पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें – Pukhraj Ratna Ki Pahchan Kaise Kare

पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें – Pukhraj Ratna Ki Pahchan Kaise Kare

 

पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें – Pukhraj

 Ratna Ki Pahchan Kaise Kare

पुखराज रत्न की पहचान कैसे करें – (pukhraj ke fayde) लोगों के मन में यह सवाल बहुत अधिक आता है, क्योंकि यह एक बहुत महंगा रत्न होता है, तथा इसके आपको अच्छे परिणाम विस्तृत अनुकूल परिणाम तभी प्राप्त होंगेl जब आपके द्वारा धारण किया जा रहा रत्न या उपरत्न पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो, ना कि वह किसी भी अवस्था में कृत्रिम रूप से निर्मित नहीं होना चाहिए, अन्यथा आपको उससे ना लाभ होगा ना हानि होगी किंतु आपके मेहनत के पैसे अवश्य डूब जाएंगे।

 

 

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यह एक विश्व प्रसिद्ध लोकप्रिय रत्न है, जिस की महत्ता न केवल भारतीय वैदिक ज्योतिष विज्ञान में वर्णित है lअपितु इसे पाश्चात्य ज्योतिष विज्ञान भी कम महत्व नहीं देता है lइसे ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ उपाधि से नवाजा गया है, तथा पुखराज रत्न (pukhraj ratna ki jankari) को रत्नों का राजा से अलंकृत किया गया है। यदि हम विभिन्न मापदंडों को जान जाए जिससे कि हमारे द्वारा खरीदा जा रहा पुखराज रत्न शुद्ध है, अथवा अशुद्ध है तो हमारे ठगे जाने की संभावना बहुत ही कम हो जाएगी।

पुखराज रत्न गुरुओं के गुरु ,गुरु बृहस्पति का राशि रत्न होता है। यह रत्न गुरु बृहस्पति से संबंधित होता है। पुखराज रत्न (pukhraj ratna ki pehchan) में गुरु ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की गुप्त शक्तियां विद्यमान रहती है, जो जिस भी जातक के द्वारा धारण किया जाता है lउसे उसका प्रभाव वह समय के साथ दिखाता है lउसके जीवन के विभिन्न आयामों पर उसके प्रभाव सकारात्मक एवं अनुकूल नजर आने लगते हैं। यह रत्न देखने में बिल्कुल पीला वर्ण का होता है, बिल्कुल गेंदे के फूल के रंगों के समान, बिल्कुल इसका रंग पलाश के फूल के रंगों के समान पीला होता हैl इसका रंग सोने के चमक के समान भी पीला हो सकता है

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सूर्य की मीठी किरणों के समान भी इसका रंग हो सकता है। पीले रंग में भी विभिन्न प्रकार के ग्राफिक्स आपको इसके देखने को मिल सकते हैंl आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पुखराज रत्न केवल एक ही रंग में प्रकृति द्वारा प्राप्त यह संसाधन नहीं पाया जाता है, बल्कि सृष्टि में यह अनमोल संसाधन हमें विभिन्न रंगों के भी प्राप्त हो सकते हैंl इसका रंग गुलाबी, सफेद ,पीला, नीला आदि कुछ भी हो सकता हैl इसका रंग मुख्यतः इसके संयोजक पर निर्भर करता है, कि इसके अंदर कौन-कौन सी अशुद्धियां मौजूद है, जिसकी वजह से विभिन्न रंगों के विकिरण इस से निकलते हैं, या विभिन्न रंग इससे प्रतीत होते हैं, इसके भले ही अनेक रंग क्यों ना हो फिर भी गुरु ग्रह के लिए या बृहस्पति ग्रह के लिए केवल हम लोग पीला पुखराज (original pukhraj stone ki pehchan) ही धारण कर सकते हैं, या पीला पुखराज को ही गुरु बृहस्पति ग्रह का निरूपित स्वरूप माना जाता है।

प्रारंभिक अवस्था में किसी भी रत्न को पहचान पाना बहुत मुश्किल का काम होता है lइन्हें विभिन्न प्रकार के चरणों से गुजारा जाता है, उसके पश्चात ही हमें सुंदर चमकदार आकर्षक रत्न प्राप्त होता है, जितने भी रत्न होते हैं, हमें मिलने से पहले उन्हें अच्छी तरह से उन्हें तेल आदि से उनके ऊपर चिपके हुए विभिन्न प्रकार के अशुद्धियों को दूर किया जाता हैl उसके पश्चात उनकी घर्षण की जाती है, तब जाकर हमें एक योग्य रत्न प्राप्त होता है।

निम्नलिखित मापदंडों को अपनाकर हम यह जान सकते हैं, कि हमारे द्वारा खरीदा जा रहा पुखराज रत्न एक असली रत्न है, एक उच्च गुणवत्ता वाला रत्न है, या फिर कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न है, या सिर्फ एक कांच का टुकड़ा है-

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1. असली पुखराज रत्न (original pukhraj stone ki pehchan kaise karen) देखने में बहुत ही चमकदार ,आकर्षक तथा उसका रंग मन मस्तिष्क को शांति प्रदान करने वाला होता है, उसमें आपको किसी भी प्रकार की त्रुटि दिखाई नहीं देगीl यदि आपको कोई भी दाग या किसी प्रकार की लकीर आदि उसमें दिखाई दे, तो वह रत्न भूलकर भी ना लें, क्योंकि वह रत्न आपके लिए खुशियां कभी लेकर नहीं आएगा, बल्कि आपकी परेशानियों को और अधिक बढ़ाने में अपना योगदान देने लगेगाl अतः रत्न लेने से पूर्व यह ध्यान रखें कि उसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि मौजूद ना हो।

2. असली पुखराज रत्न (pukhraj stone ki pehchan kya hai) को जब आप ताप पर रखेंगे तो देखेंगे कि उसकी चमक और भी बढ़ गई है। वह कभी भी चटके गाया दड़केगा नहीं सबकी कृत्रिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न जल्द ही अपना वास्तविक आकार बदलने लगेगा, तथा उसमें आप किसी भी चीज से निशान बनाने में सक्षम हो पाएंगे क्योंकि इन सभी कृत्रिम रूप से निर्मित रत्नो की खासियत होती है, कि वक्त ताप बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। उनका गलनांक बहुत ही कम होता है, तथा पत्थरों के साथ ऐसा कुछ नहीं होता है, उनका गलनांक बहुत अधिक होता है।

3. शुद्ध एवं उच्चतम गुणवत्ता वाले पुखराज रत्न (pukhraj stone ki pehchan) को जब आप दूध में कुछ घंटों के लिए या पूरे 1 दिन के लिए भी छोड़ देंगे, तब भी वह अपना रंग नहीं छोड़ेगा वह अपना वास्तविक रंग कभी भी नहीं बदलेगा तथा उसमें चमक वैसे ही बरकरार रहेगी, जैसे दूध में डालने से पूर्व थी, जबकि इसके विपरीत यदि कृतिम रूप से निर्मित पुखराज रत्न को दूध में डाला जाए और डाल कर छोड़ दिया जाए तो वह अपना रंग छोड़ देगा, उसका रंग गहरा पीला से हल्का पीला हो जाएगा तथा पहले की अपेक्षा उसमें वह चमक भी नहीं रहेगी।

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4. कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न भले ही देखने में बड़ा लगे पर जब आप इसका वजन का तुलना किसी प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्न के साथ करेंगे तो आप पाएंगे कि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न का वजन प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्न से बहुत कम होता है lभले ही कृतिम रूप से निर्मित रत्न देखने में बहुत बड़ा लगे और प्राकृतिक रूप से निर्मित रत्न देखने में छोटा लगे किंतु दोनों के वजनों में आपको काफी अधिक फर्क दिखाई देगा क्योंकि असली रत्न जो होते हैं, उनका घनत्व बहुत अधिक होता है lउनकी संगठित संरचना की वजह से उनका भार अधिक होता है, जो कि आप को कृत्रिम रूप से निर्मित रत्नों या उप रत्नों में देखने को नहीं मिलेगा।

5. शुद्ध रूप से उपलब्ध पुखराज रत्न (pukhraj ki pahchan) की खासियत होती है, कि वह किसी भी प्रकार की रोशनी जैसे सूर्य की रोशनी हो या चंद्र की रोशनी हो या फिर कृत्रिम रूप से निर्मित रोशनी में भी यदि आप इसे देखेंगे तो ऐसा लगेगा, जैसे इससे पीली रंग की रोशनी प्रदीप्त हो रही है, जबकि यदि पीली रंग की रोशनी की जगह इंद्रधनुष के रंग उत्सर्जित होते हुए नजर आ रहे हैं, तो इस बात का आशय यह है, कि वह एक नकली रत्न है, या एक कांच का टुकड़ा है वह कभी भी पुखराज रत्न नहीं हो सकता है।

6.आप इसे किसी कांच की कटोरी या कांच के गिलास में पानी भर कर रखेंगे और धूप में ले जाकर देखेंगे तो इससे आपको पीली रंग की रोशनी उत्सर्जित होती हुई दिखाई देगी, जबकि कृतिम रूप से निर्मित रत्न के साथ ऐसी कोई भी स्थिति नहीं बनेगी, उसे अलग ही रंग उत्सर्जित होगा।

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