जमुनिया रत्न के बारे मे बताएं – Jamuniya Ratna Ke Baare Me Batay

जमुनिया रत्न के बारे मे बताएं – Jamuniya Ratna Ke Baare Me Batay

 

 जमुनिया रत्न के बारे में बताएं – Jamuniya

 Ratna Ke Baare Me Batay

जमुनिया रत्न के बारे में बताएं- जमुनिया एक प्रकार का उपरत्न है, जिसे नीलम रत्न के स्थान पर धारण किया जाता है lशनि ग्रह की स्थिति को देखते हुए जमुनिया रत्न (jamuniya ratna ke baare me bataye in hindi) बहुत से लोगों के द्वारा धारण किया जाता है, जो लोग किसी भी प्रकार से नीलम को धारण करने में सक्षम होते हैंl उनके द्वारा यह उपरत्न विधिवत तरीके से धारण किया जाता हैl जमुनिया रत्न देखने में बिल्कुल बैंगनी रंग का होता है, तथा जितना इसका रंग गाढ़ा होता है, उतना अधिक किया प्रभावशाली सिद्ध होता है।

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अतः इसे धारण करने से पूर्व जातकों के द्वारा इसके रंग को अच्छे से परखा जाता है, तभी इसे धारण किया जाता हैl विश्व में सबसे उत्तम जमुनिया उपरत्न श्रीलंका, साइबेरिया तथा ब्राजील से प्राप्त होते हैंl इन उपरत्नो में प्राकृतिक रूप से रेखाएं रेशा बिंदु आदि विद्यमान होता है, जो कि इसके पूरी तरह से शुद्ध होने का प्रमाण होता है, जब रोशनी गिरती है, तब यह रोशनी को पूरी तरह से परावर्तित कर देता है, क्योंकि जमुनिया उपरत्न (jamuniya ratna ke labh) पूरी तरह से पारदर्शी होता है।

शनि का यह उपरत्न शनिवार के दिन शनि ग्रह के विशिष्ट मंत्रों से अभिमंत्रित करने के पश्चात शुभ नक्षत्र एवं शुभ मुहूर्त में धारण किया जाता हैl शनि जिन्हें न्यायमूर्ति की उपाधि से अलंकृत किया जाता हैl जिनके बिना न्याय पाना संभव नहीं हैl शनि ग्रह एक ऐसे ग्रह है, जो बहुत ही धीमी गति से चलने वाले ग्रह होते हैं, यही कारण है, कि जब इनकी किसी भी प्रकार की दशा महादशा या अंतर्दशा शुरू होती है तो वह सालों साल चलती रहती है, क्योंकि शनि ग्रह की धीमी चाल होती हैl ऐसे में जातक के ऊपर जब इनका दुष्प्रभाव पड़ता है, तो जातक को उससे उबरने में बहुत अधिक समय लग जाता है, क्योंकि हर किसी को अपना कर्म फल भुगतना पड़ता है।

चाहे वह इस जन्म का कर्म फल हो या पिछले जन्म का हो या फिर किसी भी जन्म जन्मांतर का कर्म पर हो हर कोई इस कर्म के चक्र से मुक्त नहीं हो सकता हैl कर्मों के चक्र से मुक्त होने के लिए सबसे उपयुक्त होता है, कि आप अपने कर्मों को सुधार लें यदि कर्म नहीं सुधरेंगे तो शनि इसी प्रकार जन्म जन्मांतर तक आपके कर्मों का फल आपको प्रदान करते रहेंगेl स्वयं नीलकंठ महाराज के द्वारा इन्हें यह वरदान प्राप्त है, कि पूरे ब्रह्मांड के जितने भी जीव प्राणी जंतु देवता देवी राक्षस गण आदि है, सभी इनके न्याय की श्रेणी में आते हैं, सभी इनके दंड की श्रेणी में आते हैं।

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सभी के कर्मों का लेखा- जोखा भगवान शनि देव के पास ही होता है, तथा उसी के अनुरूप जातक को यह फल भी प्रदान करते हैं lकभी-कभी ऐसा भी देखने को मिलता है, कि जातक इस जन्म में तो अच्छे कर्म करता है, किंतु फिर भी उसके जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न होती रहती हैंl उसका कारण यह है, कि शनि देव का पिछले जन्म तथा इस जन्म के कर्मों के साथ का संबंध बहुत अधिक गहरा होता है, यही कारण है, कि कभी-कभी हम इनके स्वभाव को नहीं समझ पाते हैं, और इन्हें क्रूर तथा वक्री ग्रह की उपाधि से अलंकृत कर देते हैं।

शनि ग्रह की यह खासियत होती है, कि यह धीमी गति को प्रदर्शित करते हैंl यही कारण है, कि अपना फल यह बहुत ही धीमी गति से प्रदान करते हैं, तथा इस जीवन में उन चीजों को प्राप्त करने में बहुत देरी कर आते हैं, जिससे हमें उन चीजों का मूल्य का सही एहसास हो सकेl हम उन चीजों की सही अहमियत को पहचान सके lयही कारण है, कि इनके द्वारा जब किसी भी जातक को शुभ फल प्रदान किया जाता है, तो बहुत ही देर से उसे कोई भी चीज की प्राप्ति होती है, जिससे वह जातक उस चीज का सही मूल्य समझ सके एवं उसका सम्मान कर सकेl शनि देव भले ही विलंब से किसी भी जातक को शुभ फल प्रदान करते हैं, किंतु उनके द्वारा प्रदान किया गया यह फल स्थाई एवं दीर्घ होता हैl

शनि ग्रह का उपरत्न जमुनिया धारण करने वाले जातकों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं-

1. नौकरी पेशा तथा आजीविका का कारक शनि ग्रह को माना जाता हैl ऐसे में जमुनिया रत्न धारण करने से नौकरी -पेशा, व्यापार, रोजी- रोजगार, आजीविका, धन उपार्जन संबंधित चीजों में आने वाली विघ्न बाधाओं को जमुनिया रत्न (jamuniya ratna kaisa hota hai) दूर करने की क्षमता रखता है, तथा इन सभी चीजों में उन्नति प्रदान करता है।

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2. शनि ग्रह मोक्ष तथा निरंतरता के कारक होते हैंl जमुनिया रत्न में विद्मान दिव्य ऊर्जा मोक्ष प्राप्ति के सारे चरणों में जातक को सफलता दिलाने की अद्भुत क्षमता रखता हैl इसके साथ-साथ उसके जीवन में उसे निरंतरता का आभास होता है, कभी भी उसका जीवन गतिहीन होता हुआ प्रतीत नहीं होता हैl

3. शनि ग्रह का उपरत्न जमुनिया (jamuniya ratna dharan karne ke fayde) जातक को अनेक रहस्यमई विद्याओं का ज्ञाता बनने में अनेक रूप से मदद करता है lगूढ़ ज्ञान की प्राप्ति में भी यह रत्न जातक को बहुत प्रेरित करता हैl

4. जीवन के सच्चे सार को समझने में जमुनिया रत्न अपनी अदम्य भूमिका निभाता हैl यह रत्न जातक की दूरदर्शिता को बढ़ाता है lइसके साथ-साथ उसकी निर्णायक क्षमता में अद्भुत बदलाव लेकर आता हैl

5. खराब शनि की स्थिति जातक को अनेक प्रकार की परेशानियां देता है, जैसे- अपमान हो या जेल यात्रा मृत्यु का कारक भी शनि ग्रह की खराब स्थिति को माना जाता है lअशुभ शनि के प्रभाव से जातक पूरी तरह से आलस्य तथा सुस्ती के चपेट में रहता है, जिसके कारण अपने लक्ष्य से वह पूरी तरह से विमुख हो जाता है, ऐसे में जमुनिया उपरत्न यदि धारण किया जाए तो जातक को इन सभी चीजों से बचाने में जमुनिया रत्न (jamuniya ratna pahanne ke fayde) बहुत कारगर सिद्ध होता है, तथा आलस्य एवं सुस्त प्रवृत्ति को भी बदलता है lजातक के ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा देता है, जिससे उससे स्फूर्ति महसूस होती है, एवं अपने कार्यों को पूर्ण रूप से सुचारू रूप से चलाने में वह सक्षम होता है।

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जमुनिया उपरत्न (jamuniya ratna ke fayde) अनेक गुणों का भंडार होता है, किंतु नीलम के समान ही इस  के बहुत अधिक विध्वंसक परिणाम देखने को मिल सकते हैं, इसलिए इसे धारण करने से पूर्व अपने जन्मपत्रिका का विश्लेषण किसी अच्छे एवं ज्ञानी विद्वान पंडित से आप करा सकते हैं, उसके पश्चात ही आप इसे धारण करेंl

 

 

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5. खराब शनि की स्थिति जातक को अनेक प्रकार की परेशानियां देता है, जैसे- अपमान हो या जेल यात्रा मृत्यु का कारक भी शनि ग्रह की खराब स्थिति को माना जाता है lअशुभ शनि के प्रभाव से जातक पूरी तरह से आलस्य तथा सुस्ती के चपेट में रहता है, जिसके कारण अपने लक्ष्य से वह पूरी तरह से विमुख हो जाता है, ऐसे में जमुनिया उपरत्न यदि धारण किया जाए तो जातक को इन सभी चीजों से बचाने में जमुनिया रत्न (jamuniya ratna ke baare me jankari) बहुत कारगर सिद्ध होता है, तथा आलस्य एवं सुस्त प्रवृत्ति को भी बदलता है lजातक के ऊर्जा का प्रवाह बढ़ा देता है, जिससे उससे स्फूर्ति महसूस होती है, एवं अपने कार्यों को पूर्ण रूप से सुचारू रूप से चलाने में वह सक्षम होता हैl

जमुनिया उपरत्न (jamuniya ratna pahanne se kya hota hai) अनेक गुणों का भंडार होता है, किंतु नीलम के समान ही इस  के बहुत अधिक विध्वंसक परिणाम देखने को मिल सकते हैं, इसलिए इसे धारण करने से पूर्व अपने जन्मपत्रिका का विश्लेषण किसी अच्छे एवं ज्ञानी विद्वान पंडित से आप करा सकते हैं, उसके पश्चात ही आप इसे धारण करेंl

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