तुलसी माला पहनने के नियम – Tulsi Mala Pahanne ke Niyam

तुलसी माला पहनने के नियम – Tulsi Mala Pahanne ke Niyam

 

तुलसी माला पहनने के नियम – Tulsi Mala

 Pahanne ke Niyam

तुलसी माला पहनने के नियम- (tulsi mala ke niyam) घर आंगन को अपने अद्वितीय खुशबू से महक आने वाली तुलसी जिसे धर्म ग्रंथों में देवी की उपाधि से अलंकृत किया गया है, जिसे हिंदू लोग माता की उपाधि प्रदान करते हैं, तथा जिनके बिना घर आंगन सूना लगता हैl ऐसा शायद ही कोई घर हो जहां इनका पौधा नहीं होता है, जहां इनकी कृपा नहीं बरसती है lपौराणिक काल से ही इनका प्रयोग विभिन्न प्रकार की चीजों में किया जाता रहा हैl जिन्हें स्वयं भगवान भी ग्रहण करते हैं lबासी होने के बाद ही तुलसी पत्ती का प्रयोग विविध प्रकार की पूजा अनुष्ठान में किया जाता है।

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स्वयं जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की सबसे प्रिय चीज तुलसी है, इसलिए जब भी भगवान श्रीहरि की पूजा की जाती है, तो उसमें तुलसी के पत्ते का महत्त्व बहुत अधिक माना जाता है lइनके बिना किसी भी तरह की पूजा पूर्ण नहीं होती हैl चाहे वह किसी भी देवी देवता की हो किसी भी घर के सुख -समृद्धि में वृद्धि का कारक तुलसी (tulsi mala ke niyam in hindi) के पौधे को माना जाता है। तुलसी जी को स्वयं माता लक्ष्मी के अंश का स्वरुप माना जाता है lभले ही यह एक पौधा है, फिर भी हमारे लिए हम हिंदुओं के लिए यह बहुत अधिक सम्माननीय स्थान रखती है।

सभी सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग सभी हिंदू व्यक्तित्व की प्रधानता को निरूपित करने वाले लोग तुलसी (tulsi ki mala dharan karne ke niyam) के वृक्ष को बहुत अधिक सम्माननीय एवं आदरणीय भाव से देखते हैं, एवं उनकी पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करते हैंl ऐसा न जाने कितने ही कालो से किया जाता रहा हैl हमारे पूर्वज बहुत ही उन्नत ज्ञान को रखने वाले थे lयही कारण है, कि सदा से ही उनके द्वारा घर के ब्रह्म स्थान पर तुलसी माता के पौधों का रोपण कर lउन्हें प्रतिदिन जल अर्पण करने का विधिवत पद्धति हमें एक वरदान के स्वरूप प्रदान किया है lउनके ज्ञान की प्रखरता इतनी अधिक थी कि वे जानते थे कि जहां भी यह पौधा रहता है, वहां पर किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति टिक नहीं पाती है।

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आज विज्ञान भी इस पद्धति के माध्यम से विभिन्न प्रकार की स्थलों की जांच के लिए प्रयोग में लाता है। तुलसी एक ऐसा पौधा है जिसका प्रत्येक हिस्सा किसी न किसी रूप में प्रयोग में लाया जाता है lयह एक दिव्य औषधि है, जो कई प्रकार की बीमारियों को पूर्ण रूप से ठीक करने की क्षमता रखती हैl अभी गत वर्षों में जो भयंकर बीमारी फैली थीl जिसके चपेट में पूरी दुनिया के देश आ गए थे तथा उनके नागरिक बहुत ही व्यापक रूप से प्रभावित हुए एवं तब भारतीय संस्कृति में अपनी अहमियत रखने वाली माता तुलसी (tulsi ki mala dharan karne ke fayde) के शरण में लोग गए तथा इनके पत्तों का, इनके मंजरी का ,इनके तनो का प्रयोग विभिन्न प्रकार की पेय पदार्थों में प्रयोग कर खतरनाक वायरस कोविड-19 सुरक्षा की तब विज्ञान भी हमारी इस पद्धति के समक्ष नतमस्तक हुआl विज्ञान भी इस अद्वितीय पौधे के गुणों को देखकर अचंभित होता रहा है l

ऐसे पारलौकिक गुणों से परिपूर्ण यह पौधा हमें वरदान के स्वरूप में सृष्टि के द्वारा हमें प्रदान किया गया है l तुलसी से बने हुए माला को धारण करने से शारीरिक संरचना में होने वाले किसी तरह के दूषित व्यवधान को यह अजस्र अखंड रूप से नियंत्रित करता है lपेट की बीमारियां हो या दिमाग से जुड़ी हुई कोई परेशानी सिर दर्द बुखार शारीरिक अरति हो या हृदय की अनियंत्रित गति हो या ब्लड प्रेशर जैसे खतरनाक रोग इन सभी में यह बहुत ही अच्छे प्रभाव प्रदान करता है, तथा जातक को इस प्रकार के रोगों से सुरक्षा प्रदान करता हैl तुलसी माला (tulsi ki mala dharan karne se kya labh hota hai) धारण करने से शरीर में विद्युत चुंबकीय बल की प्रवाह बढ़ जाती है, जिसके कारण किसी भी शारीरिक संरचना को यह अत्यन्त सुदृढ़ अवस्था प्रदान करता है एवं मानसिक विकृति जैसे रोगों में यह अप्रतिम रूप से लाभप्रद माना जाता है।

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तुलसी माला (tulsi ki mala Pahanne ke fayde) बहुत अधिक पवित्र एवं पुनीत होता है, इसलिए इसे धारण करने के कुछ नियम है, तथा उन नियमों का पालन करना बहुत ही आवश्यक माना जाता है, क्योंकि कुछ चीजें ऐसी होती हैl जिनकी अखंडता का मान रखना बहुत आवश्यक होता है, अन्यथा वह अपनी गरिमा को खो देती हैl वह अपने प्राकृतिक शक्ति को पूर्ण रूप से खो देती है,फिर वह पूर्ण रुप से प्रभावहीन हो जाती है, इसलिए तुलसी माला पहनने के भी कुछ नियम है,  जिन्हें जानना बहुत आवश्यक है, आइए जानते हैं, तुलसी माला पहनने के नियम-

1. तुलसी माला को सबसे पहले स्वच्छ पानी या गंगाजल से धुलना चाहिए l उस के बाद श्री हरि विष्णु का स्मरण करते हुए इसे किसी भी दिन धारण किया जा सकता हैl

2. तुलसी (tulsi ki mala kaisi hoti hai) श्री हरि विष्णु की सबसे प्रिय चीज मानी जाती है, ऐसे में वैष्णव लोग जिस तरह लहसुन प्याज तथा मांस मदिरा आदि का सेवन वर्जित मानते हैंl उसी प्रकार जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा इस पवित्र माला को अपने शरीर में धारण किया जाता हैl उन्हें इन सभी चीजो के भक्षण से बचना चाहिएl वर्जित कार्य भी इस माला को धारण करके बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए lअन्यथा इसकी अखंडता पर आंच होने से इसकी स्पंदन छमता निम्न हो जाती है, तथा इसकी शक्तियां जो इसमें प्राकृतिक रुप से विद्यमान होती हैl बे सभी नष्ट होने लगती है, इसलिए इन सभी बातों का ध्यान अवश्य रखें, जब आप इस दिव्य माला को धारण किए हुए हैं, या धारण करने वाले हैंl तो सभी नियमों का सार्थक रुप से पालन करना बहुत आवश्यक है,0अन्यथा आप इस दिव्य संसाधन के लाभ से वंचित रह जाएंगे।

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3. तुलसी माला (tulsi ki mala ke upay) की प्रविति गर्म होती है, इसलिए कभी भी इसे रुद्राक्ष के साथ धारण करना उपयुक्त नहीं माना जाता है, क्योंकि रुद्राक्ष अपने आप में ठंडी उर्जा का उच्च स्पंदन होता है lऐसे में गम तथा ठंडी ऊर्जा एक दूसरे की विपरीत कार्य करने लगती है, तथा पूर्ण रुप से जातक इनके द्वारा दिए जा रहे अच्छे परिणाम से वंचित रह जाता है, इसलिए एक दूसरे के विपरीत कार्य करने वाले दो दिव्य शक्ति को एक साथ धारण करना वर्जित माना जाता है।

 

 

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