नीलम रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए – Neelam Ratna Kise Nahin Pahanna Chahiye

नीलम रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए – Neelam Ratna Kise Nahin Pahanna Chahiye

 

नीलम रत्न किसे नहीं पहनना चाहिए –

Neelam Ratna Kise Nahin Pahanna

 Chahiye

नीलम रत्न किसे पहनना नहीं चाहिए यह जानना बहुत आवश्यक है, क्योंकि हर चीज हर किसी को नहीं धारता है, एवं हर किसी को हर चीज से अनुकूल लाभ प्राप्त नहीं हो सकता है, इसलिए हमें सटीक जानकारी होना चाहिए कि नीलम रत्न किसे धारण करना चाहिए, तथा उसके जीवन पर इसके क्या क्या प्रभाव पड़ सकते हैं ??किन किन पहलुओं को जांचने के पश्चात नीलम रत्न (neelam ratna kis ko nahi pahanna chahiye) धारण किया जा सकता है।

 

 

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नीलम रत्न (neelam kise nahi pahanna chahiye) शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, तथा यह एक बहुत ही चमत्कारी महारत्न है, जो हमें पृथ्वी के गर्भ गृह से प्राप्त होता है, इसके खदान विश्व के विभिन्न देशों में दुर्लभ जगहों पर उपलब्ध है, जहां से इसका खनन करना एक असंभव कार्य है, किंतु नीलम रत्न की इतना अधिक लाभ हमारे जीवन पर देखने को मिलता है, कि लोग अपनी जान की बाजी लगाकर भी इस रत्न को हासिल करने का पूरा प्रयास करते हैं।
यह रत्न शनि के दुष्प्रभाव को कम करने की क्षमता रखता है, तथा उसके नकारात्मकता को खत्म कर विभिन्न अनुकूल परिणाम हमारे जीवन में लाता है।

नीलम रत्न के विभिन्न रंग भी होते हैं। यह केवल नीला वर्ण का नहीं होता है। इसके रंग पीला , गुलाबी, नारंगी ,सतरंगी, रंग बदलने वाला नीलम आदि भी हो सकता है, किंतु लोगों के द्वारा सबसे अधिक नीला नीलम ही प्रयोग में लाया जाता है, क्योंकि बाकी रंग के नीलम रत्न बहुत ही दुर्लभ है, तथा विभिन्न विकट परिस्थितियों को पार करने के बाद ही नीलम के रंग-बिरंगे रत्न प्राप्त होते हैं। पूरे विश्व में सबसे उत्तम गुणवत्ता वाले नीलम रत्न (neelam kis ko nahi pahanna chahiye) जम्मू कश्मीर के पदार पहाड़ियों से प्राप्त होता हैl इस नीलम की खासियत यह होती है, कि और जो नीलम पूरे विश्व के विभिन्न देशों से जो प्राप्त होता है, उसमें से सबसे अधिक नीला वर्ण यही का नीलम का होता है।

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इसी वजह से इसका मूल्य बहुत अधिक होता है, इसे खरीदना सब के बस की बात नहीं होती है। हर कोई यहां के नीलम को खरीद नहीं सकता है, किंतु आमतौर पर बाजारों में जम्मू काश्मीर का ही नीलम रत्न बोलकर बेचा जाता है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं होता है, क्योंकि लद्दाख तथा कश्मीर के बीच स्थित पाडर पहाड़ियों से बहुत कम मात्रा में इसका खनन होता है, और यहां से खनन करना इतना आसान नहीं है, l9 महीने तक यह जगह बर्फ से ढकी हुई रहती है, तथा यहां पहुंचने के दुर्लभ रास्ते विभिन्न प्रकार के संकटों से घिरे हुए रहते हैं। लोग जान की बाजी लगा कर यहां का नीलम रत्न (neelam ratna kaun nahi pahan sakta hai) हासिल करते हैं।

भारत में नीलम रत्न की मांग अधिक है, किंतु इसकी पूर्ति बहुत कम हो पाती है, और उड़ीसा की गंजाम जिले से भी नीलम पत्थर पाया जाता है, किंतु पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होने की वजह से पूर्ति नहीं हो सकती है इसलिए नीलम पत्थर का आयात भारत मुख्यतः श्रीलंका से करता है, क्योंकि विश्व में श्रीलंका के नीलम भी उसकी गुणवत्ता के लिए काफी प्रसिद्ध है, वैसे और भी बहुत से पड़ोसी राज्य हैं, जिससे भारत नीलम रत्न (neelam ratna kaun dharan kar sakta hai) को आयात करता है। यह रत्न है, ही इतना अमूल्य तथा अपने अंदर विभिन्न प्रकार की शक्तियों को समाहित किए हुए कि लोग इसके उपयोग एवं इसके चमत्कार के बारे में जानकर इसको धारण करते हैं।

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नीलम रत्न के चमत्कारिक लाभ के अलावा विध्वंसक परिणाम भी है, जो यदि नीलम रत्न (neelam ratna dharan karne ke fayde) किसी को नहीं धारता है, तो ऐसी परिस्थिति में निम्न प्रकार की घटनाएं घटने लगती है- विभिन्न प्रकार की आकस्मिक दुर्घटनाएं घटनी शुरू हो जाती हैं। लोगों से लड़ाई झगड़े आदि बढ़ जाते हैंl रुपयों पैसों की तंगी छा जाती है। आय से अधिक व्यय होता है, किसी भी परिस्थिति में लोगों का यह घर वालों का सहयोग प्राप्त नहीं होता है। बहुत से डरावने सपने आने लगते हैं, तथा अनिद्रा जैसी बीमारी घेर लेती है। मन में बहुत चिड़चिड़ा हट पन गुस्सा आदि भर जाता है, वह बिल्कुल लोगों से कटा छटा रहने लगता है। भावनात्मक स्तर पर भी खुद को अकेला पाता हैl दांपत्य जीवन में भी उसके बहुत से बुरे प्रभाव पड़ने लगते हैंl एकाग्रता की कमी आने की वजह से कोई भी काम ठीक ढंग से समाप्त नहीं कर खुद को कम ऊर्जावान महसूस करने लगता है, जिससे कामों को डालने की आदत लग जाती है, या फिर वह इंसान बहुत आलसी हो जाता है। विभिन्न प्रकार की बीमारियां उसे घेरने लगती हैं।

नीलम रत्न कौन धारण नहीं कर सकता या किसे नहीं पहनना चाहिए या किन परिस्थितियों में इसे धारण नहीं करना चाहिए आइए जानते हैं-

1. यदि जातक की कुंडली में शनि देव का सूर्य देव चंद्र देव मंगल से युक्ति अथवा दृष्टि योग्य संबंध स्थापित हो रहा है, तो ऐसी परिस्थिति में नीलम रत्न (neelam ratna pahanne ke fayde) धारण नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसे में उसके और भी बने बनाए इस कार्य बिगड़ने लगेंगे तथा उसके कोई भी कार्य पूरे नहीं होंगे। नवीनतम कार्यों की शुरुआत वह कभी भी नहीं कर पाएगा।

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2. यदि किसी जातक की कुंडली में यदि शनि ग्रह निर्बल स्थिति में हो एवं तथा शनि ग्रह शुभ भाव के स्वामी हो या उसके अनुकूल हो तो ऐसी परिस्थिति में जातक को किसी विद्वान पंडित अथवा ज्योतिषी की सलाह पर ही नीलम रत्न (neelam ratna pehne ke fayde) धारण करें अन्यथा आपको भयंकर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

3. किसी जातक की कुंडली मैं यदि शनि लग्न पंचम या 11 वे स्थान पर हो तो भी नीलम रत्न धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे वह स्वयं ही अपने कार्यों को खराब करने की कोशिश करने लगेगा तथा विभिन्न प्रकार की मानसिक बीमारियों की चपेट में आ सकता है।

4. किसी जातक की कुंडली में यदि शनि राहु या शनि मंगल कुंडली के छठे आठवें और बारहवें भाग में स्थित हो तो नीलम रत्न (neelam ratna ke fayde) धारण नहीं करना चाहिए, इससे जातक को विभिन्न प्रकार के अनिष्टओं का सामना करना पड़ सकता है।

किसी भी प्रकार के रत्न बिना सटीक जानकारी के कभी भी धारण नहीं करना चाहिए, क्योंकि आम जन इसके परिणामों से अपरिचित रहते हैं, तथा यह भविष्य में आपकी जीवन की गाड़ी को किस ओर ले जाएंगे यह कहना असंभव है lअतः अपने जन्म समय तथा जन्म स्थान की सटीक गणना के आधार पर कुंडली बनवाए तथा उसका अच्छे से विश्लेषण करवाने के पश्चात ही कोई भी रत्न धारण करें।

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