श्री यंत्र की पूजा कैसें करे, shree yantra ki
puja kaise kare
श्री यंत्र की पूजा कैसे करें (shree yantra)तथा इससे संबंधित और क्या-क्या नियम होते हैं? जिनका पालन करना अनिवार्य माना जाता है, तथा श्री यंत्र की पूजा करने से क्या-क्या लाभ प्राप्त होता है? सभी पक्षों पर हम इस लेख के माध्यम से प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे-
श्री यंत्र क्या है?? ( Shree yantra kya hai )
जिस प्रकार संख्याओं का स्वरूप बहुत अधिक विस्तृत होता है, हमें जो उनका स्वभाविक रुप देखने को मिलता है, उसके विपरीत उनसे कई गुना अधिक उनमें शक्तियां समाहित होती है।
गणित में जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है।वह सभी संख्याएं किसी न किसी रूप में अपने अंदर कई तरह की सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा दोनों को समाहित रखती है, तथा विभिन्न प्रकार के ग्रह भी इन अंक संख्याओं से संबंधित माने जाते हैं। इनसे हमारे पूर्वजों के द्वारा ज्योतिष विज्ञान की रचना की गई।इसके साथ-साथ तंत्र विज्ञान की रचना की गई ।
इसके साथ-साथ मंत्र विज्ञान की भी रचना की गई ।प्रत्येक प्रकार के मंत्र -तंत्र ज्योतिष विज्ञान में अपनी अभूतपूर्व समीक्षा प्रदान करते हैं, जिसके माध्यम से कई लोगों का कल्याण किया जाता है, जिसके माध्यम से लोगों के कई कष्टकारी स्थितियों में परिवर्तन लाया जाता है।
उनकी निम्न वर्तमान परिस्थिति को उत्थान की ओर गमन करने की क्षमता इन यंत्रों में पाई जाती है। यह यंत्र खास प्रकार की संख्याओं से निर्मित होते हैं, जो स्पंदन से युक्त होते हैं। कई यंत्र मंत्रों के भौतिक संरचना से निर्मित होते हैं, जिनमे आरेख, रेखाएं, आकृतियां आदि विदित दिखाई पड़ती है। यह यंत्र देखने में भले ही आपको मामूली दिखाई पड़े किंतु इनकी रचना इतनी आसान नहीं होती है ।
श्री यंत्र की पूजा कैसें करे, shree yantra ki puja kaise kare
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एक विशिष्ट विधि के माध्यम से प्रत्येक आकृति को अंकित किया जाता है, तथा मंत्र उच्चारण के साथ इन सभी संख्याओं का या आकृतियों का प्रयोग किया जाता है। श्री यंत्र (shree yantra)(shree yantra ki pujaa kaise kare jati hai) भी उन्हें यंत्रों में से एक यंत्र है, जिन्हें यंत्रों का स्वामी माना जाता है।
जिसमें कई असाधारण शक्तियां विद्यमान मानी जाती है। यह कई तरह के ब्रह्मांड में विचरण करने वाली पारलौकिक शक्तियों का उद्गम बिंदु भी माना जाता है। संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक के रूप में भी श्री यंत्र(shree yantr) (shree yantra ki pujaa kaise karte hai) को माना जाता है, तथा यह ऊर्जा से युक्त एक सकारात्मक संग्रह होता है, जो माता नारायणी के विशेष मंत्रों से विशेष तंत्रों से सिद्ध किया हुआ माना जाता है।
मनइश्चित कार्य की पूर्ति के लिए लोग श्री यंत्र(shree yantr)का प्रयोग करते हैं। श्री यंत्र (shree yantr) मुख्यतः माता लक्ष्मी जो धन की अधिष्ठात्री है, जो विभिन्न प्रकार के सुख संपत्ति वैभव की अधिष्ठात्री है।
उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए प्रयोग में लाते हैं। श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra ki puja kaise ki jaati hai) विभिन्न प्रकार के धातु के ऊपर भी बनाए जा सकते हैं, जैसे- स्वर्ण ,रजत एवं तांबा भी उत्तम श्रेणी की धातु में आता है। कभी-कभी श्री यंत्र का निर्माण रवि पुष्य नक्षत्र तथा कई शुभ घड़ी या जैसे दीपावली नवरात्रि आदि जैसी चीजों में भोजपत्र पर भी बनाया जाता है।
श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra se kya labh hota hai) धन को आकर्षित करने वाला शक्तिशाली यंत्र माना जाता है। यह यंत्र जहां भी रहता है ।वहां की आर्थिक दशा सदैव उत्कृष्ट बनी रहती हैै। यह नियमित पूजा पाठ मंत्र साधना से श्री यंत्र की शक्तियों को और अधिक बलिष्ठ बनाया जा सकता है, तथा विभिन्न प्रकार के विशिष्ट अवधियों पर इसे मंत्रों के द्वारा और अधिक ऊर्जावान एवं लब्धप्रतिष्ठ बनाया जा सकता है।
इतने चमत्कारी एवं दिव्य शक्तियों से युक्त सुख ,समृद्धि में वृद्धि करने वाला यंत्र (shree yantr)कई प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला तथा सौभाग्य का परिचालक श्री यंत्र की पूजा कैसे करें कि इसका सर्वाधिक फल किसी भी व्यक्ति विशेष को प्राप्त हो सके आइए जानते हैं-
श्री यंत्र की पूजा कैसें करे, shree yantr ki puja kaise kare
1)• श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra puja ke labh) एक ऐसा यंत्र(shree yantr) है, जिसका प्रयोग आप जहां चाहे वहां कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने भवन के अस्थल में पूजा गृह में भी इसे विधिवत रूप से प्रतिष्ठित कर सकते हैं, या तिजोरी के लिए भी यह उपयुक्त माना जाता है। कई लोग जो व्यापार से जुड़े हुए हैं।
विभिन्न प्रकार के व्यापारिक वृत्त से जुड़े हुए हैं ।उन लोगों के लिए सबसे अच्छा इसे व्यापारिक स्थल में सिद्ध कर रखा जा सकता है। श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra puja ke upay) की एक खूबी और है, कि यह जहां भी रहता है। वहां पर का वातावरण काफी सकारात्मक रहता है, इसलिए इसे आप चाहे तो जिस स्थान पर बच्चों का अध्ययन कक्ष है। वहां भी सिद्ध कर प्रतिष्ठित कर सकते हैं।
2)• श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra puja ke fayde) की पूजा अर्चना करने से पूर्व मन शुद्ध एवं शांत होना बहुत आवश्यक है, तथा शुभ घड़ी भी जानना बहुत आवश्यक है। वैसे तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन इसे प्रतिष्ठित किया जा सकता है, किंतु हिंदू पंचांग में कई ऐसे शुभ योग भी बताए जाते हैं।
जिसमें कई प्रकार की धार्मिक अनुष्ठान या तंत्र मंत्र यंत्र संबंधित क्रियाएं की जाए तो उसमें अपार सफलता की प्राप्ति हो सकती है, जैसे- दीपावली, अक्षय तृतीया, धनतेरस ,होली ,अमावस्या, पूर्णिमा आदि।
श्री यंत्र की पूजा कैसें करे, shree yantr ki puja kaise kare
3)• श्री यंत्र(shree yantr) की पूजा यदि ब्रह्म मुहूर्त में की जाए तो यह मुहूर्त बहुत ही अच्छे सुगंधीयों को प्रदान करने वाला माना जाता है, या आप चाहे तो सूर्य उदय के बाद भी कर सकते हैं, किंतु सुबह की 10:00 बजे से पूर्व ही श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra ki jankari) की पूजा अर्चना की जानी चाहिए।सर्वप्रथम स्नान आदि से निवृत होकर खुद के शरीर का शुद्धिकरण करें, किंतु इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि आपके द्वारा धारण किया जाने वाला वस्त्र का वर्ण काला नहीं होना चाहिए आप चाहे तो रक्त के समान लाल वर्ण का वस्त्र धारण कर सकते हैं, या सफेद वस्त्र धारण करना भी अच्छा माना जाता है ।
इतना करने के पश्चात शुद्ध रूप से गाय के शुद्ध दूध से बिना पानी मिलाएं अरवा चावल से खीर बनाएं तथा उसे मीठा करने के लिए ढेले वाले मिश्री का प्रयोग करें। उसमें केसर भी मिला सकते हैं, उसके बाद खीर को किसी छोटे पात्र में निकाल कर रखें ।उसके बाद अपनी पूजा गृह में लाल आसन बिछा कर बैठे तथा श्री यंत्र(shree yantr) (shri yantra ke fayde) को पंचामृत तथा गंगाजल से स्नान कराने के बाद पूजा के स्थल में माता लक्ष्मी के प्रतिरूप के समक्ष एक लाल कपड़े पर रखें तथा उस पर कच्ची हल्दी का लेप लगाएं या केसर का भी लेप लगा सकते हैं।
उसके बाद लाल पुष्प अर्पित करें गाय का एक शुद्ध घी का दीपक भी अवश्य जलाएं ।उसके बाद माता लक्ष्मी के समक्ष वह खीर अर्पित करें। उसके बाद माता लक्ष्मी का स्रोत पाठ कम से कम 21 बार करें। उसके बाद माता से अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हुए प्रसाद के रूप में उस खीर को ग्रहण करें, किसी बाहरी व्यक्ति को खीर का अंश प्रदान नहीं करना है, तथा स्वयं ग्रहण करने से पूर्व उस खीर का कुछ हिस्सा पक्षियों को या गाय को अवश्य दें।उसके बाद आपको प्रतिदिन कम से कम एक बार ब्रह्म मुहूर्त में या सूर्योदय के पश्चात भी या संध्या बेला में भी लक्ष्मी स्रोत का पाठ अवश्य करना है, तथा प्रतिदिन धूपबत्ती, ब्रास से आरती करें एवं माता लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र का जप भी आप तो प्रतिदिन कर सकते हैं।
इसके प्रभाव से यह यंत्र(shree yantr) (shri yantra se kya fayda hota hai) सदा अपने आसपास के वातावरण को शुद्धता प्रदान करेगा, जिससे सकारात्मक शक्तियां स्वयं ही आकर्षित होकर उस स्थान पर विचरण करने लगेंगी। स्वयं ही वहां निवास करने वाले व्यक्तियों पर अपनी कृपा बरसाने लगेगी तथा उनके आशीर्वाद से उपयोगकर्ता के उन्नति में जितने भी अवरोध उत्पन्न होंगे ।सभी नष्ट होने लगेंगेl सभी कार्यों का सार्थक रूप से संपन्नता होने के शुभ मुहूर्त की शुरुआत भी होने लगेगी।यह यंत्र माता लक्ष्मी की कृपा से युक्त माना जाता है।यदि सही विधि विधान से इसका पूजन अर्चन किया जाए।तो व्यक्ति के ऊपर माता धन की वर्षा करती है ।कभी भी उसके जीवन में सांसारिक सुखों की कमी नहीं होती है ।यह यंत्र, शांति, ज्ञान ,समृद्धि ,धन को प्रदान करने वाला यंत्र है।
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