लाल हकीक की पहचान(lal hakik ki
pahchan )
लाल हकीक की पहचान– (lal hakik ki pehchan kaise kare) मानव ने आधुनिकता के नाम पर कई चीजें प्राप्त की है। अपने मस्तिष्क का पूर्ण प्रयोग कर वह सृष्टि में कई प्रकार के अविश्वसनीय चीजों का निर्माण किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की सहायता से कई उत्कृष्ट चीजों को प्राप्त करने के साथ कई ऐसे भेदों को भी जगजाहिर करने में मदद की है, जिसकी परिकल्पना शायद ही किसी के द्वारा सपने में भी की गई हो हालांकि यह भी सर्वविदित है, कि भारतीय धर्म ग्रंथ कई पुराण वेद शुरू से ही उन्नत प्रकार के गुण ज्ञान को प्रदान करने में सफल रहे हैं, किंतु यह मनुष्य की मूर्खता कहें या आधुनिकता की अंधभक्ति कहें कि कभी भी हमें अपने इतिहास को संजोने में सही तरीके का कार्य नहीं किया गया।
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जिसके कारण आज भी हम अपने पूर्वजों के द्वारा प्रदान किए गए कई उत्कृष्ट बयानों से अनभिज्ञ हैं। उन पहलुओं से काफी रूप से अंश हुए हैं। हम कई उन्नत सभ्यता से प्राप्त होने वाले गुढ एवं गुप्त विद्या से वंचित रह गए हैं। वर्तमान का मानव बहुत अधिक उन्माद की स्थिति में चलता है। वह थोड़े से उपलब्धि हासिल करने के बाद स्वयं को ही बहुत अधिक महत्व प्रदान करने लगता है जिसके कारण वह आसपास में प्राकृतिक चीजों के महत्व को कम आंकने लगता है। हालांकि मनुष्य कितना भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर ले कितना भी वह औद्योगिक या प्रौद्योगिक क्रांति क्यों न ला दे, किंतु जब सृष्टि अपनी चाल चलती है।
तब वह उसके समक्ष एक भिखारी के समान प्रतीत होता है, किंतु मूर्ख इंसान अपनी भावनाओं पर विचारों पर इतना अधिक घमंड करने लगता है, कि वह सृष्टि के द्वारा निर्मित की गई एक सुव्यवस्थित व्यवस्था को ही बिगाड़ने में लगा रहता है। हालांकि इसका खामियाजा उसे समय-समय पर त्रासदी के रूप में भुगतना पड़ता ही है, किंतु फिर भी मनुष्य को अकल नहीं आती है। पृथ्वी पर तथा ब्रम्हांड में जितनी भी प्राकृतिक रूप से निर्मित संरचनाएं है। (lal hakik ke labh) उन सभी पर मनुष्य के द्वारा कब्जा कर उनके ऊपर शोध किए गए तथा उनका प्राकृतिक स्वरूप को क्षरण करने का भरसक प्रयास किया गया है।
इन्हीं सभी चीजों से अब रत्न भी अछूते नहीं रह गए हैं। रत्नों में भी भारी मात्रा में मिलावट की जाने लगी है। उन्हें प्रयोगशाला में निर्मित कर हुबहू वज़ाक़ता प्रदान करने की भरसक कोशिश की जाने लगी है, किंतु मनुष्य यह भूल जाता है, कि वह कितना भी कोशिश कर ले, (lal hakik stone ki pehchan in hindi) किंतु प्रकृति की तुलना में वह तुच्छ ही रहेगा। वह एकमात्र जीव ही रहेगा हालाकी प्रकृति ने उसे विभिन्न ज्ञानेंद्रियों के साथ-साथ छठी ज्ञानेंद्रि भी प्रदान की है, किंतु मनुष्य नकारात्मक चीजों के प्रति जल्द ही आकर्षित होता है।
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यही कारण है, कि आज कई प्रकार के ऐसे पत्थर मिलने लगे हैं, जिनकी वास्तविक मापदंड या मूल्यांकन करना बहुत कठिन हो गया है। (lal hakik stone ki pahchan) हम उन्हें पहचान ही नहीं पाते हैं, कि वह असली है, कि नकली है, प्राकृतिक रूप से जो भी तत्व उसके अंदर मौजूद रहते हैं। वह चाह कर भी आज के लोग उसमें कृत्रिम रूप से नहीं डाल सकते हैं, किंतु रत्न की प्रतिरूप के रूप में उसे ही बेचा जा रहा है, जिसके परिणाम स्वरूप लोग उसे खरीद तो लेते हैं, किंतु उससे मिलने वाले लाभों से वंचित रह जाते है, उनके द्वारा उपयुक्त मूल्य भी चुकाया जाता है।
किंतु उन्हें वह लाभ प्राप्त नहीं होता जिस की कामना लिए वह मन में उसे धारण करते हैं lऐसे में लोगों के मन में यह सब लाभ प्राप्त नहीं होता है, जिसकी कामना लिए वह मन में उसे धारण करते हैं। ऐसे में लोगों के मन में यह संशय या डर उत्पन्न होना स्वभाविक है, कि कैसे रत्नों का चयन करें, जिससे उसका सार्थक फल उन्हें प्राप्त हो सके, जिससे वे अपने जीवन के अच्छे चरणों को प्राप्त करने में सफल हो सकेl आज हम आपको लाल हकीक की पहचान (lal hakik ko kaise pehchane) कैसे करना चाहिए ?जिससे आप ठगी के शिकार होने से बच सके उसके कुछ मापदंड इस लेख के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
सृष्टि में जितने भी प्राणी है। जीव है, आंचल एवं स्थिर रहने वाले कई वस्तुएं हैं। वह कभी भी एक समान प्रतीत नहीं होती है। सभी में भिन्नता देखी जाती है। (lal hakik ke fayde) यह भिन्नता उन्हें अपने आप में एक दिव्य स्वरूप प्रदान करती है। कभी भी सृष्टि ऐसे समरूपो की सृजन नहीं करती है, जो देखने में बिल्कुल एक समान दिखाई पड़ते हैं। प्रकृति जब भी किसी चीज को स्वरूप प्रदान करती है, तो उसमें कुछ अपने अलग तत्व अवश्य देती है।
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जो उसे अपने आप में अलौकिक रूप प्राप्त करने में मदद करता है। चाहे आप मनुष्य की बात करें या पक्षियों की बात करें हर किसी को जब आप ध्यान से देखेंगे तब उन सभी में प्रभेद जैसी चीजें आपको देखने को मिलेंगे। इसी प्रकार रत्न भी एक प्रकार का संसाधन है, जिसके निर्माण में प्रकृति अलग-अलग जटिल परिस्थितियों से गुजार कर इन्हें निर्माण करती है इसलिए लाल हकीक (lal hakik ki pahchan in hindi) भी एक संसाधन है।
एक प्रकार का पत्थर है, जो जटिल परिस्थितियों से गुजर कर अपने स्वरुप को प्राप्त करता है। ऐसे में जब आप इसे ध्यान से देखेंगे तब अक्षद्यू के निर्माण के समय जिस प्रकार की स्थितियां रहती है। उस प्रकार के आवरण को यह अपने अंदर समाहित कर लेता है। इस पर कई दाग धब्बे निशान रेशा नजर आते हैं, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित लाल हकीक (lal hakik ki pahchan kya hai) में आपको इस प्रकार की की है दुर्लभ रूप से भी प्राप्त नहीं होंगे।
लाल हकीक (lal hakik ki pahchan kaise karen) को जब आप किसी प्रकाश उत्सर्जित होने वाली चीज पर रखते हैं, तब इससे रक्त के सामान रोशनी इसके अंदर दिखाई पड़ती है, किंतु यह कभी भी किसी भी तरह के प्रकाश के स्रोत को परावर्तित नहीं करता है। यह अपरावर्तित नहीं करता है, बल्कि यह प्रकाश को अवशोषित कर लेता है।
इसमें मौजूद इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, तथा इसकी स्पंदन क्षमता बहुत अधिक मानी जाती है। हालांकि कुछ ऐसे भी लाल हकीक होते हैं, जिनकी स्पंदन क्षमता कम होती है, किंतु वह भी कुछ ना कुछ गति अवश्य दिखाते हैं, जब चार्ज बॉडी के समक्ष उन्हें रखा जाता है।
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