मोती रत्न की पहचान – Moti Ratna Ki Pahchan

मोती रत्न की पहचान – Moti Ratna Ki Pahchan

 

 मोती रत्न की पहचान – Moti Ratna Ki

 Pahchan

मोती रत्न (moti ratna ki pehchan kaisi hoti hai) की पहचान उसे धारण करने से पूर्व इसलिए करना जरूरी होता है, क्योंकि ज्योतिष विद्या तथा रत्न शास्त्र यह कहता है, कि यदि हमें रत्नों का संपूर्ण लाभ प्राप्त करना है, तो हमें पूरी तरह से शुद्ध रत्न धारण करने चाहिए क्योंकि प्राकृतिक रूप से उपलब्ध पत्थर में जो भौतिक ऊर्जा एवं विभिन्न ग्रहों की शक्तियां निरूपित रहती है, जो अलौकिक शक्तियां उनमें व्याप्त रहती है।

वह सारी चीजें कृत्रिम रूप से निर्मित रत्नों में उपलब्ध नहीं होती है, तथा रत्न धारण करने से पूर्व यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हम किसी भी प्रकार से त्रुटि युक्त रत्न धारण ना करें या किसी और व्यक्ति के द्वारा धारण किया गया रत्न भी हमें धारण नहीं करना चाहिए, ऐसे में हमें सकारात्मक प्रभाव की जगह हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकते हैंl मोती रत्न (moti ratna ki pehchan kya hoti hai) हमारे लिए हानिकारक भी सिद्ध हो सकते हैं, इसलिए इनकी सूक्ष्म से सूक्ष्म स्तर पर जांच करने के पश्चात ही हमें अंगीकृत करना चाहिए-

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मोती से संबंधित निम्नलिखित मापदंडों या पैमानों की जांच परख कर आप यह जान सकते हैं, कि आपके द्वारा खरीदा जा रहा मोती रत्न (moti ratna ki pehchan kya hai) प्राकृतिक रूप से निर्मित है, या किसी भी प्रकार से प्रयोगशाला में कृत्रिम रूप से बनाया गया है-

1. मोती अपनी शीतलता के लिए जाना जाता है, ऐसे में यदि आपके द्वारा मोती रत्न (moti ratna ki pehchan kaise karen) खरीदा जा रहा है, तो आप उस मोती को सर्वप्रथम अपने त्वचा से स्पर्श कराएं, इससे आपको ठंडक महसूस होगी, इसके विपरीत यदि कृतिम रूप से निर्मित मोती रत्न को जब आप स्पर्श करेंगे तो आपको इस तरह की कोई भी चीज महसूस नहीं होगी।

2. प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्न (moti ratna ki pehchan kya hoti hai) कभी भी एक दूसरे से मिलते जुलते नहीं होते हैं, कभी भी वह पूरी तरह से भौतिक संरचना में एक दूसरे के पूरक नहीं होते हैं, जबकि जो रत्न प्रयोगशाला में बनाए जाते हैं, उन कृतिम रत्नों के एक ही रूप के अनेक रत्न आप देख सकते हैं, जिसमें आपको उसकी संरचना भी एक समान ही दिखाई पड़ेगी।

3. प्राकृतिक रूप से निर्मित मोती रत्न का घनत्व अधिक होता है, जिसकी वजह से वह आकार में भले ही देखने में छोटा लगे किंतु जब आप उसका वजन करेंगे तो आप देखेंगे कि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न भले ही शुद्ध मोती (Moti Ratna Ki Pahchan) से बड़ा हो, किंतु कृतिम मोती का वजन प्राकृतिक मोती के वजन की तुलना में बहुत कम होगा।

4. कोई भी पत्थर जब प्राकृतिक रूप से निर्मित होता है, तो उसकी चमक एवं आकर्षण बहुत अद्भुत होती है, जो कि कृत्रिम रूप से निर्मित पत्थर की संरचना में आपको यह गुण दिखाई नहीं देंगे इसलिए जब प्रकाश की किरने मोती (moti ratna ki pehchan in hindi) के ऊपर पड़ती है, तब यह उन्हें बिखेर कर अद्भुत रोशनी प्रदीप्त करती है, जिसकी वजह से हम अपना उसके ऊपरी सतह पर अपना प्रतिबिंब देख सकते हैं।

5. शुद्ध मोती को ऐसा माना जाता है, कि हम दांतों से दो टुकड़ों में बांट सकते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न से ऐसा नहीं कर सकते हैं।

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6. प्राकृतिक रूप से निर्मित मोती को जब हम किसी पानी से भरे कांच के कटोरे में रखते हैं, और उस पर जब सूर्य की किरणें पड़ती है, तब उससे अद्भुत श्वेत करने प्रदीप्त होती हुई दिखाई पड़ती है।

7. मोती रत्न (Asli moti ratna ki pehchan) को यदि किसी साफ कपड़े से उसकी सतह को पूरी ताकत से साफ करेंगे तो आप पाएंगे कि मोती की चमक पहले से और अधिक बढ़ गई है lवह पहले से और अधिक आकर्षक दिखने लगा है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती में इसके विपरीत उस की चमक में कमी आ जाएगी, वह पहले की अपेक्षा कम आकर्षण पूर्ण लगेगा।

8. असली मोती रत्न (moti stone kaisa hota hai) को यदि आप घंटों पानी में रख देंगे तब भी उसके रंग में, उसके आभा में कोई कमी नहीं आएगी, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न की रंगत में परिवर्तन आ जाएगा तथा उसकी ऊपरी सतह पूरी तरह से निकल जाएगा तथा वह देखने में बिल्कुल भी आकर्षक पूर्ण नहीं लगेगा।

9. मोती रत्न (moti ratna ki kaisa hota hai) का पूरी तरह से गोलाकार प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है, क्योंकि गोल मोती बहुत ही दुर्लभ होता है, जो शायद ही कभी किसी को प्राप्त हो जाए अन्यथा आपको यह कभी भी गोलाकार में नहीं प्राप्त होगा, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न आपको पूरी तरह से गोल आकार में प्राप्त हो सकते हैं।

10. प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्नों में प्राकृतिक तौर पर बहुत से अनियमितताएं लकीरे रेखाएं बिंदु आदि मौजूद रहते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह सभी विधिताएं हमें देखने को नहीं मिलती है।

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11. प्राकृतिक रूप से निर्मित मोती रत्न (Asli moti ratna ki pehchan in hindi) में प्राकृतिक तौर पर छोटा सा छींद्र मौजूद रहता है, तथा कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न में भी इस प्रकार का एक छोटा सा छेद होता है, किंतु जब आप इसे आवर्धक लेंस से ध्यान से जब आप इसे देखेंगे तो पाएंगे कि असली मोती में आपको अनेक शतह एक दूसरे के समानांतर दिखाई देंगे, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती में आपको किसी पदार्थ की परत साफ तौर पर दिखाई देगी, जो ऐसा लगेगा जैसे उसे किसी यंत्र का उपयोग कर मोती रत्न के ऊपर चढ़ाया गया हो जिससे उसे आकर्षण पूर्ण बनाया जा सके या जिससे उसकी चमक को बढ़ाया जा सके।

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12. असली मोती रत्न (asli moti ki pahchan kaise karen) को जब आप अपने दांतो के विपरीत रगड़ बनाएंगे तो देखेंगे कि जिस प्रकार से मोती के संयोजक धीरे-धीरे करके संगठित हुए हैं lउसी प्रकार उसमें विभिन्न प्रकार के वलय बनने लगेंगे, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मोती रत्न की सतह पूरी तरह से एक समान रहती है, जिसकी वजह से उसमें किसी भी प्रकार का दातों के सहारे निशान बनाना थोड़ा कठिन होता है, क्योंकि उसकी सतह काफी फिसलन भरी होती है, एक समान होने की वजह से।

13. बहुत से लोगों का यह मद होता है, कि असली मोती रत्न (Original moti ki pehchan kaise kare) में यह खासियत होती है, कि जब उसे गाय के घी जो पूरी तरह से ठंड की वजह से सख्त हो जाता है उसके ऊपर रखा जाता है, तब गाय का सख्त शुद्ध घी तरल पदार्थ का रूप लेने लगता है, वह ठोस अवस्था से तरल अवस्था में परिवर्तित होने लगता है।

इन उपर्युक्त कुछ मापदंडों या पैमानों को अपनाकर आप यह जान सकते हैं, कि मोती रत्न (Asli moti ki pehchan kya hai) असली है, या नकली है, किंतु फिर भी किसी भी प्रकार की ठगी से बचने के लिए आप जिस भी जगह से रत्न खरीदें उससे मोती के शुद्ध होने का प्रमाण पत्र अवश्य प्राप्त करें।

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