पुखराज किस धातु में पहने – Pukhraj Kis Dhatu Me Pahne

पुखराज किस धातु में पहने – Pukhraj Kis Dhatu Me Pahne

 

 पुखराज किस धातु में पहने – Pukhraj Kis Dhatu Me Pahne

पुखराज रत्न (Pukhraj kis dhatu me dharan karen) किस धातु में पहने  शास्त्र तथा ज्योतिष विज्ञान के मदद से जानना बहुत आवश्यक है, तभी हम किसी भी रत्न या उपरत्न का पूर्ण लाभ उठा सकते हैं, तथा अपने जीवन में परिपूर्णता ला सकते हैंl

पुखराज रत्न (Pukhraj ratna kis dhatu me pahne jata hai) गुरु ग्रह से संबंधित रत्न होता है lबृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु कह कर संबोधित किया जाता हैl इन्हें सभी वर्ग के जीवो के द्वारा मान सम्मान आदर प्राप्त होता है lदेवता हो या गण हो ,राक्षस हो या मानव हो सभी इनकी आराधना करते हैं, तथा उनकी कृपा प्राप्ति की कामना करते हैं, यह हमारे ज्ञान को निरूपित करते करते हैं।

इनके विशिष्ट गुणों का वर्णन केवल भारतीय सभ्यता में या भारतीय ज्योतिष विज्ञान में ही नहीं अपितु पाश्चात्य सभ्यता तथा पाश्चात्य ज्योतिष विज्ञान में भी इतना ही विशिष्ट बताया गया है, इसलिए इनसे संबंधित रत्न का उपरत्न भी बहुत अधिक प्रसिद्ध है, पुखराज रत्न (Pukhraj pahanne ke fayde) एक विश्व प्रसिद्ध लोकप्रिय रत्न है।

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 बहुत से लोगों के द्वारा बिना इसकी पूर्ण जानकारी एवं सटीक जानकारी के ही इस रत्न को धारण कर लिया जाता है, जिससे कभी कभी जीवन सुखी बनाने की जगह हम दुखी बना लेते हैंl सकारात्मक बदलाव देखने की जगह विभिन्न प्रकार के नकारात्मक बदलाव हमारे जीवन में होने लगता हैl अनुकूल परिस्थितियों के जगह प्रतिकूल परिस्थितियां हमारे जीवन में बनने लगती है, जिससे हमारी समस्याओं का रूपांतरण जटिल समस्याओं में होने लगता है।

 भले ही यह गुरु कृपा की प्राप्ति के लिए धारण किया जाता है, किंतु बिना सोचे समझे इसे कभी भी धारण ना करें यह बात तो सर्वज्ञ है, कि जब भी किसी की कुंडली देखी जाती है, तो उसमें गुरु ग्रह का स्थान सर्वप्रथम देखा जाता है, क्योंकि यदि यह किसी भी भाव में उच्च अवस्था में स्थित होंगे तो यह क्रूर ग्रह तथा पापी ग्रहों के द्वारा दी जाने वाली प्रतिकूल परिस्थितियों को यह नियंत्रण करने में सक्षम होते हैं, तथा जातक के जीवन में कितनी भी परेशानी क्यों ना हो वह उससे निडर होकर सामना करता है, तथा उन परिस्थितियों पर अपना नियंत्रण स्थापित करता है, इसलिए गुरु ग्रह की कृपा हमारे जीवन में बहुत महत्व रखती है, चाहे हम जीवन के किसी भी पड़ाव में क्यों ना हो।

धातुओं का और हमारा बहुत गहरा रिश्ता रहा है lप्राचीन काल से ही मानव के द्वारा विभिन्न प्रकार के धातुओं का प्रयोग न केवल खाने बनाने के बर्तनों तथा खाना खाने के लिए बर्तनों एवं धातु का उपयोग तलवारों औजारों आदि से लेकर के विभिन्न प्रकार के आभूषणों तक बनाने में प्रयोग किया जाता रहा है। मनुष्य द्वारा सर्वप्रथम ऐसा माना जाता है, कि तांबा धातु का उपयोग किया गया था।

उसके पश्चात और भी धातु में जैसे -लोहा ,ब्रांज आदि धातुओं दिन प्रतिदिन खोज पड़ताल के बाद इन सभी का उपयोग करना संभव हो पाया है lइन सभी धातुओं का हमारे जीवन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है, तभी तो हम साज-सज्जा से लेकर विभिन्न प्रकार के आभूषणों से लेकर खाने-पीने के विभिन्न प्रकार के बर्तनों का उपयोग इन्हीं धातुओं से बनाने में करते हैं।

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 ऐसा माना जाता है, कि प्राकृतिक रूप से इन सभी धातुओं में बहुत से भौतिक गुण मौजूद रहते हैं, जो जब हम यदि इसमें भोजन ग्रहण करते हैं तब यह में उसका गुण प्रदान करते हैं, या यदि इनके आभूषण हमारे द्वारा पहना जाता है, तो भी इनकी विभिन्न प्रकार की ऊर्जा शक्ति हमारे प्राण शक्ति से मिलकर एक अद्भुत शक्ति का निर्माण करती है।

यही कारण है, कि हमारे द्वारा किसी न किसी रूप में आज भी इन धातुओं का उपयोग विस्तृत स्तर तक किया जाता है, जैसे- हमारे पूर्वजों के द्वारा सोने के बर्तन में भोजन ग्रहण किया जाता था तथा उसी सोने के बर्तन में किसी भी पेय पदार्थ को ग्रहण किया जाता था क्योंकि इससे हमारा शरीर शक्तिमान बनता था तथा हमारे व्यक्तित्व का तेज बहुत प्रभावशाली बनता था एवं हम लोग बहुत साहसी तथा मजबूत बनते थे।

 इसी तरह यदि चांदी से बने विभिन्न प्रकार के बर्तनों में हम भोजन करते थे या किसी तरह का पेय पदार्थ पीते थे तो हमारे मन मस्तिष्क को यह धातु शांति एवं शीतलता प्रदान करती थी तथा अपने स्वभाव के अनुरूप हमें किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होने देती थी क्योंकि चांदी चंद्र से संबंधित होता है, तथा चंद्र हमारे मन का कारक होता है, इसलिए चांदी धातु से बनी विभिन्न प्रकार के बर्तनों का उपयोग करने से यह शक्ति हम में विद्यमान होती थी, इस ऊर्जा का समावेशन हमारे अंदर भी देखने को मिलता था

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जब हम विभिन्न प्रकार के रत्नों को इन धातुओं में जड़वा कर पहनते हैं, तब उनकी शक्ति और अधिक बढ़ जाती हैl उनके अंदर समाहित ऊर्जा जागृत अवस्था में पहुंच जाती हैl विभिन्न प्रकार के रत्नों के लिए विभिन्न प्रकार के धातु को निर्धारित किया गया है, क्योंकि जिस प्रकार रत्न विभिन्न प्रकार के ग्रहों को निरूपित करते हैं।

उसी प्रकार से धातु भी अलग-अलग ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैंl विभिन्न प्रकार के रत्नों का उपयोग भले ही हम अपने जीवन को संवारने के लिए करते हैं, लेकिन कभी-कभी हमारी नासमझी के वजह से यह रत्न हमारी जिंदगी में उथल-पुथल मचा कर रख देते हैं, इसलिए इन रत्नों को बिना ज्योतिषीय सलाह के आधार पर कभी भी धारण नहीं करना चाहिएl

 

 

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पुखराज रत्न (Pukhraj ratna kis dhatu me pahne) जो गुरु ग्रह बृहस्पति से संबंधित होता हैl उसे हमें सोना अथवा ब्रोंज रत्न में पिरो कर धारण करना चाहिए किंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखें की पीले रंग के पुखराज रत्न ही केवल गुरु ग्रह बृहस्पति से संबंधित होते हैं, इसलिए उन्हें सोने या ब्रोंज में हम पहन सकते हैं lयही यदि बात करें सफेद पुखराज रत्न की तो वह रत्न शुक्र ग्रह से संबंधित होता है, तथा उसे हम सुनाया ब्रांच में जमा कर नहीं धारण कर सकते हैं, बल्कि चांदी या प्लैटिनम जैसे धातुओं में उसे धारण करना उपयुक्त माना जाता है।

 पुखराज रत्न (Pukhraj pehnne ke fayde) के भी विभिन्न प्रकार के रंग होते हैं, जो विभिन्न ग्रहों को निरूपित करते हैं, और उन सभी ग्रहों का अपना एक अलग रंग होता है, जिसका प्रतिनिधित्व वह करते हैं, इसलिए किसी भी रंग के पुखराज को धारण करने से पूर्व उसकी सटीक जानकारी हासिल कर ले, तभी उस रत्न को धारण करें, इससे आप बहुत सी अनहोनी को टाल सकते हैंl

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