स्फटिक माला की पहचान क्या है – Sphatik Mala Ki Pahachan Kya Hai

स्फटिक माला की पहचान क्या है – Sphatik Mala Ki Pahachan Kya Hai

 

स्फटिक माला कि पहचान क्या है? Sphatik

 Mala Ki Pahachan Kya Hai

स्फटिक माला की पहचान क्या है- (sphatik mala ki pahchan) स्फटिक कि माला जिसे धारण करने से माता लक्ष्मी के साथ-साथ माता सरस्वती की भी कृपा प्राप्ति होती है, जिससे व्यक्ति विशेष को यदि राहु के द्वारा यदि कोई कष्ट प्रदान किया जा रहा है, तो ऐसी स्थिति को नष्ट करने की छमता। स्फटिक रत्न में विद्मान होती है। राहु जिसकी मार जिस भी जातक के ऊपर होती है, उसका मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। अनेक प्रकार की आकस्मिक चीज़े उसके जीवन में घटित होने लगती है।

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कभी-कभी ऐसी अनहोनी घटनाएं घट जाती है, जिसकी कल्पना जातक में शायद कभी सपने में भी ना की हो जातक के मन में किसी न किसी चीज के लिए है, भय व्याप्त हो जाता है, तथा कुविचार उसके मन मस्तिष्क में घर बना लेते हैं। व्यर्थ की दुश्मनी भी खराब राहु का प्रतीक होता है, किसी प्रकार का सिर का आघात भी अशुभ राहु की ही देन होती है, मस्तिष्क से संबंधित विकारों का कारण का संबंध भी खराब राहु की पहचान होती है, तंत्र मंत्र उपरी बाधा जैसे बधाए भी खराब राहु ग्रह देन होती है, ऐसे में बुद्धि एवं विवेक को सही दिशा निर्देश देने के लिए तथा राहु के द्वारा दिए जा रहे बाधा को दूर करने के लिए यह माला सबसे उपयुक्त माना जाता है।

माता लक्ष्मी की कृपा को प्राप्त करने के लिए भी स्फटिक की माला का प्रयोग किया जाता है। माता लक्ष्मी के मंत्रों को जब स्फटिक के माला (sphatik mala ki pahchan kaise kare) से जाप किया जाता है, तो वह बहुत अधिक प्रभावशाली सिद्ध होता है, जिसकी वजह से जातक के जीवन में कभी भी धन से संबंधित परेशानी नहीं होती है। जातक का जीवन धन -संपदा ,ऐश्वर्य ,समृद्धि सभी चीजों से परिपूर्ण रहता हैl माता लक्ष्मी की कृपा उसके ऊपर तथा उसके परिवार वालों के ऊपर सदा यूं ही बनी रहती हैl शुक्र ग्रह की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भी इस दिव्य माला का प्रयोग किया जाता है। इस माला को धारण करने से जातक के ऊपर शिव जी की भी कृपा बनी रहती है, इसके साथ-साथ चंद्र को भी यह रत्न बल प्रदान करता है।

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स्फटिक (sphatik mala ko kaise pahchane) एक प्रकार का खनिज है, जिसका संयोजक सल्फर डाइऑक्साइड होता है lयह एक अर्ध मूल्यवान रत्न होता हैl इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के आभूषण ,मूर्ति आदि के निर्माण में किया जाता है, स्फटिक रंगहीन पारदर्शी तथा स्वच्छ आभा वाला उपरत्न होता है, किंतु यदि इसमें कोई अशुद्धियां विद्यमान रहती है, तो अलग-अलग रंग के भी स्फटिक उपरत्न प्राप्त हो सकते हैं। इसकी कांति भले ही कांच के समान प्रतीत होती हुई दिखाई पड़ती है, किंतु यह कांच के समान अल्पजीवी नहीं बल्कि बहुत ही कठोर होता है, इसके भिन्न-भिन्न गुणों के कारण इसके नाम भी भिन्न भिन्न हैं, जैसे- बिल्लौर , श्रीतोपल, कांचमणि ,शिव प्रिय आदि।

स्फटिक के विभिन्न प्रकार के आभूषण धारण करने से अनेक लाभ व्यक्ति विशेष को प्राप्त होता है, यह एक ऐसा उपरत्न है, जो हर आयु वर्ग के लोगों के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, तथा देवी से संबंधित किसी भी प्रकार के मंत्र को सिद्ध करने के लिए भी सबसे उपयुक्त माना जाता है, ऐसा माना जाता है, कि जिस भी व्यक्ति के द्वारा स्फटिक की माला (sphatik mala dharan karne se kya hota hai) धारण की जाती है, उसे ऊपरी बाधाएं संबंधित कभी भी परेशानियां नहीं आती है, तथा  स्फटिक रत्न एक संरक्षक के रूप में जातक को अनेक प्रकार के नकारात्मक लोगों तथा नकारात्मक लोगों के द्वारा उत्पन्न गलत विचारों को एवं भूत प्रेत जैसी व्याधि को भी पूरी तरह से नष्ट करने की क्षमता रखता है, ऐसे लोग जो शारीरिक तौर पर एवं मानसिक तौर पर काफी कमजोर होते हैं, वैसे लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है, छोटे बच्चों की आभामंडल बहुत कमजोर होती है।

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लोग बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं, जिसकी वजह से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव उनके ऊपर बहुत अधिक पड़ता है, जिससे बच्चे बहुत अधिक रोने लगते हैं, या चिड़चिड़ा हट जैसी स्थिति देखने को मिलती है, कई बार डर से बच्चे जाग जाते हैं, या बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं, ऐसे परेशानियों को दूर करने के लिए बच्चों को यह माला धारण करवाया जाता है, जिससे उनकी सुरक्षा हो सके स्फटिक रत्न का प्रयोग औषधीय स्तर पर भी किया जाता है, इसका भस्म का प्रयोग कई विद्वान वैध के द्वारा जो ज्वर पीत विकार आदि जैसे बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है। आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए भी स्फटिक माला (sphatik mala dharan karne ke fayde) का प्रयोग किया जाता है, किसी प्रकार की घबराहट, चिंता, भय आदि को दूर करने के लिए भी स्फटिक माला को धारण किया जाता है।

स्फटिक असली है, या नकली इसे पहचानने के लिए निम्नलिखित कुछ मापदंड या पैमाने अपनाए जा सकते हैं –

1. स्फटिक (sphatik mala benefits in hindi) ऐसा माना जाता है, कि बर्फ का बहुत ही ठंडा टुकड़ा होता है, जो कुछ जटिल परिस्थितियों में परिवर्तन होकर स्फटिक जैसे उपरत्न का रूप ले लेता है, यही कारण है, कि स्फटिक उपरत्न की प्रवृत्ति काफी ठंडी होती है, किसी भी मौसम में यह हमेशा ठंडा रहता है, जब आप की त्वचा इसके संपर्क में आएगी तो आप को ठंडक का एहसास होगा।

2. स्फटिक के मनको को जब एक दूसरे के विपरीत रगड़ा जाता है, तब उससे चिंगारी निकलती हुई प्रतीत होती है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित रत्न में ऐसा कोई भी गुण देखने को नहीं मिलता है।

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3. स्फटिक (sphatik mala ke labh) की मोतीयों का आकार कभी भी पूरी तरह से गोल नहीं होता है, तथा सभी एक दूसरे से बिल्कुल आकार में भिन्न होते हैं, एवं उनके अंदर प्राकृतिक रूप से रेशा बिंदु या कोई न कोई त्रुटि मौजूद रहता ही है, किंतु वह टूटा हुआ नहीं रहता बल्कि भौतिक संरचना के निर्माण के दौरान उसके द्वारा प्राप्त किया गया उसका यह गुण होता है, जबकि कृत्रिम रूप से निर्मित स्फटिक रत्न में इस प्रकार के रेशे ,बिंदु शायद ही दिखाई पड़े।

4. स्फटिक की यह खासियत होती है, कि स्फटिक रत्न (sphatik mala se kya hota hai) कितना भी पुराना हो जाए किंतु इस की चमक कभी भी खत्म नहीं होती है, इसे गंगाजल से धुलने के पश्चात इसकी आभा और अधिक कांतिमय हो जाती है।

5. हालांकि इसके मोती दिखने में पारदर्शी होते हैं, किंतु फिर भी उन में थोड़ी बहुत प्राकृतिक त्रुटि मौजूद रहती है, जिसकी वजह से यह पूरी तरह से पारदर्शी नहीं दिखते हैं।

6. आकार की तुलना में इसका वजन अधिक होता है, इसलिए जब असली स्फटिक उपरत्न को हाथों में लिया जाता है, तब इसका भार बहुत अधिक प्रतीत होता है।

7. जब प्रकाश की किरने इस पर पड़ती है, तो यह अद्भुत रंग बिखेरता है, यह बहुत ही चमकदार प्रतीत होता है।

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