माणिक रत्न की पहचान – Manik Ratna Ki
Pahchan
माणिक रत्न (manik ratna ko kaise pahchane) की पहचान कर धारण करने से हम इसके विशिष्ट शक्तियों के माध्यम से अपने जीवन के विभिन्न आयाम में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, माणिक रत्न सूर्य ग्रह से संबंधित होता है, तथा इसका वर्ण देखने में गुलाबी होता है।
कोई भी रत्न हो जब हमें किसी विद्वान पंडित के द्वारा या विद्वान ज्योतिष के द्वारा धारण करने की सलाह दी जाती है, तो सबसे पहला कार्य होता है, हमारे द्वारा चयन किए जाने वाला रत्न पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित है, या नहीं हैl उसके मापदंडों को जानना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि जो रत्न प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं, तथा जिसकी रचना सृष्टि के द्वारा की गई है।
उसमें बहुत से प्राकृतिक रूप से शक्तियां विद्यमान रहती है, इसके साथ-साथ उनमें अद्भुत भौतिक गुणों का समावेशन होता है, जबकि इसके विपरीत जो रत्न केवल प्रयोगशाला में विभिन्न प्रकार के रासायनिक क्रियाओं के द्वारा बनाए जाते हैं, वह देखने में तो बहुत ही मनमोहक, आकर्षक होते हैं l
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उनका आकार भी पूरी तरह से पूर्ण होता है, किंतु उनमें वह सारी शक्तियां नहीं होती है, जो हमें प्राकृतिक रूप से शुद्ध माणिक रत्न (Manik Ratna Ki Pahchan) या कोई भी रत्न से हमें प्राप्त होता है, जिस प्रकार विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का उपयोग कर मानव अपना या बहुत से जीवो का क्लोन बना सकता है, किंतु जो विविधता हमें प्रकृति के द्वारा प्रदान की जा सकती है।
वह विविधता आपको मानव द्वारा प्रयोगशालाओं में निर्मित क्लोनो में देखने को नहीं मिलती है lउसी प्रकार रत्न भी जो हमें प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते हैं lउनमें विभिन्न प्रकार की विविधताए होती है, जो एक विशिष्ट ग्रह को निरूपित करती है, एक विशिष्ट ग्रह को वह रत्न संबोधित करता है, उस विशिष्ट ग्रह की ऊर्जा उस रत्न में व्याप्त होती है।
माणिक रत्न (manik ratna ki pahchan kaise kare) की शुद्धता को जांचने के लिए विभिन्न मापदंड एवं पैमाने निर्धारित किए गए हैं, जिसके आधार पर आप यह जान सकते हैं, कि आपके द्वारा खरीदा जा रहा माणिक रत्न शुद्ध रूप से निर्मित है, या केवल प्रयोगशाला का रासायनिक क्रियाओं का पूंज हैl निम्नलिखित पैमानों के जांच के आधार पर आप यह जान सकते हैं, कि माणिक रत्न असली है या नकली है-
1. माणिक रत्न (Asli manik ratna ki pehchan kya hai) को जब सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है, तब इससे गुलाबी रंग की रोशनी प्रदीप्त होने लगती है, जबकि यदि यह किसी भी प्रकार से प्रयोगशाला में निर्मित एक कृतिम रत्न हुआ तो उसमें यह विशिष्ट गुण आपको देखने को नहीं मिलेगा आपको केवल इंद्रधनुषी रंग प्रदीप्त होते हुए दिखाई देंगे।
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2. माणिक रत्न (manik ratna ki pehchan kya hai) को जब गाय के शुद्ध देसी दूध में कुछ घंटों के लिए डाल कर रखा जाता है, तो उस दूध का वर्ण परिवर्तित होने लगता है, तथा धीरे-धीरे वह गुलाबी रंग का होने लगता हैl इसके पश्चात जब आप माणिक रत्न को दूध से निकालेंगेl तब भी उसका आकर्षण कम नहीं होता वह देखने में उतना ही अद्भुत सुंदर, चमकदार दिखता है, जबकि इसके विपरीत यदि दूध का रंग जैसे का तैसा रहा एवं आपके द्वारा निकाला गया माणिक रत्न का रंग पहले से हल्का हो गया है, या किसी भी प्रकार से वह देखने में अटपटा लग रहा है, तो इसका तात्पर्य है कि वह एक कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक्य रत्न है।
3. रत्नों का निर्माण विभिन्न प्रकार की जटिल प्रक्रिया से गुजर कर होता है, जिसकी वजह से इनका घनत्व अधिक होता हैl इसके विपरीत कृत्रिम रूप से निर्मित जो रत्न होते हैंl अपने आकार की अपेक्षा उनका वजन बहुत कम होता है, जब आप एक प्राकृतिक रूप से माणिक रत्न तथा अशुद्ध माणिक रत्न का वजन करेंगे तो आप देखेंगे कि प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न का वजन बहुत अधिक होता है, भले ही वह आकार में देखने में छोटा होता है, कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक रत्न(Asli manik ratna ki pehchan kaise kare) की तुलना में।
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4. पत्थरों का गलनांक बहुत अधिक होता है, जिसकी वजह से यह ताप पर जल्दी नहीं पिघलते हैं, या ताप पर रखने से इन के आकार में बदलाव नहीं आता है, जबकि इसके विपरीत कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न का गलनांक कम होता है, जिसकी वजह से वह हल्की सी ताप पाकर भी उसके आकार में बदलाव आने लगता है, जिसको साफ रूप से देखा जा सकता है।
जब आप माणिक रत्न(manik ratna ki pehchan kaise kare in hindi) को ताप पर रखते हैं, तब इस की चमक और अधिक बढ़ जाती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक रत्न को ताप पर रखा जाता है, तब इसके आकार में परिवर्तन होने लगता है, तथा इसकी अनु में आप यह परिवर्तन साफ तौर पर देख सकते हैं, या चाहे तो जब यह ताप पर हो तब इस पर किसी चीज से कुछ लिख भी सकते हैंl
5. ऐसा माना जाता है, कि यदि प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक या रूबी रत्न को जब किसी कमल फूल की कली पर रखा जाता है,चंद्र ग्रह को निरूपित करता है, ऐसा सर्वविदित है, कि जो लोग मन से मजबूत होते हैंl वह संसार को जीतने की अद्भुत क्षमता अपने अंदर समेटे हुए रहते हैl दुनिया का सबसे कठिन काम होता है।
अपने मन पर नियंत्रण स्थापित करना यदि आपने अपने मन पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है, तो आप पूरे जग को जीत सकते हैं, तब वह इसकी तेज से खिल उठता है, इसमें यह शक्ति प्राकृतिक रूप से विद्यमान होती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक रत्न (manik ratna ke gun) में यह गुण नहीं देखने को मिलता हैl
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6. प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न (manik ratna ki pehchan kaise karen) हल्की सी भी रोशनी को पाकर चमक उठता हैl आप इसके मनमोहक गुलाबी रंग को स्पष्ट तरीके से देख सकते हैं, एवं उसकी अद्भुत अनुभूति को प्राप्त कर सकते हैं, जबकि इसके विपरीत कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक रत्न को आप हल्की सी रोशनी में रखेंगे, तब आपको उससे किसी भी प्रकार की रोशनी उत्सर्जित होती हुई नहीं दिखाई देगी।
7. जब आप प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न (manik ratna ki pehchan in hindi) को जल में अपने हाथों के ऊपर ले कर रखेंगे तब आपको इससे गुलाबी रंग की रोशनी प्रदीप्त होती हुई दिखाई देगी, जबकि इसके विपरीत यदि माणिक रत्न नकली हुआ तो आपको इससे इंद्रधनुषी रंग यह हो सकता है, कि कोई भी रंग उत्सर्जित होते हुए दिखाई ना पड़ेl
8. असली माणिक रत्न को पत्थर पर गिरने से इसकी चमक और अधिक बढ़ जाती है जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में यह विशिष्ट गुण मौजूद नहीं होता हैl
9. प्राकृतिक रूप से निर्मित माणिक रत्न (manik ratna ki jankari) को जब त्वचा के संपर्क में लाया जाता है, तब यह हमारे त्वचा को ठंडक या शीतलता प्रदान करती है, जबकि इसके विपरीत कृत्रिम रूप से निर्मित माणिक रत्न में यह गुण हमें देखने को नहीं मिलता है
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