नीलम रत्न को किस धातु में पहने – Neelam Ratna Ko Kis Dhatu Me Pahne

नीलम रत्न को किस धातु में पहने – Neelam Ratna Ko Kis Dhatu Me Pahne

 

 नीलम रत्न को किस धातु में पहने – Neelam

Ratna Ko Kis Dhatu Me Pahne

नीलम रत्न (blue sapphire ko kis dhatu me pahanna chahiye) को किस धातु में पहने- आज का हमारा विषय हैl नमस्कार मित्रों जय भवानीl हम इस पोस्ट के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे कि नीलम रत्न को किस धातु में पहना जाए जिससे हमें सर्वोत्तम लाभ प्राप्त हो सके।

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Neelam ratna kis dhatu me pahne

 

 

धातु जिन्हें ऊष्मा तथा विद्युत का सुचालक माना जाता है, जिसमें चमक होती है, तथा बहुत ही सरलता से अपने विद्युतअनु का परित्याग कर देते हैंl इनका घनत्व बहुत ऊंचा होती है, तथा सभी धातुओं की विशेष प्रकार की चमक होती है, जिसे धात्विक चमक भी कह सकते हैंl आपको इनमें धातुवधैर्यता और तन्यता जैसे गुण देखने को मिलते हैं, विविध प्रकार के धातुओ को मिलाकर मिश्र धातुएं बनाई जाती है, जिनका उपयोग बहुत बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार के पात्रों, अंगूठियां ,सजावट आदि के चीजों को बनाने के लिए उपयोग आज भी होता हैl धातु प्रकृति द्वारा प्रदत एक अनमोल संसाधन है, जिसके उपयोग के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है।

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(neelam ratna ko kis dhatu me dharan karen) पौराणिक काल से ही हमारे पूर्वजों के द्वारा इनका उपयोग बहुत बड़े स्तर पर किया जाता रहा है, हथियार बनाने से लेकर के घर के खाना बनाने खाने तथा पानी पीने के पात्रों के निर्माण भी इन्हीं धातु के द्वारा किया जाता था तथा इसी पद्धति को आगे बढ़ाते हुए आज का मानव भी इन धातुओं का इस्तेमाल कर विभिन्न प्रकार की चीजें बनाता है, एवं उनका उपयोग करता है, धातु का उपयोग विभिन्न प्रकार के आभूषणों को बनाने में विस्तृत तौर पर किया जाता है, तथा रत्नों को भी इनमें पिरो कर उपयोग में लाया जाता है, विभिन्न प्रकार के ग्रहों के अपने महारत्न रत्न एवं उपरत्न होते हैं, जो किसी विशेष प्रकार की धातु के साथ मिलकर ग्रहों की ऊर्जा को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता रखते हैं, तथा हमारे जीवन पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालते हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक रत्न किसी विशेष प्रकार की धातु के लिए बना है, जिसके साथ मिलकर उसकी शक्ति अद्भुत तरीके से कार्य करती है।

ग्रहों में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि ग्रह है, इसके चारों ओर विभिन्न प्रकार के छोटे छोटे पत्थरों तथा सूक्ष्म बर्फ के टुकड़ों के वलय हैl ज्योतिष विद्या के विभिन्न भागों में इसके अलग-अलग परिणाम और स्वरूप के बारे में बताया गया है, जैसे अंक ज्योतिष में शनि ग्रह को 8 का अंक प्रदत किया गया है, शनि ग्रह को न्याय का कारक तथा परम तपस्वी के रूप में जाना जाता है, इसकी गुणों का बखान पुराणों में मिलता है, यह ग्रह बहुत धीमी चाल से चलता है, तथा जातक को सफलता बहुत ही विलंब के साथ प्राप्त होता हैl शनि ग्रह परिश्रम, मेहनत ,कर्मठता, दृढ़ निश्चय आदि जैसे कसौटी पर लोगों को परखने के बाद ही उन्हें अप्रतिम रूप से सफलता प्रदान करते हैं, जिन राशियों में शनि ग्रह नीच स्थान में बैठे हुए रहते हैं।

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(neelam ratna ko kis dhatu me pahanna chahiye)ऐसे जातक को बहुत परिश्रम करना पड़ता है, तथा परिणाम भी उसको उसके मेहनत के अनुसार नहीं प्राप्त होता है, दिमाग हमेशा अशांत रहता है, तथा विभिन्न प्रकार के उलझनों में उलझा हुआ रहता हैl सामाजिक स्तर पर भी वह एक सफल व्यक्ति के रूप में जाना नहीं जाता है lप्रायः इन लोगों के संबंध सामाजिक स्तर पर अच्छे नहीं होते है।

इन लोगों को समाज से अलग रहना ,कटा हुआ रहना ही पसंद आता है, क्योंकि इनके जीवन में इतनी परेशानियां एक साथ चलती रहती है, कि इन्हें जीवन नीरस सा लगने लगता है, जिसकी वजह से इनके चेहरे पर भी उदासी छाई रहती है, किसी भी प्रकार का आकर्षण इनके व्यक्तित्व में नहीं झलकता हैl शनि ग्रह के विभिन्न नकारात्मक एवं कष्ट कर परिणामों से बचने के लिए लोगों के द्वारा नीलम रत्न धारण किया जाता है, नीलम रत्न (blue sapphire ko kis dhatu me pahne) में विभिन्न प्रकार के अद्भुत गुण विद्मान होते हैं।

 जम्मू कश्मीर के खदानों के नीलम रत्न (blue sapphire ko kis dhatu me pahna jata hai) उत्कृष्ट गुणों वाले होते हैं, किंतु यह रत्न बहुत ही दुर्लभ है, तथा इस खदान से इसका मिलना भी बहुत मुश्किल है, और यदि मिल भी जाए तो उसकी कीमत बहुत अधिक होती है, जो आम लोगों के पहुंच से कोसों दूर होता है, कुछ गिने-चुने लोगों के द्वारा ही इस रत्न को खरीदकर उपयोग में लाया जा सकता है, ऐसे में श्रीलंका के नीलम रत्नों का उपयोग बड़े स्तर पर पूरे विश्व में किया जाता है।

श्रीलंका में भी श्रेष्ठ गुणों वाले नीलम रत्न पाए जाते हैंl नीलम रत्न (neelam pathar kis dhatu me pahne) का केवल नीला वर्ण ही नहीं होता है, अपितु गुलाबी या नारंगी या सतरंगी या तारा नीलम के कुछ दुर्लभ रत्न भी पाए जाते हैं, किंतु यह इतना दुर्लभ है, की विश्व के कुछ ही गिने-चुने जगहों पर इनके मिलने के आसार होते हैं, जिन लोगों को धन का अभाव होता है।

ऐसी परिस्थिति में उनके द्वारा नीलम रत्न (neelam pathar kis dhatu me pahanna chahiye) के विभिन्न प्रकार के उपरत्न धारण किया जाता है, जैसे- लाजवर्त ,फिरोजा ,जमुनिया नीला या लीलीया आदिl इन सभी उप रत्नों में फिरोजा सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है, तथा इसके बहुत ही अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं lज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे द्वारा धारण किया गया विभिन्न प्रकार के रत्न तथा उपरत्न हमें विभिन्न प्रकार के विपदाओ से बचाने में सक्षम होते हैं, जैसे -किसी व्यक्ति पर यदि कोई बड़ी संकट आने वाली रहती है, तो ऐसी परिस्थिति में हमारे द्वारा धारण किया गया रत्न या उपरत्न चटक जाता है, और हमें बड़ी परेशानी में फसने से बचा लेता है।

रत्न तथा उपरत्न हमें विभिन्न प्रकार के गुण प्रदान करते हैं, जैसे -वाकपटुता, धैर्य रखना ,मौन धारण करने की कला, दृढ़ संकल्प ,कर्मठता आदि जैसे गुण हमें प्रदान करते हैं, एवं हमारे अंदर एक प्रभावशाली व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं, इन रत्नों तथा उप रत्नों को यदि किसी खास प्रकार के धातु के साथ मिलाकर पहना जाए, तो इसके गुणों में कई गुना वृद्धि हो जाती है।

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नीलम रत्न (neelam pathar kis dhatu me dharan karen) को ऐसे तो लोगों के द्वारा चांदी में धारण किया जाता है, किंतु यदि यह रत्न सोने अथवा प्लैटिनम में धारण किया जाए तो यह रत्न सोने पर सुहागा के जैसा कार्य करेगा तथा इस में विद्यमान चमत्कारी रूप से अलौकिक शक्तियां, हमें हमारे जीवन में बहुत आगे तक पहुंचा सकती है, जब भी आप नीलम रत्न को धारण करने की सोचे या किसी ज्योतिषी की सलाह पर पहने, तो उसे सोने ,चांदी अथवा प्लैटिनम जैसे धातुओं में पिरो कर आप पहन सकते हैं, नीलम रत्न को पंचधातु में भी धारण किया जा सकता है, इसे हम बाएं हाथ की मध्यमा उंगली या दाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं, बहुत से लोगों के द्वारा इसके पेंडेंट बनाकर गले में भी धारण किया जाता है।

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