ओरिजिनल डायमंड की पहचान – Orijinal
Diamond Ki Pahachan
ओरिजिनल डायमंड की पहचान- (orijinal diamond ke fayde kya hai) डायमंड कार्बन का सबसे शुद्धतम रूप होता है, तथा प्रकृति में यह माणभ के रूप में पाया जाता हैl डायमंड एक विश्व प्रसिद्ध रत्न है, जो देखने में बहुत ही खूबसूरत होता है, इसकी खूबसूरती एवं गुणों के कारण रत्न शास्त्र में इसे रत्नों का राजा से अलंकृत किया गया है, जितना यह अपने सौंदर्य को लेकर चर्चित रहता है। उतनी ही इसकी कीमत बहुत ज्यादा होती है। महिला वर्ग के जातकों के लिए तो ओरिजिनल रत्न से बने हुए आभूषण प्राणों से भी प्रिय होते हैं। हीरा से बने हुए आभूषण महिला वर्ग की सुंदरता में और अधिक चार चांद लगा देते हैंl इसकी कांति मई प्रकाश में हर कोई खो जाता है।
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हीरे की चमक होती ही ऐसी है, कि हर कोई अपना सुध बुध खो बैठे, लोग अपनी आर्थिक स्थिति या आर्थिक वर्चस्व का प्रदर्शन हीरे के माध्यम से करते हैं, तभी तो उनके द्वारा धारण किया जाने वाला आभूषण यदि हीरा (original diamond ki pehchan kya hai) का होता है, तभी तो उनकी वैभव शीलता, धन-संपत्ति का अनुमान उनके आभूषणों से प्रतीत होता हैl विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में आज मानव ने इस कदर सफलता प्राप्त की है, कि आज मानव सदृश्य बनाना भी उनके बाएं हाथ का कार्य होता है, ऐसे में किसी रत्न की हूबहू कृतिम सदृश्य बनाना कोई मुश्किल कार्य नहीं है, इससे पहला फायदा तो यह होता है, की रत्न देखने में खूबसूरत होते हैं।
कृत्रिम रूप से बने हुए रत्नों में शायद ही किसी प्रकार की त्रुटि आपको दिखाई दें, अन्यथा कृत्रिम रूप से निर्मित जो भी रत्न होते हैं, वह पूरी तरह से त्रुटि हीन दिखाई पड़ते हैं, इसके साथ ही इनकी कीमत भी अधिक प्राप्त होती हैl लागत से अधिक इन्हें आय होता है, यही कारण है, कि आजकल बाजारों में कई प्रकार के रत्नों के कृत्रिम रूप देखने को मिलते हैं, तथा आम जन के लिए यह संशय विचलित करने वाला होता है, कि कैसे रत्नों की पहचान करें, जिससे किसी भी प्रकार की ठगी से बच सकें एवं जो शुद्ध अद्वितीय गुणों वाले रत्न होते हैं, उन्हें कैसे विधिवत तरीके से अभिमंत्रित कर एवं प्रतिष्ठित कर धारण करें, जिससे उनकी जो भी परिस्थिति हो या जो भी समस्या हो उन सभी का निवारण जल्द से जल्द हो सके।
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डायमंड (original diamond ki pehchan kaise kare) का उपयोग केवल आभूषण तक ही सीमित नहीं है, इसकी महत्ता केवल रत्न शास्त्र में ही नहीं अपितु व्यवहारिक जीवन में भी इसके और अधिक कई उपयोगिता है, इसका प्रयोग रॉकेट में रक्षात्मक खिड़कियों को बनाने के लिए किया जाता है, इसके साथ ही चिकित्सा पद्धति में भी इसका उपयोग आंखों के विकार मोतियाबिंद को निकालने वाले उपकरणों में भी डायमंड का प्रयोग किया जाता है। सुक्ष्म थर्मामीटर बनाने के लिए भी यह सबसे उपयुक्त माना जाता है, तथा इसकी कठोरता को देखते हुए अनेक प्रकार के कांच हो या खुद हीरा या पत्थरों में छेद करने वाले उपकरणों में भी डायमंड का प्रयोग किया जाता है।
ओरिजिनल डायमंड की पहचान के लिए निम्नलिखित पैमाने अपनाए जा सकते हैं-
1. प्राकृतिक रूप से निर्मित डायमंड की यह खासियत होती है कि इसकी संरचना के संगठित होने के समय यह विभिन्न प्रकार की स्थितियों से गुजरता है, जिसकी वजह से इसकी संरचना काफी संगठित होती है, एवं इसका घनत्व बहुत अधिक होता है lयही कारण है, कि जब ओरिजिनल डायमंड (original diamond kaisa hota hai) को पानी में डाला जाता है, तब यह पूरी तरह से सतह पर बैठ जाता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित हीरे में यह गुण अवस्थित नहीं रहता है।
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2. हीरा (original diamond dharan karne ke fayde) एक ऐसा रत्न है, जो दिखने में बहुत ही अधिक चमकदार होता है lइसके पीछे का कारण होता है- पूर्ण आंतरिक परावर्तन, जब हीरा के शतह पर प्रकाश कि किरण पड़ती है तो उसका कुछ भाग सतह से टकराकर उसी माध्यम से वापस चला जाता है, जबकि कुछ हिस्सा परिलक्षित होता है, और कुछ इसके माध्यम से गुजर जाते हैं। हीरा की सतह पारदर्शी होती है, जिसकी वजह से प्रकाश का अपरावर्तन होता है। कुशल कारीगरों के द्वारा इसकी जो क्रांतिक कोण का निर्माण होता है, जिसकी वजह से प्रकाश को यह प्रतिबिंबित करता है, ताकि हीरा अधिक से अधिक चमक बिखेर सके।
हीरे (original diamond ki jankari) की चमक पूरी तरह से इस बात पर भी निर्भर करती है, कि प्रकाश की किरने हीरे के किस हिस्से से गुजर रही है, उसी के हिसाब से अपरावर्तन, विक्षेपण आदि देखने को मिलता है l सबसे उत्कृष्ट प्रकाश का परावर्तन होने के कारण जब हम इसके माध्यम से किसी अक्षर को पढ़ने का प्रयास करते हैं, तब हमें वह अक्षर पूरी तरह से धुंधला दिखाई पड़ता है, और यदि इसके विपरीत हमें अक्षर पढ़ने में आ जाए या साफ-साफ दिखाई दे तो इसका अर्थ है, कि वह असली डायमंड नहीं है, बल्कि एक नकली डायमंड है।
3. हीरा में कोई भी मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं होता है, यही कारण है, कि हीरा विद्युत का कुचालक माना जाता है, इसलिए हीरे से विद्युत तरंग नहीं गुजर सकते हैं।
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4. जितने भी प्रकार के तरल विलायक होते हैं, उनमें से किसी में भी हीरा को घोला नहीं जा सकता है, क्योंकि यह बहुत ही कठोर होता है।
5. यदि इस पर किसी रूखे फर्ज वाले चीज से इसके विपरीत सतह को रगड़ा जाए तब भी उस पर किसी प्रकार की खरोच के निशान नहीं पड़ते हैं।
6. हीरा (original diamond dharan karne se kya hota hai) के ऊपर यदि मुंह से भाप डाला जाए तो वह जमता नहीं है, वह जल के सूक्ष्म कणों में परिवर्तित हो जाता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित डायमंड में यह गुण देखने को नहीं मिलता है। नकली डायमंड के ऊपर जब भाप डाला जाता है, तो वह उसकी सतह पर पूरी तरह से जम जाता है।
7. यदि यह मन में संशय है, कि कोई भी संदिग्ध पत्थर डायमंड है, या नहीं तो उसे कुछ क्षणों के लिए एक लाइटर से गर्म करेंl उसके बाद सीधे ठंडे पानी में उसे डाल दें, यदि तेजी से फैला और सिकुड़न हुआ तो इसका अर्थ है, कि उक्त पत्थर कृत्रिम रूप से निर्मित है, तथा वह अल्पजीवी है, तथा पत्थर के अंदर अनेक प्रकार की त्रुटि देखने को मिलेगी ध्यान से उसे देखने पर अंदर से टूटा हुआ प्रतीत होगा, जबकि शुद्ध डायमंड (original diamond ka upyog kaise kare) को इस प्रक्रिया में कोई भी छती नहीं पहुंचेगी, उसकी कांति में कोई भी परिवर्तन देखने को नहीं मिलेगा।
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