नवरत्न अंगूठी के लाभ – Navratna Anguthi Ke Labh

नवरत्न अंगूठी के लाभ – Navratna Anguthi Ke Labh

नवरत्न अंगूठी के लाभ(navratna anghuti

 ke labh)

 

 

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नवरत्न अंगूठी के लाभ(navratna anghuti ke labh)– रत्न शास्त्र में सबसे अधिक लोकप्रिय एवं विशिष्ट स्थान रखने वाला अंगूठी नवरत्न (anghuti navratna) को माना जाता है। इसमें नवरत्न(navratna) नौ ग्रहों को समर्पित करते हुए नवरत्न जड़े हुए होते हैं, जिन्हें विशिष्ट विधि के द्वारा एवं जन्मपत्रिका के विशिष्ट स्थान पर विराजमान विभिन्न प्रकार के ग्रहों के परिपेक्ष में अंगूठी में स्थान दिया जाता हैl आइए जानते हैं, नवरत्न अंगूठी(navratna anghuti) से मिलने वाले विभिन्न प्रकार के लाभों को-

ऐसा माना जाता है, कि जिन घरों में घोड़ वास्तु दोष जहां की चीजें बहुत ही अव्यवस्थित रूप से बनाई गई हो, जिसके कारण नकारात्मक चीजें स्वयं ही उस स्थल पर आकृष्ट होकर। उस जगह में प्रविष्ट करने लगती है। ऐसे में वहां पर निवास करने वाले जीव जंतुओं पर बहुत ही खराब प्रभाव देखने को मिलता है। वहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति विशेष को कभी भी जीवन में सफलता की अनुपम कामना की पूर्ति संपूर्ण होते हुए देखने को नहीं मिलती है। व्यक्ति का जीवन अभाव ग्रसित रहता है, तथा अनेक प्रकार की शारीरिक अशक्तता एवं मानसिकअशक्तता लगी रहती है, कोई भी उस जगह पर खुश नहीं रह पाता है।

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अजीब तरह का निराशा युक्त वातावरण व्यक्ति के मानसिक शिथिलता का कारण बन जाता है। व्यक्ति चाह कर भी यह प्रबुद्ध नहीं निकाल पाता है कि यह सारी चीजें वास्तु दोष के कारण हो रही है। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति विशेष इस प्रकार के भवन में निवास कर रहा हो या किसी का निवास स्थल पर इस तरह की प्रतिक्रियाएं बहुत ही त्वरित गति से हो रही हो, तो उन्हें नौ ग्रहों से संबंधित यह नवरत्न अंगूठी (navratna anghuti)  (navratna anguthi ke labh in hindi) अवश्य उस गृह के पूजा स्थल में अभिमंत्रित एवं सिद्ध कर रखना चाहिए। इससे रत्नों के प्रभाव से वहां पर जितनी भी अनियमितताएं होंगी।

नवरत्न अंगूठी के लाभ(navratna anghuti ke labh)

जितनी भी नकारात्मक प्रभाव डालने वाली चीजें होंगी। उन सभी पर यह बहुत ही अच्छा एवं प्रवीण प्रभाव डालता है, जिसके कारण चीजें धीरे-धीरे ही सही किंतु सुव्यवस्थित अवस्था में चलने लगती है।अब यह प्रश्न उठना बहुत से लोगों के मन में स्वाभाविक है, कि कैसे कोई एक अंगूठी कितने उत्कृष्ट चमत्कार प्रदान कर सकता है। तो आपको इसके लिए हमें पौराणिक पृष्ठभूमि से सीखने की आवश्यकता है, जैसा की सर्वविदित है, कि भारत भूमि में कई ऐसे विद्वान हुए जिन्होंने कई प्रकार के शास्त्रों एवं पुराना एवं ग्रंथों की रचना की है।

यदि हम उन सभी को आधार मानकर चले तो हम देखेंगे कि जितने भी पौराणिक मंदिर है। उन सभी के निर्माण के समय नौ रत्नों को उनके नीव में अवश्य डाला जाता था क्योंकि रत्नों की खासियत होती है, कि यह विभिन्न प्रकार की सकारात्मक ऊर्जाए। जो हमारे वातावरण में ,जो हमारे ब्रह्मांड के विभिन्न स्रोतों में गमन करती है। इन सभी को यह अवशोषित करता है, तथा यह जहां भी रहते हैं।वहां का आवरण बहुत ही शुद्धता से भरा हुआ होता है। इनमें प्राकृतिक दिव्य स्पंदन होता है। जिसके कारण कभी भी नकारात्मक शक्तियां

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इसलिए जब भी पौराणिक काल में किसी भी मंदिर की आधारशिला का निर्माण किया जाता था, तब नौ रत्नों को उनकी आधारशिला में विधिवत रूप से एवं मंत्र उच्चारण के साथ उन्हें उस स्थलाकृति में समर्पित किया जाता था। आज भी इसका प्रयोग हम लोग करते हैं, किंतु रत्न बहुत अधिक महंगे हो गए हैं, जिसके कारण अब रत्नों को नीव में डालना संभव नहीं रह गया है। ऐसे में लोग चांदी से बने हुए चीजों को किसी भी तरह के स्थलाकृति के निर्माण के समय उसकी नींव पूजन में अवश्य डालते हैं। अतः किसी भी स्थान का वास्तु दोष दूर करने के लिए भी नवरत्न की अंगूठी सर्वोत्तम मानी जाती है।

नवरत्न अंगूठी के लाभ(navratna anghuti ke labh)

ग्रहों की प्रतिकूल नकारात्मक ऊर्जा एवं उनसे संबंधित किसी भी तरह के गंभीर दुष्प्रभाव को दूर करने में नवरत्न अंगूठी(navratna anghuti) (navratna anguthi ke fayde) बहुत ही लाभदायक माना जाता है। गंभीर प्रतिकूल परिस्थितियों का निर्माण जब विभिन्न ग्रहों के द्वारा किया जाता है, तब व्यक्ति बिन बुलाए हुए परेशानियों में स्वत: ही फस जाता है। उसे पता ही नहीं चलता है, कि कितनी त्वरित गति से चीजें उसके बिल्कुल प्रतिकूल स्थिति पैदा करने लगते हैं। अचानक से घटने वाली घटना से व्यक्ति सन्न रह जाता है। ग्रहों के आकस्मिक मार व्यक्ति को संभलने तक का मौका नहीं देती है, किंतु प्रकृति ममत्त्व से युक्त मानी जाती है। माता प्रकृति हमें किसी भी तरह के कष्ट में नहीं देख सकती है।

ऐसे में उनके गर्भ से प्राप्त होने वाले कीमती रत्न हमें ब्रह्मांड में मौजूद विभिन्न प्रकार के ग्रह- नक्षत्रों से प्राप्त होने वाले नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए पृथ्वी पर विदित है। विभिन्न ग्रहों से संबंधित यह रत्न उनके द्वारा उत्पन्न किए जा रहे किसी भी तरह के खराब भाव को नि:ष्फलित कर देते हैं, तथा अपने अंदर समाहित चमत्कारिक ऊर्जा से व्यक्ति के जीवन में रंग भर देते हैं, जो व्यक्ति कल तक मरणसील अवस्था में रहता है।

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उसके अंदर प्राण तत्व को बढ़ा देते हैं। उसे अंदर से जीवंत बना देते हैं। एक रंगों से युक्त दुनिया प्रदान कर देते हैं। ग्रहों के दृष्ट अवस्था से बचने के लिए तथा उनके सकारात्मक आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए नवरत्न की अंगूठी(navratna ki anghuti) (navratna anguthi ke labh kya hai) प्रत्येक आयु वर्ग के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। इसमें मौजूद चमत्कारिक तत्व की प्रधानता के कारण यह उपयोगकर्ता को विविध प्रकार से अच्छे लाभ प्राप्त करने में मदद करते हैं।

ऐसे जातक जो शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं, या जिन बच्चों की स्मृति संबंधित शिकायतें बहुत अधिक होती है, जिन्हें विभिन्न विषयों में स्वधा की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए तथा एकाग्रता शक्ति को मजबूत करने के लिए एवं स्मृति संबंधित विभिन्न दोषों का निवारण के लिए भी इस दिव्य मनका का प्रयोग किया जा सकता है। मानसिक शांति में वृद्धि होती है। इसके साथ-साथ दैहीक क्षमता बलिष्ठ होती है। विभिन्न प्रकार की ग्रहों की अनुकूल अनुकंपा उसे प्राप्त होती है।

नवरत्न अंगूठी के लाभ(navratna anghuti ke labh)

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जिससे व्यक्ति ना केवल शिक्षा के क्षेत्र में बहुत ही अच्छे एवं उत्कृष्ट परिणामों को प्राप्त करता है, बल्कि इसके प्रभाव उसके जीवन के विभिन्न आयामों को भी बदल कर रख देते हैं। ऐसे लोग जो किसी भी तरह के कार्य में संलग्न है, एवं कार्य में सफलता की चाह में अत्यधिक मेहनत कर रहे हैं, किंतु फिर भी उन्हें मेहनत का मीठा फल प्राप्त नहीं हो रहा है, तो ऐसे में इस दिव्य रत्न से निर्मित अंगूठी को अभिमंत्रित कर एक बार अवश्य धारण कर देखना चाहीए।

इससे उनके जीवन में बहुत ही अच्छे एवं विस्तृत प्रवीण प्रभाव प्राप्त होंगे, जिसकी कल्पना शायद ही उन्होंने कभी की हो यह व्यक्ति के दुर्गुणों को समाप्त करने में मदद करता है, तथा अच्छे प्रभाव डालने वाले सद्गुणों को आचरण को विभिन्न प्रकार के प्रवीण आवरण को बढ़ाने में बहुत ही अधिक महत्व रखता है।

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