स्फटिक माला को अभिमंत्रित कैसे करे – Sphatik Mala Ko Abhimantrit Kaise kare

स्फटिक माला को अभिमंत्रित कैसे करे – Sphatik Mala Ko Abhimantrit Kaise kare

 

 स्फटिक माला को अभिमंत्रित कैसे करे –

Sphatik Mala Ko Abhimantrit Kaise

 kare

स्फटिक माला को अभिमंत्रित कैसे करेंस्फटिक माला को अभिमंत्रित करने से पूर्व यह जानना आवश्यक है, कि आप किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए स्फटिक माला को अभिमंत्रित करना चाहते हैं, क्योंकि इस विशिष्ट माला का प्रयोग कई देवियों के मंत्रों को सिद्ध करने के लिए किया जाता हैl इसके साथ-साथ भगवान शिव शंभू के मंत्रों के सिद्धि लिए भी स्फटिक माला (sphatik mala ko abhimantrit kaise karte hai) को प्रयोग में लाया जाता हैl ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए भी इस माला को धारण करने की सलाह दी जाती है, अतः शुक्र ग्रह के मंत्रों से भी इस माला को अभिमंत्रित किया जा सकता है।

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1. इस चमत्कारिक माला को अभिमंत्रित करने के लिए सबसे पहले शुभ दिन का निर्धारण करेंl भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए स्फटिक माला को यदि महाशिवरात्रि पर्व के दिन सिद्ध किया जाए तो यह काफी अधिक ऊर्जावान बनता है, तथा अपने जागृत स्वरूप में आने में इसे अधिक समय नहीं लगता है, किसी भी सोमवार के दिन स्फटिक की माला (sphatik mala ko abhimantrit kaise kiya jata hai) को अभिमंत्रित करने के लिए सबसे पहले उसका शुद्धिकरण किया जाता है, गंगा जल एवं पंचामृत से शुद्ध करने के पश्चात ब्रास तथा गूगल से उसकी आरती उतारे उसके पश्चात भगवान भोलेनाथ के महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू करेंl जितनी अधिक संख्या में हो सके भगवान शिव शंभू के मंत्रों का उपांशु जाप करेंl आपके द्वारा यदि किसी मंदिर में इस माला को अभिमंत्रित किया जाए तो उसके लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं l

माला सिद्ध करने के पश्चात इसे उसी समय धारण किया जा सकता है, या फिर इसका प्रयोग प्रतिदिन केवल मंत्र जाप के लिए भी किया जा सकता हैl इस अभिमंत्रित की हुई माला को धारण करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा तो प्राप्त होती ही है, इसके साथ-साथ चंद्रदेव भी काफी प्रसन्न रहते हैंl चंद्र के दुष्प्रभाव से यदि कोई जातक पीड़ित है, तो ऐसे में उसकी सारी समस्याओं का समाधान इसे धारण करने से हो जाता है, इसके साथ ही चंद्र अनुकूल प्रभाव भी दिखाते हैं, चंद्र की मजबूती यानी मन की मजबूती जातक को चंद्रदेव मन से, मस्तिष्क से मजबूत बनाते हैं।

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ज्योतिष शास्त्र में चंद्र को विशेष दर्जा प्रदान किया गया हैl इन्हें नौ ग्रहों में मंत्री पद पर अलंकृत किया गया है, एवं किसी भी प्रकार के तरल से चंद्रमा का गहरा संबंध होता हैl हमारी भावनाओं, हमारी संवेदनशीलता, हमारी सौम्यता का कारक स्वयं चंद्रदेव होते हैं lमाता, जल, व्यवहार ,शिशु, अवस्था, मानसिक शांति का कारक चंद्र देव होते हैंl स्फटिक माला (sphatik mala pehne ke fayde) को धारण करने से जातक की सृजनात्मक एवं रचनात्मक शैली में अद्वितीय रूपांतरण होता हैl इसके साथ-साथ उपयोगकर्ता की कल्पनाशील क्षमता को यह मजबूत बनाता हैl स्फटिक रत्न जातक की भावनाओं तथा संवेदनशीलता पर भी नियंत्रण प्रदान करता है, किसी भी प्रकार के नेत्र संबंधित विकार हो या वाणी दोष इन सभी में भी स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है, जातक को यह स्थिर चित्त प्रदान करता हैl

2.शुक्र से संबंधित किसी भी प्रकार की परेशानी को या उसके द्वारा अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए भी स्फटिक माला का प्रयोग किया जा सकता हैl प्रयोग में लाने से पूर्व स्फटिक माला को पहले विधि विधान से अच्छे से गंगा जल एवं पंचामृत से शुद्धिकरण करने के पश्चात पुष्प अर्पित करें धूपबत्ती दिखाने के पश्चात शुक्र ग्रह के बीच मंत्रों का उपांशु जाप करें शुक्र के मंत्र जितना हो सके उतना अधिक जाप करना चाहिए शुक्ल पक्ष के किसी भी शुक्रवार को स्फटिक माला (sphatik mala chamatkari fayde) को सिद्ध किया जा सकता है, सिद्ध करने के बाद इसे संध्या बेला में शुक्र ग्रह को देखते हुए धारण करें इस चमत्कारिक माला को धारण करने से जातकों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं।

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शुक्र जो कलात्मक गुणों के स्वामी होते हैंl प्रेम संबंधों में संवेदनशीलता का कारक भी शुक्र ग्रह है, शरीर के अंगों में शुक्र जननांगों के कारक होते हैं, तथा स्त्री वर्ग का प्रतिनिधित्व भी शुक्र ग्रह के द्वारा किया जाता है, हर प्रकार की वैभव एवं विलासिता संबंधित चीजों का कारक भी शुक्र ग्रह होते हैं lसांसारिक एवं भौतिक वस्तुओं के कारक भी शुक्र ग्रह को ही माना जाता हैl सौंदर्य एवं ऐश्वर्या का कारक भी शुक्र ग्रह ही होते हैंl शुक्र ग्रह को सौंदर्य की देवी से भी अलंकृत किया जाता हैl विभिन्न प्रकार के कलात्मक कौशल जैसे- रंगमंच, चित्रकारी ,नृत्य, कला ,काव्य रचना ,गीत -संगीत, नृत्य, ललित कलाएं आदि का कारक भी शुक्र ग्रह ही होते हैं।

जल तत्व तथा सभी श्वेत पदार्थ ,चांदी ,बसंत ऋतु, माता लक्ष्मी की उपासना, मनोरंजन ,सुगंध ,हीरा आदि का प्रतिनिधित्व भी इनके द्वारा किया जाता हैl वैवाहिक जीवन की स्थिति भी इनके द्वारा ही निर्धारित की जाती है, शुक्र ग्रह को प्रेम की देवी भी कहा जाता है, क्योंकि जितने भी प्रेम संबंध बनते हैं, शुक्र ग्रह के ही कृपा से बनते हैं, तथा सृष्टि में जिस सृजनात्मक शक्ति के द्वारा किसी भी जीव विशेष की जनसंख्या की वृद्धि भी शुक्र ग्रह की कृपा से ही होता हैl शुक्र ग्रह के गुणों को प्राप्त करने के लिए स्फटिक चमत्कारिक सिद्ध माला (sphatik mala ke chamatkar) को धारण करना सबसे उपयुक्त माना जाता है।

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3. सनातन संस्कृति में माता लक्ष्मी की उपासना के कई विधि वर्णित है lमाता लक्ष्मी की कृपा के बिना किसी भी चीज को प्राप्त करना संभव नहीं हैl समृद्धि, ऐश्वर्य ,धन- संपदा आदि की कारक माता लक्ष्मी होती हैl कई लोग माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए सात्विक साधना करते हैं, त कई लोग माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए सात्विक साधना करते हैं, तो कई लोग तंत्र विद्या के माध्यम से भी माता का आशीर्वाद प्राप्त करने की विधि चुनते हैंl माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए स्फटिक की माला (sphatik mala benefits in hindi) का भी प्रयोग किया जाता है l

शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्फटिक माला (sphatik mala ke labh) को गंगाजल एवं पंचामृत से शुद्ध करने के पश्चात गुलाब के पुष्प अर्पित कर ब्रास से इसकी आरती उतारे उसके पश्चात माता लक्ष्मी के मंत्र का उपांशु जप करेंl कोई भी मंत्र विशिष्ट संख्या तक जपने के पश्चात् ही अपना प्रभाव दिखाता है lअतः माता लक्ष्मी से संबंधित मंत्र को जितना हो सके उतना अधिक जाप करें।

ऐसा करने से आपके जीवन में आ रही विभिन्न प्रकार की आर्थिक परेशानियों को माता लक्ष्मी जल्द से जल्द दूर कर देती है, यदि माता लक्ष्मी के मंत्रों का जप प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में स्फटिक माला (sphatik mala ke fayde) से किया जाए तो माता लक्ष्मी का निवास उसी घर में हो जाता है, जहां स्फटिक माला रहता है, जातक के जीवन में कभी भी भौतिक वस्तुओं की कमी नहीं रह जाती है lमाता लक्ष्मी सदैव अपनी कृपा दृष्टि जातक के ऊपर एवं उसके परिवार वालों के ऊपर बनाए रखती हैंl

 

 

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