नीलम रत्न किस उंगली में पहने – Neelam Ratna Kis Ungali Me Pahne

नीलम रत्न किस उंगली में पहने – Neelam Ratna Kis Ungali Me Pahne

 

नीलम रत्न किस उंगली में पहने – Neelam

 Ratna Kis Ungali Me Pahne

नीलम रत्न किस उंगली में पहने – (neelam ratna kis ungli me dharan kare) लोगों के मन में अक्षर यह प्रश्न उठता है, तथा उनके मन में यह संशय बना रहता है, कि कहीं उनके द्वारा नीलम रत्न को गलत उंगली में तो धारण नहीं कर लिया गया है, जिससे हमें लाभ की जगह हानि ही होने लगे तो आइए जानते हैं, नीलम रत्न को किस उंगली में धारण करना चाहिए, तथा इससे जुड़ी हुई विभिन्न पहलुओं को भी जानने का प्रयास करेंगे-

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नीलम रत्न (neelam ratna kis ungli me dharan karna chahiye) देखने में नीले रंग का होता है, जिसका संबंध शनि ग्रह से होता है lशनि ग्रह जिन्हें न्यायाधीश के रूप में जाना जाता है lतीनों लोकों के दंडाधिकारी तथा न्यायधीश से इन्हें अलंकृत किया जाता हैl नीलम रत्न में शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की विशिष्ट शक्तियां विद्यमान रहती है, तथा इसमें शनि ग्रह के गुप्त शक्तियों को अवशोषित करने की अद्भुत क्षमता व्याप्त होती है, जिसकी वजह से यह रत्न विश्व प्रसिद्ध होता है, तथा लोगों में यह रत्न बहुत लोकप्रिय हैं। हालांकि लोगों में शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई है, एवं उनके मन में शनि ग्रह को लेकर बहुत से डर व्याप्त है।

शनि ग्रह का नाम लेते ही लोगों में ऐसा भय व्याप्त होता है, कि जैसे अब उनके जीवन में कुछ बहुत बुरा होने वाला है, किंतु यह सब केवल भ्रांतियां हैं lशनि एक ऐसा ग्रह है, जो बहुत ही धीमी गति या धीमी चाल से चलता है, तथा विभिन्न ग्रहों में से दूसरा सबसे बड़ा ग्रह होने की उपाधि भी शनि ग्रह को ही प्राप्त है lशनि ग्रह की खासियत होती है, कि देवता हो या गण हो मनुष्य हो या दानव हो या कोई भी जीव जंतु इनके न्याय के डंडे से कोई भी नहीं बच सकता है, जब इनका न्याय का डंडा चलता है, तो आपको आपके किए हुए कर्मों का फल यह अनगिनत जन्मों तक प्रदान करते हैं lछोटी से छोटी गलती को भी इनके द्वारा अनदेखा नहीं किया जाता हैl आपके कर्म ही निर्धारित करते हैं, कि आप इनकी कृपा प्राप्त हैं, या फिर इनकी कुदृष्टि के शिकार होंगे।

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शनि ग्रह के दशा ,महादशा तथा शनि ग्रह के गोचर ,शनि ग्रह की ढैया ,शनि ग्रह की साढ़ेसाती जैसे विभिन्न फलों में नीलम रत्न को धारण किया जाता हैl नीलम रत्न धारण करने से जातक के जीवन में विभिन्न अनुकूल प्रभाव देखने को मिलते हैं, किंतु यह एक ऐसा रत्न है, जिसे रत्न शास्त्र में चमत्कारिक होने के साथ-साथ बहुत ही विध्वंसक होने का भी अलंकरण प्राप्त है, जिसकी वजह से जो भी इसे धारण करता हैl उसके जीवन में यदि अनुकूल चीजें होंगी तो उसके जिंदगी में केवल खुशियां ही बरसेगी किंतु यदि उस जातक को नीलम रत्न (neelam ratna dharan karne ke fayde) उसके कुंडली के अनुसार नहीं धार रहा है, तो ऐसे में उसे दिन में तारे दिखाने में भी नीलम रत्न कसर नहीं छोड़ेगा तथा उसके जीवन में विभिन्न प्रकार की परेशानियां खुद ब खुद दस्तक देने लगेंगी।

नीलम रत्न के चमत्कारिक लाभ को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है, कि यदि नीलम रत्न हमारे द्वारा धारण किया जा रहा है, तो हमें यह अवश्य ध्यान देना चाहिए कि हमारे द्वारा धारण किया जा रहा नीलम रत्न सही गुणवत्ता वाला हो या प्राकृतिक रूप से निर्मित हो क्योंकि बाजारों में उपलब्ध रत्न कृत्रिम रूप से भी निर्मित हो सकते है, तथा उनके परिणाम ना सकारात्मक होते हैं, ना नकारात्मक होते हैं, इसलिए नीलम रत्न (neelam ratna pahanne ke fayde) को खरीदने के पूर्व कुछ मापदंड या पैमानो की जांच अवश्य कर लें जिससे आप ठगी के शिकार होने से बच सके तथा नीलम रत्न का लाभ भी आपको सर्वोत्तम प्राप्त हो सके-

असली नीलम रत्न को जब ताक पर रखा जाता है, तो यह कभी भी चटक ता नहीं है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित नीलम रत्न चटक जाएगा, अधिक ताप बर्दाश्त करने की क्षमता उसमें नहीं होती है।

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असली नीलम रत्न (neelam ratna ke labh) को जब आप सूर्य की रोशनी या चांद की रोशनी में देखेंगे तो आप देखेंगे कि इससे नीली किरणे उत्सर्जित होती हुई या प्रदीप्त होती हुई दिखाई देंगी, जबकि यदि इंद्रधनुषी रंगे प्रदीप्त होती हुई दिखाई दे रही है तो वह रत्न एक कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न है।

गाय के शुद्ध दूध में यदि नीलम रत्न को डाला जाता है, तो उसका वर्ण नीला हो जाता है, जो इसकी सत्यता की पहचान होती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित नीलम रत्न में यह विशिष्ट गुण मौजूद नहीं होता है।

प्राकृतिक रूप से निर्मित नीलम रत्न (neelam ratna kis ungli me karen) में समानांतर रेखाएं मौजूद होती है, तथा उनमें विभिन्न प्रकार की जाले आकृतियां रेखाएं जैसी चीजें आपको दिखाई देंगे जब आप इसे ध्यान से देखेंगे जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न पूरी तरह से पारदर्शी होता है।

प्राकृतिक रूप से निर्मित नीलम रत्न का वजन काफी अधिक होता है भले ही वह देखने में कितना भी छोटा क्यों न रहे।

सृष्टि की सबसे अद्भुत संरचना है, मानव और उससे भी अद्भुत है, यह संसार को बनाने वाले ईश्वर जिन्होंने असंभव को भी संभव बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा हैl यह सबसे आश्चर्य की बात है, कि कैसे हमारे पूर्वजों के द्वारा कैसे प्राचीन काल से ही विभिन्न प्रकार के आकाशीय पिंडों का हमारे ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा तथा उनका गोचर कब कब होगा, तथा किन किन ग्रह नक्षत्रों उपग्रहों का हमारे ऊपर प्रभाव कब कब होगा यह सारी चीजें उन्होंने एक विस्तृत विद्या के रूप में हमें वरदान के स्वरूप में प्रदान किया है।

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ज्योतिष विद्या जिसमें आकाशीय पिंडों का संबंध सृष्टि में उपलब्ध संसाधन जो कि विभिन्न प्रकार के पत्थर हैl उनसे उनका गहरा संबंध स्थापित किया है, और हमारे हाथों की उंगलियों का संबंध कैसे इन आकाशीय पिंडों से संबंधित होता है, तथा इन रत्नों के माध्यम से हम कैसे अलौकिक ऊर्जाओ को जागृत कर सकते हैं, तथा उनका लाभ हम कैसे प्राप्त कर सकते हैंl इन सभी की विस्तृत जानकारी हमें हमारे पूर्वजों के द्वारा ज्योतिष विद्या के माध्यम से प्रदान किया गया है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारे हाथों की माध्यमिक उंगली शनि ग्रह से संबंधित होती है, तथा जब कभी भी नीलम रत्न (neelam ratna kis ungli me pahan sakte hai) धारण किया जाता है, तो दाएं हाथ की मध्यमा उंगली या बाएं हाथ की मध्यमा उंगली में नीलम रत्न को धारण किया जा सकता है, जिस प्रकार शनि ग्रह का कार्य होता हैl हमारे जीवन में संतुलन स्थापित करना उसी प्रकार हमारे हाथों की यह उंगली हमारे जीवन में संतुलन स्थापित करने का कार्य करती है, तथा नीलम रत्न को जब इस उंगली में धारण किया जाता है, तो शनि से संबंधित विभिन्न अनुकूल शक्तियों को जागृत कर उनका लाभ हमें विस्तृत स्तर पर देखने को हमारे जीवन में मिलता है, नीलम रत्न हमें त्वरित गति से लाभ प्रदान करता है।

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