टोपाज स्टोन की पहचान – Topaj Stone Ki
Pahchan
टोपाज स्टोन की पहचान कैसे करें (Asli topaj kaise pahchane) लोगों की यह सबसे बड़ी समस्या होती है, जब उन्हें किसी के द्वारा टोपाज स्टोन धारण करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि आजकल बाजारों में जो रत्न उपलब्ध होते हैंl वह विभिन्न प्रकार की रसायनिक अभिक्रियाओं के द्वारा प्रयोगशाला में निर्मित होता हैl कृतिम रत्न देखने में बिल्कुल असली रत्न के समान होता है, किंतु कृतिम रत्नों में प्राकृतिक रूप से वह भौतिक गुण विद्यमान नहीं होते हैं, जो असली पत्थर में होते हैं, जो हमें प्रकृति के द्वारा एक महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में प्रदान किया गया हैl लोगों के मन में यह भी संशय रहता है, कि आखिर कौन सा मापदंड कौन सा पैमाना अपनाएं, जिससे प्राकृतिक स्टोन ही हमें प्राप्त हो एवं हम गुरु ग्रह के संपूर्ण लाभों को अपने जीवन में प्राप्त कर सके तथा अपने जीवन को सार्थक एवं सफल बना सके।
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टोपाज गुरु ग्रह को निरूपित करने वाला एक दिव्य रत्न है, जो देखने में पीला वर्ण का होता है, इसे प्राप्त करना इतना आसान नहीं होता है, जिसकी वजह से इसका मूल्य बहुत अधिक होता हैl यह एक मूल्यवान रत्न है, इसकी विविध खासियत को देखते हुए यह केवल भारतीय ज्योतिष विज्ञान ही नहीं अपितु पाश्चात्य ज्योतिष विज्ञान में भी टोपाज रत्न (asli topaj kaise pahchane kiya jata hai) को इतना ही महत्व दिया जाता है। टोपाज रत्न का संयोजक एलुमिनियम और फ्लोरिन सहित सिलिकेट जैसे खनिज होते हैंl संस्कृत में टोपाज को पुष्पराग कहकर अलंकृत किया गया है lयह एक ऐसा अद्वितीय रत्न है, जिसका उपयोग लोगों के द्वारा देवताओं के गुरु गुरु बृहस्पति ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
गुरु ग्रह जो हमारे भाग्य का कारक होते हैं, जिनके बिना हमारी सारी मेहनत भी फल पड़ जाती है, जिनके बिना हमारे जीवन में कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न नहीं हो पाता हैl गुरु ग्रह एक ऐसा ग्रह जो पूरे आकाशीय पिंडों में सबसे बड़े होते हैं, जिसकी वजह से इनका प्रभाव भी किसी भी जातक के जीवन में बहुत अधिक पड़ता है, इसलिए देवता हो या राक्षस मनुष्य हो या गण सभी इनको सम्मान की दृष्टि से देखते हैं, एवं इनके लिए मन में बहुत ही सम्माननीय आदरणीय भाव रखते हैंl इनकी कृपा प्राप्त करने के लिए लोगों के द्वारा विभिन्न उपाय तो किया ही जाता है इसके साथ साथ टोपाज रत्न (asli topaj ko kaise pahchane) को धारण किया जाता है, जिससे गुरु ग्रह को बल मिलता है, एवं वह त्वरित गति से हमें उनसे संबंधित अनुकूल परिणाम देते हैं।
टोपाज स्टोन की पहचान के लिए निम्नलिखित पैमाने या मापदंड अपनाए जा सकते हैं-
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1. सूर्य की किरने जब टोपाज स्टोन (asli topaj ratna ke pahchan) के ऊपर पड़ती है, तब इससे सुनहरी रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई देती हैl यदि पीली रोशनी की जगह इंद्रधनुषी रंग उत्सर्जित होते हुए दिखाई पड़ रहा है, तो इसका अर्थ है कि वह एक नकली रत्न है।
2. असली टोपाज (topaz stone Pahanne ke labh) बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक होता हैl इसके साथ साथ उसका सतह बहुत अधिक चिकना होता है, जिसकी वजह से जब हम इसे हाथों की मदद से इसके सतह के विपरीत रगड़ उत्पन्न करते हैं, तो यह छिटक कर दूर भी जा सकता हैl
3. कांच की गिलास या फिर कांच की कटोरी में जब इसे रखा जाता है, तब इससे पीली रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई पड़ती है, जो हर ओर से एक समान होती हैl
4. प्राकृतिक रूप से निर्मित पत्थरों का घनत्व बहुत अधिक होता है, क्योंकि वह विभिन्न प्रकार की मौसमी प्रक्रियाओं से गुजरते हैं, एवं उच्च ताप एवं उच्च दाब जैसी स्थितियों से गुजर कर विभिन्न प्रकार के शैलो के द्वारा इनका निर्माण होता है, जिसकी वजह से टोपाज स्टोन (asli topaj stone ki pehchan kya hai) का घनत्व भी बाकी पत्थरों के समान ही बहुत अधिक होता है, तथा उसका घनत्व इसके आकार की तुलना में बहुत अधिक होता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित टोपाज में यह गुण आपको देखने को नहीं मिलता हैl कृत्रिम रूप से निर्मित टोपाज देखने में भले ही देखने में बड़ा लगता हो किंतु उसका घनत्व असली पुखराज की तुलना में बहुत कम होता है।
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5. असली पुखराज को जब कुछ घंटों के लिए गाय के शुद्ध दूध में डालकर छोड़ दिया जाता है, उसके बाद जब उसे निकाला जाता है, तो उसकी आभा और अधिक चमकदार एवं आकर्षक हो जाती है, उसके रंग में किसी भी प्रकार का अवगुण देखने को नहीं मिलता है।
6. असली टोपाज (topaz stone ki pehchan in hindi) ज्वालामुखी के दरारों से प्राप्त होता है, और यह देखने में सुंदर पारदर्शी चिकना होने के साथ-साथ बहुत कठोर होता है, इसलिए जब इसे ताक पर रखा जाता है, तब इसकी रंगत और अधिक निखर जाती है, तथा ताप पर बिल्कुल यह सूर्य के समान दिखता हैl इसके साथ ही इसके आकार में परिवर्तन नहीं होता है lइस का गलनांक बहुत अधिक होता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित टोपाज को जब ताप पर रखा जाता है, तब इसके आकार में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है, क्योंकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न कुछ और नहीं बल्कि कांच होता है, जिसकी वजह से ताप पड़ते ही वह अपने आकार बदलने लगता है lउस वक्त आप किसी नुकीली चीज से उसमें किसी भी प्रकार की आकृति तक बना सकते हैं, तथा उसका रंग बदरंग हो जाता है, वह देखने में पहले की अपेक्षा सुंदर नहीं लगता है।

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7. टोपाज को जब हम सफेद रुमाल के सहारे सूर्य की विपरीत दिशा में रुमाल को रखते हैं, और उसके पीछे टोपाज स्टोन को रखते हैं, तो उससे सूर्य के समान ही रोशनी निकलती हुई प्रतीत होती है।
8. असली पुखराज रत्न को जब गोबर या फिर मिट्टी के लेप से रगरा जाता है,तब उसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है, इसके औषधीय गुण भी कुछ कम नहीं होते हैं, जैसे -छोटे मोटे कीड़े काटने या मधुमक्खी किसी को डंक मार देती है, तो उस अवस्था में पुखराज रत्न को काटे हुए जगह पर जब टोपाज स्टोन (topaz stone ke fayde) से रगड़ा जाता है, तो ठंडक महसूस होती है, एवं जलन कम हो जाती है।
9. असली टोपाज रत्न (topaz stone ke labh) पूरी तरह से पारदर्शी होता है, जिसकी वजह से जब इस इस पर रोशनी की किरण पड़ती है, तब वह इससे आर पार चली जाती है lयदि आर पार जाने की जगह यह रोशनी को अवशोषित कर रहा है, तो इसका तात्पर्य है, कि वह एक नकली रत्न है।
10. टोपाज रत्न की प्रवृत्ति ठंडी होती है, इसलिए त्वचा के संपर्क में आने पर आप को ठंडक महसूस होता है।
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