मूंगा रत्न की पहचान – Munga Ratna Ki Pahchan

मूंगा रत्न की पहचान – Munga Ratna Ki Pahchan

 

 मूंगा रत्न की पहचान – Munga Ratna Ki

 Pahchan

मूंगा रत्न की पहचान – (munga ratna ki pahchan kaise karen) मूंगा मंगल ग्रह से संबंधित एक रत्न होता है, जिसका निर्माण जलीय जीवो के द्वारा होता हैl मंगल ग्रह से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है lहालांकि लोगों के द्वारा मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव को पूरी तरह से दूर करने के लिए या फिर पूरी तरह से नष्ट करने के लिए या उसके दुष्प्रभाव को बहुत हद तक कम करने के लिए मूंगा रत्न धारण किया जाता है।

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मंगल ग्रह जो साहस ,पराक्रम, वीरता का प्रतिनिधित्व करता हैl हमारी ऊर्जा शक्ति का प्रतिनिधित्व भी मंगल ग्रह के द्वारा ही प्रतिनिधित्व किया जाता हैl यदि मंगल ग्रह किसी जातक के लग्न कुंडली में दूषित होता है, या फिर किसी भी प्रकार से वह सुप्त अवस्था में होता है, या पूरी तरह से निष्क्रिय होता हैl तो जातक को बहुत सी परेशानियों का सामना उसके जीवन में करना पड़ता है।

मंगल ग्रह के दूषित होने की वजह से जातक की कुंडली में बहुत से अशुभ योगों का निर्माण होता है, जिससे जातक पूरी तरह से मानसिक हो या शारीरिक तौर पर बहुत परेशान रहता हैl जैसे- अंगारक योग जिसमें मंगल राहु के साथ मिलकर इस योग का निर्माण करता है, जिसमें आकस्मिक दुर्घटना बढ़ जाती हैl जिससे जातक कई बड़ी बीमारियों का शिकार हो सकता है, एवं उसके स्वभाव में यह योग बहुत अधिक परिवर्तन ला देता हैl वह स्वभाव से निर्दई एवं क्रूर बन जाता है, इसके साथ-साथ हर एक चीज में वह नकारात्मकता को ही ढूंढता है, उसके अंदर नकारात्मक शक्तियों का सृजन बहुत अधिक बढ़ जाता है, जिसकी वजह से उसके घर परिवार के लोग हो या सामाजिक स्तर के लोग सभी से उसकी बैर की भावना दिनों दिन बढ़ती चली जाती है।

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जातक बहुत अधिक गुस्से में रहने लगता है, उसके क्रोध में वृद्धि उसके खराब स्थिति का सूचक होता हैl दूसरा सबसे अशुभ योग माना जाता हैl मांगलिक दोष जिसमें जातक के विवाह संबंधित चीजों के लिए यह बहुत अधिक प्रभाव शील माना जाता हैl इस योग में जातक के दांपत्य जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है lससुराल पक्ष में कभी भी स्थिरता नहीं आ पाती है, तथा स्थिति कभी-कभी विकराल रूप ले लेती है, जब इस दोष में जीवन साथी की मृत्यु तक हो जाती हैl अतः सबसे कष्ट दाई एवं दुखदाई योग मंगल दोष को माना जाता है, जिसके लिए जातक के द्वारा विभिन्न प्रकार के पूजा पाठ दान पुण्य किया जाता है, जिससे इसके दुष्प्रभाव को नष्ट किया जा सके इसके साथ-साथ मूंगा रत्न (munga ratna ki pahchan kaise kar sakte hai) भी विधिवत तरीके से धारण किया जाता है, मंगल के दुष्प्रभाव को कम किया जा सके।

मंगल के द्वारा निर्मित अशुभ दोषों को उसके राशि रत्न के द्वारा दूर किया जा सकता है, किंतु यह संभव तभी होता है, जब हमारे द्वारा धारण किया रत्न पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो, यदि प्रयोगशाला में निर्मित रत्न धारण किया जाए तो उसके फल हमें प्राप्त नहीं होते हैं, क्योंकि जो भौतिक एवं सूक्ष्म ऊर्जा मूंगा रत्न (munga ratna ki pahchan in hindi)  में प्राकृतिक रूप से मौजूद हैl वह ऊर्जा कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में नहीं होती है, जिसकी वजह से कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न प्रभावशाली सिद्ध नहीं होता है।

मूंगा रत्न की पहचान के लिए निम्नलिखित मापदंड या पैमाने को आधार बनाकर जांचा जा सकता है-

1. किसी भी रत्न को खरीदने से पूर्व उसके विशिष्ट गुरुत्व गुण को जानना बहुत आवश्यक होता हैl इसके साथ साथ अपवर्तक सूचकांक गुण भी जाना बहुत आवश्यक हैl हालांकि यह सारे परिणाम मूंगा रत्न से संबंधित हो या कोई और रत्न से संबंधित हो केवल प्रयोगशाला में ही जांच करके जाना जा सकता है।

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2. प्राकृतिक रूप से निर्मित मूंगा रत्न को जब ध्यान से देखा जाता है lतब उसके अंदर बारीकी तौर पर रेखाएं हमें नजर आती हैl यह रेखाएं प्राकृतिक तौर पर मूंगा रत्न (munga ratna ki pehchan kya hai)  निर्माण के समय बनती हैं, एवं जिस प्रकार किसी लकड़ी की संरचना होती हैl उसी प्रकार की संरचना ध्यान से देखने पर विविध मुंगे रत्न में पाया जाता हैl अंतिम किनारे पर गांठ के समान आकृतियां आप मूंगे के अंदर ध्यान से देखने पर देख सकते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न कुछ नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया ओके द्वारा निर्मित प्लास्टिक होता है, जो हूबहू देखने में मूंगा रत्न के समान दिखता है, किंतु उसमें प्राकृतिक तौर पर कोई भी रेखा नजर नहीं आती है, वह पूरी तरह से चिकना होता है।

इसके साथ साथ कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न सभी देखने में एक समान लगते हैं, तथा हर ओर से जांचने के पश्चात भी उनमें कोई भी विविधता देखने को नहीं मिलती है।

3. मूंगा रत्न (munga ratna ki pehchan kya hai bataiye) के समान लाल होता है, या सिंदूरी रंग का भी होता है, किंतु भारत में पाए जाने वाले मूंगा रत्न थोड़ा हल्के रंग का होता हैl कभी-कभी इनका रंग गाढ़ा भी हो सकता है lइनके निर्माण स्थल पर मुख्यतः इन का रंग निर्भर करता है, सबसे उपयुक्त इटालियन मूंगा माना जाता है।

4. प्राकृतिक रूप से निर्मित मूंगा रत्न (munga ratna ke fayde)  के ऊपर जब हम पानी की बूंद रखते हैं, या पानी की बूंद डालते हैं, तो वह गिरने की वजह एक बूंद का आकार ले लेती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न के ऊपर पानी की बूंद डाली जाए तो वह रह जाती है, क्योंकि कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न का सतह बहुत अधिक चिकना होता है, असली मूंगा रत्न की तुलना में।

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5. रत्न की जो कटिंग की जाती है, वह बिल्कुल ही साधारण रूप में की जाती है, जिसकी वजह से प्राकृतिक रूप से मौजूद इनमें जो भी दोष रहते हैं lउसे वैसे ही छोड़ दिया जाता हैl उसे पोलिश करके हटाया नहीं जाता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न (munga ratna ke labh) पूरी तरह से चिकना होता हैl हर ओर से देखने में बिल्कुल साफ एवं चमकदार होता है, उसकी आभा में आपको किसी भी प्रकार की त्रुटि आपको देखने को नहीं मिलती है।

 

 

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6. असली मूंगा रत्न (munga ratna pahnane ke labh)  में जब उसके आधार को देखा जाता है, तो उसमें प्राकृतिक तौर पर दाना आदि मौजूद रहता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह गुण नहीं रहता है।

7. ऐसा माना जाता है, की असली मूंगा के आस-पास यदि रक्त रखें तो वह उसे पूरी तरह से सोख लेता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह गुण देखने को नहीं मिलते हैं।

8. मूंगा रत्न (munga ratna pahnane ke fayde) जीवो के द्वारा निर्मित एक पादप होता है, इसलिए जब इसे आग से जलाया जाता है, तब इससे बाल जलने के समान दुर्गंध निकलती है,जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित मूंगा रत्न से प्लास्टिक के समान दुर्गंध निकलती है।

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