माणिक रत्न पहनने की विधि – Manik Ratna Pahanne Ki Vidhi

माणिक रत्न पहनने की विधि – Manik Ratna Pahanne Ki Vidhi

 

माणिक रत्न पहनने की विधि – Manik Ratna

 Pahanne Ki Vidhi

हमारे पूर्वजों के द्वारा यह हमेशा से बताया गया है, कि किसी भी कार्य को सटीक तरीके से किया जाना चाहिए, उसे यदि हम पूरा करना चाहते हैं, तो हमें पूरी विधि विधान से उस कार्य को पूर्ण करने की चेष्टा करनी चाहिए एवं हमारे मन में उस कार्य को पूर्ण करने की समर्पण भावना भी व्याप्त होनी चाहिए तथा जो भी कार्य करने जा रहे हैंl उस पर पूरी श्रद्धा होनी चाहिए, तभी जाकर वह कार्य फलीभूत होता है, तभी जाकर वह कार्य पूर्ण होता है lअतः माणिक रत्न (manik ratna dharan karne ki vidhi) धारण करने के लिए भी कुछ विधियां बताई गई है, जिसको हम विधि पूर्वक पूर्ण कर विभिन्न प्रकार के लाभ अपने जीवन के विभिन्न आयामों में पा सकते हैं।

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यदि आप अपनी कुंडली के गणना के आधार पर या फिर किसी विद्वान ज्योतिष की सलाह पर माणिक रत्न (manik ratna kab dharan kare) धारण करने जा रहे हैं, तो आपको कुछ निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए, तभी जाकर आप इसके पूर्ण लाभ को प्राप्त कर सकते हैं, एवं आप को सूर्य देव की कृपा की प्राप्ति हो सकती हैं।

1. सर्वप्रथम यह सुनिश्चित करें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा माणिक रत्न पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो वह किसी भी तरह से प्रयोगशाला में विभिन्न प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया से निर्मित कोई कृतिम रत्न ना हो lइसकी जांच परख आप विभिन्न मापदंड एवं पैमानों की जांच स्वयं भी कर सकते हैं, या किसी विद्वान व्यक्ति की सहायता भी इस कार्य में आप ले सकते हैं, जैसे- शुद्ध माणिक रत्न (manik ratna kis din dharan kare) का गलनांक अधिक होता है, यह देखने में गुलाबी रंग का होता है, तथा जब आप इसे सूर्य की किरणों में रखेंगे तो देखेंगे कि इससे गुलाबी रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई दे रही है, इसका रंग आपके मन मस्तिष्क को एक अद्भुत भाव से भर देता है, आदि।

2. आप माणिक रत्न (manik stone benefits in hindi) को सोने या पीतल में धारण कर सकते हैं, क्योंकि सोना का संबंध सूर्य ग्रह से होता है, जिस प्रकार सूर्य ग्रह अग्नि तत्व को निरूपित करता है, उसी प्रकार सोना भी अग्नि तत्व को ही निरूपित करता है, तथा सूर्य से संबंधित विभिन्न ऊर्जाओं का समावेशन आपको सोना धातु में भी देखने को मिलता है, जिसका प्रयोग हमारे पूर्वजों के द्वारा विभिन्न चीजों में किया जाता रहा है lअतः सबसे सर्वोत्तम रत्न माणिक के लिए सोना को बताया गया है। यदि किसी भी वजह से आप सोना में माणिक रत्न को पीरों नहीं सकते हैं, तो आप पीतल में भी इस रत्न को पिरो कर पहन सकते हैं।

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3. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा रत्न का वजन कम से कम 5 रत्ती का हो।

4. जिस प्रकार विभिन्न प्रकार के ग्रह हमारे जीवन पर अपना प्रभाव दिखाते हैं। उसी प्रकार नक्षत्र भी हमारे जीवन पर बहुत व्यापक रूप रूप से अपना प्रभाव दिखाते हैंl यह प्रभाव सकारात्मक भी हो सकता है, और नकारात्मक भी हो सकता हैl इनकी चाल से व्यक्ति की स्थिति दयनीय भी हो सकती है। और उसकी स्थिति अनुकूल भी हो सकती है lअतः इस रत्न को धारण करने से पूर्व सूर्य से संबंधित शुभ नक्षत्र की जानकारी हासिल कर लेना आवश्यक होता है, जिससे हम सबसे शुभ नक्षत्र में माणिक रत्न  को धारण करें, जिस वक्त इसकी सारी ऊर्जा जागृत अवस्था में हो lसूर्य ग्रह से संबंधित नक्षत्र हैl कृतिका नक्षत्र ,उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र ,उत्तराषाढ़ा नक्षत्र lआप माणिक रत्न (manik ratna dharan karne ke fayde) को इन नक्षत्रों में धारण कर सकते हैं या फिर रविवार के दिन पुष्य योग में भी माणिक रत्न को धारण करने का सबसे उपयुक्त समय माना गया है।

5. सर्वप्रथम रविवार के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर इस रत्न को गंगाजल तथा पंचामृत से स्नान करवाकर उसे साफ एवं स्वच्छ कपड़े के ऊपर अपने पूजा के स्थान पर रख दें।

6. हमारे जीवन में धूपबत्ती का बहुत महत्व बताया गया है, तथा कपूर एवं गूगल को सबसे सर्वोत्तम धूपबत्ती माना गया है, इससे माना जाता है, कि यदि इससे धूनी किया जाए तो नकारात्मक ऊर्जा दूर दूर तक चली जाती है, फिर कभी वह लौट कर नहीं आती है इसके मनमोहक सुगंध से आपका मन मस्तिष्क पर यह व्यापक असर डालता है, तथा शांति प्रदान करता है। इनमें प्राकृतिक रूप से ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो हमें नकारात्मक चीजों से हमें बचाते हैं, तथा अच्छी एवं सकारात्मक ऊर्जा का संचार हमारे चारों ओर बढ़ा देते हैं lअतः माणिक रत्न (manik stone pahanne ke fayde) को कपूर एवं गूगल से आरती करनी चाहिएl यदि संभव है, तो आप इसके बगल में भी कपूर के कुछ टुकड़े रख सकते हैं, जिससे इसकी शक्तियां त्वरित गति से जागृत हो सके एवं यदि इसमें किसी भी प्रकार की नकारात्मकता है, तो वह भी समाप्त हो जाए।

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7. उसके बाद सूर्य मंत्रों का उच्चारण कर आपको माणिक रत्न को अभिमंत्रित करना है, किंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि मंत्र भी तभी कार्य करते हैं, जब हमारे द्वारा उनका उच्चारण सही से किया जा रहा हो ,वह शक्ति जिस का आवाहन हम लोग कर रहे हैं, तभी हमारे पास आती है, जब हम सही से उच्चारण कर सात्विक तरीके से उन्हें बुलाते हैंl यदि आप मंत्रों का उच्चारण करने में किसी भी प्रकार से असक्षम है, तो ऐसी परिस्थिति में आप किसी विद्वान पंडित की भी सहायता ले सकते हैं, उनकी मदद से माणिक रत्न (manik stone pahanne ki vidhi) को अभिमंत्रित करवा सकते हैं।

8. उसके पश्चात आप माणिक रत्न (manik ratna ki jankari) को किसी मंदिर में ले जाकर भगवान के चरणों में रख दे lमाता भगवती का मंदिर यदि हुआ तो सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है lमाता का आशीर्वाद लेकर तथा मंदिर के पुजारी से भी आशीर्वाद ले एवं उन्हें उचित दान दक्षिणा अवश्य प्रदान करेंl उसके पश्चात आप अपनी मन इक्षित इच्छा को मन में बोलते हुए। माणिक रत्न को धारण करें तथा यह भी प्रार्थना करें कि सूर्यदेव जल्द से जल्द अपनी कृपा दृष्टि आप के ऊपर दिखाएं एवं आपको विभिन्न प्रकार से लाभ प्राप्त करने के मार्ग को प्रशस्त करेंl आपकी रोजी रोजगार संबंधित परेशानियों को दूर करें। जीवन के विभिन्न आयामों पर अपनी कृपा आपके ऊपर बरसाते रहे।

 

 

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9. जिस रविवार को आप माणिक रत्न (manik ratna ke labh) धारण करते हैं, यदि संभव हो तो उस दिन नमक से बनी हुई वस्तुओं का सेवन ना करें जितना हो सके वर्जित चीजों से खुद को दूर रखें।

10. किसी जरूरतमंद को अवश्य भोजन कराएं या किसी भी प्रकार से सहायता अवश्य करें।

11. घर आकर अपने पिता जी का आशीर्वाद अवश्य ले या अपने घर के बहुत बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें क्योंकि बुजुर्गों का आशीर्वाद हमें बड़े से बड़े संकट से उबारने में मदद करता है, तथा हमारा भाग्य उनके आशीर्वाद से प्रबल होता है।

अभिमंत्रित माणिक रत्न कहां से प्राप्त करें –

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