गार्नेट रत्न की पहेचान, garnet ratna ki
pehchan
गार्नेट रत्न की पहचान( garnet ratna) करने के लिए विभिन्न प्रकार के मापदंड अपनाए जा सकते हैं, या विभिन्न प्रकार के पैमानों को आधार बनाकर गार्नेट रत्न ( garnet ratna)की सत्यता को प्रमाणित किया जा सकता है, ताकि जिस भी व्यक्ति विशेष के द्वारा इस उपरत्न को धारण किया जा रहा है ।उसके अंदर इसके दिव्य प्रभाव वाले तत्व को अवशोषित करने की क्षमता प्राप्त हो सके जैसा कि आप जानते हैं, कि सूर्य से संबंधित रत्न माणिक्य को माना जाता है, किंतु माणिक्य रत्न ( garnet ratna) (garnet ratna ki pehchan kya hoti hai) बहुत ही महंगा होता है, तथा उसकी उपलब्धता हर किसी के लिए आसानी से नहीं हो सकती है।
ऐसी परिस्थिति में लोग सूर्य ग्रह के तेजस्वी छाया को प्राप्त करने के लिए माणिक्य के रत्न ( garnet ratna) (garnet ratna ki pehchan kya hai) के उपरत्न गार्नेट का प्रयोग करते हैं।सूर्य जो पूरे ब्रह्मांड के शक्ति के स्रोत के रूप में जाने जाते हैं, तथा एक पिता के समतुल्य हर जीव जंतु के लिए आदरणीय एवं सम्मानीय स्थान रखते हैं।ऐसे सूर्य जब किसी के जीवन में रुष्ट हो जाते हैं, तब व्यक्ति के जीवन से सफलता कोसों दूर चली जाती है, व्यक्ति के प्रतिभा को जैसे दीमक लग जाती है।व्यक्ति के तेजेश्वर को किसी की नजर लग जाती है, जो व्यक्ति के कांति में अनेक प्रकार की बीमारियां समाहित होने लगती है ।उस व्यक्ति को जिस पर सूर्य की कृपा नहीं होती है ।
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कभी भी मान सम्मान की प्राप्ति नहीं हो पाती है। उसका यश, कीर्ति केवल कुछ कलंको की वजह से धूमिल होने लगता है। अपयश बढ जाते हैं, व्यक्ति के व्यक्तित्व की चमक धूमिल होने लगती है, व्यक्ति के चेहरे का तेज गायब होने लगता है। अतः सूर्य के दशा में सकारात्मक कायाकल्प लाने के लिए इनसे संबंधित कई रत्न ( garnet ratna) (garnet ratna ki pehchan kaise kare) एवं उपरत्न धारण किए जाते हैं। उनमें से एक उपरत्न गार्नेट ( garnet ratna) है, जिसका प्रयोग कर लोग अपनी कई समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं एवं जीवन में चल रही अवांछित परेशानियों का समाधान प्राप्त कर सकते हैं।
गार्नेट रत्न की पहेचान, garnet ratna ki pehchan
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1. सूर्य का उपरत्न गार्नेट ( garnet ratna) (garnet ratna ki pehchan in hindi) जो भले ही एक उपरत्न हो, किंतु जब यह अपने प्रभाव दिखाता है, तब माणिक्य के समान प्रभावशाली परिवर्तन लाने की क्षमता रखता हैl इसे कई प्रकार के नामों से संबोधित किया जाता है, जैसे- रक्तमणि, तांबडा आदि।विभिन्न प्रकार के खनिजों के समूह से संबंधित यह उपरत्न भले ही विभिन्न रंगों में पाया जाता है, किंतु केवल रक्त वर्ण का गार्नेट ( garnet ratna) ही सूर्य के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।
लाल गार्नेट ( garnet ratna) की खासियत होती है, कि जब आप इसे हिला डूलाकर विपरीत दिशा में घुमा कर देखेंगे, तब आपको इसके अंदर श्याम वर्ण के समान रोशनी दिखाई पड़ती है।भले ही यह रंग में लाल हो, किंतु असली गार्नेट ( garnet ratna) (garnet ratna ki jankari) में यह रंग आपको देखने को मिलेगा, जब आप इसे ध्यान से देखेंगे, तब ऐसा लगेगा जैसे काले रंग का कोई परत जो बिल्कुल जेली के समान हो या बिल्कुल तेल के समान तैर रही हो, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित गारमेंट में आपको यह विशिष्टता देखने को नहीं मिलेगी।
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2. गार्नेट ( garnet ratna) (garnet ratna ke labh) कि यह खासियत होती है, कि उसमें चुंबकीय तत्व की प्रधानता बहुत अधिक देखने को मिलती है, चाहे आप किसी भी गुणवत्ता वाले गार्नेट ( garnet ratna) को खरीदे किंतु सभी में आपको यह गुण देखने को मिलेंगे, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित होने वाले गार्नेट में इस प्रकार की खूबी नहीं होती है। वह प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले शक्ति तत्व से वंचित रह जातेगार्नेट रत्न ( garnet ratna) की पहेचान, हैं।ऐसे में यदि कोई व्यक्ति नकली गार्नेट ( garnet ratna) धारण करता है, तो उसके जीवन में वैसे बदलाव या वैसे कायाकल्प नहीं हो पाते हैं, जो एक शुद्ध गार्नेट ( garnet ratna) धारण करने से प्राप्त होता है।
गार्नेट रत्न की पहेचान, garnet ratna ki pehchan
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3. कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि गार्नेट ( garnet ratna) (garnet ratna ke fayde) देखने में आपको काले रंग के नजर आ सकते हैं, किंतु जब आप उस पर प्रकाश की किरण डालते हैं, तब आपको उसके अंदर लाल रोशनी दिखाई पड़ती है ।इसकी एक खासियत यह भी है, कि यह अर्ध पारदर्शी होता है, और जब भी प्रकाश को इसके माध्यम से पास कराने की कोशिश की जाती है, तब यह प्रकाश को अवशोषित कर लेता है, जबकि इस प्रकार की गुणवत्ता कृत्रिम रूप से निर्मित होने वाले गार्नेट ( garnet ratna) में नहीं होती है, जो कि प्लास्टिक तथा कांच के विभिन्न रसायनिक क्रिया से बने हुए होते हैं।
4. सृष्टि जब किसी को एक स्वरूप प्रदान करती है, तब वह उसे विभिन्न प्रकार के जटिल प्रक्रियाओं से अवश्य गुजारती है। जैसे -मनुष्य का जन्म किसी भी रूप में हो चाहे वह नर हो या मादा हो किंतु दोनों के उद्गम का एक विशिष्ट समय रखा जाता है। जन्म की अवधि जब तक पूर्ण नहीं हो जाती है, तब तक शिशु सृष्टि के पटल पर उदित नहीं होता है ।सभी प्राणियों में भी जैसा कि देखा गया है, कि एक विशिष्ट प्रकार के चरण से गुजरने के बाद ही एक नए जीव का प्रवेश सृष्टि के पटल पर होता है।उसी प्रकार सृष्टि जब भी अचल वस्तुओं का निर्माण करती है, या किसी भी संसाधन का निर्माण करती है, तब उसे जटिल प्रक्रियाओं से अवश्य गुजारती है ।
जिसके कारण उस विशिष्ट संसाधन पर उसके छाप अंकित हो जाते हैं।उस में प्राकृतिक रूप से कई जाले रेखाए अरेख आदि जैसी चीजें दिखाई पड़ती है।कभी उनमें बुलबुले भी दिखाई पड़ते हैं।जो उसके निर्माण के समय गुजरने वाले कठिन चरणों की ओर संकेत देते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित चीजें बड़ी ही सावधानी से बनाए जाते हैं, तथा विभिन्न प्रकार की रासायनिक अभिक्रियाओं की देन होते हैं, जिसके कारण उनमें संपूर्णता देखने को मिलती है।उनमें किसी भी तरह की त्रुटि देखने को नहीं मिलती है।कभी भी प्रकृति के द्वारा निर्मित किया जाने वाला रत्न हो या उपरत्न कभी भी एक रूप में प्राप्त नहीं होता है, दो एक समान दिखने वाले रत्न हो या उपरत्न हो उनमें कुछ ना कुछ भिन्नता अवश्य दिखाई पड़ती है, जबकि कृतिम रूप से निर्मित होने वाले उपरत्न हो या रत्न हो ।सभी एक समान एक आकृति के एवं पूर्ण आकर्षण युक्त दिखाई पड़ते हैं।
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