गुंजा के फायदे- Gunja Ke Fayde
गुंजा के फायदे- (gunja ke tantrik prayog) गुंजा के अनेक उपयोगिताओ को देखते हुए प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग ना केवल आम जन के द्वारा किया जाता रहा है, बल्कि कई तरह की गुंजा की किसमें तांत्रिक क्रिया में भी प्रयोग में लाई जाती है। गुंजा एक प्रकार की बेल में फलती है, इसके बीज बहुत ही दुर्लभ परिस्थितियों से प्राप्त होते हैं, गुंजा के मुख्य तीन प्रकार माने जाते हैं। लाल गुंजा, काला गुंजा तथा सफेद गुंजा किंतु जब भी किसी भी प्रकार की अनुवांशिक बदलाव होता है, तब पीले रंग की गुंजा भी प्राप्त हो सकती हैl भारत के कई क्षेत्रों में इसके फलि पाए जाते हैं।
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1. प्रकृति हमें अपने संतान की समान प्रेम करती है। हमें अपने संतान की समतुल्य विविध चीज़े प्रदान करती है, जिसकी प्रभाव से हमारा जीवन रक्षित रहे एवं हमें किसी भी तरह का कोई भी कष्ट ना हो किंतु जीवन हो और कष्ट ना हो यह तो हो ही नहीं सकता है। जीवन चक्र की गाड़ी जब तक चलती है, तब तक सुख दुख लगा रहता हैl प्रकृति हमारी मां है, इसलिए मां को हर प्रकार के खतरे होने का आभास बहुत पूर्व हीं हो जाता है, ऐसे में हमें कई माध्यम से प्रकृति सचेत करती है, जैसे यदि हमारे जीवन में कुछ बुरा घटित होने वाला रहता है, तब वह हमें विभिन्न सपने के माध्यम से विभिन्न अशुभ शगुन के माध्यम से हमें चेतावनी देने का कार्य करती है, हमें सचेत करती है, कि आने वाले समय में हमारे दिन पलटने वाले हैं।
परिस्थितियां प्रतिकूल जाने वाली है, ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जब किसी का साथ चाहकर भी उक्त व्यक्ति विशेष को प्राप्त ना हो, ऐसे में प्रकृति हमें विभिन्न संसाधन प्रदान करती है, जिसका प्रयोग कर हम अपने विपत्ति युक्त समय में दीप्त ज्ञान को प्राप्त कर अपनी स्थिति को नियंत्रण में ला सके या खराब चीजो को अपने जीवन को उनकी हिसाब से नियंत्रण करने से रोक पाए, जैसे- कि विविध प्रकार के रत्न उपरत्न विविध प्रकार के मनके जीव जंतु के पारस्परिक अंग आदि का प्रयोग कर हम अपने जीवन में उत्कृष्टता ला पाएं, ऐसे ही एक फली होती है, जिसे हम गुंजा कहते हैं, जिस का प्रयोग कर अपने निम्न स्थिति को उत्कृष्ट स्थिति में बदल सकता है। माना जाता है, कि काली गुंजा (gunja ke tantrik upay) भी एक तरह का पूर्वानुमान या पूर्वाभास हमारी आने वाली स्थिति के बारे में सार्थक रूप से बता सकती है।
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किसी भी तरह की आने वाली आगामी अवधि में मुसीबतों का पहाड़ का संकेत यह हमें इसके वर्ण के माध्यम से प्रदान कर सकती है। ऐसा माना जाता है, कि जब भी किसी व्यक्ति विशेष के पास यह गुंजा होती है, तब व्यक्ति विशेष यदि किसी बड़ी मुसीबत में फसने वाला रहता है, या उस पर कोई मुसीबत आने वाली रहती है, तब यह गुंजा अपना रंग परिवर्तित कर देती है, जिससे व्यक्ति विशेष अपने आगामी आने वाली मुसीबतों के प्रति पूर्ण रूप से सच हो जाता है। पूर्ण रूप से आने वाले खराब परिस्थिति के लिए स्वयं को मानसिक एवं शारीरिक एवं सामाजिक एवं आर्थिक रूप से तैयार कर लेता है, जिससे आगामी अवधि में आने वाले विकट परिस्थिति में भी उसकी स्थिति इतनी खराब नहीं हो पाती जितनी होनी चाहिए।
कभी-कभी तो यह जातक के ऊपर पड़ने वाले या जातक के ऊपर होने वाले किसी तरह के हमले को भी वितरित कर देता है, जैसे कोई व्यक्ति विशेष के पास यह गुंजा रहती है, और उस पर कोई दूसरा व्यक्ति जो उसका दुश्मन है, जो उसका शत्रु है, किसी प्रकार की क्रिया करता है, या किसी तरह के नकारात्मक रूप से उसके जीवन में अवरोध लाने का प्रयास करता है, तो ऐसी स्थिति में यह गुंजा उसके कुकृत्य को पलट देता है, जिसके कारण शत्रु पक्ष ही विविध जटिल परिस्थितियों में फस कर रह जाता हैl स्वयं का भला स्वयं को घाव कर जाता है, या यूं कहें कि जिसके लिए गड्ढा खोदा वह न गिरकर अगला व्यक्ति विशेष ही गिर जाता हैl यह दुश्मनों पर विजय पाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, किसी भी तरह के नकारात्मक लोगों के विचार या अस्वीकारात्मक तत्व की वर्चस्वता को समाप्त कर देता है ,शून्य कर देता है।
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2. किसी तरह के विषधर के द्वारा काटे जाने पर भी गुंजा के दाने का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता हैl प्राचीन काल में कई औषधियों के मिश्रण के साथ गुंजा के दाने का प्रयोग विश के प्रभाव को नष्ट करने के लिए प्रयोग में लाया जाता थाl अभी भी कई सुदूर आदिवासी इलाकों में इसका प्रयोग किया जाता है, क्योंकि आदिवासी लोग शहरी एवं गांव के लोगों की तुलना में जड़ी बूटियों के प्रति अधिक विशिष्ट ज्ञान को रखते हैं, तथा प्रकृति को ही अपना सब कुछ मानते हैं, इसलिए उन्हें इस प्रकार के बीज का प्रयोग बहुत ही अच्छे तरीके से आता है, यही कारण है, कि यदि कभी किसी तरह की घटना घटती है, तो वह लोग इसका प्रयोग न केवल विश जैसी समस्या के लिए करते हैं, बल्कि विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने के लिए भी चिरमी के दाने का प्रयोग किया जाता है।
3. गुंजा का प्रयोग लोग नजर दोष संबंधित चीजों को दूर करने के लिए भी करते हैं lअपने भाग्य के द्वार को खोलने के लिए तथा अपने भाग्य को प्रभावशाली बनाने के लिए गूंजे का प्रयोग किया जाता हैl इसे अभिमंत्रित कर लोग अपने साथ रखते हैं, जिससे उनका आकर्षण काफी उन्नत रहेl लोगों को अपनी बातों से अपने विचारों से प्रभावित करने में सफल रहे इसलिए अभिमंत्रित की हुई गुंजा को लोग चांदी के या सोने के ताबीज में धारण करते हैं lइसे उनके विरोधी भी उनके मित्र के समतुल्य व्यवहार करने लगते हैंl यह वशीकरण के लिए सबसे प्रबल बीज के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, इसके द्वारा किया गया वशीकरण कभी भी विफल नहीं होता है, किसी व्यक्ति को यदि कोई अपने वश में करना चाहता है, तो विशिष्ट मंत्र के जाप के साथ गुंजा के दानों को अमुक व्यक्ति से वश में करना चाहते हैं, उसके कपड़े में बांधकर रख दें या उसके तकिए में डाल दें।
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अमुक व्यक्ति आपके विरुद्ध कभी भी जाने का प्रयास नहीं करेगा तथा आपकी बातों की अवहेलना नहीं करेगा, आपके मन अनुसार वह व्यक्ति चलेगा तथा आपकी सभी बातों को वह मानने लगेगा, इस प्रकार की क्रिया प्रायः पति पत्नी के बीच पुनः प्रेम स्थापित करने के लिए किया जाता है, या कोई प्रेमिका अपने प्रेमी के प्रेम को प्राप्त करने के लिए ऐसी क्रियाओं का प्रयोग करती है, या प्रेमी अपनी प्रेमिका के प्रेम को प्राप्त करने के लिए यह क्रिया दोहराता है, या अपने कार्य क्षेत्र में अपने प्रबल व्यक्तित्व के स्पष्टीकरण स्वरूप को दर्शाने के लिए भी लोगों के द्वारा इसका प्रयोग किया जाता है।
4. आप यदि स्थाई रूप से माता लक्ष्मी का कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको चिरमी के दाने को या गुंजा (gunja ke upyog) के दाने को पूर्णिमा के दिन अमावस्या के दिन या होलिका दहन के दिन या दिवाली की रात को अभिमंत्रित कर अपनी तिजोरी में अवश्य रखना चाहिए इससे माता लक्ष्मी एवं माता अन्नपूर्णा सदा के लिए आपके घर में निवास करती है, एवं उनकी कृपा से आपके जीवन में कभी भी भौतिक सुख संसाधनों की कमी नहीं रहती है, रूपए पैसे धन दौलत किसी भी चीज में आपको कम नहीं रहते हैं, सदा धन आगमन के मार्ग आपके जीवन में धन की वर्षा करते रहते हैं, तथा आर्थिक स्थिति आपकी सदा मजबूत रहती है।
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