तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Tin Mukhi Rudraksha Ki Pahchan

तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Tin Mukhi Rudraksha Ki Pahchan

 

तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान – Tin Mukhi

 Rudraksha Ki Pahchan

तीन मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ki pahchan kaise kare) बहुत ही सर्वोत्तम माना जाता है, ऐसा माना जाता है, कि इसे धारण करने से हमारे शरीर में ऐसे स्पंदन उत्पन्न होते हैं, जो हमारे विचारों में शुद्धता एवं स्थिरता का भाव उत्पन्न करते हैं lहमारे मन मस्तिष्क एवं हृदय बहुत ही पवित्र भाव से परिपूर्ण होता हैl तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि तत्व की प्रधानता से परिपूर्ण होता है, और इसे किसी भी आयु वर्ग के लोगों के द्वारा धारण किया जा सकता है, तथा इसके लाभों को प्राप्त किया जा सकता हैl इसके कई लाभ हैं lइसमें मौजूद कई प्रकार के उपचारात्मक गुण एवं औषधीय गुणों से परिपूर्ण यह दिव्य मनका कई बीमारियों को पूरी तरह से ठीक करने की क्षमता रखता है, जैसे- पेट से संबंधित कोई अधिकार हो या रक्त से संबंधित कोई भी विकार हो या लीवर से संबंधित कोई भी कार हो ऐसे में तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना बहुत ही लाभप्रद होता है।

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ऐसे लोग जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है, जिसके कारण जीवन में वे लोग आगे बढ़ने में सक्षम नहीं हो पाते हैं lजीवन की गाड़ी आगे बढ़ने में कई प्रकार के अवरोध उत्पन्न होते हैं, जो उनके जीवन में होने वाले भटकाव या अस्थिरता का सबसे बड़ा कारक के रूप में उभरते हैं lउनके निर्णय लेने की क्षमता बहुत ही निम्न होती हैl बहुत ही निम्न स्तर का जीवन भी वह लोग जीते हैंl उनके जीवन में कई प्रकार की चीजों का अभाव रहता है, जिसकी वजह से वे लोग हर वक्त मानसिक दबाव में रहते हैं, एवं उनमें आत्मविश्वास की बहुत अधिक कमी देखने को मिलती है lऐसे लोगों के द्वारा यदि 3 मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha dharan karne ke fayde) धारण किया जाए तो उनके जीवन में अनेक प्रकार के परिवर्तन देखने को मिलते हैंl उनके चेहरे की कांति बढ़ती हैl उनका मन का आत्मविश्वास बढ़ता है।

3 मुखी रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha dharan karne se kya hota hai) धारण करने से मंगल ग्रह से संबंधित कई प्रकार के नकारात्मक चीजों में भी जातक को उत्तम लाभ प्राप्त होता हैl यह मंगल ग्रह के द्वारा दिए जा रहे किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव को दूर करने में सक्षम होता है lइसे धारण करने से समाज में मान-सम्मान, ख्याति प्राप्त होती है lजीवन में सफलता की प्राप्ति होती हैl ऐसे लोग जो आलस्य से से ग्रसित होते हैं lउन लोगों के द्वारा भी यदि 3 मुखी रुद्राक्ष धारण किया जाता है, तो अनेक प्रकार के अच्छे प्रभाव देखने को मिलते हैं lउनकी ऊर्जा शक्ति सुदृढ़ होती है, तथा आलस्य एवं चीजों को डालने जैसी समस्याओं से निदान मिलता है।

तीन मुखी रुद्राक्ष की पहचान –

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1. रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ki pahchan kya hai) की शुद्धता को जांचने के लिए उसे आप कुछ घंटों के लिए पानी में उबालें उसके बाद उसे निकाल कर देखेंl यदि उसके रंग में किसी प्रकार की भिन्नता नहीं उत्पन्न हो रही है, या उसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि उत्पन्न नहीं हो रही है तो उसका अर्थ है कि वह एक असली रुद्राक्ष हैl उसमें किसी भी प्रकार की मिलावट नहीं है, और यदि उबाले के पश्चात किसी भी प्रकार की त्रुटि उसमें आपको नजर आ रही है, तो इसका अर्थ है कि उसे कृत्रिम रूप से किसी लकड़ी के माध्यम से निर्माण किया गया है।

2. प्राकृतिक रूप से ऐसे रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ke fayde) का प्राप्त करना बहुत ही नामुमकिन है, जिन पर भगवान भोलेनाथ से संबंधित विभिन्न प्रकार के चीजों का चित्र अंकित हो- जैसे डमरु, सर्प ,ओम आदिl यदि ऐसी किसी भी प्रकार की रुद्राक्ष आपको बेचा जा रहा है तो उसे आपको बिल्कुल भी खरीदना नहीं चाहिए क्योंकि वह एक नकली रुद्राक्ष है lइस प्रकार की रुद्राक्ष को प्राप्त करने की संभावना बहुत ही कम या यूं कहें कि ना के बराबर होती है।

3. प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष की संरचना बहुत ही संगठित होती हैl यही कारण है, कि वह पानी में नहीं डूबता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष पानी में तैरने लगता हैl हालांकि यह मापदंड किसी रुद्राक्ष के प्रामाणिकता के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है, क्योंकि कई ऐसे लकड़ी है, जो पानी में डूब जाते हैं, इसलिए हो सकता है, कि रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha kaisa hota hai) का निर्माण कृत्रिम रूप से उसी लकड़ी से किया गया हो जो पानी में डूब जाता हैl ऐसे में यह मापदंड अपन उसी लकड़ी से किया गया हो जो पानी में डूब जाता है, ऐसे में यह मापदंड अपनाना पूरी तरह से निरर्थक है।

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4. रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ki pahchan in hindi) में प्राकृतिक रूप से चुंबकीय तत्व पाए जाते हैं lऐसे में जब तांबे के सिक्कों के बीच जब इसे रखा जाता है, तब इसमें गति दिखाई पड़ती है, क्योंकि तांबे के सिक्के इस पर अपना दबाव बनाते हैं, जिसकी वजह से इसमें दिशा परिवर्तन होने लगता है, एवं घूमता है, जबकि ऐसी कोई विशिष्ट गुण रुद्राक्ष में मौजूद नहीं है, तो उसका अर्थ है, कि वह एक नकली रुद्राक्ष है।

5. जिस प्रकार रुद्राक्ष की सत्तह का रंग बाहरी तौर पर होता हैl उसी प्रकार उसकी आंतरिक संरचना भी होती हैl यदि आपको रंगों में भेद दिखाई पड़े तथा बाहरी एवं आंतरिक संरचना में भिन्नता दिखाई पड़े तो इसका तात्पर्य है, कि वह एक नकली रुद्राक्ष है।

6. प्राकृतिक रूप से निर्मित रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ko kaise pahchane) की धारियां बहुत ही स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ती है, जबकि नकली रुद्राक्ष में धारियां आपको व्यवस्थित रूप में दिखाई नहीं पड़ेगी lभले ही कृतिम तौर पर किसी लकड़ी के टुकड़े को रुद्राक्ष का रूप प्रदान करने की पूरी चेष्टा की जाती हैl कुशल कारीगरों के द्वारा नवीनतम यंत्रों का प्रयोग कर उसे हूबहू रुद्राक्ष के समतुल्य बनाने का प्रयास किया जाता है, किंतु फिर भी कुछ ना कुछ त्रुटि रह ही जाती है।

7. सरसों के तेल में जब कुछ घंटों के लिए असली रुद्राक्ष (tin mukhi rudraksha ki jankari) को डालकर छोड़ दिया जाता है, तब उसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है lउसका रंग पहले की अपेक्षा और अधिक गाढ़ा हो जाता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रुद्राक्ष के रंग में साफ परिवर्तन देखने को मिलता है।

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8. जिस प्रकार प्रत्येक मनुष्य की आंखों की पुतलियां अलग अलग होती है, तथा हाथों में बने हुए रेखाएं अलग-अलग होती हैl उसी प्रकार रुद्राक्ष के भी विभिन्न पठारों में कभी भी समानता दिखाई नहीं पड़ती है

 

 

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9. तीन मुखी रुद्राक्ष को जब कड़ी धूप में रखा जाता है, तब वह किसी भी प्रकार से चटकता नहीं है, जबकि नकली रुद्राक्ष चटक जाता है lउस में प्राकृतिक रूप से धूप को बर्दाश्त करने की क्षमता नहीं रहती है, इसलिए उस में दरारें दिखाई पड़ने लगते हैं।

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