मूंगा रत्न पहनने की विधि – Munga Ratna Pahanne Ki Vidhi

मूंगा रत्न पहनने की विधि – Munga Ratna Pahanne Ki Vidhi

 

 मूंगा रत्न पहनने की विधि – Munga Ratna

 Pahanne Ki Vidhi

मंगल ग्रह एक क्रूर एवं पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है, तथा इसका रंग रक्त के समान लाल होता हैl हमारे जीवन में ऊर्जा एवं पराक्रम का परिचालक मंगल ग्रह को ही माना जाता हैl मंगल ग्रह 3 नक्षत्रों के स्वामी होते हैं -मृगशिरा नक्षत्र ,चित्रा नक्षत्र एवं घनिष्ठा नक्षत्र lअग्नि प्रधान तत्व की तीव्रता मंगल ग्रह के द्वारा ही संबोधित की जाती है, इसलिए ग्रीष्म ऋतु का संबंध भी मंगल से संबंधित माना जाता हैl इस ग्रह को नव ग्रहों का सेनापति के रूप से अलंकृत किया जाता हैl सेनापति जिसकी अनुमति के बिना कोई राजा तक नहीं पहुंच सकता या बिना सेनापति के इजाजत के उसकी फरियाद और लोगों तक नहीं पहुंच सकती हैl यही कारण है, कि मंगल ग्रह का हमारे जीवन के ऊपर बहुत व्यापक रूप से प्रभाव पड़ता है, किसी भी ग्रह के लाभों एवं अनुकूल प्रभाव को प्राप्त करने के लिए सबसे पहले मंगल ग्रह का ठीक होना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि मंगल ग्रह सेनापति होता है, और बिना इसकी आज्ञा के किसी भी ग्रह उपग्रह के कृपा को प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

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मंगल ग्रह विभिन्न ग्रहों के साथ एकांकी होकर बहुत से अशुभ योगो का निर्माण करता है, जिससे जातक की स्थिति और अधिक दयनीय होने लगती है, सबसे पहले आज हम मंगल ग्रह से संबंधित मांगलिक योग या मांगलिक दोष के बारे में बात करेंगेl मंगल से संबंधित यह दोष कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही बनता हैl यदि किसी जातक की लग्न कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम चतुर्थ सप्तम अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो तो ऐसी परिस्थिति में यह मंगल दोष का निर्माण करता हैl इस दोष को कुज दोष से भी संबोधित करते हैंl इस योग की वजह से जातक के स्वभाव में बहुत अधिक भिन्नता है, देखने को मिलती है, वह अहंकारी दंभी क्रोधी स्वभाव का होता है, किंतु बुद्धि से भी वह बहुत अधिक तेज होता हैl इस योग की वजह से जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार के सांसारिक एवं भौतिक सुखों का अभाव रहता है, तथा जातक को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

वैवाहिक जीवन संबंधित परेशानियां उसके मानसिक संतुलन को पूरी तरह से बिगाड़ कर रख देती है, इसके दुष्प्रभाव के वजह से ससुराल पक्ष के रिश्तो में हमेशा जातक को कड़वाहट का ही अनुभव प्राप्त होता हैl इस योग की वजह से जातक की शारीरिक क्षमताएं भी प्रभावित होती है, रक्त संबंधित रोग, वाद विवाद संबंधित चीजें बहुत अधिक घटती है, हर वक्त जातक के इर्द-गिर्द कलह का माहौल बना हुआ रहता है lउसके वैचारिक मतभेद बहुत अधिक होने की वजह से लोगों से जुड़ाव भी उसका बहुत कम होता है।

इसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के पूजा पाठ दान पुण्य करने के साथ-साथ सबसे महत्वपूर्ण होता है, इससे संबंधित रत्न को धारण करना इससे संबंधित मूंगा रत्न (munga ratna pahanne ki vidhi kya hai) को धारण करने से भी इसके द्वारा दिए जा रहे कष्टों को कम किया जा सकता है, इसके दुष्परिणामों को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता हैl बशर्ते कि हमारे द्वारा धारण किया जा रहा रत्न पूरी विधिवत तरीके से धारण किया गया हो एवं वह मंत्र उच्चारण से अभिमंत्रित हो।

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मूंगा रत्न पहनने की विधि निम्नलिखित है-

1. सर्वप्रथम रत्न धारण करने से पूर्व यह जांच ना बहुत आवश्यक है, कि आपके द्वारा धारण किया जाने वाला मूंगा रत्न (munga ratna pehne ke fayde) पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से निर्मित हो lवह कृत्रिम रूप से निर्मित होना नहीं चाहिए अन्यथा जिस चीज की इच्छा लिए मन में आप उसे धारण करना चाहते हैंl वह कभी भी पूर्ण नहीं होगा इसके साथ -साथ आपका विश्वास नहीं ज्योतिष विद्या पर डगमगा जाएगा lअतः मूंगा रत्न के जांचने परखने के विभिन्न मापदंडों को अपनाकर यह अवश्य जांच लें कि आपके द्वारा धारण किया जाने वाला रत्न पूरी तरह से शुद्ध हो।

2. मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne ke fayde) को सोना या फिर तांबा धातु में धारण करना सबसे उत्तम माना जाता है, अतः आपके द्वारा धारण की जाने वाली अंगूठी भी इन्ही धातुओं में से किसी एक में निर्मित होना चाहिए।

3.मूंगा रत्न को धारण करने के लिए सबसे विशिष्ट एवं उपयुक्त उंगलि दाएं हाथ की अनामिका उंगली को माना जाता है।

4. नक्षत्रों का भी हमारे जीवन में ग्रहों की तरह ही बहुत व्यापक प्रभाव पड़ता है lअतः किसी भी रत्न को धारण करने से पूर्व नक्षत्रों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। मूंगा रत्न (munga ratna ki jankari) को धारण करने का सबसे उपयुक्त नक्षत्र रेवती, अश्विनी ,रोहिणी ,चित्रा, स्वाती एवं विशाखा नक्षत्र को माना जाता है lअतः इस रत्न को आप उपर्युक्त वर्णित नक्षत्रों में ही धारण करें।

5. सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत्त होकर गंगाजल से इस रत्न को पवित्र करें, उसके पश्चात पंचामृत से भी इस रत्न को धुले एवं साफ कपड़े से पोछ कर अपने पूजा घर में इस रत्न को एक स्वच्छ लाल कपड़े के ऊपर रख दे।

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6. इसके पश्चात कपूर एवं लॉन्ग तथा गूगल से उस रत्न की आरती उतारे इसके साथ साथ आप कपूर के कुछ टुकड़े लाल कपड़े के ऊपर मूंगा रत्न (munga ratna kaisa hota hai) के पास भी रख सकते हैं, जिससे उसके चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव और अधिक बढ़ जाएगा, जिससे उसकी शक्तियों को जागृत होने में अधिक समय नहीं लगेगा।

7. उसके बाद मंगल से संबंधित बीज मंत्र का उच्चारण जितना हो सके उतना अधिक करेंl केवल इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा उच्चारित किया जा रहा मंत्र का शब्दावली पूरी तरह से शुद्ध हो जिससे मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne ki vidhi) की सारी शक्तियां जल्द से जल्द जागृत हो सकेl यदि आप तो किसी भी तरह से मंत्रों का उच्चारण करने में असमर्थ हैं, तो आप इस कार्य में किसी विद्वान ज्योतिषीय या विद्वान पंडित का भी सहायता ले सकते हैं lउसके बाद मंगल ग्रह के बीज मंत्रों से इस रत्न को अच्छे से अभिमंत्रित करवा करl आप इसे किसी बजरंगबली या राम जी के मंदिर में लेकर जाएं।

 

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8. उसके बाद मंदिर ले जाकर भगवान के चरणों में मूंगा रत्न (munga ratna dharan karne ka samay) को कुछ देर के लिए रहने दे फिर भगवान जी का आशीर्वाद लेकर एवं पंडित जी का आशीर्वाद लेकर दान दक्षिणा पंडित जी को प्रदान कर मूंगा रत्न अपने मन की इच्छा बोलते हुए धारण करें।

9. इस दिन वर्जित चीजों से जितना हो सके दूर रहें एवं मांस मदिरा का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित रखें।

10. भूलकर भी एक दिन किसी से भी वाद विवाद ना करें एवं क्रोध से बचें क्योंकि इससे आपकी स्थिति सुधरने के बजाय और अधिक बिगड़ने की संभावना बनी रहेगी lअतः इस दिन क्रोध एवं वाद-विवाद से पूरी तरह खुद को दूर रखें lमन को संयम एवं शांति बनाए रखें।

11. इस दिन बूंदी का दान अवश्य करें किसी भूखे को खाने में बूंदी के साथ कुछ और चीज खाने को दे घर परिवार के बुजुर्ग लोगों के लिए भी कुछ न कुछ उपहार लेकर आए यदि संभव ना हो तो उनके लिए कुछ खाने में लड्डू या बूंदी लेकर आएं।

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