स्फटिक माला किस दिन पहने – Sphatik
Mala Kis Din Pahne
स्फटिक माला किस दिन पहने – (sphatik mala benefits in hindi) लोगों के मन में यह संशय अवश्य रहता है, कि आखिर किस दिन इस दिव्य रत्न की माला को धारण करें, जिससे अनेक प्रकार की समस्याओं के ऊपर पूर्ण रूप से नियंत्रण हो सके। इस विशिष्ट माला का प्रयोग अनेक प्रकार की चीजों के लिए किया जा सकता है, भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने के लिए भी स्फटिक माला का प्रयोग किया जा सकता है, इसके साथ-साथ माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है, एवं ज्ञान की देवी माता सरस्वती के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है, एवं शुक्र ग्रह तथा शनि ग्रह के द्वारा दिए जा रहे किसी भी प्रकार के प्रतिकूल प्रभाव को नष्ट करने के लिए भी स्फटिक माला को उपयोग में लाया जा सकता है।
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1. यदि किसी व्यक्ति विशेष के द्वारा स्फटिक की माला (sphatik mala kis din dharan kare) का प्रयोग माता सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए धारण किया जाना है, तो ऐसे में स्फटिक माला को विधिवत पूर्वक अभिमंत्रित करके बसंत पंचमी के दिन केसर से तिलक लगाकर माता सरस्वती के बीज मंत्रों से सिद्ध करके धारण किया जा सकता है। माता सरस्वती जिन्हें शब्द और रस का संचार प्रदान करने वाली देवी कहा गया है, ऐसी देवी जो ब्रह्म ज्ञान ,विद्या, वाणी ,संगीत कला की अधिष्ठात्री होती है lउनकी उपासना से मूर्ख की भी दिव्य दृष्टि खुल जाती है, ऐसी माता की कृपा प्राप्त करने के लिए स्फटिक की माला सबसे उपयुक्त मानी जाती है।
मां बागेश्वरी मां हंस वाहिनी की जिस भी व्यक्ति पर कृपा बरसती है, उनके जीवन में ज्ञान की गंगा बहने लगती हैl उसके सातों चक्र जागृत होने लगते हैंl वह अनेक प्रकार की गूढ़ विद्याओं का सर्वज्ञ बन जाता है, ऐसे बच्चे जिनके अंदर विद्या अध्ययन की रूचि नहीं होती है, या किसी भी प्रकार की कौशल क्षमता के निर्माण में वह लोग रुचि नहीं रखते हैं, ऐसे में उनके द्वारा यदि आप हो lचमत्कारिक माला बसंत पंचमी के दिन धारण किया जाए, तो माता की आराधना करने वाले जातकों को मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से ज्ञान, विद्या ,कला में चरमोत्कर्ष की प्राप्ति होती है। व्यक्तित्व के अनुकूल रूपांतरण के लिए स्फटिक माला (sphatik mala kis din dharan karna chahiye) का उपयोग किया जाता है, जिसे धारण करने से बुद्धि वर्चस्व की प्राप्ति होती है, बच्चों में यह बौद्धिक क्षमता का विकास बहुत तीव्र गति के साथ करता है, इसके साथ-साथ उनके भावनात्मक पल पहलुओं को भी मजबूती प्रदान करता है, बच्चे मन मस्तिष्क से शांत होते हैं, यह उनके चित को शांति प्रदान करता है।
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इसके साथ-साथ स्फटिक माला (sphatik mala ka upyog kaise kare) का प्रयोग करने से राहु के द्वारा दिए जा रहे किसी भी प्रकार की पीड़ा को भी दूर किया जा सकता है, माता सरस्वती के वंदन से राहु सदा अच्छे परिणाम देता है, तथा जातकों की बुद्धि तीव्र बनाता है, जिस प्रकार राहु ने अपने दिमाग का प्रयोग कर यह जान लिया था कि कैसे अमृतपाल केवल देवताओं को किला कराया जा रहा है, असुरों को नहीं ऐसे उच्च ज्ञान को रखने वाला राहु यदि किसी पर अपनी अच्छी दृष्टि डाल दे तो समझिए जातक के सारे चक्षु खुल जाते हैं, ज्ञान चक्षु बहुत ही विस्तृत होता है, वाकपटुता जैसी कला में जातक को कोई भी हरा नहीं पाता अनेक प्रकार के गुण विद्याओं का अध्ययन करने की क्षमता भी राहु के द्वारा प्रदान की जाती है, तथा सही दिशा में जातक के विचार केंद्रित होते हैं, जिससे विभिन्न आयामों में उसे सफलता की प्राप्ति होती हैl इसके साथ साथ राहु आकस्मिक लाभ प्रदान करता है, विचारों में गंभीरता लाने का कार्य में राहु के द्वारा किया जाता है।
2. ऐसे जातक जो भगवान शिव शंभू का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, इसके साथ-साथ चंद्र की कृपा भी प्राप्त करना चाहते हैंl ऐसे जातकों को विधिवत तरीके से भगवान भोलेनाथ के मंत्रों का जप कर स्फटिक माला (sphatik mala ka upyog) को सिद्ध करने के पश्चात शुक्ल पक्ष के सोमवार के दिन धारण किया जा सकता हैl इस माला के प्रभाव से जातक को असीम शांति की प्राप्ति होती हैl भोलेनाथ की कृपा से उसके जीवन से जितने भी विश युक्त योग होते हैं, वह सभी नष्ट हो जाते हैं, तथा चंद्र से संबंधित दोष भी दूर होते हैंl चंद्र जिसकी की प्रवृत्ति ठंडी होती है। स्वभाव से बहुत चंचल होता है, बहुत संवेदनशील होता है, तथा नवग्रहों में मंत्री पद से अलंकृत है।
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ऐसे चंद्रमा की कृपा के कारण जातक के जीवन में अनेक अच्छे बदलाव लाता है lमानसिक तौर पर यह जातक को बहुत मजबूत बनाता हैl उसकी भावुकता तथा संवेदनशीलता पर नियंत्रण लाता है lविभिन्न प्रकार की सृजनात्मक एवं रचनात्मक गुण का सृजन करता हैl स्फटिक माला (sphatik mala dharan karne se kya hota hai) को धारण करने से जातक के बुद्धि में प्रखरता आती हैl जातक शांत दयालु मिलनसार स्वभाव का होता है, उसकी छवि बहुत ही मोहक एवं उदार होती है, स्वभाव से सज्जन एवं हसमुख व्यक्तित्व के रूप में वह सर्वविदित होता है। चित से सदा प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति होता है।
3. ऐसे जातक जिन्हें शुक्र ग्रह के द्वारा अनेक पीड़ा दी जा रही है, किसी जातक की जन्मपत्रिका में शुक्र ग्रह यदि आप या निम्न या शत्रु राशि का हो या फिर अष्टम या द्वादश भाव में स्थित हो या पाप ग्रहों की युक्ति हो या पापी ग्रहों से दृष्ट हो तो ऐसे में जातक के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां खड़ा कर देता हैl अनेक प्रकार के रोगों से जातक ग्रसित होने लगता हैl नेत्र विकार मूत्र विकार पांडु रोग आदि जैसे बीमारियों से उसका स्वास्थ्य दिनों दिन गिरने लगता हैl अशुभ शुक्र रिश्तो में भी दरार डाल देता है। अनेक प्रकार की समस्याएं उसके विवाहित जीवन में भी उत्पन्न होने लगती है, ऐसे में स्फटिक माला (sphatik mala dharan karne ke fayde) का उपयोग विधिवत तरीके से अभिमंत्रित एवं प्रतिष्ठित कर शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन धारण किया जा सकता है, ऐसा करने से शुक्र ग्रह की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार आता है, तथा शुक्र ग्रह की मजबूती के साथ ही उसके व्यवहारिक जीवन की स्थिति भी मजबूत होती है।
स्फटिक माला (sphatik mala ki jankari) को धारण करने से माता लक्ष्मी की भी कृपा जातक के ऊपर बनी रहती है, तथा जातक का जीवन धन-धान्य, समृद्धि, ऐश्वर्य से परिपूर्ण होता है।
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