दक्षिणावर्ती शंख के फायदे – Dakshinavarti Shankh Ke Fayde

दक्षिणावर्ती शंख के फायदे – Dakshinavarti Shankh Ke Fayde

 

दक्षिणावर्ती शंख के फायदे, dakshinavarti

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दक्षिणावर्ती शंख के फायदे, dakshinavarti Shankh ke fayde:-दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh )keके कई आलोकमय फायदे हैं। विभिन्न प्रकार की बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करने से लेकर के कई प्रकार के मांगलिक एवं शोध कार्यों के निर्विघ्न संपन्न होने तक में इसका प्रयोग किया जाता हैं।

नेक अलौकिक एवं दिव्य शक्तियों का स्वामी होता है, इसलिए जिस भी स्थान पर प्रतिष्ठित कर स्थापित कर दिया जाता है। वहां से प्रत्येक तरह की नकारात्मक चीजों का निर्गमन होने लगता है ।तंत्र विद्या हो या पूजा-पाठ सभी में यह अपना उत्कृष्ट स्थान रखता है।सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने की क्षमता इसमें विद्यमान होती है ।

तथा इसके प्रयोग से तंत्र मंत्र का प्रभाव टोने टोटके का प्रभाव भी समाप्त होता है। देवी देवताओं की पूजा अर्चना से लेकर तांत्रिक साधना तक, मांगलिक कार्यों के संपन्न होने तक। सभी में इसकी उपयोगिता बहुत तेजोमय, मानी जाती है, बिना इस दिव्य निधि के, बिना इस दिव्य रत्न के कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh) (dakshinavarti shankh ke labh) से मिलने वाले कुछ निम्नलिखित फायदों के बारे में-

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दक्षिणावर्ती शंख के फायदे, dakshinavarti shankh ke fayde

1. दक्षिणावर्ती शंख    (dakshinavarti Shankh)    जिस भी गृह में रहता है।वहां कभी भी शुभ कार्यों के संपन्न होने में किसी भी तरह की अड़चन उत्पन्न नहीं होती है।

2. दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh)को तिजोरी में या फिर धन या गहने का गल्ला जहां रहता हैl उस स्थान पर भी दक्षिणावर्ती शंख(dakshinavarti Shankh) (dakshinavarti shankh se labh) को रखा जाता है ।दक्षिणावर्ती शंख ऐसे स्थानों पर रखने से धन की समृद्धि सदा होती रहती है ।

धन हानि जैसे योग कम ही उत्पन्न होते हैंl धन को संचित करने का यह एक प्रमुख जरिया है, जब तक कि यह धन रखने के स्थल पर विराजमान रहता है।वहां साक्षात माता लक्ष्मी की कृपा बरसती रहती है। माता धन दौलत की वर्षा करती रहती है। हमारे पूर्वजों के द्वारा ऐसी मान्यता है, कि दक्षिणावर्ती शंख  (dakshinavarti Shankh) (dakshinavarti shankh ke fayde in hindi)  में माता अष्टलक्ष्मी तथा माता अन्नपूर्णा का वास होता है, इसलिए धन रखने के स्थान के साथ-साथ अन्न रखने की जगह पर भी दक्षिणावर्ती शंख  (dakshinavarti Shankh)   को रखा जाता है, जिससे घर में अन्न एवं रुपए पैसे की कमी नहीं रहती है।

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दक्षिणावर्ती शंख के फायदे, dakshinavarti shankh ke fayde

3. हमारे पूर्वजों के द्वारा सदा से ही एक परंपरा रही है, कि सुबह घर की ब्रह्म मुहूर्त में सफाई आदि से निवृत्त होकर दक्षिणावर्ती शंख  (dakshinavarti Shankh)  में गंगाजल रखकर यदि गृह के प्रवेश द्वार पर इस शुद्ध जल से छिड़काव किया जाए।तो साक्षात माता लक्ष्मी प्रति दिन उसके घर में प्रविष्ट करती है।

प्रतिदिन ब्रह्मांड में जितनी भी सत्यवान शक्तियां है lसभी उस घर में प्रवेश करती है। जिसमें उस घर की खुशहाली सदा बनी रहती है ।उस घर में सदा अच्छे उपलब्धियों को प्राप्त करने में लोग लगे रहते हैं।लोगों का स्वभाव बहुत ही निर्मल एवं सात्विक रहता है। आचरण वे लोग शुद्ध होने लगते हैं।जिसके प्रभाव से स्थान का वातावरण पूर्ण रूप से शुद्ध होने लगता है ।

ऐसे गृह भवन में सभी देवी शक्तियां निवास करती है।इसके साथ ही दुर्भाग्य को बढ़ाने वाले कारक तत्व का नाश होता है।आर्थिक उन्नयन में निरंतर प्रखरता आती है।भाग्य एवं पुरुषार्थ का अनुरूप परिणाम उक्त स्थल पर निवास करने वाले लोगों को प्राप्त होता ह।

 

 

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4. दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh)    दिव्य शक्तियों से युक्त माना जाता है, इसलिए यदि कोई व्यक्ति बहुत अधिक बीमार रहता है, तो उसे दक्षिणावर्ती शंख    (dakshinavarti Shankh)   में रखे हुए जल का का प्रयोग अवश्य करना चाहिए ।

उसे इस जलसे अपने शरीर के विभिन्न अंगों को शुद्ध करना चाहिए तथा जिस स्थान पर वह व्यक्ति होता है।उस स्थान पर आम के पत्ते से छिड़काव करना चाहिए ।उस कमरे में दक्षिणावर्ती शंख   (dakshinavarti Shankh)  को प्रतिष्ठित कर भी रखा जा सकता है।इसके प्रभाव से उस स्थल के रोग -दोष निर्माण करने वाले सभी कारक तत्व नष्ट होते हैं, तथा व्यक्ति के स्वास्थ्य में अच्छे अनुभूतियों की प्राप्ति होती है।व्यक्ति का स्वास्थ्य दिनोंदिन अच्छी अवस्था में जाने लगता है, तथा उसका मन अंदर से प्रफुल्लित रहता है, जिससे स्वास्थ्य का उत्तम लाभ उसे बहुत जल्द प्राप्त होता हैैैै।

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5. कई बार ऐसा देखा जाता है, कि ग्रहों के प्रभाव के कारण व्यक्ति गलत संगत में पड़ जाता है, तथा नशे आदि का शिकार हो जाता है, कई बार बदनामी भी किसी कुकृत्य के कारण होने लगता है ।ऐसे दुष्प्रभावों से बचने के लिए दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh)   र्मिक अनुष्ठान के समय दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग किया जाता है।

वहां के लोगों के स्वभाव में इस प्रकार की निम्न प्रवृत्ति देखने को नहीं मिलती है। जहां भी दक्षिणावर्ती शंख का प्रयोग होता है ।उस स्थल के में निवास करने वाले व्यक्तियों का स्वभाव बहुत ही सरल कुशल सकारात्मक स्पृहा रखने वाले होते हैं तथा उनके स्वभाव में उदारता एवं व्यवहार कुशलता जैसे उत्कृष्ट गुण विदित होते है।जो उन्हें बाकी लोगों से भिन्न बनाते हैंं।

6. व्यापार आदि में यदि किसी को उपयुक्त लाभ की प्राप्ति नहीं हो रही है, तो ऐसे में वह इस ज्योतिर्मय दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti Shankh)को विधिवत रूप से अभिषेक कराकर प्रतिष्ठित कर आना चाहिए, इससे दरिद्रता के कारक तत्व अभाव के कारण तत्व असफलता के कारक तत्व सभी का नाश होता है।

यह प्रयोग प्रत्येक क्षेत्र में संलग्न लोगों के द्वारा किया जा सकता है।यह एक ऐसा प्रयोग है, जिसका उपयोग कर लोग अपने कार्यस्थल में अपनी स्वधा का प्रयोग कर कई उपलब्धियों को प्राप्त कर सकते हैं, तथा रुपए पैसे जैसे संबंधित चीजों में भी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

7. दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti shankh ki pahchan) (dakshinavarti Shankh) के द्वारा उत्पन्न होने वाली ध्वनि भगवान भोलेनाथ के निरंकार स्वरूप ओम के समतुल्य माना गया है, इसलिए यह ध्वनि जहां तक पहुंचती है ।वहां के आसपास के वातावरण की शुद्धता होने लगती है।वहां का नकारात्मक ऊर्जा का नाश होना शुरू हो जाता है तथा सकारात्मक ऊर्जा प्रत्येक कन में विद्यमान होने लगती है।जहां तक इन अविश्वसनीय रत्न की ध्वनि पहुंचती है, वहां तक के परजीवी जो कई गंभीर बीमारियों के कारक होते हैं ।उन सभी का नाश होने लगता हैैैै।

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8. दक्षिणावर्ती शंख (dakshinavarti shankh ki pahchan kya hai) (dakshinavarti Shankh)जिस भी स्थान पर विदित रहता है ।वहां पर किसी भी तरह की नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं रहता है।तंत्र मंत्र जादू टोना जैसी चीज है, उस स्थान पर प्रभाव नहीं जमा पाती है ।यह प्रत्येक तरह के चीजों से सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता रखता है।

9. कई प्रकार के रोगों से हमें यह मुक्ति दिलाता है ।इसमें मौजूद कई ऐसे स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से अद्भुत तत्व होते हैंl जो व्यक्ति के शरीर को बलिष्ट बनाते हैं।मानसिक रूप से भी यह व्यक्ति को शांति प्रदान करते हैं तथा व्यक्ति बहुत ही आनंद की स्थिति अनुभव करता है ।स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है ।उसका तंत्रिका तंत्र मजबूत होता है, स्वसन तंत्र भी मजबूत होता है।तमाम तरह के दुर्गुण का नाश होता है।

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