्रकृति ने हमें रचा है, उसके गर्भ में हमारे लिए हमारे हर समस्या का समाधान मौजूद है।
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प्रकृति के द्वारा नौ ग्रहों तथा दो उपग्रहों के लिए हमें विभिन्न रत्न प्रदान किए गए हैं, किंतु यह रत्न बहुत ही महंगे होते हैं, तथा आम लोगों के पहुंच से पड़े होते हैं lउस पर से नकली होने की भी संभावना बनी रहती है, ऐसे में बहुत से लोगों के द्वारा रत्न की जगह पर उपरत्न का उपयोग किया जाता है lयह प्रायः आपको कम कीमत में उपलब्ध हो जाता है, तथा अपना असर भी अच्छा दिखाता है। रत्न और उपरत्न में बस यही अंतर है, कि आप रत्नों को सालों तक इस्तेमाल कर सकते हैं, किंतु उपरत्न कुछ विशेष अवधि के बाद अपना कार्य दिखाना बंद कर देते हैं, इसलिए आप जिस भी कार्य के लिए उपरत्न धारण कर रहे हैं, उनका वजन हमेशा थोड़ा अधिक होना चाहिए, ज्यादा से ज्यादा रत्ती का उपरत्न के आभूषण बनाना चाहिए इससे इसका प्रभाव बढ़ जाता है।
नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna kaisa hota hai) के बहुत सारे उपरत्न है, जैसे – नीलिया या कटारा, लाजवर्त ,जमुनिया ,फिरोजा आदि को आंशिक रूप से नीलम रत्न के स्थान पर धारण किया जाता है। नीलम रत्न का सबसे अच्छा उपरत्न तंज नाइट को माना जाता है, जिसे चांदी में पिरो कर पहना जाता है, क्योंकि यह आपके मन मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है, चांदी मन को शांत रखता है।
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