लाजवर्त पहनने की विधि – Lajvart Pahnne Ki Vidhi

लाजवर्त पहनने की विधि – Lajvart Pahnne Ki Vidhi

लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki

 vidhi)

 

 

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लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki vidhi )- नीली आभा युक्त यह रत्न देखने में बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक होता है, तथा यह पूरी तरह से अपारदर्शी होता है। प्राकृतिक रूप से इसके ऊपर भूरा एवं हरे रंग के प्रारूप दिखाई पड़ते हैं। इसके ऊपर काले एवं सुनहरे रंग के रेशे भी दिखाई पड़ते हैंl ज्योतिष विद्या में इस रत्न का अपना ही एक विशिष्ट महत्व है, क्योंकि लाजवर्त रत्न में तीनों पापी एवं क्रूर ग्रहों शनि राहु केतु से संबंधित गुप्त ऊर्जाओं का समावेशन होता है, यही कारण है, कि यह रत्न बहुत विशिष्ट होता है।

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क्योंकि यह तीनों पापी ग्रह जिस भी जातक के ऊपर अपनी नजर डालते हैं। उसके जीवन में अनेक तूफान ला कर रख देते हैं, तथा पूरी जिंदगी उलट-पुलट हो जाती है। यह रत्न अर्जेंटीना, अमेरिका, रूस तथा अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्रों से प्राप्त होता है। विश्व के कई ऐसे और भी देश है जहां से यह अनमोल रत्न प्राप्त होता है। लाजवर्त रत्न की प्राप्ति मार्बल से होता है।

प्रायः लाजवर्त रत्न (lajward ratna dharan karne ki vidhi) मार्बल के अंदर धसा हुआ प्राप्त होता है। इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार के सुंदर एवं आकर्षक आभूषण बनाने में किया जाता है, क्योंकि इसकी मनमोहक रंग सभी के मन को मोह लेती है, तथा इससे बनने वाले आभूषण बहुत ही आकर्षक होते हैं। यही वजह है, कि लाजवर्त रत्न का आभूषण भी लोगों में बहुत लोकप्रिय है, तथा इस के आभूषणों का बहुत प्रचलन भी है।

लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki vidhi)

ज्योतिष शास्त्र में भी लाजवर्त रत्न (lajward ratna pahanne ki vidhi) के बहुत सारे लाभ बताए गए हैं। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को नौकरी- पेशा, व्यापार संबंधित चीजों में आने वाले विघ्न बाधा को यह दूर करता है, तथा स्थिरता प्रदान करता है, एवं दीर्घकालीन सफलता प्राप्त करने में लाजवर्त रत्न बहुत बड़ी भूमिका निभाता है।  लाजवर्त रत्न को धारण करने से विभिन्न प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं में लाभ पहुंचता है, जैसे- रक्तचाप, मिर्गी ,किडनी संबंधित रोग, मानसिक अवसाद, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन ,हृदय की गति को नियंत्रित करता है। रूपए पैसे संबंधित चिंताओं को यह रत्न दूर करता है।

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कर्ज संबंधित चीजों में भी यह रत्न बहुत लाभदायक सिद्ध होता है, तथा कर्ज में डूबे हुए व्यक्ति को उससे उबरने में बहुत मदद करता है। दरिद्रता का नाश करता है। इसके साथ-साथ जातक की आर्थिक व्यवस्था बहुत मजबूत करता है। इसे धारण करने से जातक के परिवारिक संबंध बहुत मजबूत होते हैं। परिवारिक कलह, भेदभाव, क्लेश आदि से उसे निजात मिलता है, तथा परिवार के संबंधों में प्रगाढ़ता आती है। लोग आपस में मिल जुल कर रहते हैं, तथा एक दूसरे को आवश्यकता अनुसार सहायता भी प्रदान करते हैं।

अच्छे सामंजस्य होने की वजह से घर परिवार में सुख शांति बनी रहती है। जीवन में घटने वाली आकस्मिक दुर्घटना हो या किसी प्रकार की आकस्मिक बाधा या अशुभ घटना या फिर किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को यह दूर रखता है। लाजवर्त रत्न (lajward stone dharan karne ke fayde) की यह खासियत होती है, कि जातक को नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त कर देता है, तथा लोगों के मन में गलत भावना ,बुरी नजर या लोगों के द्वारा किसी भी प्रकार की नकारात्मक विचार को भी लाजवर्त रत्न पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता है।

लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki vidhi)

जातक के ऊपर ऊपरी बाधा तंत्र मंत्र नजर दोष संबंधित चीजें पूरी तरह से विफल हो जाती है। आध्यात्मिक गुणों से युक्त लाजवर्त रत्न अध्यात्म के विभिन्न आयामों में भी सफलता दिलाने में यह रत्न बहुत कारगर सिद्ध होता है। लाजवर्त रत्न को धारण करने से जातकों को सांसारिक सुख की कमी नहीं रहती है।  विभिन्न प्रकार के आय के स्रोत बनते हैं, जिससे उनके जीवन में अनेक भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। लाजवर्त रत्न (lajward stone Pahanne ke fayde) चित को काफी बहुत शांत रखता है। शनि राहु केतु के द्वारा दिए जा रहे नकारात्मक प्रभाव को भी यह रत्न पूरी तरह से नष्ट कर देता है। आलस्य एवं सुस्ती को दूर कर जातक को ऊर्जावान बनाता है। उपयोगकर्ता अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी निष्ठा भाव रखता है।

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लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki vidhi )- इस रत्न को मंगलवार के दिन या शनिवार के दिन पहना जा सकता है। शनिवार के दिन अखबार आदि से निवृत्त होकर सर्वप्रथम इस रत्न को गंगा जल एवं पंचामृत से धूल कर पूजा के स्थान पर किसी साफ एवं स्वच्छ कपड़े के ऊपर रख दें। उसके बाद एक तेल का दीपक उसके समक्ष जलाएं एवं लॉन्ग कपूर तथा गूगल से उसकी आरती उतारे। शनि के मंत्र जितना हो सके उतना अधिक उच्चारण करें। इससे धीरे-धीरे लाजवर्त रत्न (lajward stone dharan vidhi) की ऊर्जा जागृत होने लगेगी।

इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा उच्चारित किया जा रहा मंत्र की शब्दावली या वर्तनी पूरी तरह से शुद्ध हो आप चाहे तो राहु या केतु के बीज मंत्र से भी लाजवर्त रत्न  को अभिमंत्रित कर सकते हैं। यदि खुद करने में असमर्थ हैं, तो किसी विद्वान पंडित के द्वारा भी इसे अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर सकते हैं। इसे आप सूर्य उदय से पूर्व या संध्या बेला में सूर्य अस्त के बाद धारण कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को धारण करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। अभिमंत्रित करने के पश्चात सबसे पहले लाजवर्त रत्न (lajward pathar ke fayde) को हनुमान मंदिर लेकर जाकर भगवान हनुमान जी के चरणों में इसे रख दें।

लाजवर्त पहनने की विधि(lajvart pahnne ki vidhi)

तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के पश्चात इसे मन इक्षित कार्य को बोलते हुए धारण करें इसे दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली या बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में धारण किया जा सकता है, जिस भी दिन धारण करें उस दिन वर्जित चीजों का सेवन से बचें एवं वाद-विवाद से भी जितना हो सके खुद को दूर रखें। भूल कर भी किसी को करकस शब्द ना कहें। इसे चांदी में धारण किया जा सकता है। इसके साथ-साथ पंच धातु है, या अधातु यदि इन दोनों में धारण किया जाए तो भी बहुत लाभ प्राप्त होता है।

किसी दिव्यांग व्यक्ति की मदद अवश्य करें इसके साथ-साथ भूखे को भोजन अवश्य कराएं। अपने गुरु को भी कुछ अपनी श्रद्धा भाव से जरूर अर्पण करें एवं उनका आशीर्वाद भी अवश्य लें, जिससे, लाजवर्त रत्न की ऊर्जाए और अधिक बलवान हो सके एवं तीव्रता के साथ आपके कार्यों को पूर्ण करने में गतिमान हो सके।  बहुत से लोगों के द्वारा लाजवर्त रत्न (lajward pathar pahanne ki vidhi) के लॉकेट या ब्रेसलेट भी धारण किए जाते हैं,  किंतु धारण करने से पूर्व उसे अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर ले तभी उसे धारण करें।  जिससे आपको उसका सर्वोत्तम लाभ प्राप्त हो सके।

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