एक मुखी रुद्राक्ष को पहनने के नियम – Yek Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

एक मुखी रुद्राक्ष को पहनने के नियम – Yek Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

 

एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम- Yek

 Mukhi Rudraksha Pahanne Ke Niyam

सनातन संस्कृति ऐसी गूढ़ विद्याओं का समावेशन है, जिसकी विषय वस्तु को आज का उन्नत मानव भी समझने में पूरी तरह से विफल है, फिर भी आज के उन्नत मानव के द्वारा कुछ चीजों के शोध सफल हुए हैं, उन्हीं सभी तो शोधो में से एक शोध है, रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksh dharan karne ke niyam) के ऊपर lअनेक प्रकार के शोध अनेक प्रकार के विद्वान वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए तथा हर ओर से इसके विभिन्न पद्धतियों को पूरी तरह से वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जा चुका हैl सनातन संस्कृति की देन है, कि लोग आज रुद्राक्ष या रुद्राक्ष के माला को धारण कर विभिन्न प्रकार के सांसारिक चीजों में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।

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आज केवल संसार में भारत के सनातन लोगों के लिए द्वारा ही नहीं अपितु विश्व के कई विदेशियों के द्वारा भी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाने लगा है lकई विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के द्वारा इस पर शोध किया गया तथा शोध में जो तथ्य सामने आए सभी के लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है, हमारे पूर्वजो के द्वारा वर्णित विभिन्न पुराणों में सभी बातों का बड़े ही स्पष्ट एवं वैज्ञानिक रूप से इस बात की पुष्टि की गई कि हमारे धर्म ग्रंथ में जो बातें रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksh ka mahatva) के लिए लिखी गई है, वह उन सभी की सत्यता पर पूरी तरह से खड़ा उतरता है, वास्तव में यह इतने अधिक गुणों से परिपूर्ण होता है, जिसकी व्याख्या चंद शब्द या चंद वाक्य में करना हास्य पूर्ण होगा।

एक मुखी रुद्राक्ष सभी रुद्राक्ष ओं में और अधिक विशिष्ट एवं दुर्लभ माना जाता है, तथा इसकी उपलब्धता पूरे विश्व में बहुत कम होती है lइसे और अधिक चमत्कारिक इसलिए भी माना जाता है, क्योंकि भगवान भोलेनाथ के नेत्रों से निकला हुआ पहला आशु के रूप में एक मुखी रुद्राक्ष है, ऐसा माना जाता है, कि रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksh pahnane ke niyam kya hai) की उत्पत्ति भगवान भोलेनाथ के आशुओ के द्वारा हुई हैl भगवान भोलेनाथ का इसे अंग माना जाता हैl उनका ही स्वरूप रुद्राक्ष को माना जाता है, तथा भोलेनाथ के ही नाम पर इसे रुद्राक्ष बोला जाता है, यानी रूद्र का अंश यानी रुद्राक्ष।

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एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के कुछ नियम है, जिसे हमें अवश्य ध्यान में रखना चाहिए, अन्यथा इन पवित्र चीजों का प्रभाव धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है, तो आइए जानते हैं, क्या है, एक मुखी रुद्राक्ष पहनने के नियम

1. रुद्राक्ष की माला (ek mukhi rudraksh ki mala ke fayde) जब भी धारण करना हो तो कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति विशेष का माला या रुद्राक्ष धारण करने से बचना चाहिए क्योंकि रुद्राक्ष का कार्य होता है, किसी के भी आभामंडल को सुरक्षा प्रदान करना नकारात्मक शक्तियों से किसी व्यक्ति विशेष की पूरी तरह से सुरक्षा प्रदान करना या उसके अंदर किसी भी प्रकार की नकारात्मक तत्वों की प्रधानता है, तो यह उसके सूक्ष्म से सूक्ष्म कोशिकाओं के संरचनाओं के ऊपर अपना प्रभाव दिखाता है, तथा हर एक शरीर के अंग में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित कर लेता है lअपने अंदर पूरी तरह से समाहित कर लेता है, जिससे व्यक्ति के शरीर में मौजूद कई प्रकार की अशुद्धियां कई प्रकार की नकारात्मक चीजों का धीरे-धीरे निराकरण होने लगता है l

ऐसे में उस व्यक्ति विशेष के द्वारा पहना गया रुद्राक्ष, रुद्राक्ष माला (ek mukhi rudraksh ki mala dharan karne ke fayde) कोई और व्यक्ति धारण करता हैl तब उसकी शरीर की शक्ति संरचना में बदलाव आने लगते हैंl उसके अंदर ऐसे तत्व की प्रधानता पड़ने लगती है, जो बहुत अधिक नकारात्मक चीजों से परिपूर्ण होते हैं, क्योंकि जब भी हम किसी चीज का प्रयोग कर लेते हैं, जैसे- रत्न -जब हम रत्नों का प्रयोग कर लेते हैं, तब उसमें हमारी ऊर्जा चली जाती है, तथा रत्न के अंदर व्याप्त ऊर्जा को हमारा शरीर अवशोषित कर लेता है, इसी प्रकार जब उपयोग में लाया हुआ रुद्राक्ष, रुद्राक्ष की माला किसी और के द्वारा धारण किया जाता है।

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तब उसके अंदर अनेक प्रकार के नकारात्मक बदलाव आने लगते हैं lउसके मन मस्तिष्क हृदय पर से पूरी तरह से नियंत्रण खत्म होने लगता है, दिमाग कई प्रकार की उलझनों से परिपूर्ण होने लगता है, क्योंकि दो बहुत बड़ी ऊर्जाओ के टकराने के कारण उसके मन ,मस्तिष्क ,शरीर सभी चीजों पर इसका प्रभाव पड़ने लगता है lअतः किसी भी स्थिति में हमें दूसरे के द्वारा उपयोग में लाया जाने वाला एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने से बचना चाहिए।

2. एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha benefits in hindi) को कभी भी काले रंग के धागे में धारण नहीं करना चाहिए, इससे रेशमी धागे में या धागे में पिरोना सबसे उपयुक्त माना जाता है, तथा धागे का रंग लाल या पीला हो तो सबसे उत्तम माना जाता हैl

3. एक मुखी रुद्राक्ष यदि आपके द्वारा धारण किया जा रहा है, तो इस बात का ख्याल अवश्य रखें कि उसमें किसी भी तरह की त्रुटि ना हो क्योंकि एक त्रुटि युक्त रुद्राक्ष की ऊर्जा पूरी तरह से छिन्न होती हैl

4. यदि आपके द्वारा एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha pehne se kya hota hai) धारण किया गया है, तो आप बेशक इसे धारण करके स्नान कर सकते हैं, किंतु इस बात का ख्याल रखें कि किसी भी परिस्थिति में इसके ऊपर किसी केमिकल आदि का प्रयोग ना हो, साबुन का उपयोग उस वक्त आपको नहीं करना चाहिए।

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5. किसी की मृत्यु होने पर भी आपको इसे पहन कर जाना नहीं चाहिए, ऐसे में यह पूरी तरह से अपनी प्रभावशाली गुणों को खो देता हैl

6. एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksha se kya labh hota hai) को धारण करके कभी भी मांस मदिरा आदि का सेवन करने से बचना चाहिए एवं किसी भी तरह का वर्जित कार्य करने से पूर्व इससे अच्छी जगह पर उतार कर रख दें, बिना स्नान किए वापस इसे धारण करने से आपको बचना चाहिएl अन्यथा अपनी शक्तियों को देता है।

7. एक मुखी रुद्राक्ष (ek mukhi rudraksh ki jankari) धारण करने वाले व्यक्तियों को जितना हो सके सात्विक जीवन अपनाना चाहिएl इसके साथ ही अपने मन मस्तिष्क में किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार को लाने से बचना चाहिए तथा किसी भी व्यक्ति विशेष के साथ बुरे बर्ताव करने से भी बचना चाहिए, इसे धारण कर कर झूठ नहीं बोलना चाहिए तथा किसी भी व्यक्ति को ठगी आदि का शिकार नहीं बनाना चाहिए, अन्यथा इसके परिणाम बहुत ही भयंकर हो सकते हैं।

8. जिन लोगों के द्वारा इसे धारण किया गया है lउन्हें प्रतिदिन यदि संभव है, तो भगवान भोलेनाथ के मंत्रों का जप अवश्य करना चाहिए, इससे इसकी ऊर्जा कभी भी जल्दी समाप्त नहीं होती है तथा यह हमेशा जागृत अवस्था में रहता है, एवं जातक को विविध प्रकार से लाभ पहुंचाता हैl

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