सफेद पुखराज के उपरत्न, safed pukhraj ke upratna
सफेद पुखराज के उपरत्न (safed pukhraj ke upratna ke fayde) के बारे में जानने की जिज्ञासा बहुत से लोगों के मन में उत्पन्न होती है, क्योंकि कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि जिस रत्न को हम धारण करते हैं lउसका प्रभाव हमें विपरीत मिलने लगता है। प्रतिकूल मिलने लगता है, ऐसी स्थिति में लोगों के द्वारा पहले उसकी रत्न के उपरत्न को धारण करके देखा जाता है, कि वह उन्हें धार रहा है, या नहीं धार रहा है, क्योंकि रत्नों का मूल्य उप रत्नों के मुकाबले बहुत अधिक होता हैl इसी वजह से लोग उप रत्नों को खरीद कर पहले उसे जाते हैं परखते हैं, कि उसका प्रभाव उनके जीवन पर कैसा पड़ रहा है ??यदि अनुकूल प्रभाव पड़ता है, तो वह उसके राशि रत्न को धारण कर लेते हैं,अन्यथा वह रत्न को धारण करने की नहीं सोचते हैं। इससे उनके पैसे की बचत तो होती ही है, साथ में वह किसी बड़ी परेशानी में फसने से भी बच जाते हैं।
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सफेद पुखराज (safed pukhraj ke upratna kya hai) देखने में बिल्कुल हंस के श्वेत वर्ण के समान दिखता है, बिल्कुल पारदर्शी एवं आकर्षक होता हैl पुखराज रत्न में पुखराज जोड़ने की वजह से लोगों को लगता है, कि यह भी गुरु बृहस्पति से संबंधित कोई रत्न है, किंतु ऐसा नहीं है। सफेद पुखराज रत्न शुक्र ग्रह को निरूपित करता है। सफेद पुखराज रत्न शुक्र ग्रह से संबंधित होता है। सफेद पुखराज रत्न में विभिन्न प्रकार की शुक्र ग्रह से संबंधित शक्तियों का निवास होता है lयह रत्न शुक्र ग्रह के शक्तियों को अवशोषित करने की क्षमता रखता है lशुक्र ग्रह जिसे सफेद चीजों से बहुत प्रसन्नता प्राप्त होती है। इसलिए उसका राशि रत्न भी सफेद होता है।
प्राचीन काल से ही हमारे विद्वान पूर्वजों का मद रहा है, कि आकाशीय पिंडों का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है, तथा वह भले ही हमसे कितनी ही दूर क्यों ना हो किंतु विभिन्न प्रकार के नक्षत्रों ग्रहों तथा उप ग्रहों का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है, जिससे हमारे जीवन में कभी -कभी खुशियां दस्तक देती है, तो कभी कभी बहुत से दुख दस्तक देने लगते हैं, फिर भी इन सभी ग्रहों का रत्न हमारी पृथ्वी यानी इस सृष्टि में मौजूद है, जो विभिन्न प्रकार के ग्रहों को निरूपित करती है, तथा उनमें भी वह सारी ऊर्जाए एवं शक्तियां विद्यमान रहती है, जोकि ग्रहों में रहती है। इसलिए विभिन्न प्रकार के ग्रहों के लिए हम तरह-तरह के रत्न एवं उपरत्न धारण करते हैं, ताकि हम उन ग्रहों की कृपा प्राप्त कर सके एवं अपने जीवन को सुगम एवं सार्थक बना सकें।
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विश्व में सबसे प्रसिद्ध सफेद पुखराज रत्न का भंडार ब्राजील तथा म्यानमार में अवस्थित हैl यहां के सबसे पुखराज रत्न (safed pukhraj ka upratna kya hota hai) की गुणवत्ता सबसे उत्कृष्ट होती है। इसलिए इसकी मांग बहुत अधिक है, और साथ-साथ इसका मूल्य भी बहुत अधिक होता है। सफेद पुखराज का संयोजक एलुमिनियम फ्लोरिंग तथा सिलीकेट जैसे खनिज होते हैं, इसकी संरचनात्मक रचना काफी संगठित होती है।
सफेद पुखराज रत्न (safed pukhraj ka upratna kaisa hota hai) को धारण करने से बहुत से लाभ हमें प्राप्त होते हैं। पुखराज रत्न जिस भी जातक के द्वारा धारण किया जाता है। उसके जीवन में विलासिता जैसे चीजों की भरमार हो जाती है, तथा उसकी आर्थिक स्थिति काफी मजबूत बनती है। उसके जीवन में वैभव, ऐश्वर्या की कभी भी कमी नहीं रहती है। इस रत्न को धारण करने से दांपत्य जीवन खुशियों से भरा रहता है, तथा विभिन्न प्रकार के जो मनमुटाव पति पत्नी में चल रहे थे, उन सभी का समापन होता है। पुखराज रत्न आपसी प्रेम को प्रगाढ़ बनाता है। पुखराज रत्न को धारण करने से रुपयों पैसों संबंधित विभिन्न प्रकार की परेशानियों का समापन होता है, तथा आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत बनती है lइस रत्न को धारण करने से मन में शांति व्याप्त होती है lइस रत्न को धारण करने से आपके भौतिक सुखों में वृद्धि होती है। पुखराज रत्न को धारण करने से सांसारिक चीजों की कोई कमी आपके जीवन में नहीं रहती है।
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रत्न बहुत जटिल प्रक्रियाओं से गुजर कर सुंदर एवं आकर्षक बनते हैं, तथा इनका निर्माण भी बहुत जटिल प्रक्रियाओं से गुजरकर होता है। इसलिए इनका मूल्य बहुत अधिक होता हैl इनका खनन बहुत ही सुदूर एवं दुर्लभ इलाकों से होता है, जहां लोग अपनी जान की बाजी लगाकर इसका खनन करते हैं, इसी वजह से इन की राशि बहुत अधिक होती है। इसलिए हर किसी के बस की बात नहीं होती है, कि इनके मूल्य को चुका सके ऊपर से यदि इनके मूल्य चुका भी दे, तब भी यह खतरा बना रहता है, कि कहीं आपके द्वारा खरीदा गया रत्न नकली तो नहीं है। इस परिस्थिति से बचने के लिए लोगों के द्वारा रत्नों के उपरत्न धारण किए जाते हैं।
उप रत्नों को धारण विशिष्ट कार्यों की पूर्ति के लिए किया जाता हैl रत्नों के मुकाबले भले ही इन उप रत्नों की कम शक्तियां होती है, किंतु जिस भी विशिष्ट कार्य के लिए इसका इसे धारण किया जाता है। उसे पूर्ण करने में यह बहुत सहायक होते हैं। रत्न तथा उपरत्न में एक ही अंतर है, कि रत्नों का ऊर्जा का क्षरण धीरे-धीरे होता है, जिसकी वजह से वह अधिक दिनों तक चलते हैं, जबकि उपरत्न केवल कुछ समय तक ही अपना प्रभाव दिखा पाते हैंl उसके बाद वह निष्क्रिय हो जाते हैंl उनकी ऊर्जा क्षमता उतनी नहीं होती है, जितना कि एक रत्न की ऊर्जा क्षमता होती है। इसलिए इनका ऊर्जा का क्षरण जल्दी ही समाप्त हो जाता है, जिसकी वजह से यह अपना प्रभाव दिखाना बंद कर देते हैंl अतः यदि रत्नों के उपरत्न को धारण किया जा रहा है, तो हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि कुछ समय के बाद हम उस उपरत्न को बदल दे या नया खरीद ले और फिर विधिवत तरीके से उसे धारण करें, जिससे हमें उसके अनुकूल लाभ अत्यधिक दिन तक प्राप्त हो सके।
सफेद पुखराज के उपरत्न निम्नलिखित हैं-.
सुनहला, केरु ,घिया, सोनल, केसरी आदि।
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