स्फटिक माला पहनने की विधि – Sphatik Mala Pahanne ki Vidhi

स्फटिक माला पहनने की विधि – Sphatik Mala Pahanne ki Vidhi

 स्फटिक माला पहनने की विधि- Sphatik

 Mala Pahanne ki Vidhi

स्फटिक माला पहनने की विधि- (sphatik Mala Pahanne ki vidhi in hindi) स्फटिक माला पहनने से पहले इस बात का ख्याल अवश्य रखें की आपके द्वारा धारण किया जाने वाला माला पूरी तरह से प्राकृतिक हो, इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है, क्योंकि आजकल प्रतिस्पर्धा के दौर में पैसे कमाने के लिए लोग किसी भी हद तक चले जाते हैंl विभिन्न प्रकार की रसायनिक अभिक्रिया ओं के द्वारा प्रयोगशाला में कांच के या प्लास्टिक के मालाएं बनाकर उसे स्फटिक का स्वरूप प्रदान कर दिया जाता है, किंतु जो चीज असली होती है।

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उसका प्रभाव कुछ अलग ही होता है, और जो चीज नकली होती है, उसका प्रभाव पूरी तरह से विपरीत होता हैl यही कारण है, कि प्रकृति द्वारा निर्मित किसी भी चीज में तथा कृत्रिम रूप से निर्मित किसी भी चीज में बहुत अधिक अंतर होता है lइंसान चाह कर भी वह सारे गुण किसी भी चीज में नहीं प्रयुक्त कर सकता है, जिस प्रकार का समावेशन प्रकृति किसी भी चीज में प्रदान करती है, जो भौतिक ऊर्जा का समावेशन हमें प्राकृतिक रूप से निर्मित स्फटिक उपरत्न में प्राप्त होता हैl वह कभी भी नकली स्फटिक (sphatik mala ka upyog kaise kare) से प्राप्त नहीं हो सकता है।

असली स्फटिक (sphatik mala pehne ke fayde) की पहचान होती है, कि उसकी प्रवृत्ति ठंडी होती है, चाहे कितनी भी गर्मी हो जाए फिर भी उसके मन के गर्म नहीं होते हैं, कितना भी अधिक तापमान बढ़ जाए उसके मन के बहुत अधिक ठंडे रहते हैंl इस की चमक में कभी भी किसी भी प्रकार की त्रुटि देखने को नहीं मिलती हैl इस उपरत्न के मनके कभी भी पूरी तरह से गोल नहीं होते हैं, इसके साथ ही इसका घनत्व अधिक होता है, जिसकी वजह से वजन में भी यह अच्छा खासा पैमाना रखता है, जब इसके टुकड़ों को आपस में टकरा जाता है, तो इससे चिंगारी निकलती हुई प्रतीत होती हैl रात्रि में किसी भी प्रकार के प्रकाश स्रोत जब इस पर पड़ता है, तो यह और अधिक चमक उठता है।

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1. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर स्फटिक की माला (sphatik ki mala ki pehchan) को गंगा जल तथा पंचामृत में कुछ देर के लिए डालकर छोड़ दें, जिससे इसमें व्याप्त किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा यदि हो तो, वह पूरी तरह से नष्ट हो जाएl

2. उसके बाद इस दिव्य मनी से बने हुए आभूषण को कपूर लोंग तथा गूगल से आरती लगाएं गाय के शुद्ध घी का एक दीपक प्रज्वलित करें आप चाहे तो कुछ तो करें कपूर या ब्रास के इससे बने आभूषण के पास रख सकते हैं, ताकि इसके आसपास का वातावरण पूरी तरह से शुद्ध हो जाएl

3. स्फटिक माला (sphatik mala ka upyog) का प्रयोग भिन्न-भिन्न प्रकार के मंत्र को सिद्ध करने के लिए उपयोग में ला सकते हैं, या किसी खास कार्य की पूर्ति के लिए भी स्फटिक माला को अभिमंत्रित करके धारण कर सकते हैंl अतः यदि आप शुक्र ग्रह से संबंधित किसी भी पीड़ा से ग्रसित है, तो ऐसे में शुक्र ग्रह के बीज मंत्रों से इसे अभिमंत्रित करेंl शुक्र ग्रह का बीज मंत्र जितना हो सके उतना अधिक जप करें lकेवल इस बात का ध्यान रखें कि आपकी वर्तनी पूरी तरह से शुद्ध होनी चाहिए तभी शुक्र ग्रह का बीज मंत्र जो आप जाप कर रहे हैं, तभी प्रभावशाली सिद्ध होगा अन्यथा केवल रटी रटाई तरीके से यदि आप मंत्र उच्चारण करते हैं, तो ऐसे में आपको लाभ ना के बराबर होगा अतः जब भी आप मंत्र का जप करें तो वह उपांशु जप होना चाहिए।

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4. उसके बाद आप इस माला को किसी मां भगवती के मंदिर में ले जाकर उनके चरणों में कुछ देर के लिए रख दें, उसके बाद माता का आशीर्वाद प्राप्त करें एवं मंदिर के पुजारी जी का भी आशीर्वाद प्राप्त करें एवं उन्हें उत्तम दान दक्षिणा अवश्य प्रदान करें या उन्हें भेंट स्वरूप फल या सफेद मिठाई अवश्य प्रदान करें उसके पश्चात आप यदि चाहे तो उसी समय उस माला को धारण कर सकते हैं, या संध्या मेला में शुक्र ग्रह को देखते हुए उनका नमन करते हुए इस माला को धारण कर सकते हैंl

शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को यह माला धारण किया जा सकता हैl जिस भी दिन आप इसे धारण करें इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि महिला वर्ग शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करती हैंl अतः उनसे भूल कर भी उलझे नहीं lउन्हें कटु वचन बिल्कुल ना बोले किसी भी तरह का अपशब्द का प्रयोग उनके लिए भूलकर भी ना करें घर में जितनी भी महिला सदस्य हैंl सभी से उस दिन आशीर्वाद अवश्य प्राप्त करें एवं संभव हो तो, उन्हें कुछ ना कुछ उपहार अवश्य लाकर दे या श्वेत मिठाई खिलाएं।

ऐसे बच्चे जिन्हें किसी भी प्रकार की समस्या पठन-पाठन में होती है, या विद्या अध्ययन में उनका बुद्धि विवेक कार्य नहीं करता है, तो ऐसे बच्चों को स्फटिक माला को अवश्य धारण करना चाहिए lआप अपने बच्चों के लिए स्फटिक माला (sphatik mala benefits in hindi) को स्वयं मां सरस्वती के मंत्रों से अभिमंत्रित कर उन्हें धारण करवा सकते हैंl यदि और अधिक सर्वोत्तम लाभ आप अपने बच्चे को इस माला के माध्यम से प्राप्त करवाना चाहते हैं, तो सबसे शुभ दिन है- बसंत पंचमी lबसंत पंचमी को शुभ मुहूर्त पर इसे गंगाजल तथा पंचामृत से शुद्ध कर श्वेत पुष्प को अर्पण कर ब्रास से आरती उतारे उसके पश्चात जितना अधिक हो सके उतना माता सरस्वती के मंत्र का जाप करें।

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जाप संख्या हमेशा अधिक होनी चाहिए क्योंकि हर मंत्र को कार्य करने में कुछ समय लगता है, और मंत्रों की शक्ति को जागृत करने के लिए उनका जाप करना बहुत आवश्यक होता हैl अतः जाप संख्या जितना हो सके उतना अधिक बढ़ाते जाएंl उसके पश्चात माता सरस्वती के चरणों में इस माला को अर्पण कर माता का आशीर्वाद लेकर बच्चे को पहना दे तथा माता से विनती करें कि बच्चे को कुशाग्र बुद्धि विद्या मां प्रदान करेंl यह हमारा बहुत ही अद्भुत तरीके से आपके संतान के व्यवहार में परिवर्तन लेकर आएगा तथा विभिन्न पहलुओं पर भी स्फटिक माला (sphatik mala ki jankari) के सकारात्मक प्रभाव आपको देखने को मिलेंगे।

 

 

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Note – बसंत पंचमी की शुभ घड़ी बहुत जल्द ही आने वाली है, ऐसे में आप अपने बच्चों की विभिन्न प्रकार से सुरक्षा प्रदान करने के लिए भी स्फटिक माला (sphatik ki mala kaisi hoti hai) का प्रयोग आप कर सकते हैं lइसके साथ ही उनकी अध्ययन में लग्न शीलता को बढ़ाने के लिए आप इसे हमारे संस्थान से मंगवा सकते हैं lहमारे संस्थान के द्वारा दिया जाने वाला स्फटिक माला पूरी तरह से शुद्ध होता है, तथा आपको जो माला प्राप्त होती है उसका पहले से भी हमारे गुरु जी के द्वारा पूजा करके ही दी जाती हैl

किसी भी प्रकार की जटिल समस्या के समाधान के लिए भी आप हमारे गुरु जी से सहायता प्राप्त कर सकते हैं, हमारा संपर्क नंबर

 

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