चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम – Char Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम – Char Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

 

 4 मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम – Char

 Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम – ऐसा माना जाता है, कि चार मुखी रुद्राक्ष में ना केवल भगवान भोलेनाथ की असीम शक्तियां वास करती है lबल्कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा देवता तथा माता सरस्वती की शक्तियां भी इस चार मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha ki jankari) में समाहित रहती है, इसलिए इनके द्वारा विशिष्ट प्रकार का स्पंदन किया जाता हैl ब्रह्मांड के सकारात्मक ऊर्जाओं का सबसे बड़ा स्रोत के रूप में चार मुखी रुद्राक्ष को अलंकृत किया जाता है, ऐसा माना जाता है, कि इसे धारण करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा सदैव उस व्यक्ति विशेष के ऊपर बनी रहती हैl ऐसा माना जाता है, कि रुद्राक्ष का उद्गम भगवान भोलेनाथ के आंसुओं से हुई हैl जहां जहां उनके अश्रु धाराएं माता धरती की गोद में गिरी है, वहां- वहां माता धरती से रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई है।

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रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha benefits in hindi) एक खास प्रकार के वृक्ष के बीज होते हैं, तथा इनकी खासियत होती है, कि बीज के अंदर भी बीज पाए जाते हैं lयह हिमालय की कंदरा ओ तथा पश्चिमी घाट सहित कुछ हिस्सों में पाए जाते हैंl भारत के अन्य पड़ोसी देश जैसे- मयमार ,नेपाल ,इंडोनेशिया, थाईलैंड आदि कुछ देश इस विशिष्ट संसाधन के रूप में परिपूर्ण माने जाते हैंl

रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha ke fayde) कई अपने अंदर गुप्त शक्तियों को समाहित किए हुए रखता है lयही कारण है, कि सनातन धर्म हो या बौद्ध धर्म या अन्य किसी धर्म के तपस्वी सभी रुद्राक्ष को धारण करने के महत्व को काफी अधिक महत्ता प्रदान करते हैं, इसमें व्याप्त चुंबकीय विद्युत ऊर्जा अनेक तरह से उन्हें लाभ पहुंचाने में समर्थ होता हैl

कोई भी साधु संत हो या तपस्वी उनके द्वारा इस माला का प्रयोग न केवल स्वयं के सुरक्षा चक्र को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है lबल्कि सभी सातों चक्रों को नियंत्रण में रखने एवं उनके ठीक तरीके से क्रियान्वयन करने में भी रुद्राक्ष बहुत ही अलौकिक रूप से सहायक होता हैl इसके साथ ही वे लोग कई जगहों पर भ्रमण करते हैंl उनका पूरा जीवन ज्ञान की प्राप्ति में भ्रमण करते हुए ही निकलता हैl लोगों को सद मार्ग पर लाने में ही गुजरता हैl उनके द्वारा अर्जन किया गया ज्ञान लोगों के भलाई लोगों के कल्याण के लिए लोगों की परिस्थितियों के उत्थान के लिए ही लगाया जाता हैl जनकल्याण ही उनका प्रथम कर्तव्य होता हैl यही कारण है, कि वह लोग एक जगह से दूसरी जगह पर विचरण करते रहते हैं।

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ऐसे में कई स्थानों से गुजरते हैं, जहां की ऊर्जा शक्ति में बहुत अधिक बदलाव देखने को मिलता है, जिसकी वजह से वह लोग अपने रोजमर्रा के जीवन में किसी भी प्रकार के भटकाव को रोकने के लिए भी रुद्राक्ष का उपयोग करते हैं, क्योंकि जब किसी भी व्यक्ति विशेष का स्थान परिवर्तन होता है lतब वह व्यक्ति उस विशिष्ट स्थान की ऊर्जा शक्ति से बिल्कुल अनजान होता है, जिसकी वजह से वहां की नकारात्मक शक्तियां उसे अपने प्रभाव में लेने लगती है lउसे प्रभावित करने लगती उसके मन में कई प्रकार की बेचैनियां उत्पन्न होने लगती हैl कई प्रकार के विकृत विचार उत्पन्न होने लगते हैंl ऐसी स्थिति से स्वयं को सुरक्षित रखने के लिए भी उनके द्वारा रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha upyog kaisa hota hai) का प्रयोग किया जाता रहा है l

रुद्राक्ष केवल सन्यासी, योगी ,तपस्वी आदि लोगों के द्वारा ही नहीं अपितु इसका उपयोग कोई भी कर सकता है lआध्यात्मिक क्षेत्र के अलावा भी इसकी उपयोगिता कई गुना है, जिसके बारे में किसी भी प्रकार का आकलन आम मनुष्य के बस की बात नहीं होती है, किंतु किसी भी चीज की एक नियम एक पद्धति होती है, जिसके माध्यम से हम उसके ऊर्जा शक्ति को ग्रहण कर सकते हैं, ऐसे ही कुछ नियम रुद्राक्ष को धारण करने के लिए बनाए गए हैं, जिससे जनकल्याण हो सके जो निम्नलिखित प्रकार से है:-

चार मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम- Char Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

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1. रुद्राक्ष को यदि अभिमंत्रित कर महाशिवरात्रि के दिन धारण किया जाता है, तो यह बहुत ही प्रभावी होता हैl इसके साथ ही अमावस्या पूर्णिमा तथा ऐसे उत्तम दिन होते हैं, जब विधिवत तरीके से इसे धारण किया जा सकता है।

2. रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha ke niyam kya hai) को इस प्रकार से धारण करें कि आपके शरीर के त्वचा को पूरी अच्छी तरह से स्पर्श करें। आप इसे पंचधातु ,सोने या चांदी में धारण कर सकते हैं।

3. आपके द्वारा धारण किया जाने वाला रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha ka mahatva) कभी भी खंडित स्थिति में ना हो या उसमें किसी भी तरह से किसी प्रकार की त्रुटि मौजूद ना हो तभी आपके लिए वह सबसे उपयुक्त रुद्राक्ष माना जाएगा।

4. कई लोग रुद्राक्ष माला (char mukhi rudraksha kaisa hota hai) का उपयोग भिन्न-भिन्न मंत्रों का जाप करने के लिए उपयोग में लाते हैं, ऐसे में इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा जाप किया गया माला का प्रयोग कभी भी उसे धारण करने के लिए नहीं करना चाहिए और जिस माला को आप धारण करते हैं, उसका प्रयोग कभी भी मंत्र जाप करने में नहीं करना चाहिए।

5. बिना प्रतिष्ठित की हुई या बिना अभिमंत्रित की हुई रुद्राक्ष माला कभी भी धारण नहीं करना चाहिएl अन्यथा आप उसके चमत्कारिक लाभ से वंचित रह जाएंगे।

6. इसे आप सोमवार को या बुधवार को भी धारण कर सकते हैं।

7. रुद्राक्ष (char mukhi rudraksh pahnane se kya hota hai) को कभी भी प्रसूति गृह में धारण कर कर नहीं जाना चाहिए एवं किसी की शव यात्रा में भी या अंतिम यात्रा में भी रुद्राक्ष को धारण करके जाना वर्जित माना जाता है, अन्यथा उसकी पवित्रता खंडित हो जाती हैl इसे धारण कर श्मशान में भी जाना वर्जित होता हैl कई महिलाओं के द्वारा भी इसे धारण किया जाता है, किंतु मासिक धर्म की क्रिया में रुद्राक्ष को अच्छे से गंगाजल धूल कर रख देना चाहिए क्योंकि मासिक धर्म में यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करती है, तो इसकी पवित्रता खंडित होने का भय रहता है, इसके अलावा सोने के समय भी रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।

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8. रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha dharan karne ke fayde) धारण करके कभी भी झूठ बोलना नहीं चाहिए, अन्यथा इसके विध्वंसक परिणाम आपको झेलने पड़ सकते हैं lइसके साथ ही किसी भी व्यक्ति विशेष का गलत रूप से अनुचित रूप से फायदा उठाने का प्रयास भी नहीं करना चाहिए, अपने मन में सदैव पवित्रता का भाव बनाए रखें।

9. रुद्राक्ष को गले में या बाजू में धारण कर सकते हैं।

10. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर चार मुखी रुद्राक्ष (char mukhi rudraksha kaisa hota hai) को कच्चा दूध गंगाजल तथा पंचामृत आदि से शुद्धिकरण करना चाहिएl उसके पश्चात तक उसे किसी साफ कपड़े के ऊपर रखकर उसके ऊपर बेलपत्र 21 या 51 या 108 चढ़ाएं lउसके बाद उस पर चंदन का लेप लगाएं एवं सुगंधित पुष्प अर्पण करने के बाद भगवान भोलेनाथ का कोई भी मंत्र जितना हो सके उतना अधिक संख्या में जाप करेंl

11. उसके बाद उस अभिमंत्रित की हुई माला को शिव मंदिर में ले जाकर भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग से स्पर्श कराकर धारण करें।

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