मूंगा किस उंगली में पहने – – Munga Kis
Ungali Me Pahne
मूंगा किस उंगली में पहने- (munga ratna kis ungli mein pehna jata hai) हर व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में कुछ ना कुछ ऐसा करना चाहता है, जिससे उसका नाम हो उसका समाज में अपनी एक ऊंचा पद प्रतिष्ठा हो तथा उसको पाने के लिए जातक जी तोड़ मेहनत भी करता है, किंतु कभी-कभी समस्याएं ऐसी होती है, कि उसकी जीवन यात्रा पूरी तरह से बाधित हो जाती है lऐसी अनहोनी घटनाएं उसके जीवन में घट जाती है, जो उसे उसके पथ से भटका देती है, उसके पथ से विचलित कर देती है, कुछ विषम परिस्थितियों एवं अनहोनी घटनाओं को देखकर अपने पथ से भटक जाते हैं, लेकिन कुछ जातक ऐसे भी होते हैं, जो कितनी भी बड़ी विडंबना क्यों ना आए अपने आप को स्थिर रखते हैं, स्थिरता का भाव उनके मन मस्तिष्क पर इस कदर रहता है, कि देखकर पता ही नहीं चलता है, कि उनके जीवन में कौन सा भूचाल आया है। ऐसी शांति केवल विशिष्ट ग्रहों की कृपा से ही किसी भी जातक को प्राप्त होती है।
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जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष हैl अतः बिना संघर्ष किए जीवन में कुछ भी किसी को भी प्राप्त नहीं होता है lकुछ लोग हैं, जिन्हें सांसारिक एवं भौतिक वस्तु की प्राप्ति आसानी से हो जाती है, किंतु यह भी हो सकता है, कि उनके द्वारा किए गए पूर्वजन्म में अच्छे कर्मों का फल उन्हें इस जन्म में मिल रहा हो। किंतु जीवन में जो भी विडंबना ए विषम परिस्थितियां आती है, हमें कुछ ना कुछ सीख देती है, जिंदगी का मकसद ही है, हमें कठिन रास्तों से ले जाकर हमारी क्षमताओं को और अधिक बढ़ाना तथा हर एक चीज से कुछ ना कुछ सीखने की प्रेरणा लेना।
हमारे जीवन में जो भी चीज घटित होता है lउसमें शत प्रतिशत ग्रह नक्षत्रों का बहुत बड़ा योगदान रहता है lयह आकाशीय पिंड हमसे को कोशो दूर है, किंतु इनका प्रभाव सूक्ष्म से सूक्ष्म जीव पर पड़ता है। इनके प्रभाव से देवता हो या गण हो मानव हो या राक्षस या और कोई जीव कोई भी इनके प्रभाव से नहीं बच सकता है, किंतु ऐसा जरूरी नहीं है, कि इनके द्वारा दिया जाने वाला प्रभाव केवल नकारात्मक ही होता है, बल्कि सकारात्मक प्रभाव भी हमें इनके द्वारा देखने को मिलते हैं, तभी तो विशिष्ट ग्रह की ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित रत्न हम विधिवत पूर्वक धारण करते हैं।
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इन्हीं ग्रहों में से एक ग्रह होता है। मंगल जिसका नाम सुनकर लोग थोड़ा भयभीत हो जाते हैं, क्योंकि मंगल का नाम भले ही मंगल हो किंतु कभी-कभी या जातकों के जीवन में इतना अमंगल कर देता है, कि इस के नाम से ही बहुत लोगों के मन में भय उत्पन्न होने लगता हैl मंगल का स्वभाव बहुत अधिक उग्र होता है, तथा क्रूर भी होता है, जिसकी वजह से यदि किसी जातक को इसके दुष्परिणाम प्राप्त होते हैं, तो ऐसी स्थिति में उनके जीवन में कष्टों का जैसे सागर उमड़ने लगता हैl जातक की स्थिति बहुत अधिक दयनीय होने लगती है।
मंगल के दुष्प्रभाव को दूर कर उसके अनुकूल परिणाम को प्राप्त करने के लिए एक विशिष्ट वनस्पति के द्वारा बनाया गया मूंगा रत्न (munga ratna kis ungli mein pahne) धारण किया जाता हैl यह वनस्पति समुद्री जीवो के द्वारा करोड़ों की संख्या में एकत्रित होकर विभिन्न प्रकार की क्रियाओं के द्वारा बनाया जाता है, तथा जब तक मूंगा पानी के अंदर रहता है, तब तक उसकी संरचना थोड़ी मुलायम रहती है, किंतु जैसे ही वह हवा के संपर्क में आता है। उसकी पूरी संरचना संगठित होने लगती है lवह कठोर हो जाता हैl मूंगा रत्न को धारण करने से जातक को अनेक प्रकार के मंगल से संबंधित चीजों में लाभ प्राप्त होता है, तथा जातक की यश एवं कीर्ति बढ़ती है।
जातक का भाग्य प्रबल होता है, तथा उसके द्वारा किए जा रहे कार्यों में उसे सफलता प्राप्त होती हैl मंगल के द्वारा दी जाने वाली विभिन्न प्रकार के कष्ट दूर एवं पीड़ा को मूंगा रत्न पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता हैl अकारण क्रोध को मूंगा रत्न (munga ratna kis ungli mein dharan karen) दूर करता है, तथा जातक के अंदर ऊर्जा शक्ति का संचरण करता है, जिससे जातक किसी भी कार्य को करने के लिए खुद को बहुत ऊर्जावान महसूस करता हैl शरीर मजबूत एवं बलिष्ठ होता है, जिसे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
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हमारी हाथ की रेखाओं के द्वारा भी हस्त रेखा विशेषज्ञ द्वारा विभिन्न ग्रहों की स्थिति के बारे में जातक को बताने में सक्षम होते हैं, तथा इस विद्या के आधार पर भी बहुत से लोगों के द्वारा रत्नों को धारण किया जाता हैl प्राचीन काल से ही इस विद्या का उपयोग जनमानस के कल्याण के लिए उपयोग मे लाया जाता रहा हैl आज भी यह विद्या बहुत प्रचलित है, तथा इसके आधार पर लोग किसी भी विशिष्ट ग्रह का शुभ फल प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय के अलावा उस ग्रह से संबंधित रत्न भी धारण करते हो, जैसे -यदि किसी जातक को सूर्य से संबंधित रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है, तो उसे अनामिका उंगली में धारण किया जाता है, शनि ग्रह से संबंधित नीलम रत्न को मध्यमा उंगली में धारण किया जाता है, ऐसे ही बृहस्पति ग्रह से संबंधित रत्न को तर्जनी उंगली में धारण किया जाता है।
उसी प्रकार मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए भी हमें एक विशिष्ट उंगली का चयन क करना पड़ता है, जिसमें मूंगा रत्न (munga ratna ki jankari) सुसज्जित होकर अपने सकारात्मक प्रभाव से जातक का जीवन सुगम एवं सार्थक बना दे। हर एक ग्रह का अपना एक प्रभाव होता है, जिसकी शक्ति को प्राप्त करने के लिए विधिवत तरीके से विशिष्ट ग्रह की अंगूठी ब्रेसलेट या पेंडेंट को मंत्र उच्चारण कर अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित किया जाता है lउसके बाद ही रत्नों को उनकी ऊर्जा जागृत करने के पश्चात धारण किया जाता हैl धारण करने से पूर्व भी ग्रह नक्षत्रों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है, तथा राहुकाल आदि खराब युक्ति में कभी भी इन रत्नों को धारण नहीं करना चाहिए।
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विशिष्ट शुभ समय को देख कर ही रत्न धारण किया जाता है। मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne ke fayde) जो कि मंगल का राशि रत्न है। उसे विधिवत तरीके से अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित करवा कर दाएं हाथ की अनामिका उंगली में धारण किया जाना चाहिए। यदि व्यक्ति किसी भी प्रकार से किसी कार्य क्षेत्र में हो या धन अर्जन में किसी तरह से लिप्त हो और यदि कोई ऐसा जातक है, जो किसी भी प्रकार से धन अर्जन में संलग्न नहीं है, तो ऐसी स्थिति में उसे बाएं हाथ की अनामिका उंगली में अंगूठी को मंगलवार के शुभ दिन में बजरंगबली का आशीर्वाद प्राप्त कर धारण करना चाहिए, जिससे जातक को बहुत अच्छे परिणाम मिल सके।
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