रत्न किसे कहते हैं – Ratna Kise Kahte Hain

रत्न किसे कहते हैं – Ratna Kise Kahte Hain

 

रत्न किसे कहते हैं – Ratna Kise Kahte

 Hain

रत्न प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया अनमोल संसाधन है, प्रकृति में विद्मान विभिन्न प्रकार के संसाधनों में से सबसे दिव्य स्वरूप एवं अद्भुत गुणों वाला अद्वितीय संसाधन होता है -रत्नl रत्न जो हमारे भविष्य को बदलने की क्षमता रखते हैं, देखने में यह बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक होते हैं। इन रत्नों का प्राचीन काल से ही हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया जाता रहा है। विभिन्न प्रकार के ग्रंथों में भी रत्नों की उपयोगिता बताई गई हैl विभिन्न प्रकार के रत्न विभिन्न प्रकार के ग्रहों को निरूपित करते हैं, तथा यह भिन्न-भिन्न रंग के होते हैं, जो हमारे सातों चक्रों को नियंत्रित करते हैं, एवं संतुलन स्थापित करते हैं।

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इन सभी सातों चक्रों के संतुलन में होने से हमारी काया बिल्कुल मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ होती हैl रत्न विभिन्न प्रकार के रंगों के होते हैं, क्योंकि प्राकृतिक रूप से मौजूद अशुद्धियां विभिन्न प्रकार के पत्थरों में होते हैं, एवं विभिन्न प्रकार के पत्थर के संयोजक भी भिन्न-भिन्न होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें लाल, पीला, हरा, सफेद, काला ,नीला आदि रंग प्राप्त होता हैl रत्नों में ऐसी शक्तियां विद्यमान होती है, जो विभिन्न प्रकार के आकाशीय पिंड जैसे ग्रह उपग्रह नक्षत्रों के गोचर के साथ इनकी शक्तियां भी बदलती रहती है। इन रत्नों में विशिष्ट प्रकार की शक्तियां विशिष्ट प्रकार के ग्रह को निरूपित करती है, तथा यह बहुत ही आश्चर्य की बात है, कि कैसे कोई आकाशीय पिंड जो पृथ्वी से कितनी मिल दूरी पर स्थित होता है, लेकिन फिर भी उसके गुणों से परिपूर्ण पत्थर हमारे जीवन को बदलने की क्षमता रखता है, रत्न जिस भी ग्रह से संबंधित होते हैं।

(sabhi ratna kaise hote hai)

उनमें प्राकृतिक तौर पर उन ग्रहों से संबंधित शक्तियों का वास उनमें होता है, एवं विभिन्न प्रकार की भौतिक ऊर्जाओ का समावेशन उन्हें और अधिक अलौकिक बनाता है, रत्नों का उपयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के आभूषणों में किया जाता रहा है। राजा महाराजा से लेकर के एक आम जन तक भी रत्न का उपयोग प्राचीन काल से ही करता आ रहा है। आज भी हम अपने पूर्वजों के द्वारा दी गई इस अद्वितीय चीज को संजोए हुए हैं। इसके साथ ही इसके लाभों को व्यापक रूप से प्राप्त करते हैं। हर रत्न अपने आप में अद्वितीय हैl इनमें केवल सकारात्मक ऊर्जा का ही नहीं अपितु विध्वंसक ऊर्जाओं का भी समावेशन होता है, इसलिए सभी रत्न सभी लोगों को नहीं धारता है।

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इन रत्नों को धारण करने के लिए भी आप योग्य होने चाहिए तभी इन्हें धारण कर सकते हैं, एवं इनके शक्तियों को प्राप्त कर इनसे संबंधित ग्रहों को मजबूत कर सकते हैं, अन्यथा यदि यह रत्न आपके कुंडली के अनुकूल नहीं हुए तो आपके जीवन में इतनी प्रतिकूल परिस्थितियां उत्पन्न करेंगे कि आप थक जाएंगे lइतनी आकस्मिक दुर्घटनाएं घटने लगेगी कि आपको सोचने तक का समय नहीं प्राप्त होगा इसलिए रत्न किसी की जिंदगी बचा भी सकते हैं, तो किसी की जिंदगी उजाड़ भी सकते हैं।

(sabhi ratno ke labh kya hai)

रत्नों को मुख्यतः तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है- रत्न केवल प्राकृतिक रूप से पत्थरों से ही प्राप्त नहीं होते हैं, बल्कि बहुत से ऐसे जीव है, जिनके अंदर जीवाश्म से इनकी उत्पत्ति होती हैl जैसे- मोती रत्न एक जैविक रत्न है, जो खास सीपी के अंदर धीरे धीरे बनता है बहुत से ऐसे भी मोती रत्न है, जो हमें विभिन्न प्रकार के जानवरों से भी प्राप्त होता है, जैसे -वराह, हाथी, सर्प आदिl खनिजों के रूपांतरण से भी हमें विभिन्न प्रकार के रत्न प्राप्त होते हैं, जैसे हीरा ,नीलम, पन्ना आदि।

रत्नों का निर्माण विभिन्न परिस्थितियों में होता है। विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक परिस्थितियां इनके परिवर्तन में बहुत बड़ी हिस्सेदारी निभाती है lरत्न विभिन्न रासायनिक यौगिक मेल से प्राकृतिक रूप से बनते हैं, तथा विभिन्न प्रकार के अभिक्रिया एवं चरणों से गुजरने की वजह से इनका रंग ,रूप एवं आभा बहुत ही अद्वितीय होता हैl इन सभी रत्नों का गलनांक भी बहुत अधिक होता है, तथा इसके साथ-साथ इन का घनत्व भी बहुत अधिक होता है।

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रत्नों की प्राप्ति हमें विभिन्न प्रकार से हो सकती है। विश्व के विभिन्न देशों में रत्न के खदान दुर्लभ स्थानों में स्थित है, जहां से इनका खनन करना बहुत ही मुश्किल कार्य होता है lरत्न खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। रत्न ज्वालामुखी के दरारों में भी पाए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के जानवरों के मस्तिष्क में भी रत्नों का उद्गम हो सकता है lविभिन्न प्रकार की वनस्पतियों में भी रत्नों का सृजन हो सकता है। समुद्र के अथाह जल से लेकर नदियों के मीठे जल तक में इन दिव्य रत्नों का निर्माण संभव है।

(sabhi ratno ke fayde)

रत्न देखने में इतने सुंदर आकर्षक होते हैं, कि हर कोई इन की चमक में बस खो जाता है। विभिन्न प्रकार के रत्न में यह खासियत होती है, कि कुछ पारदर्शी होते हैं lकुछ अपारदर्शी होते हैं। कुछ अल्प पारदर्शी होते हैं, किंतु वे जैसे भी दिखते हो लेकिन प्राकृतिक रूप से निर्मित होने की वजह से उनका आभा इतना अधिक आकर्षण पूर्ण होता है, कि हर कोई बस उनके रंगों में खो सा जाता हैl अनेक रंग का महत्व भी अलग-अलग माना जाता है, जैसे -इनके सफेद रंग होने का अर्थ है, शांति जिस भी रत्न का रंग सफेद होता है, उसका तात्पर्य है, कि वह आपके मन से संबंधित होगा तथा आपकी मानसिक क्रियाकलापों को वह नियंत्रण करने की क्षमता रखेगा तथा सकारात्मक रूप से आपके मानसिक स्थिति को मजबूत बनाने में सक्षम होगा।

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(ratna kise kahte hai in hindi)

इसी प्रकार यदि कोई रत्न हरे रंग का है, तो उसका तात्पर्य है, कि जिस प्रकार आप प्रकृति की गोद में जब जाते हैं, तब आप दुनिया से संबंधित विभिन्न प्रकार की चिंताओं से खुद को मुक्त पाते हैं, आप खुद को भूल कर प्रकृति में ही समा जाते हैं। यह रत्न में भी यही विशिष्ट गुण होता हैl इसकी शक्तियां इतनी अधिक होती है, कि किसी भी जातक को अवसाद जैसी बीमारी से ग्रसित होने नहीं देती है lहरे रंग की होने की वजह से इसमें हीलिंग पावर प्राकृतिक रूप से मौजूद रहता हैl यदि कोई रत्न गुलाबी रंग का है, तो उसका अर्थ है, कि वह सूर्य ग्रह जो कि पृथ्वी के मूल रूप से जीवन का कारक हैl उनसे संबंधित रत्न है, तथा सूर्य की जो प्रवृत्ति होती है, वही प्रवृत्ति इस रत्न की भी होगी।

यह रत्न अग्नि तत्व से संबंधित होगा तथा जिस भी जातक के जीवन में अंधकार एवं निराशा होगी उस जातक के जीवन में यह रत्न प्रकाश से भर देगा तथा उसे उपयुक्त ऊर्जा प्रदान करेगा, जिससे हमेशा के लिए वह अपने जीवन से निराशा को मिटा सके सभी रंग कुछ न कुछ विशिष्ट गुणों वाले होते हैं, तथा समय-समय पर अपनी उपयोगिता हमारे जीवन पर विस्तृत स्तर पर दिखाते रहते हैंl रत्नों को केवल कुछ शब्दों में या कुछ लेखों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।

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