माणिक रत्न किस दिन धारण करना चाहिए – Manik Ratna Kis Din Dharan Karna Chahiye

माणिक रत्न किस दिन धारण करना चाहिए – Manik Ratna Kis Din Dharan Karna Chahiye

 

माणिक रत्न किस दिन धारण करना चाहिए –

Manik Ratna Kis Din Dharan Karna

 Chahiye

माणिक रत्न किस दिन धारण करना चाहिए – लोगों के मन में यह प्रश्न बहुत बार आता है, क्योंकि यदि सटीक ज्ञान नहीं हुआ और कोई गड़बड़ी हो गई तो उस रत्न के लाभ के जगह हमें हानि भी हो सकती है।

 

 

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माणिक रत्न (manik ratna kaisa hota hai) एक रत्न होता है, जो कि सृष्टि के पिता सूर्य देव को समर्पित होता हैl यह रत्न देखने में बिल्कुल कमल फूल के वर्ण के समान गुलाबी होता हैl इस रत्न का रंग देखने में बिल्कुल गुलाब की पंखुड़ियों के रंग के समान सुंदर एवं मनमोहक होता हैl इसकी गुलाबी रोशनी जब भी हम देखते हैं। हमारे मन मस्तिष्क पर इसकी छवि अमिट हो जाती है, इसके साथ-साथ यह हमारे मन मस्तिष्क को शांति एवं शीतलता प्रदान करती हैंl माणिक रत्न सूर्य ग्रह से संबंधित विकारों में बहुत कारगर होता है। कभी-कभी माणिक रत्न सूर्य ग्रह की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए भी धारण किया जाता है।

माणिक रत्न (manik ratna kis din pahanna chahiye) का रंग इसमें मौजूद प्राकृतिक रूप से अशुद्धियों के वजह से गुलाबीl होता है। यह एक महंगा रत्न है, जिसकी वजह से कभी कभी लोगों के द्वारा इसके उपरत्न भी धारण किया जाता है। इसके ज्योतिषीय विज्ञान में बहुत अधिक महत्व बताएं ही गई हैl इसके साथ साथ माणिक रत्न (manik ratna kis din pahne) का औषधीय गुण भी कुछ कम नहीं होता है। विश्व के प्रत्येक क्षेत्र में माणिक रत्न का अलग-अलग नाम इसके विशेषता के वजह से दिया गया है, तथा विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में माणिक रत्न के रंगों में भी विविधता देखने को मिलती है, जिसके कारण इसकी शक्तियां भी सभी में थोड़ी बहुत अलग अलग हो सकती हैl माणिक रत्न म्यानमार के खदानों से सबसे उत्कृष्ट गुणवत्ता वाला पाया जाता है, वैसे माणिक रत्न का भंडार बहुत से देशों में पाया जाता हैl जैसे -भारत, श्रीलंका ,अफगानिस्तान ,चीन आदि।

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प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न की सुंदरता एवं भव्यता देखते ही बनती है, माणिक रत्न देखने में बहुत ही आकर्षक एवं पारदर्शी होता है lसूर्य की किरने जब इस पर पड़ती है, तब इससे गुलाबी रंग की रोशनी प्रतीत होने लगती है lयह इसके शुद्ध होने का सबसे बड़ा प्रमाण होता है। ऐसा माना जाता है, कि जब शुद्ध मानिक के रत्न को गाय के शुद्ध दूध में रखा जाए तो उस दूध का रंग गुलाबी करने की क्षमता माणिक रत्न (manik ratna kis din dharan kare) में होती है, तथा जब आप माणिक रत्न को उससे बाहर निकालेंगे तो देखेंगे कि इस की चमक पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गई है।

हीरे के बाद सबसे कठोरतम तत्व मानिक के रत्न (manik kis din dharan kiya jata hai) को माना जाता है, जिसकी वजह से इसकी कठोरता बहुत अधिक होती हैl इसके साथ साथ इस का गलनांक भी बहुत अधिक होता है, इसलिए जब इसकी शुद्धता की पहचान की जाती है, तब इसे ताप पर रखा जाता है, और देखा जाता है, कि इसमें कोई बदलाव आया है, या नहीं आया है, यदि इसके रंग में या इसके आकार में किसी प्रकार का भेजा जाता है, तो माना जाता है, कि वह रत्न मानिक के नहीं है, बल्कि कृत्रिम रूप से निर्मित विभिन्न प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया के द्वारा इसे प्रयोगशाला में निर्मित किया गया है, इसलिए प्राकृतिक रूप से इसमें इस भौतिक गुण की कमी होती है, और भी पैमाने होते हैं, जिससे यह जांच की जा सके कि रत्न असली है, या नकली है।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि हम रत्नों को विधिवत तरीके से धारण करें तो हमें उसके लाभ कई गुना प्राप्त हो सकते हैं lइसी वजह से विभिन्न ग्रहों से संबंधित विभिन्न रत्नों को धारण करने के लिए अलग-अलग दिन एवं अलग-अलग समय बताया गया हैl यहां तक कि कौन से नक्षत्र में बताया गया है, इन सब के पीछे का कारण केवल यही है, ताकि जो भी जातक कोई भी रत्न धारण करें विधिवत तरीके से तो उसे संपूर्ण लाभ की प्राप्ति हो तथा उसके जीवन में उस रत्न के स्वामी ग्रह का आशीर्वाद उसे सदा प्राप्त होता रहे और जातक की हर इच्छा पूर्ण होती रहे, जैसे -बुध ग्रह से संबंधित पन्ना रत्न को बुधवार के दिन धारण करने के लिए बताया गया है, जिससे बुध की विशेष कृपा जातक को प्राप्त हो lउसी प्रकार पुखराज रत्न (manik ratna ke labh) को गुरुवार के दिन धारण क्योंकि गुरुवार का दिन गुरु बृहस्पति से संबंधित होता है।

इसी तरह नीलम रत्न को शनिवार के दिन धारण किया जाता है, क्योंकि शनि ग्रह का सबसे उत्तम एवं पवित्र दिन शनिवार के दिन माना जाता है, जिसकी वजह से शनि से संबंधित विभिन्न रत्नों तथा उप रत्नों को शनिवार के दिन धारण किया जाता हैl प्रत्येक ग्रह का अपना एक विशिष्ट दिवस होता है lउस विशिष्ट दिवस के दिन उसकी शक्तियां चरमोत्कर्ष पर रहती है, जिसकी वजह से विद्वान लोगों के द्वारा उस विशिष्ट दिन पर धारण करने की सलाह दी जाती है। माणिक रत्न (manik ratna dharan karne ke fayde) को किस दिन पहने जिससे हमें सर्वोत्तम लाभ प्राप्त हो सकता है, जानने का प्रयास करते हैं।

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सूर्य से संबंधित नक्षत्र होते हैं। कृतिका नक्षत्र ,उत्तरा फाल्गुनी, नक्षत्र उत्तराषाढ़ा नक्षत्र lनक्षत्रों का भी हमारे जीवन पर बहुत व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता है इसलिए जिस ग्रह का रत्ना धारण करने जा रहे हैं। उसे संबंधित शुभ नक्षत्र को ध्यान में रखकर इस रत्न को धारण करना चाहिएl जब कभी उस शुभ नक्षत्र का गोचर हो रहा हो तब विशिष्ट रत्न धारण करने से उसमें अविश्वसनीय शक्तियां विद्यमान रहती है, जिससे जातक को अप्रतिम रुप से लाभ प्राप्त होता है। माणिक रत्न को रवि पुष्य योग में धारण करना सबसे उपयुक्त माना गया है। माणिक रत्न (manik ratna dharan karne se kya hota hai) को धारण करने का सबसे शुभ दिन सबसे पवित्र दिन सबसे मंगलकारी दिन रविवार को बताया गया है, क्योंकि सूर्य से संबंधित सप्ताह के दिनों में रविवार के दिवस को ही माना गया है।

माना जाता है, कि इस दिन सूर्य की ऊर्जा अपने चरमोत्कर्ष पर रहती है, जिसकी वजह से इस दिन सूर्य से संबंधित कार्यों को पूर्ण करना चाहिए, जिससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त हो एवं सूर्य ग्रह की सकारात्मक ऊर्जा हमें प्राप्त हो तथा सूर्य ग्रह की कृपा से हमारा जीवन सफल हो जाए कुछ बातों को ध्यान रखना आवश्यक है lआप माणिक रत्न (manik ratna ki jankari) को रविवार के दिन धारण कर सकते हैं, उनको इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा माणिक रत्न पूरी तरह से विधि पूर्वक अभिमंत्रित किया गया हो एवं पूरी तरह से उसका शुद्धिकरण किया गया हो तभी जाकर उस रत्न की शक्तियां जागृत होंगी एवं अपना विस्तृत सकारात्मक प्रभाव आपके जीवन पर दिखाएंगी।

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