लाजवर्त स्टोन किसे पहनना चाहिए – Lajvart stone kise Pahanna Chahiye

लाजवर्त स्टोन किसे पहनना चाहिए – Lajvart stone kise Pahanna Chahiye

 

लाजवर्त स्टोन किसे पहनना चाहिए- Lajvart

 stone kise Pahanna Chahiye

शनि से संबंधित एक अद्वितीय रत्न है, जो देखने में ब्लू या काले रंग का होता है, तथा इस पर प्राकृतिक रूप से विभिन्न प्रकार की आकृतियां विद्यमान रहती हैl इसके अंदर भी विभिन्न रंग जैसे सुनहरा या चांदी के रंग के समान आकृति बिंदु या रेखाएं आपको देखने को मिल सकती हैl बहुत ऐसे लोग होते हैं। जिन की लग्न कुंडली के अनुसार उन्हें नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, किंतु पैसे की कमी हो या फिर कोई और वजह जैसे रत्न नकली निकलने के डर से भी बहुत से लोग रत्नों के उपरत्न धारण करते हैं, इसलिए जिन लोगों को नीलम रत्न धारण करने में दिक्कतें होती हैl ऐसी परिस्थिति में उनके द्वारा लाजवर्त रत्न (lajward ratna benefits in hindi) धारण किया जाता है, तथा उसके लाभो को प्राप्त किया जाता है।

लाजवर्त रत्न को निम्नलिखित स्थितियों में धारण किया जा सकता है-

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1. जिन जातकों की महादशा अंतर्दशा शनि की ढैया या फिर शनि की साढ़ेसाती जैसी दशा चल रही होl जिससे उनका जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया हो तो ऐसी परिस्थिति में लाजवर्त रत्न को धारण किया जा सकता है, तथा शनि ग्रह के द्वारा दिए जा रहे दुष्प्रभाव को या शनि ग्रह के द्वारा दिए जा रहे प्रतिकूल प्रभाव को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है, तथा उसमें जातक को इसे धारण करने से सकारात्मक एवं अनुकूल लाभ प्राप्त हो सकते हैंl जातक के जीवन में जो खराब परिस्थितियां विभिन्न प्रकार की विघ्न व्याधि उत्पन्न कर रही हैl उसमें बहुत हद तक कमी आती है, जिसकी वजह से जातक को काफी राहत महसूस होता है।

2. बहुत से ऐसे जातक होते हैं, जिनकी लग्न कुंडली में शनि ग्रह की स्थिति दूषित होती है, जिसकी वजह से जातक को शनि ग्रह की कुदृष्टि का सामना करना पड़ता है, एवं उसकी स्थिति को दयनीय बनाने में शनि ग्रह कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैंl ऐसी स्थिति में लाजवर्त रत्न धारण करना सबसे सर्वोत्तम माना जाता है, जिसके जातक को शनि ग्रह की कुदृष्टि से थोड़ी राहत प्राप्त हो सकेl शनि की दूषित अवस्था को भी लाजवर्त रत्न (lajward stone Pahanne ke fayde) दूर करता है, जिससे जातक की चिंताएं थोड़ी कम होती है एवं उसकी स्थिति में धीरे-धीरे ही सही किंतु सुधार होना शुरू हो जाता है।

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3. ज्योतिषीए गणना के आधार पर ऐसा माना जाता है, कि मिथुन राशि कन्या राशि ,तुला राशि, मकर राशि तथा कुंभ राशि वाले लोगों को नीलम रत्न धारण करना चाहिए इन राशियों के स्वामी के साथ शनि ग्रह की मित्रता होती है, तथा शनि ग्रह उनसे मित्रता का भाव रखते हैं एवं किसी भी परिस्थिति में ऐसे जातकों का अधिक नहीं करते हैं इसलिए इस रत्न का और अधिक लाभ उठाने के लिए यह रत्न धारण किया जाता हैl

4. मकर एवं कुंभ लग्न के व्यक्ति को नीलम अवश्य धारण करना चाहिए lइससे उनके प्रगति के सारे मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं, तथा बिना किसी अवरोध के वहां स्वर्णिम स्तर की सफलता को प्राप्त करते हैं, उनके जीवन में बहुत सी ऐसी अनुकूल घटनाएं घटती है, या बहुत से अनुकूल अवसर प्राप्त होते हैं, जिनमें अपनी विशिष्ट कौशलों का प्रदर्शन कर अपनी पद प्रतिष्ठा में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं, तथा मान सम्मान प्राप्ति के भी योग इस रत्न को धारण करने से बनते हैंl

5. लाजवर्त रत्न (lajward ratna ki jankari) को धारण करने से पूर्व कुंडली के चौथे पांचवे 10वें एवं 11 वे भाव में शनि ग्रह की क्या स्थिति होती हैl उसको जांचने परखने एवं विशिष्ट अवलोकन करने के पश्चात कि लाजवर्त रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है।

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6. किन्ही- किन्ही जातकों की लग्न कुंडली में शनि ग्रह कमजोर होते हैं, या फिर वक्री होते हैंl ऐसी परिस्थिति में उन्हें अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, एवं मानहानि व्यापक स्तर पर उन्हें झेलना पड़ता हैl ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए जातक को लाजवर्त रत्न (lajward ratna kaun pahne) अवश्य धारण करना चाहिए, जिससे स्थिति में सुधार हो एवं उसके अच्छे लाभ जातक को प्राप्त हो तथा उसे कार्यों को टालने या फिर आप जैसी समस्या से छुटकारा प्राप्त हो सकेl

7. यदि शनि ग्रह अपने भाव से छठे या आठवें स्थान पर स्थित होते हैं, या बैठे होते हैं, तो इस अवस्था में लाजवर्त रत्न (lajward ratna ka upyog) धारण करना सबसे सर्वोत्तम माना जाता है, तथा जातक को उसके जीवन पर इसके सर्वोत्तम परिणाम समय के साथ देखने को मिलते हैंl

8. यदि किसी जातक की लग्न कुंडली में शनि ग्रह जन्मांग में शनि गुरु का नागपंचमी योग बन रहा है, तथा शनि ग्रह अन्य किसी ग्रह के प्रतियोग है, तब ऐसी लग्न कुंडली वाले लोगों को लाजवर्त रत्न (lajward ratna dharan karne ke fayde) धारण करने की सलाह दी जाती है, जिससे उनके बहुत से रुके हुए कार्य जल्द से जल्द संपन्न हो एवं शनि ग्रह की कृपा से उनका भाग्य प्रबल हो तथा उनके द्वारा किए जा रहे हैं मेहनत किसी कार्य को पूर्ण करने के लिए पूरी तरह से सार्थक एवं सफल होl

9. शनि ग्रह मुख्यतः कुंभ तथा मकर राशि के शुभ भाव में स्थित होते हैंl इन दोनों राशियों पर उनकी कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है, इसलिए इन दोनों राशियों के लोगों के द्वारा इस विशिष्ट रत्न को अवश्य धारण किया जाना चाहिए तथा इसके लाभों को अवश्य प्राप्त करना चाहिए।

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10. यदि किसी जातक की लग्न कुंडली में मजबूत ग्रह के साथ शुभ स्थान में शनि ग्रह बैठे हैं, अथवा जन्म कुंडली में शनि यदि बली होता है तो उस परिस्थिति में लाजवर्त रत्न (lajward ratna kaun pahan sakta hai) धारण करने से आपको बहुत ही अधिक लाभ प्राप्त होता है, तथा शनि देव की कृपा से आपके जीवन में कभी भी धन-संपत्ति हो या मान सम्मान किसी भी चीज की कमी नहीं होती हैl

11. यदि किसी जातक की लग्न कुंडली में शनि देव अपने भाव के अष्टम स्थान पर स्थित हो तो ऐसी स्थिति में भी लाजवर्त रत्न (lajward ratna kis ko pahanna chahiye) को धारण करना चाहिए, जिससे जातक को इसे धारण करने के पश्चात अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैंl

12. किसी जाता की लग्न कुंडली में शनि ग्रह अपने भाव से अष्टम या छठे भाव में स्थित हो तो भी ऐसी परिस्थिति में इसे धारण किया जा सकता हैl

 

 

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13. यदि जातक के द्वारा किए जा रहे अथक प्रयास के बाद भी उसे सफलता प्राप्त नहीं हो रही है, तथा उसकी परेशानियों में दिनोंदिन बढ़ोतरी होती चली जा रही है lवह कर्मठ होकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत प्रयास कर रहा है, तथा किसी भी परिस्थिति में अपने कर्मों से विमुख नहीं है फिर भी उसे लाभ प्राप्त नहीं हो रहा है, या सफलता प्राप्त नहीं हो रहा है, तो ऐसी परिस्थिति में अपने कुंडली की अच्छे से जांच करवाने के पश्चात लाजवर्त रत्न (lajward ratna pahanne ke fayde) धारण किया जा सकता है, जिससे जातक को उसके भाग्य का साथ प्राप्त हो, जिससे उसका भाग्य प्रबल हो एवं उसके द्वारा किए जा रहे कर्म की प्रधानता को देखते हुए उसे सफलता प्राप्त होl

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