माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए – Manik Ratna Kis Ungali Me Pahanna Chahiye

माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए – Manik Ratna Kis Ungali Me Pahanna Chahiye

माणिक रत्न किस उंगली में पहनना चाहिए –

Manik Ratna Kis Ungali Me Pahanna

 Chahiye

यह एक अविश्वसनीय बात है, कि कैसे हमारी हाथों की उंगलियां विभिन्न प्रकार के ग्रहों से संबंधित होती है, तथा कैसे हम अपने हाथों की विभिन्न प्रकार की उंगलियों में तरह-तरह के रत्न धारण कर अपने ग्रह दोषों को दूर कर सकते हैं, तथा कैसे कोई सुप्तग्रह या निष्क्रिय ग्रह को जागृत कर उसके शक्तियों को अवशोषित कर सकते हैंl उसकी कृपा प्राप्त कर सकते हैंl यह बिल्कुल किसी आश्चर्य से कम नहीं है, कि आकाशीय पिंड हम से कितनी दूरी पर स्थित होते हैं, फिर भी हमारे ऊपर कैसे वे अपना इतना व्यापक प्रभाव दिखाने में सक्षम होते हैं, एवं सृष्टि कितनी दयालु है, कि इन से संबंधित विभिन्न प्रकार के रत्न एवं उपरत्न हम सभी को उन्होंने उपहार स्वरूप में दिया है, जिससे हम इन आकाशीय पिंडों का सकारात्मक शक्तियों को अवशोषित कर एक उत्तम व्यक्तित्व का निर्माण करने में अपनी पूरी उपयोगिता लगाए हमारे व्यक्तित्व का अद्वितीय रूपांतरण करने में माणिक रत्न (manik ratna kis ungli mein pehna jata hai) बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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कौन सा रत्न किस जातक का राशि रत्न होता है, यह केवल उसके जन्म समय एवं तारीख, स्थान के द्वारा किसी विद्वान ज्योतिष की मदद से जाना जा सकता हैl विभिन्न प्रकार के रत्नों को धारण करने के लिए अलग-अलग विधि बताए गए हैं, जिससे हर रत्न को एक उचित कर्मकांड के द्वारा उसकी शक्तियों को जागृत कर एवं ग्रहों के खास दिन एवं नक्षत्र में उपयुक्त उंगली में धारण किया जाए, जिससे जातक की जिंदगी सवर जाए lजातक का जीवन सफल एवं सार्थक हो जाए lसूर्य ग्रह से संबंधित उंगली अनामिका को बताया गया है।

अनामिका उंगली जिसका सीधा संबंध माना जाता है, कि हमारे दिल से होता है lइसी वजह से इस उंगली में लोगों के द्वारा सगाई में अंगूठी भी धारण किया जाता हैl मानिक के रत्न (manik ratna kis ungli mein pehnate hai) धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त एवं उत्तम उंगली हमारे दाएं हाथ की अनामिका उंगली या फिर हमारे बाएं हाथ की अनामिका उंगली को माना गया हैl सूर्य से संबंधित उंगली अनामिका ही होती है, इसलिए सूर्य देव को मजबूत बनाने के लिए इनके उपरत्न या रत्न अनामिका उंगली में ही धारण किया जाता है।

माणिक रत्न (manik ratna kis ungli mein dharan karna chahie) देखने में गुलाबी रंग का होता है, तथा इसके संयोजक एलुमिनियम ऑक्साइड, क्रोमियम तथा लौह तत्व इसके रंग के लिए जिम्मेदार होते हैं, एवं विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक रूप से अशुद्धियां भी इसके रंग को निर्धारित करती हैl यह और भी रंगों में पाया जाता है lकाला, पीला ,नीला ,बैंगनी आदि किंतु सबसे उपयुक्त सूर्य ग्रह से संबंधित रत्न गुलाबी रंग का ही माना जाता है lगुलाबी रंग का मानिक यही सूर्य ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है।

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माणिक रत्न (manik ratna kis ungli me pahne) इतना अद्वितीय होता है, कि जब यदि इसकी संरचना प्राकृतिक रूप से हुई होती है, तो कमल पुष्प के कली के पास यदि असली माणिक के को रखा जाता है, तो वह कली खिल कर पुष्प हो जाती है, प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न का घनत्व बहुत अधिक होता है, जिसकी वजह से आप आसानी से एक असली माणिक के रत्न एवं नकली माणिक रत्न में फर्क कर सकते हैं, क्योंकि नकली मनी के रतन देखने में भले ही बड़ा दिखेगा किंतु जब आप उसकी वजन की तुलना असली माणिक के रत्न से करेंगे तो पाएंगे कि असली माणिक रत्न का वजन अधिक होता है।

माणिक रत्न को जब किसी भी लकड़ी से रगड़ा जाता है, तो उसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है। वह देखने में और अधिक आकर्षक, मनमोहक लगने लगता हैl प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न की यह भी उपयोगिता होती है, कि जब उसे हम गाय के शुद्ध दूध में डालते हैं, एवं कुछ घंटों के लिए माणिक (manik ratna kis ungli me dharan kare) को उसी में रहने देते हैं, तब उसका रंग पूरी तरह से गुलाबी हो जाता है, दूध का रंग माणिक के रंग के समान गुलाबी हो जाता हैl इसके पश्चात जब आप इसे दूध से बाहर निकालेंगे तो आप पाएंगे कि माणिक रत्न और अधिक सुंदर एवं आकर्षक दिखने लगता है, जब इसे आग पर ताप पर रखा जाता है, तब इसकी रंगत और अधिक निखर जाती है। यह देखने में पहले की अपेक्षा और अधिक सुंदर लगता है।

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इसका गलनांक अधिक होने की वजह से ताप पर भी रखने पर इसमें कोई भी त्रुटि नहीं होती है। यदि किसी प्रकार की त्रुटि इसमें देखी जाती है, तो उसका सीधा सा अर्थ यह है, कि वह माणिक रत्न है, ही नहीं बल्कि वह एक कांच का टुकड़ा है, मानिक के रत्न को जब पानी से भरे कांच की बोतल में डाला जाता है, और सूर्य की किरणें उस पर पड़ती है, तो उससे गुलाबी रोशनी उत्सर्जित होती हुई दिखाई पड़ती हैl इसके साथ ही यदि इससे इंद्रधनुषी रंग उत्सर्जित होते हुए दिखाई पड़ रहा है, तो उसका सीधा सा अर्थ यह है, कि वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित विभिन्न रासायनिक क्रियाओं का अभीवेशन है lउसमें कुदरती तौर पर गुलाबी रंग या प्राकृतिक रूप से भौतिक ऊर्जा व्याप्त नहीं है, बल्कि केवल कुछ रासायनिक क्रियाओं के समावेशन से वह एक निर्मित कांच का टुकड़ा है, जिसे माणिक रत्न (manik ratna kaise dharan kare) के समतुल्य कह कर बेचा गया है।

माणिक के रत्न (manik ratna dharan karne se kya hota hai) पर जब सूर्य की किरणें पड़ती है, तब इससे गुलाबी रंग की रोशनी प्रतीत होती हुई दिखाई देती है, या माणिक रत्न की यही खासियत होती है, कि जब आप इसे हल्की रोशनी में देखेंगे तब आपको इससे गुलाबी रोशनी दिखाई देगी जो कि इसकी सत्यता का प्रमाण होता हैl यदि आपको ऐसा कुछ भी महसूस नहीं हो रहा है, तो इसका तात्पर्य है, कि वह रत्न पूरी तरह से नकली हैl रत्न लेने से पूर्व रत्न के विभिन्न मापदंडों को जांचना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि आजकल पूरा बाजार नकली रत्नों से भरा पड़ा है।

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ऐसे में उचित जानकारी रखना बहुत आवश्यक है, अन्यथा आप देखने में सुंदर रत्न ले तो लेंगे लेकिन जिस कार्य की सिद्धि के लिए वह रत्न धारण करने जा रहे हैं lउसकी पूर्ण होने की संभावना क्या होगी यह कहना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि जो चीज प्राकृतिक रूप से निर्मित होती हैl उसमें प्रकृति अपने गुणों को उस में विद्यमान करती है, जबकि हम कृत्रिम रूप से किसी चीज को निर्मित करते हैं, तो हम उन भौतिक गुणों को उस में नहीं डाल पाते हैं, जो कि प्राकृतिक रूप से उस में उपलब्ध होना चाहिए। इसलिए जब भी आप कोई भी रख धारण करें तो इस बात को सुनिश्चित अवश्य करें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा रत्न पूरी तरह से असली हो।

सूर्य से संबंधित माणिक्य रत्न (manik ratna dharan karne ke fayde) को लोग जीवन में प्रगति एवं यश प्राप्ति के लिए धारण करते हैं। माणिक रत्न को धारण करने से जातक के पिता के साथ संबंध मधुर होते हैं, तथा सूर्य देव की कृपा से जातक के जीवन में कैरियर संबंधित परेशानियां खत्म होती है, एवं उनकी कृपा से रोजी रोजगार संबंधित चीजों में उसे सफलता प्राप्त होती है।

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