तुलसी माला का प्रभाव – Tulsi Mala Ka Prabhav

तुलसी माला का प्रभाव – Tulsi Mala Ka Prabhav

तुलसी माला का प्रभाव( tulasi mala ka

 prabhav)

 

 

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तुलसी माला का प्रभाव(tulasi mala ka prabhav) माता लक्ष्मी की आंशिक स्वरुप तुलसी माता भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व रखती है। भारतीय परंपरा के अनुसार जिस भी स्थल में कोई व्यक्ति निवास करता है। वहां तुलसी का पौधा होना अनिवार्य माना जाता है, क्योंकि इसके अंदर ऐसे तत्व की प्रधानता होती है, जो कई प्रकार के वास्तु दोषों के निराकरण में अद्वितीय रूप से सहायक होती है। इसके साथ ही यह सुख- समृद्धि एवं ऐश्वर्य के प्रतीक के रूप में भी माना जाता है। यही कारण है, कि तुलसी के पौधे को इतनी अधिक अहमियत हमारे हिंदू धर्म में दी गई है। हमारे पूर्वजों के द्वारा इसके कई गुणों का ज्ञान था इसलिए उन्होंने इसका दैनिक प्रयोग में बहुत विशिष्ट स्थान देने पर जोड़ दियाl यही कारण है, कि हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के अधिकांश घरों में यह पवित्र पौधा देखा जा सकता है।

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इनकी पूजा-अर्चना से माना जाता है, कि व्यक्ति कभी भी दुख दरिद्रता का शिकार नहीं होता हैl यह एक प्रकार का औषधीय पौधा है, जो हमारी शारीरिक शक्ति को बढ़ाने में एवं मानसिक क्षमता को बढ़ाने में अद्भुत रूप से सहायक माना जाता है। तुलसी की कई प्रजातियां विश्व के कई कोनों में विद्यमान है। किंतु सबसे अधिक श्वेत वर्ण तथा कृष्ण वर्ण की तुलसी (tulsi ki mala dharan karne ke fayde) को प्रमुख माना जाता है। संस्कृत में तुलसी को सुरसा, देवेंदभूमि, सुलभा, गौरीनामों से अलंकृत किया जाता है। तुलसी के पौधे की खास बात यह होती है, कि इसका प्रत्येक हिस्सा प्रयोग में लाया जाता है।

तुलसी माला का प्रभाव( tulasi mala ka prabhav)

किसी न किसी तरह की उपचारात्मक गुणों के कारण इसकी उपयोगिता को देखते हुए प्रमुख रूप से ना केवल भारतीय पृष्ठभूमि पर इसकी उपयोगिता बढ़ती चली गई। बल्कि विदेश में भी इसके गुणों के कारण इसे बहुत अधिक सम्माननीय दृष्टिकोण प्रदान किया गया है lभारतीय पृष्ठभूमि पर इसकी उपयोगिता बढ़ती चली गई बल्कि विदेश में भी इसके गुणों के कारण इसे बहुत अधिक सम्मानीय दृष्टिकोण प्रदान किया गया है।

भगवान विष्णु को यह अति प्रिय प्रिय है, इसलिए जगत पिता जगदीश्वर की पूजा अर्चना तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती है, जब तक तुलसी के पत्ते का प्रयोग प्रसाद के रूप में ना किया गया हो भगवान तब तक उस भोग को ग्रहण नहीं करते हैं, जब तक तुलसी उस पात्र में ना डाला गया हो जिसमें भोग लगाने की वस्तु रखी गई हो तब तक पूजा को पूर्ण नहीं समझा जाता है। हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों में कोई भी पूजा तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती है, जब तक कि तुलसी (tulsi ki mala ke labh) के पत्तों का प्रयोग नहीं किया जाता है।

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तूलसी से निर्मित होने वाले माला को बहुत ही सम्मानीय दृष्टिकोण के साथ आध्यात्मिक क्षेत्र में देखा जाता है। अध्यात्मिक चरणों की पहलुओं को समझने के लिए तथा उसमें उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तुलसी की माला (tulsi ki mala kaise dharan karen) का प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही धार्मिक प्रवृत्ति में वृद्धि भी देखने को मिलती है, जिसके द्वारा यह माला धारण किया जाता है। तुलसी माला को धारण करने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में अद्भुत वृद्धि देखने को मिलती है। यह स्मृति से संबंधित कई प्रकार के दोषों को भी निवारण में बहुत ही उपचारात्मक रूप से सहायक माना जाता है।

तुलसी माला का प्रभाव( tulasi mala ka prabhav)

अधिक तनाव में रहने वाले लोगों के लिए या अधिक क्रोध करने वाले लोगों के लिए यह एक वरदान के समान है, क्योंकि इसमें मौजूद कई ऐसे तत्व होते हैं, जो हमारे ज्ञान इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करते हैं, जिसके कारण अवसाद जैसी स्थिति हो या अधिक तनाव जैसे परिस्थिति किसी का भी प्रभाव उस व्यक्ति के ऊपर निष्क्रिय हो जाता है।

जिसके द्वारा यह अद्वितीय माला धारण किया है। तुलसी माला (tulsi mala pahanne ke fayde) करने शरीर में विद्युत चुंबकीय तत्व की प्रधानता बढ़ जाती है, जिससे रक्त परिसंचरण में किसी भी तरह का अवरोध उत्पन्न नहीं होता है। यह हमारे शरीर के किसी हिस्से को सुन्न करने की स्थिति में नहीं आने देता है। इसे धारण करने से व्यक्ति का मन प्रफुल्लित रहता है, उसे मानसिक शांति की अनुपम अनुभूति प्राप्त होती है।

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ईश्वरीय शक्तियों के प्रति अपार श्रद्धा ,भक्ति मन में सकारात्मक विचार ,अध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ पारिवारिक तथा भौतिक उन्नति के लिए तुलसी माला का प्रयोग किया जाता है। तुलसी माला (tulsi mala ka prayog kaise karen) को धारण करने वाला व्यक्ति के मानसिक चेतना, मन में पवित्रता आती है। उसका मन मस्तिष्क एवं हृदय निर्मल होता है। उसके अंदर अनेक प्रकार की अच्छी एवं सात्विक भावनाएं जागृत होती है, जो उसे कर्तव्य निर्वहन में मदद करती है। उसे अपने दायित्वों के प्रति एक जिम्मेदार व्यक्ति के रूप में निरूपित करती है।

इसे धारण करने से व्यक्ति विशेष के अंदर ऊर्जा की स्फूर्ति देखने को मिलती है, जिसके कारण व्यक्ति अपनेआपको शारीरिक रूप से विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए सक्षम बना पाता है। ऐसे लोग जो शारीरिक अरति के कारण जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़ रहे हैं। उन्हें उनकी आशा अनुसार ,उन्हें उनकी अपेक्षा अनुसार अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें तुलसी माला (tulsi mala ke fayde) अवश्य धारण करना चाहिए। इससे हमारे विचारों में स्पष्टता आती है, तथा बुद्धि, विवेक सही दिशा में कार्य करता है, हमारे ऊर्जा का निर्वहन सही दिशा में होता है।

जिसके कारण हम अपने कार्य क्षेत्र हो या व्यक्तिगत जीवन हर क्षेत्र में अच्छे एवं शुभ फलों को प्राप्त करते हैं। ऐसे लोग जो बहुत अधिक घबराहट महसूस करते हैं। छोटी से छोटी परिस्थिति में भी अपना आपा खो देते हैं। क्रोध पर नियंत्रण रखना उनके लिए बहुत ही कठिन होता है। ऐसी स्थिति से गुजर रहे लोगों को तुलसी माला (tulsi mala ki jankari) को अवश्य धारण करना चाहिए। यह उन्हें मानसिक रूप से शांति प्रदान करेगा तथा उनकी मानसिक क्रियाकलापों को उत्कृष्टता प्रदान करेगा। यदि मन अच्छा तो तन अच्छा हो सकता है, इसलिए मानसिक रूप से किसी भी परिस्थिति में मजबूत रहना बहुत आवश्यक है।

तुलसी माला का प्रभाव( tulasi mala ka prabhav)

तभी कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से भी मजबूत हो सकता है, किंतु आज के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो मानसिक शांति प्राप्त करना सबसे कठिन कार्य माना जाता है। आज मानसिक दबाव न केवल बड़े बुजुर्ग बल्कि छोटे छोटे बच्चे भी इसके चपेट में आ रहे हैं। यह बीमारी भयंकर रूप लेती जा रही है। बदलाव की इस नगरी में हर कोई इसके प्रभाव में आता चला जा रहा है, किंतु किसी को भी इससे निकलने की उपयुक्त साधन क्या होना चाहिए। इस पर अभी भी कई प्रकार के शोध चल रहे हैं, जबकि प्रकृति ने हमें कई ऐसी चीजें प्रदान की है।

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जब हम इस प्रकार की चीजों से स्वता ही प्रकृति के साथ परस्पर संबंध बनाए तो इन सभी चीजों की निर्गमन के दिन दूर नहीं रह जाते हैं। तुलसी माला (Tulsi Mala ka upyog) का प्रयोग हर आयु वर्ग के लोग कर सकते हैं, किंतु तुलसी माला को धारण कर मांस भक्षण या तामसिक भोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। खासकर लहसुन ,प्याज आदि जैसी चीजों को जातक को अपने भोजन के रूप में ग्रहण नहीं करना चाहिए। इसकी विशिष्टता को बरकरार रखने के लिए केवल यह छोटी सी विधि अपनाने आवश्यक है।

उसके बाद इसके लाभों को आप गिनते गिनते थक जाएंगे किंतु आपके समक्ष जो उत्कृष्ट उदाहरण इस माला को प्राप्त होंगे। उसके समक्ष आप नतमस्तक हो जाएंगे। तुलसी माला (tulsi mala ka upyog kaise karen) अपने आप में दिव्य शक्तियों का पुंज माना जाता है। हमारे मानसिक तरंगों को यह और अधिक मजबूती प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में सुचारू रूप से एवं स्वास्थ्य रूप से अपने कार्यों का निर्वहन कर पाता है। अपने आप में अद्वितीय अनुभूतियों को प्रदान करने वाला माना जाता है।

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