नवरत्न अंगूठी कैसे धारण करे, Navratna Anguthi Kaise Dharn Kare

नवरत्न अंगूठी कैसे धारण करे, Navratna Anguthi Kaise Dharn Kare

नवरत्न अंगूठी कैसे धारण करे, navratna

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नवरत्न अंगूठी कैसे धारण करें- (navratna anguthi kab dharan karen) प्रवर भाग्य के परिचालक के रूप में नवरत्न अंगूठी रत्न शास्त्र के दृष्टिकोण से बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।नवरत्न अंगूठी( नवरत्न अंगूठी)  को विभिन्न ग्रहों की शक्तियों से विभूषित मानी जाती है। जो कि विभिन्न प्रकार के ग्रहों के द्वारा दिए जा रहे वैसे प्रभाव को नष्ट करती है।जग्रहों की विकृत स्वरूप को दर्शाता हो।

यह एक ऐसी अंगूठी होती है, जिसमें अलग-अलग ग्रहों के वर्चस्व को प्रदर्शित करते हुए भिन्न-भिन्न रंगो वाले रत्न जड़े हुए होते हैं। जैसे- सूर्य की कांति से युक्त माणिक्य, रत्न चंद्र की चंचलता को प्रदर्शित करने वाला मोती रत्न ,मंगल जो अपने बल प्रदर्शन के लिए जाना जाता है।

अपनी युद्ध कलाओं के कौशल के लिए तथा प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त करने के लिए जाना जाता है। ऐसे उग्र एवं पराक्रमी ग्रह के शक्तियों के प्रभुत्व से युक्त रत्न मूंगा भी इसमें से एक रत्न होता है ।

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बुध जो अपनी कौशल से अपनी संचार तंत्र से हारी हुई बाजी को भी जीता दे जिसकी वाली इतनी मधुर होती है कि पत्थर पर भी फूल खिलाने की क्षमता रखता है। वैसे बुद्ध ग्रह को स्वामित्व प्राप्त रत्न पन्ना भी इस अंगूठी का एक अभिन्न अंग माना जाता है। नीलम जोकि शनि ग्रह के शक्तियों को दर्शाता है ।

शनि ग्रह जो किसी भी व्यक्ति विशेष को तथा ब्रम्हांड के सर्वोच्च दायरा तक जिनका प्रभुत्व देखने को मिलता है। जिनके चक्षु के समक्ष प्रत्येक जन एक सामान्य एक समतुल्य होता है। प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक जीव जंतु प्रत्येक देवी देवता प्रतीक राक्षस गण सभी के प्रारब्धो का लेखा-जोखा जिनके पास रहता है। जो कर्म प्रधान देवता के रूप में माने जाते हैं तथा जब इनकी दंड की प्रक्रिया एवं न्याय की प्रक्रिया शुरू होती है।

तब किसी भी जीव को जन्म जन्मांतर तक उसका हिसाब चुकाना पड़ता है। इस नवरत्न( नवरत्न अंगूठी) अंगूठी (navratna anguthi kab pahne) में देवताओं के गुरु सबसे सम्मानीय एवं ब्रह्मांड के सबसे बड़े ग्रहों के रूप में जाने जाने वाले ग्रह गुरु ग्रह बृहस्पति के शक्तियों को प्रदर्शित करने वाला रत्न पुखराज भी इन नौ रत्नों में से एक रहता है।

राहु जिसे छाया ग्रह की उपाधि प्राप्त है। कलयुग का एक मात्र ऐसा ग्रह जो व्यक्ति को रातों-रात करोड़पति बनाने की क्षमता रखता है तथा असाधारण सोच प्रदान करने वाला ग्रह जो अप्रत्याशित सफलता का कारक माना जाता है ।

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अचानक से होने वाले लाभ अचानक से होने वाले समृद्धि का कारक भी राहु को माना जाता है। राहु जिसकी कठोर प्रवृति व्यक्ति को खून के आंसू रोने पर मजबूर कर देती है।राहु जी की कृपा से राजनीति में चरमोत्कर्ष तक पहुंच सकता है। राहु जिसकी कृपा हो जाए तो व्यक्ति धन-धान्य से तथा मानसिक क्षमताओं से गुण ज्ञान का दाता बन जाता है।

राहु जिसकी त्वरित ज्ञान ने देवताओं तक को भ्रमित कर दिया एवं अमृत पान करने में सफल बना रहा जिस की ताकत किसी को फर्श से अर्श तक पहुंचाने की होती है। ऐसे राहु ग्रह की रत्न( नवरत्न अंगूठी) (navratna anguthi kab pahne jata hai) गोमेद भी इस.मुँदरी का एक अंग माना जाता है केतु जिसके बिना आध्यात्मिक सुखों की प्राप्ति होना असंभव है।

वैराग्य का जीवन प्रदान करने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका रहती है ।केतु साधव तत्व को बढ़ाने का कार्य करता है। केतु का मुख्य कार्य आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करना है जीवन को वास्तविक सुख की अनुभूति प्रदान करने का कार्य केतु के द्वारा किया जाता है।

भौतिक क्रियाओं में तथा भौतिक उन्माद जैसी चीजों में यह बिल्कुल भी रुचि उत्पन्न नहीं करता है। यह हमें वास्तविक जीवन में कैसे स्वयं को अध्ययन कर परमात्मा को अपने अंदर समाहित करने की अद्भुत गल्ला का ज्ञान प्रदान करता है।

जीवन के सच्चे सुखों को एवं उसके मूल तत्वों को पहचानने में जिसकी प्रखरता सबसे अधिक मानी जाती है।आत्मबोध का ज्ञान कराने वाला ग्रह भी केतु को ही माना जाता है। त्याग ,बलिदान, निस्वार्थ भावना जैसे चीजों की प्राथमिकता केतु की कृपा से ही प्राप्त होती है।

ऐसे केतु के प्रभाव को प्राप्त करने के लिए एवं इसे बल प्रदान करने के लिए इससे संबंधित रत्न( नवरत्न अंगूठी) (navratna anguthi ke fayde) लहसुनिया भी इस अंगूठी का एक स्वरूप माना जाता है। शुक्र ग्रह जिन्हें सौंदर्य की देवी कहा जाता है। जिनके बिना पूरी सृष्टि निरास स्वरूप को धर लेती है।

जिनके बिना संसार में भौतिक सुखों की कामना करना संभव ही नहीं है। ग्रह मंडल में सबसे अधिक शुभ हो श्रेणी का ग्रह किसे माना जाता है।वह ग्रह शुक्र है जो सांसारिक इच्छाओं का प्रतीक माना जाता है ।

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सांसारिक वस्तुओं का आनंद भोग के साथ-साथ आर्थिक वस्तुओं से युक्त जीवन प्रदान करने वाला ग्रह भी शुक्र ग्रह को माना जाता है। जिसकी कृपा से वैवाहिक जीवन का उत्कृष्ट आनंद प्राप्त हो वह ग्रह शुक्र को माना जाता है ।शुक्र की कृपा प्राप्त करने के लिए इस नवरत्न अंगूठी (navratna anguthi pahanne ke fayde) में हीरा को एक आधारशिला के रूप में जरा जाता है।

इन सभी ग्रहों के कृपा से युक्त यह अंगूठी( नवरत्न अंगूठी) का प्रयोग किसी भी निश्चित ग्रह के भाव में अच्छे एवं प्रवीण प्रभाव के लिए धारण किया जाता है।

नवरत्न अंगूठी कैसे धारण करें ( navratna anguthi kaise dharan kare ) –

1)• इसे धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त धातु स्वर्ण को माना जाता है। उसके बाद रजत को प्राथमिकता दी जाती है, किंतु कोई व्यक्ति यदि इन दोनों प्रकार के धातुओं को प्राप्त करने में असमर्थ है। तो उसे अष्ट धातु का प्रयोग करना चाहिए।

2)• रत्नों का क्रम सूची को ध्यान में रखते हुए अंगूठी का निर्माण कराना चाहिए एवं सभी रत्नों की वास्तविक मापदंड को जानकर ही इस अंगूठी( नवरत्न अंगूठी)का निर्माण करवाएं।

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3)• नौ रत्नों से जड़ी हुई यह अंगूठी धारण करने का सबसे सर्वोत्तम दिन गुरुवार के दिन माना जाता है क्योंकि गुरु ग्रह सभी ग्रहों के लिए सम्माननीय दृष्टिकोण रखते हैं।

सभी उन्हें बहुत आदर भाव की दृष्टि से देखते हैं, इसलिए इस अंगूठी( नवरत्न अंगूठी) (navratna anguthi dharan karne ke fayde) को शुक्ल पक्ष के गुरुवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर गंगाजल एवं गाय के कच्चे दूध से शुद्धिकरण करने के बाद भगवान गणेश को स्मरण करते हुए अपने इष्ट को अपने कुल देवी देवता को स्मरण करते हुए इसे धारण किया जा सकता है।

इसे धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त उंगली तर्जनी (navratna anguthi ki jankari) या मध्यमा मानी जाती है। इसे धारण करने के बाद घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद अवश्य ले तथा किसी भी व्यक्ति विशेष को जो धन के अभाव से जीवन को यापन कर रहा है, या किसी भी प्रकार का कष्ट है तो उसे भोजन या फल अवश्य दान में दे या कोई वस्त्र भी आप किसी को दान दे सकते हैं, तथा वैसे व्यक्तियों से भी आशीर्वाद अवश्य ले।

इसे धारण करने से आपके जीवन सभी समस्याओं का निराकरण बहुत जल्द आपको प्राप्त होने लगेगा।

अभिमंत्रित नवरत्न अंगूठी कहां से प्राप्त करें –

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