मोती रत्न कब धारण करें – Moti Ratna Kab
Dharan Kare
मोती रत्न (moti ratna dharan karne ka samay kya hota) कब धारण करें लोगों के मन में यह संशय अधिकतर देखने को मिलता है, वे लोग दुविधा में रहते हैं, कि इस रत्न को किस दिन धारण करें जिससे उनकी परेशानियां जल्द से जल्द समाप्त हो एवं चंद्र देव की कृपा भी उन्हें प्राप्त हो सके, आज हम एक लेख में इसी विषय पर चर्चा करेंगे-
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जिस प्रकार जीवन जीने के लिए एक विशिष्ट शैली को हम लोग अपनाते हैं lउसका अनुसरण करते हैं, और उसी दिन चर्या के अनुसार अपना कार्य पूरा करते हैं, उसी प्रकार हमें रत्नों को भी कुछ चीजों को ध्यान में रखकर एवं सबसे उपयुक्त समय पर धारण करना चाहिए ज्योतिष शास्त्र तथा रत्न शास्त्र के अनुसार हर रत्न का अपना एक खास दिन होता है, खास नक्षत्र होता है, खास ग्रह होता है, जो कि उस दिन उस नक्षत्र में उस ग्रह के लिए धारण किया जाता है, जब इसकी सारी ऊर्जा जागृत अवस्था में रहती है, मोती रत्न (moti dharan karne ki vidhi in hindi) को भी धारण करने के लिए एक उपयुक्त दिन बनाया गया है, तथा एक उपयुक्त उपग्रह जिसके लिए यह रत्न धारण किया जाता है।
1.मोती रत्न (moti dharan karne ki vidhi) धारण करने से पूर्व यह साथ ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा धारण किया जा रहा रत्न पूरी तरह से शुद्ध हो उसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि ना हो या वह नकली मोती रत्न ना हो, अन्यथा आपको वह लाभ नहीं प्राप्त होंगे, जिस के बारे में सोच कर आप उसे धारण करने जा रहे हैं, और इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप जिस भी मोती रत्न को धारण करने जा रहे हैं, उसका वजन कम से कम 5 रत्ती का हो।
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2. हमारे ऊपर जिस प्रकार ग्रहों का व्यापक प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है lउसी प्रकार नक्षत्रों का भी हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है lहमारे पूर्वजों के द्वारा तो यह भी निर्धारित कर दिया गया था कि कौन सा भोजन किस नक्षत्र में खाना चाहिए, जिससे हमें उसका सबसे उपयुक्त लाभ प्राप्त हो सकेl ऐसी विद्वता हमारे पूर्वजों में थी।
उन्हीं के द्वारा यह बताया गया था कि नक्षत्रों का भी हमारे जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक परिणाम का बहुत बड़ा खेल होता है, तथा नक्षत्रों को जानकर ही रत्न धारण करना चाहिए, जैसे -शुक्ल पक्ष में रोहिणी नक्षत्र ,हस्त नक्षत्र अथवा श्रवण नक्षत्र में सोमवार के दिन इस अद्वितीय रत्न को हम धारण कर सकते हैं, किंतु उससे पहले हमें उसे अभिमंत्रित करना पड़ता है, तथा उसे प्रतिष्ठित करना पड़ता है।
3. चंद्र से संबंधित बीज मंत्र आप अपने गुरु के माध्यम से प्राप्त करें तथा उसे अच्छे से कंठस्थ कर ले क्योंकि जब आप माला को अभिमंत्रित करेंगे तो आपके द्वारा उच्चारण की जा रही मंत्र की शब्दावली शुद्ध होनी चाहिए तभी आपको लाभ प्राप्त हो सकता है, ऐसे ही कहीं से भी कोई भी मंत्र चंद्र से संबंधित उठाकर ना जपे क्योंकि उससे कोई भी आपको लाभ प्राप्त नहीं होगा इसलिए किसी विद्वान गुरु से ही मंत्र प्राप्त करें।
4. सर्वप्रथम सोमवार के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर पहले मोती रत्न (Moti Ratna Kab Dharan Kare) को गंगा जल एवं पंचामृत स्नान कराएं उसके पश्चात उसे एक सफेद कपड़े के ऊपर रखकर सफेद फूल अर्पण करें कपूर एवं गूगल से उसकी आरती उतारे आप चाहे तो थोड़ा सा ब्रास कपड़े के ऊपर मोती के पास भी रख सकते हैं, इससे उसका और भी अच्छे से शुद्धीकरण होगा, गाय का शुद्ध घी का दीपक अवश्य जलाएं इससे सकारात्मकता भाव आपके अंदर उत्पन्न होगा।
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5. चंद्र ग्रह से संबंधित मंत्रों को अब अच्छे से उच्चारण करें जितना हो सके उतना अधिक मंत्रों का जप करें जितना अधिक आप जब करेंगे उतनी ही जल्दी इसकी ऊर्जा जागृत होगी, यदि आप किसी भी प्रकार से स्वयं मंत्र जप करने में असक्षम है तो ऐसी परिस्थिति में आप किसी विद्वान पंडित जी का भी सहारा ले सकते हैं।
6. मंत्र उच्चारण समाप्त होने के बाद मोती रत्न (moti ratna dharan karne ka samay) पूरी तरह से अभिमंत्रित हो जाता है, किंतु इसे धारण करने से पूर्व मंदिर में लेकर अवश्य जाए तथा भगवान के चरणों में अवश्य रखें और यदि यह मंदिर शिव जी का हुआ तो सबसे उत्तम होगा क्योंकि घर में पूजा करना तथा मंदिर में पूजा करने में बहुत अंतर होता हैl घर में हम जो पूजा करते हैं।
उसमें शायद ही पूजा के स्थान पर हम चक्र को जागृत करने में सक्षम हो पाते हैं, किंतु जो हमारे मंदिर होते हैं। विशेषकर शिवलिंग उनमें दो तीन या चार या उससे भी अधिक चक्र जागृत होते हैं, इसी वजह से जब हम मंदिर जाते हैं, तो हमारा मन प्रसन्न हो जाता है, एवं हमारे मन में शांति का वास होता हैl अतः इस रत्न को ले जाकर के शिवलिंग के पास रख दें कुछ देर के पश्चात आप इसे उठाकर भगवान का आशीर्वाद लेते था पंडित जी का आशीर्वाद ले एवं उन्हें उत्तम दान दक्षिणा प्रदान करें।
7. आप चाहे तो उसी छन वहीं पर मंदिर में मोती रत्न को धारण कर सकते हैं, या फिर संध्या बेला होने तक का इंतजार करें जिससे आपको यह फायदा होगा कि आपको चंद्रदेव का भी आशीर्वाद प्राप्त हो जाएगा तथा रत्न को भी आप चंद्र ग्रह की रोशनी से काफी ऊर्जा इकट्ठा करने का भी मौका मिल जाएगाl अतः आप इसे संध्या की बेला जब चंद्र आकाश में अपनी रोशनी बिखेर रहे हो उस वक्त मोती रत्न (moti ratna dharan karne ke fayde) को उनके रोशनी में उनके समक्ष उनके रोशनी में कुछ देर के लिए रखकर आप चंद्रदेव से अपनी मनवांछित इच्छापूर्ण करने की प्रार्थना कर उस रत्न को धारण करेंl
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8. मोती रत्न (moti ratna dharan karne ke fayde in hindi) धारण करने के बाद अपनी माता को चरण स्पर्श करें या यदि वह कहीं दूर रहती है, तो उनसे फोन से ही उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और यदि संभव हो तो घर की महिलाओं के लिए सफेद मिठाई अवश्य लाएं और यदि आप सक्षम है, तो कोई न कोई उपहार उनके लिए अवश्य लेकर आए तथा भूलकर भी एक दिन किसी को भी कटु वचन ना बोले, किसी से भी वाद-विवाद करने से बचें, मांस मदिरा का सेवन करने से बचे एवं जितना हो सके वर्जित चीजों या वर्जित कार्यों से भी दूरी बनाकर रखेंl
9. इस दिन किसी भी भूखे को भोजन अवश्य कराएं उसे दूध से बनी हुई मिठाईयां अवश्य खिलाएं या आप जैसे चाहे वैसे मदद कर सकते हैं, ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बरसती है, जिससे न केवल आपको चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि ईश्वरीय कृपा भी आप पर चमत्कारिक रूप से अपना प्रभाव दिखाती है, एवं आपके सारे काम बनते चले जाते हैं, जो काम वर्षों से रुके हुए थे जो कभी आपने सोचा भी नहीं था कि पूर्ण होंगे वह सब भी उनकी कृपा से बनने लगेंगे पूर्ण होने लगेंगे तथा आपको भाग्य का भी पूरा साथ मिलेगा।
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