नीलम रत्न कब धारण करें –
नीलम रत्न कब धारण करें -आज का हमारा विषय हैl नमस्कार मित्रों जय बालाजी आज हम इस लेख के माध्यम से जानने का प्रयास करेंगे कि नीलम रत्न को कब धारण किया जा सकता है, जिसे हमें इस रत्न के माध्यम से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो।
इसे भी पढ़े:- सफेद गुंजा क्या है?
सृष्टि में हर चीज को ईश्वर ने बड़े प्यार से रचा है, तथा सुक्ष्म से सूक्ष्मजीव का भी बहुत ही नाजो से पालन पोषण करते हैं lहम मनुष्यो पर तो ईश्वर की असीम कृपा है, जो हमें उन्होंने विभिन्न प्रकार के संसाधनों से भरपूर इस पृथ्वी को हमें वरदान के स्वरुप में दिया हैl ईश्वर हमारे छोटे से छोटे इच्छा का खयाल रखते हैं, तथा हमारे द्वारा किए जा रहे बुरे कर्मों को भी छमा करने की क्षमता रखते हैं, किंतु यदि केबल ईश्वर लोगों को उनकी गलतियों पापो के लिए छमा ही करते रहेंगे तो ऐसे में लोगों के मन से भय खत्म हो जाएगा तथा लोग अपनी मनमानी करेंगे जो लोग असहाय हैं ,गरीब है, दुखी है उनका दुष्ट लोग और भी दमन करेंगे इसलिए ईश्वर के द्वारा विभिन्न प्रकार के ग्रहो तथा उपग्रहो का निर्माण किया गया, जो समय समय पर हमारे कुंडली में गोचर करते रहते हैं, तथा इनके विभिन्न प्रकार के प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता रहता है।
इसे भी पढ़े:- सुलेमानी हकीक पत्थर के फायदे
सारे ग्रह कभी हमें सुख, संपति से परिपूर्ण बनाते हैं, तो कभी हमें आशाहाय पीड़ा, कष्ट, बीमारी रोग आदि प्रधान करते हैं, किंतु सभी ग्रहो में से ईश्वर के द्वारा रचा गया सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि ग्रह का प्रभाव तथा स्वभाव ही बड़ा अद्भुत ,अद्वितीय है lइस ग्रह के स्वभाव को समझना हर किसी के बस की बात नहीं है lईश्वर ने इस ग्रह को इसलिए रचा ताकि लोगों में जो मानवता होनी चाहिए वह हो सके lयह ग्रह उनकी कर्मों के आधार पर फल देता है।
अतः जैसे आपके कर्म होंगे आपको वैसे फल भी प्राप्त होगा क्योंकि इस नश्वर संसार को ईश्वर संरक्षित करके रखना चाहते थेl वह नहीं चाहते थे कि कभी भी किसी के दिल को ठेस पहुंचे या सृष्टि से मानवता का विनाश हो जाएl बस इसीलिए ईश्वर के द्वारा शनि ग्रह की संरचना की गई जिससे पृथ्वी पर संतुलन स्थापित रहे तथा कोई भी मानव खुद को सर्वस्य सर्वज्ञ ना समझे।
ईश्वर की लीला अपरंपार है उनके द्वारा किए जा रहे हैं, कार्यों को समझना बहुत ही मुश्किल है lएक तरफ उन्होंने शनि ग्रह जैसे ग्रह का सृजन किया तो दूसरी तरफ हमें इसके रत्न एवं उपरत्न को वरदान स्वरूप दिया हैl नीलम रत्न शनि ग्रह का रत्न है, तथा इसमें शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की शक्तियां इसमें विद्यमान है, जो हमें शनि ग्रह के द्वारा दी जा रही विपरीत परिस्थितियों को भी अनुकूल परिस्थिति में परिवर्तित करने की क्षमता प्रदान करता है।
नीलम एक अद्भुत रत्न है, यह एक बहुमूल्य रत्न है, जो पृथ्वी के गर्भ से हमें प्राप्त होता हैl नीलम रत्न का ज्योतिष विज्ञान में तो बहुत महत्व है, ही साथ में आयुर्वेद की दृष्टि से भी नीलम रत्न विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए रामबाण का कार्य करता है, यक्ष्मा ,स्नायु वेदना, मूर्छा आदि जैसी बीमारियों में भी नीलम रत्न काफी उपयुक्त माना जाता है।
इसे भी पढ़े:- मोती रत्न की पहचान
नीलम रत्न को सभी लोगों के द्वारा धारण नहीं किया जा सकता केवल विद्वान ज्योतिषी की सलाह पर तथा आपकी कुंडली के विशिष्ट गननाओ के आधार पर ही व्यक्ति विशेष को नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह त्वरित गति से काम करने वाला रत्न हैl इसके प्रभाव आपको बहुत जल्द देखने को मिल जाते हैंl यदि यह रत्न किसी जातक को आसमान की बुलंदियों पर ले जाने की क्षमता रखता है, तो यदि उसके कुंडली के अनुकूल नहीं हुआ तो उसे अर्श से फर्श तक लाने में भी उसे समय नहीं लगेगा, अतः सोच समझकर इस रत्न का चयन करें।
नीलम रत्न इन निम्नलिखित परिस्थितियों में धारण किया जा सकता है- यदि जन्म कुंडली में शनि चौथे पांचवे 10 वीं 11 भाग में हो तो नीलम रत्न धारण करने से जातक को बहुत लाभ मिलता हैl यदि शनि ग्रह से संबंधित महादशा शनि की साढ़ेसाती शनि की ढैया बलि सनी आदि चल रही हो तो जातक के द्वारा नीलम रत्न धारण किया जा सकता है, इससे उसे उसके जीवन में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगेl और भी विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण से जांचने के पश्चात इस रत्न को धारण किया जा सकता है।
नीलम रत्न को कब धारण करें-
इसे भी पढ़े:- लहसुनिया रत्न पहनने के फायदे
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जब किसी शनिवार के दिन स्वाति, विशाखा, चित्रा ,घनिष्ठा ,श्रवण नक्षत्र जैस शुभ घड़ी में इस रत्न को धारण किया जा सकता हैl इस रत्न को सोने ,चांदी, प्लैटिनम अथवा पंच धातु में धारण करना चाहिए, इससे हमें अच्छे एवं सकारात्मक परिणाम मिलते हैंl नीलम धारण करने से पहले उसे गंगा जल में कुछ देर के लिए छोड़ दे।
कुछ लोगों के द्वारा पंचामृत में भी डाल कर नीलम रत्न को कुछ देर के लिए छोड़ा जाता हैl तत्पश्चात इस रत्न शनि ग्रह के बीज मंत्रों से अभिमंत्रित कर अपने घर के मंदिर अथवा शनि मंदिर या फिर बजरंगबली के मंदिर भी जाकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद आप इसे धारण कर सकते हैं, किंतु सबसे उत्तम समय इसे धारण करने का होता है, अर्धरात्रि या फिर सूर्य उदय से पूर्व किसी भी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को धारण करना हमारे लिए बहुत फलदाई होता है।
इस रत्न को धारण करने के पश्चात किसी जरूरतमंद व्यक्ति को नमक युक्त भोजन के साथ में कुछ मीठा भोजन भी अवश्य कराएं यदि संभव हो तो दान दक्षिणा भी अवश्य देंl इससे शनि ग्रह के आप कृपा पात्र बनेंगे तथा आपके काम बनते चले जाएंगेl समय-समय पर इस रत्न की ऊर्जा को बढ़ाने के लिए आप इससे गंगा जल में डुबोकर छोड़ दे lउसके पश्चात शनि ग्रह से संबंधित मंत्रों से इसे अभिमंत्रित धारण करें, इससे यह रत्न अपनी परम शक्ति पर कार्य करता है।
अभिमंत्रित नीलम रत्न कहां से प्राप्त करें –
यदि आप भी अभिमंत्रित किया हुआ नीलम रत्न प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे नवदुर्गा ज्योतिष केंद्र से पंडित जी द्वारा अभिमंत्रित किया हुआ नीलम रत्न मात्र – 300₹ और 600₹ रत्ती मिल जायेगा जिसका आपको लैब सर्टिफिकेट और गारंटी के साथ में दिया जायेगा (Delivery Charges free) Call and WhatsApp on- 7567233021, 9313241098