नीलम स्टोन का उपरत्न – Neelam Stone Ka Uparatn

नीलम स्टोन का उपरत्न – Neelam Stone Ka Uparatn

 

नीलम स्टोन का उपरत्न – Neelam Stone Ka

 Uparatn

नीलम स्टोन का उपरत्न आज का हम जानने का प्रयास करेंगे कि नीलम स्टोन के कौन-कौन से उपरत्न है तथा यह कैसे कार्य करते हैं?

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प्रायः ऐसा देखा गया है, कि लोगों को भ्रमित कर शनि के नाम पर विभिन्न प्रकार के कृत्रिम रत्नों को लोगों को सुपुर्द कर दिया जाता है, जिससे उन्हें किसी भी प्रकार की लाभ की प्राप्ति नहीं होती हैl कभी-कभी लोगों के द्वारा नीलम रत्न के उपरत्न भी धारण किया जाता है, किंतु इन रत्नों या उप रत्नों की शुद्धता के बिना जांच परख के उपयोग करने से लोगों के जीवन में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिलता है, ऐसे में लोग हताश हो जाते हैं, लोगों को नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna kya hai) खरीदने से पहले उसे अच्छी तरह से जांचना परखना चाहिए तथा शुद्धता के विभिन्न इकाइयों की जांच अवश्य करना चाहिए।

जैसे- प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नीलम में विभिन्न प्रकार की आकृतियां ,बिंदु ,रेखाएं आदि रहती है, तथा कभी भी यह पारदर्शी नहीं होती है, इनमें बहुत से जाले नजर आएंगेl प्राकृतिक रूप से उपलब्ध नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna kaisa hota hai) का घनत्व बहुत अधिक होता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित नीलम रत्न का घनत्व बहुत कम होता हैl नीलम रत्न का शुद्ध रूप में चुंबकीय तत्व मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से अपनी और यह तिनका आदि को आकर्षित कर सकता हैl इसका वर्ण मुख्यता देखने में नीला होता हैl हालांकि और भी विभिन्न रंगों के नीलम दुनिया के विभिन्न देशों में पाए जाते हैं, किंतु इन नीलम रत्नों का मिलना काफी दुर्लभ होता है, इनमें से कुछ का रंग पीला ,नारंगी, गुलाबी ,काला, भूरा आदि होता हैl कुछ नीलम रत्न तो रंग बदलने वाले भी होते हैं।

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कुछ नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna ke upyog) सतरंगी भी होते हैं, कुछ का आवरण ऐसा होता है, मानो वो तारे के जैसे प्रकाश को उत्सर्जित कर रहे हो lश्रेष्ठतम गुणवत्ता वाला नीलम रत्न दूध को नीला करने की भी क्षमता रखता है। सूर्य की किरने हो या चंद्र की शीतल किरने नीलम रत्न पर जब यह पड़ती है, तो आपको एक समान रूप से नीली रोशनी निकलने का आभास होता हैl सर्वोत्तम नीलम देखने में बहुत आकर्षित ,मनभावन ,अतुलनीय, अनुपम होता है, इसकी चमक के आगे बाकी सारे रत्न फीके पड़ जाते हैंl नीलम रत्न शनि ग्रह से संबंधित होता है lइसे शनि ग्रह के द्वारा दी जा रही विभिन्न परिस्थितियों की पीड़ा आदि में पहना जाता हैl शनि के विभिन्न दशा, महादशा, शनि की ढैया, शनि की साढ़ेसाती जैसी विनाशक एवं घातक दशाओं में नीलम रत्न किसी अमृत के समान कार्य करता है, तथा जिस भी जातक के द्वारा धारण किया जाता है, उसकी परेशानियों को यह त्वरित गति से खत्म करने की क्षमता रखता है।

जातक को विभिन्न मानसिक परेशानियों से बाहर निकलने में सक्षम होता है, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि विभिन्न बीमारियों में भी नीलम रत्न का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि इसके औषधीय गुण भी कम नहीं हैl अनिद्रा, डरावने सपने ,मानसिक अवसाद, चिड़चिड़ापन उदर संबंधित रोग आदि को ठीक करने में नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna ki jankari) का इस्तेमाल किया जाता हैl यह रत्न धारण करने के पश्चात उस में विभिन्न प्रकार की आकृतियां या धारियां अचानक से दिखाई देने लगे तो इससे यह बात स्पष्ट होती है, कि आने वाले समय में आपको आपके वैवाहिक जीवन में अलगाव संभव हो सकता है, या किसी करीबी की मृत्यु होने की भी पूरी संभावना बनी रहती है, इसके श्वेत धब्बे भविष्य में रुपयों पैसों की हानि को दर्शाता है।

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अतः समय-समय पर यह जानना भी आवश्यक है, कि आपके द्वारा धारण किया गया नीलम पूरी तरह से त्रुटि हीन हो अन्यथा उसके दुष्परिणाम आपके जीवन को चिंता युक्त बना देते हैंl पूरे दुनिया में सबसे श्रेष्ठतम गुणवत्ता वाले नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna ke fayde) भारत में पाए जाते हैं, जिनका वर्ण और जगह से पाए जाने वाले नीलम रत्नों से अत्यधिक गहरा होता है, तथा इसका मूल्य भी बहुत ज्यादा होता हैl  नीलम रत्न को प्राप्त करना इतना आसान नहीं है, लद्दाख तथा कश्मीर की पहाड़ियों के बीच स्थित पदार पहाड़ियों से यह रत्न प्राप्त होता है lयह एक ऐसा जगह है, जहां 9 महीने बर्फबारी होती है, फिर भी लोग जान हथेली पर रखकर 4 से 5 दिनों की यह कष्ट मई यात्रा करते हैं, जिसमें हिमपात, ठंड, बर्फबारी आदि की समस्याओं से उनके मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है, फिर भी श्रेष्ठतम नीलम पानी ने की लालच में लोग यहां तक पहुंचते हैं, और नीलम को प्राप्त करते हैं, किंतु जितना नीलम की मांग है, उतना इस खदान से नीलम रत्न प्राप्त नहीं होता है और यदि प्राप्त हो भी जाता है, तो उसकी कीमत इतनी अधिक होती है, कि कोई भी आम इंसान नहीं चुका सकता है, ऐसी स्थिति में हमारे देश को विभिन्न देशों से नीलम रत्न आयात करने पड़ते हैं l

जिसमें से सबसे बड़ी सहभागिता श्रीलंका की है, विश्व में श्रीलंका के नीलम रत्नों को भी अच्छा दर्जा दिया गया हैl यहां के नीलम की गुणवत्ता भी सर्वोत्तम होती है, किंतु प्रत्येक इंसान कि पहुंच नीलम रत्न तक नहीं बन पाती है क्योंकि इसका मूल्य सभी लोगों के द्वारा नहीं चुकाया जा सकताl ऐसी परिस्थिति में लोगों के द्वारा इनके उपरत्न भी धारण किए जा सकते हैं lविभिन्न उपरत्न का कार्य भी नीलम रत्न के जैसा ही होता है, तथा उनमें भी नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna ke fayde kya hai) जैसी ही शक्तिशाली एवं अलौकिक शक्तियां विद्यमान रहती हैंl रत्न और उपरत्न में यह अंतर है, कि रत्न की शक्तियां बहुत दिनों तक कार्य करती है, जबकि उपरत्न की ऊर्जा कुछ विशिष्ट समय के उपरांत समाप्त हो जाती है।

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नीलम स्टोन के उपरत्न भी यदि त्रुटि हीन हुए तो बहुत कार्य करते हैं, इसके कुछ उपरत्न है -नीली, लाजवर्त ,फिरोजा ,कटेला जमुनिया आदिl नीली को नीलम रत्न (neelam ratna ka upratna kaisa hota hai) के समतुल्य समझा जाता है, क्योंकि इसका वर्ण नीलम के समान ही होता हैl इन सभी उप रत्नों में से सबसे श्रेष्ठ फिरोजा को बताया गया है, क्योंकि इस रत्न की एक खासियत यह भी है, कि यह कभी भी प्रतिकूल परिणाम नहीं देता lजहां नीलम रत्न किसी को नहीं धारने पर बर्बाद कर सकता है, किंतु फिरोजा के साथ ऐसी कोई शर्त नहीं होतीl यह हर परिस्थिति में आप का साथ निभाता है, तथा आप में धैर्य की वृद्धि करता हैl ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार यदि कोई रत्न या उपरत्न खो जाए अथवा वह किसी प्रकार से चटक जाए तो इसका अर्थ है, कि आने वाले भविष्य में आप के ऊपर कोई बहुत बड़ी परेशानी आने वाली थी, जिसको रत्न या उपरत्न अपने ऊपर समाहित कर लेता है, और आपको उस बड़ी दुर्घटना से बचा लेता है।

 

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