नीलम स्टोन के नुकसान – Neelam Stone
Ke Nuksan
नीलम स्टोन (neelam ratna ke fayde aur nuksan) के नुकसान ,इसे हमें कब धारण नहीं करना चाहिए संबंधित चीजों पर हम विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि इसके क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव हमारे जीवन के ऊपर हो सकते हैं-
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार विभिन्न प्रकार की ग्रहों, उपग्रहो, नक्षत्रों आदि का गोचर जब ब्रम्हांड में होता है, तब इसका हमारे ऊपर भी बहुत प्रभाव पड़ता है, जैसे जैसे इन ग्रहों उपग्रहों की परिस्थिति होती है वैसे -वैसे हमारे जीवन में विभिन्न प्रकार की परिवर्तन देखने को मिलते हैंl इन ग्रहों के द्वारा दिए जा रहे विभिन्न प्रकार के नकारात्मक परिणामों के लिए विभिन्न प्रकार के रत्न पाए जाते हैं।
इन सभी ग्रहो ,उपग्रहो से संबंधित विभिन्न प्रकार के रत्न अद्वितीय तरीके से हमारे वास्तविक जीवन पर प्रभाव डालते हैं, तथा नीलम रत्न (Neelam Stone Ke Nuksan) किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैंl प्रकृति के गर्भ से हमें यह मूल्यवान रत्न प्राप्त होते हैं, जो अपने अंदर बहुत सी शक्तियां उर्जा को समाहित रखते हैं, जैसे- पुखराज जो गुरु ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है, तथा इसमें गुरु से संबंधित विभिन्न प्रकार की शक्तियां विद्वमान रहती है।
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पन्ना रत्न बुद्ध ग्रह को समर्पित होता है, तथा इसमें विभिन्न गुप्त शक्तियां विद्यमान होती है, उसी प्रकार नीलम भी एक रत्न है, जिसमें शनि ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की शक्तियां समायोजित रहती है, आज हम इस लेख के माध्यम से आज हम केवल नीलम रत्न (neelam ratna ke fayde in hindi) के ऊपर चर्चा करेंगे जो न्याय के देवता दंडाधिकारी शनि ग्रह को समर्पित है।
प्रायः गरीब वर्ग के लोगों, मजदूर वर्ग के लोग, असहाय लोग ,पीड़ित लोग, समाज ,समिति आदि का प्रतिनिधित्व शनि ग्रह के द्वारा किया जाता है, तथा ऐसा माना जाता है, कि यह सभी के साथ न्याय करते हैंl यह न्याय के देवता है lइनका कार्य ही है, हर किसी के साथ न्याय करना तथा अनुचित करने वाले को दंड देना lपश्चात ज्योतिष विज्ञान हो या भारतीय ज्योतिष विज्ञान सभी में शनि ग्रह को दुख, पीड़ा ,कष्ट ,बीमारी आदि का कारक माना जाता है।
सनी ग्रह को एक मारक ग्रह के रूप में भी माना जाता है, किंतु इस ग्रह से संबंधित विभिन्न प्रकार की भ्रामक बातें समाज में फैली हुई है, जिससे लोगों के मन में इस ग्रह को लेकर खौफ का माहौल रहता है, लोग इससे बहुत अधिक कतराते हैं, एवं बहुत अधिक डरते हैं, किंतु प्रकृति के द्वारा संरक्षित यह रत्न ग्रह केवल सृष्टि में संतुलित स्थापित करने के उद्देश्य से सृजित किया गया था, ना की है, डर आदि को बढ़ावा देने के लिएl शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है, जो आपके कर्मों के हिसाब से आपको फल प्रदान करता हैl इनके कृपा प्राप्ति के लिए भाग्य का प्रबल होना आवश्यक नहीं है, बल्कि कर्म का प्रबल होना आवश्यक है, यह एक ऐसा ग्रह है, जो अनुशासन प्रिय ,नैतिकता वाद को बड़े स्तर पर मान्यता देते हैं।
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इनके कृपा से जो हमारे भाग्य में नहीं भी लिखा हुआ होता है, फिर भी यदि हम अपने कर्मों को अच्छा कर ले तो शनिदेव की कृपा से हमें वह प्राप्त होता है, इसलिए कहा गया है, कि भाग्य से अधिक हमेशा कर्म पर विश्वास करना चाहिए क्योंकि कर्म चाहे तो लोगों के भाग्य बदलने की ताकत रखता है, जब हमारे कुंडली में इनका गोचर होता है, तब इनके बहुत से प्रभाव देखने को मिलते हैं, जैसे -जातक मानसिक अवसाद का शिकार हो जाता है, तथा अपने ही मानसिक उलझनों में खोया रहता है, समाज से कट छट जाता है, जिसकी वजह से उसमें अकेलापन जैसी समस्याओं से वह जूझने लगता हैl वह अपने आप को दूसरे के साथ जुड़ाव करने में काफी कठिनाई महसूस करता है।
विभिन्न प्रकार की शारीरिक कष्ट उसे होने लगते हैं, जैसे- उदर रोग ,वायु रोग, किडनी रोग से संबंधित विभिन्न रोग आंखों से संबंधित विभिन्न रोग शरीर में दर्द का उठना आदि जैसे विभिन्न प्रकार की बीमारियां उसे घेरने लगती हैl धन संपत्ति का क्षय शुरू हो जाता है, लोगों से भी बहुत झगड़े झमेले बढ़ने लगते हैं lघर परिवार में भी कलह का माहौल रहता है।
घर परिवार के लोगों से सहयोग ना पाकर ऐसे जातक भावनात्मक स्तर पर बिल्कुल शून्य हो जाते हैंl रचनात्मक विचारों का क्षरण होने से उनका जीवन बिल्कुल भी निरस हो जाता हैl उनके जीवन में बिल्कुल आनंद नहीं रहताl उनके जीवन में बिल्कुल सुख शांति का वास नहीं रहता।
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कभी-कभी ऐसी परिस्थिति भी हो जाती है, जब आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेता है, किंतु इसका अर्थ यह नहीं है, कि यह सारी चीजें उसके साथ केवल शनि ग्रह के कुदृष्टि के वजह से हो रहा है, बल्कि उसके कर्म है, जो उसे भुगतने पड़ रहे हैंl उसके द्वारा किए गए खराब कर्मों का फल उसे मिल रहा है, जब शनि देव के विभिन्न गोचर जैसे- शनि की ढैया, शनि की साढ़ेसाती जैसी चीजें हमारे कुंडली में होता है, तो उस परिस्थिति में हमें मिले-जुले प्रभाव मिलते हैं, पहले नकारात्मक चीजें हमारे जिंदगी में बड़े स्तर पर होती हैं, फिर धीरे-धीरे उनका प्रभाव खत्म होने लगता है, और सकारात्मक चीजें अपना प्रभाव दिखाने लगती है, इस तरह हमें मिलाजुला प्रभाव देखने को ऐसी परिस्थिति में मिलता है।
नीलम स्टोन के नुकसान-
1. यदि आपकी कुंडली में शनि का केतु के साथ किसी भाव में संबंध बना रहा है, और आपके द्वारा नीलम रत्न (Neelam ratna ke fayde) धारण किया गया है, तो ऐसे में आपको उत्सर्जन प्रणाली संबंधित विभिन्न प्रकार के लोगों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे -किडनी संबंधित बीमारियां या गर्भाशय संबंधित बीमारियां पथरि आदि भी आपको हो सकता है।
2. यदि शनि का राहु के साथ आपकी कुंडली में कोई योग बन रहा है, और आपके द्वारा नीलम रत्न (Neelam ratna pahanne ke nuksan) धारण किया गया है, तो आप को उदर संबंधित या गुप्तांगों संबंधित, लीवर संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।
3. सूर्य और शनि की युति जब बनती है, और आपके द्वारा यदि यह रत्न धारण कर लिया गया है, तो ऐसी परिस्थिति में विभिन्न प्रकार की आकस्मिक दुर्घटनाएं घटने लगेगी चोट लगना ,जलना, एक्सीडेंट आदि संबंधित चीजें बढ़ जाएंगी।
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4. यदि शनि किसी की कुंडली में प्रथम भाव में नीच का है, और आपके द्वारा नीलम रत्न (neelam ratna pehne ke fayde) धारण कर लिया गया है, तो उस स्थिति में आप मानसिक अवसाद में जा सकते हैं, तथा पागलपन की अवस्था में आप किसी भी दुर्घटना को अंजाम दे सकते हैं, एवं भावनात्मक स्तर पर खुद को अलग-थलग पाने से आपकी स्थिति और भी दयनीय हो सकती है।
5. यदि नीलम रत्न (Neelam ratna pahanne ke labh aur hani) आपकी कुंडली के अनुकूल नहीं हुआ तो आपके विभिन्न प्रकार के कार्यों में बाधा उत्पन्न होने लगेगी lलोगों से मनमुटाव बढ़ जाएगा तथा मानसिक तनाव बढ़ेगा। घर परिवार के लोगों से झगड़े बढ़ेंगेl स्वास्थ दिन प्रतिदिन गिरने लगेगा।
अतः नीलम रत्न (Neelam dharan karne ke fayde) को धारण करने से पूर्व अपनी कुंडली की सटीक जानकारी किसी विद्वान ज्योतिष के द्वारा अवश्य प्राप्त कर लेंl तत्पश्चात इस रत्न को धारण करें रत्न धारण करने से पूर्व इस बात का भी ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा रत्न असली है, या नकली है, तथा अभिमंत्रित किया हुआ है, या नहीं है।
अभिमंत्रित नीलम स्टोन कहां से प्राप्त करें –
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