नीलम रत्न कब पहनना चाहिए – Neelam
Ratna Kab Pahanna Chahiye
नीलम रत्न कब पहनना चाहिए -(neelam ratna kab dharan karen) हमारे मन में यह प्रश्न तब उठने लगता है, जब हमें किसी के द्वारा यह सलाह दी जाती है, कि तुम्हारी स्थिति बहुत ही दयनीय है, तथा तुम्हारी कुंडली के अनुसार नीलम रत्न को यदि तुम धारण करोगे तो तुम्हारी परिस्थितियों में सुधार आने लगेगा, तब हमें लगता है, कि कैसे हम जल्द से जल्द नीलम रत्न को धारण करें तथा इसका सर्वोत्तम लाभ जल्द से जल्द पा सकेl ताकि हमारे जीवन में जितनी भी समस्याएं चल रही है, उन सभी का निदान हम जल्द से जल्द पा सके।
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नीलम रत्न (neelam ratna kab dharan karna chahiye) देखने में नीला वर्ण का होता है, तथा यह शनिदेव से संबंधित रत्न होता है। इससे नीली रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई देती है, जो हमारे मन मस्तिष्क पर गहरा छाप छोड़ती हैl शनिदेव हमारे जीवन में स्थायित्व लाने के लिए जाने जाते हैंl शनि ग्रह नौकरी पेशा तथा आजीविका का मुख्य कारक माने जाते हैंl इनके कृपा प्राप्ति के बिना आप किसी भी तरह के जीविकोपार्जन, नौकरी पेशा या आजीविका जैसे चीजों में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते हैं lयही हमारे जीवन जीने का आधार होता है, और इन सभी की प्राप्ति हमें शनिदेव की कृपा से होता है, और शनि देव की कृपा को हासिल करने में नीलम रत्न बहुत कारगर होता है।
शनि ग्रह तथा सूर्य ग्रह में बिल्कुल भी नहीं बनती हैं, हालांकि सूर्य देव और माता छाया के पुत्र हैं, शनिदेव फिर भी अपने पिता से वह बहुत क्रोधित रहते हैं, क्योंकि उनके पिता के द्वारा उनकी माता जी का भरी सभा में अपमान किया गया था जिस बात से आहत होकर शनिदेव अपने पिता का साम्राज्य हमेशा के लिए त्याग दिया था और भोलेनाथ शिव शंभू की आराधना की जिसके पश्चात शिव शंभू जी के द्वारा इन्हें वरदान में तीनों लोकों का दंडाधिकारी तथा मुख्य न्यायाधीश होने का वरदान प्राप्त हुआ उन्होंने यह वरदान दिया कि उनके न्याय के डंडे से कोई भी मतलब कोई भी नहीं बच सकता है, चाहे वह तीनों लोगों में से कोई भी हो देवता हो गन हो मनुष्य हो राक्षसों या वह किसी भी योनि का हो उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, और यह भी साथ में वरदान दिया कि शनिदेव अपने अनुसार उसे दंडित कर सकते हैं।
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इसलिए ऐसा माना जाता है, कि शनिदेव जब किसी को दंड देने पर आते हैं, तो जन्म जन्मांतर तक उसे उसके पापों का पश्चाताप करना ही पड़ता है, उसके द्वारा किए गए बुरे कर्मों का फल उसे भुगतना ही पड़ता है, यह चाहे कितने भी जन्म क्यों ना लेना पड़े शनि देव को पितृ शत्रु कहकर संबोधित किया जाता है, तथा जहां तक सूर्य की किरणों का साम्राज्य समाप्त होता है, वहां से शनिदेव का साम्राज्य शुरू होता है, इसी वजह से शनि से संबंधित विभिन्न प्रकार की क्रिया कलाप जब हमारे द्वारा किया जाता है, चाहे वह पूजा-अर्चना ही क्यों ना हो वह या तो सूर्य उदय से पूर्व किया जाता है, या सूर्य देव के अस्त होने के पश्चात उनकी पूजा आराधना की जाती है, आइए जानते हैं, कि इस सौभाग्यशाली रत्न नीलम (neelam ratna pahanne ke labh) रत्न को कब हम धारण करें जिससे हमें उसका उत्कृष्ट लाभ प्राप्त हो-
1. सर्वप्रथम नीलम रत्न को सबसे पहले उपयुक्त धातु में जरित करवाएं, जैसे –नीलम रत्न के लिए सबसे उपयुक्त धातु माना गया है, सोना प्लैटिनम या सबसे उत्कृष्ट या सर्वोत्तम कह सकते हैंl पंचधातु जिसमें रंगा, सोना, चांदी, लोहा, जस्ता आदि का मिश्रण होता है। इनमें से किसी भी धातु में आप नीलम रत्न (neelam ratna kab dharan kare) को पिरो सकते है।
2. शनि से संबंधित सबसे शुभ नक्षत्र पुष्य नक्षत्र उत्तराभाद्रपद नक्षत्र चित्र नक्षत्र स्वाति नक्षत्र धनिष्ठा नक्षत्र शतभिषा नक्षत्र को माना जाता है lअतः कैलेंडर से आप इन सभी नक्षत्रों के बारे में जानकारी पा सकते हैं, तथा देख सकते हैं, कि कब इनका गोचर हो रहा है, तब नीलम रत्न (neelam ratna ki jankari) धारण करना सबसे शुभ रहता है।
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3. आपके द्वारा बनाई गई नीलम रत्न (neelam ratna kab pehne) की अंगूठी कम से कम 5 रत्ती की होनी चाहिए उससे कम बिल्कुल भी धारण ना करें, अन्यथा आपको उचित लाभ प्राप्त होने में काफी वक्त लग सकता है।
4. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर नीलम रत्न को गंगा जल तथा पंचामृत से शुद्धिकरण करें स्नान कराएं।
5. उसे अपने घर के मंदिर में किसी कपड़े के ऊपर रखकर धूपबत्ती कपूर, गूगल, आदि दिखाएं।
6. उसके पश्चात आप शनि ग्रह के बीज मंत्रों का जप करें आप जितना हो सके उतना अधिक शनि मंत्रों का उच्चारण करें या यदि आप खुद नहीं कर सकते हैं, तो किसी विद्वान पंडित के द्वारा भी आप मंत्रों का जप करवा सकते हैं, तथा इससे आपका जो नीलम रत्न है। उसकी ऊर्जा शक्ति जागृत हो जाएगी तथा वह अपना कार्य करने के लिए बिल्कुल तैयार होने लगेगा वह पूरी तरह से अभिमंत्रित होने लगेगा इसलिए जब आप मंत्रों का उच्चारण करें तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके द्वारा उच्चारित की जा रही मंत्र का एक एक शब्द शुद्ध हो अन्यथा उसके परिणाम आपको प्रतिकूल भी प्राप्त हो सकते हैं, इसलिए जब आप नीलम रत्न (neelam ratna ke fayde) को अभिमंत्रित करें तो शुद्धता पूर्वक मंत्रों का उच्चारण करें एवं मंत्रों का जब आप जितना अधिक करेंगे उतना प्रबल शक्तिशाली यह रत्न बनेगा।
7. उसके पश्चात किसी मंदिर आदि में ले जाकर इसे भगवान के चरणों में रख दें यदि यह मंदिर बजरंगबली का हो या भोलेनाथ का हो तो अति उत्तम होगा उसके पश्चात आप भगवान जी का आशीर्वाद प्राप्त करें तथा पंडित जी का भी आशीर्वाद ले उसके बाद आपके मन में जो भी इच्छाएं हैं, जो भी मनवांछित इच्छा है, जिसकी पूर्ति के लिए नीलम रत्न धारण कर रहे हैं, उसे बोलते हुए नीलम रत्न धारण करें।
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8.नीलम रत्न को धारण करने का सबसे उपयुक्त समय मध्य रात्रि को बताया गया है, या सबसे उपयुक्त समय सूर्य उदय से पूर्व माना गया है।
9. नीलम रत्न (neelam ratna dharan karne ke fayde) को धारण करने के पश्चात आपको कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी चाहिए, जैसे- भूलकर भी किसी का भी अपमान ना करें विशेषता जो लोग किसी प्रकार के मुसीबत में हो या कोई मजदूर वर्ग या कोई दिव्यांग हो। कभी भी उनको कटु वचन ना करें तथा उनका अपमान बिल्कुल भी ना करें इस दिन आपको मांस मदिरा जैसे चीजों से दूर रहना है, तथा खुद को जितना हो सके वर्जित चीजों से दूर रखें, मन में शुद्धता बनाए रखें।
10. आपको इस दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य कराना है lयदि संभव हो तो उसे कुछ कपड़े आदि भी आप दे सकते हैं, या आप किसी प्रकार से भी किसी जरूरतमंद की सहायता अवश्य करें इससे शनिदेव बहुत ही प्रसन्न होते हैं, तथा इतनी तीव्र गति के साथ नीलम रत्न (neelam ratna kab pahna jata hai) अपना अनुकूल प्रभाव आपके जीवन पर दिखाएगा तथा आपके जीवन में हमेशा शनिदेव की कृपा प्राप्त होती रहेगी।
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